प्रारंभिक परीक्षा
ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिये जियोइंजीनियरिंग
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
एक हालिया अध्ययन में प्रस्तावित किया गया है कि पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में प्रतिवर्ष लाखों टन हीरे के चूर्ण का छिड़काव करने से ग्रह का तापमान 1.6°C कम हो सकता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद मिलेगी।
- यह जियोइंजीनियरिंग/भू-अभियांत्रिकी दृष्टिकोण बताता है कि हीरे सौर विकिरण प्रबंधन (Solar Radiation Management- SRM) के लिये पहले से विचारित सामग्रियों की तुलना में अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का वर्तमान परिदृश्य
- वैश्विक तापमान अब पूर्व-औद्योगिक स्तरों (1850-1900) से लगभग 1.2°C अधिक है और अनुमान है कि वर्ष 2023 में यह 1.45°C तक पहुँच जाएगा, जिससे नवीन समाधानों की तत्काल आवश्यकता उजागर होती है।
- वर्तमान रुझान बताते हैं कि 2015 के पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित 1.5°C तापमान वृद्धि की सीमा प्राप्त करना संभव नहीं है।
- जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये वर्ष 2030 तक 2019 के स्तर से उत्सर्जन में 43% की पर्याप्त कमी लाने की आवश्यकता है, हालाँकि वर्तमान प्रयासों से केवल 2% की कमी ही हो सकती है।
जियो-इंजीनियरिंग क्या है?
- परिचय:
- यह वैश्विक तापमान वृद्धि के प्रभावों का मुकाबला करने के लिये पृथ्वी की जलवायु प्रणाली (विशेष रूप से सौर विकिरण प्रबंधन) में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर किये जाने वाले हस्तक्षेपों को संदर्भित करता है।
- वर्गीकरण: इसमें मुख्य रूप से दो दृष्टिकोण शामिल हैं, अर्थात् SRM और कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन (CDR)।
- SRM: SRM में सौर किरणों को पृथ्वी से दूर परावर्तित करने के लिये अंतरिक्ष में सामग्री तैनात करना शामिल है। यह विधि हालाँकि अभी भी वैचारिक है, ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक घटनाओं से प्रेरणा लेती है।
- उदाहरण के लिये वर्ष 1991 में फिलीपींस में माउंट पिनातुबो के विस्फोट से उस वर्ष पृथ्वी का तापमान 0.5°C कम हो गया था।
- CDR: तकनीकों में कार्बन कैप्चर और सीक्वेस्ट्रेशन (Carbon Capture and Sequestration- CCS), डायरेक्ट एयर कैप्चर (Direct Air Capture- DAC) तथा कार्बन कैप्चर, उपयोग एवं भंडारण (Carbon Capture, Utilisation and Storage- CCUS) शामिल हैं, जिसमें वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के स्तर में दीर्घकालिक कमी पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- SRM: SRM में सौर किरणों को पृथ्वी से दूर परावर्तित करने के लिये अंतरिक्ष में सामग्री तैनात करना शामिल है। यह विधि हालाँकि अभी भी वैचारिक है, ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक घटनाओं से प्रेरणा लेती है।
- CCS: यह व्यवहार में मुख्य CDR विधि है। इसमें उद्योगों से निकलने वाले CO₂ उत्सर्जन को पकड़कर उसे उपयुक्त भूगर्भीय संरचनाओं में भूमिगत रूप से संग्रहीत किया जाता है, जिससे उत्सर्जन में प्रभावी रूप से कमी आती है।
- DAC: इसमें भंडारण या उपयोग के लिये बड़े उपकरणों (जिन्हें अक्सर "कृत्रिम वृक्ष" कहा जाता है) का उपयोग करके परिवेशी वायु से सीधे CO₂ को निकालना शामिल है।
- DAC के संभावित लाभ अधिक हैं क्योंकि यह ऐतिहासिक CO₂ उत्सर्जन को संबोधित कर सकता है, हालाँकि इसे अधिक महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है।
- CCUS: कुछ संग्रहित CO₂ को औद्योगिक प्रक्रियाओं में पुनः उपयोग में लाया जाता है, जबकि शेष को संग्रहीत कर लिया जाता है।
- संबंधित चुनौतियाँ:
- कार्यान्वयन बाधाएँ: SRM प्रौद्योगिकियों को व्यापक तकनीकी, वित्तीय और नैतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- संभावित अनपेक्षित प्रभावों में बाधित मौसम पैटर्न, कृषि पर नकारात्मक प्रभाव और जैव विविधता के लिये खतरे शामिल हैं।
- CCS की व्यवहार्यता: हालाँकि CCS वर्तमान में सबसे व्यापक रूप से कार्यान्वित भू-अभियांत्रिकी पद्धति है, लेकिन केवल इस पर निर्भर रहना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर जाने की तुलना में आर्थिक रूप से अव्यावहारिक साबित हो सकता है।
- कार्यान्वयन बाधाएँ: SRM प्रौद्योगिकियों को व्यापक तकनीकी, वित्तीय और नैतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न 1. 'मीथेन हाइड्रेट' के निक्षेपों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं? (2019) भूमंडलीय तापन के कारण इन निक्षेपों से मीथेन गैस का निर्मुक्त होना प्रेरित हो सकता है। 'मीथेन हाइड्रेट' के विशाल निक्षेप उत्तरध्रुवीय टुंड्रा में तथा समुद्र अधस्तल के नीचे पाए जाते हैं। वायुमंडल के अंदर मीथेन एक या दो दशक बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है। नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न: निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्फेट वायुविलय अंतःक्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019) (a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये उत्तर: (d) |
प्रारंभिक परीक्षा
भारत ARIN-AP की संचालन समिति में शामिल हुआ
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के प्रतिनिधित्व वाले भारत को एसेट रिकवरी इंटरएजेंसी नेटवर्क-एशिया पैसिफिक (ARIN-AP) की संचालन समिति में शामिल किया गया है।
- भारत वर्ष 2026 से ARIN-AP की अध्यक्षता करने के साथ इस नेटवर्क की वार्षिक आम बैठक (AGM) की मेजबानी करेगा।
- यह G-20 ढाँचे के अंतर्गत भारत की प्राथमिकताओं के अनुरूप (विशेष रूप से भगोड़े आर्थिक अपराधियों से निपटने और संपत्ति की वसूली के नौ सूत्री एजेंडे के संबंध में) है।
नोट: ED प्रमुख वित्तीय जाँच एजेंसी है जिसे धन शोधन और विदेशी मुद्रा लेन-देन के प्रशासन के लिये विधिक ढाँचा के उल्लंघन के अपराधों की जाँच का दायित्व सौंपा गया है।
- यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन कार्यरत है।
ARIN-AP के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: ARIN-AP एशिया-प्रशांत क्षेत्र में व्यक्तियों, कंपनियों और परिसंपत्तियों के बारे में सूचना का आदान-प्रदान करने से संबंधित एक बहु-एजेंसी नेटवर्क है, जिसका उद्देश्य गैर-कानूनी गतिविधियों से प्राप्त आय का पता लगाने के साथ उसकी वसूली को सुविधाजनक बनाना है।
- यह ग्लोबल कैमडेन एसेट रिकवरी इंटर-एजेंसी नेटवर्क (CARIN) का सदस्य है।
- उद्देश्य: अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के ढाँचे के तहत सभी अपराधों पर नज़र बनाए रखना।
- ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय' (UNODC) और CARIN जैसे अन्य संबंधित संगठनों के साथ एक ठोस अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क का निर्माण करना।
- अपराध से होने वाली आय की निगरानी से संबंधित सभी पहलुओं में प्रशिक्षण को सुविधाजनक बनाना और बढ़ावा देना।
- अपराध से प्राप्त आय पर अंकुश लगाकर अपराधियों को अवैध लाभ से वंचित करने के क्रम में सदस्यों के प्रयासों की प्रभावशीलता को बढ़ाना।
- सदस्यता: इसमें 28 सदस्य प्राधिकार और नौ पर्यवेक्षक शामिल हैं जो संपत्ति का पता लगाने, उसे फ्रीज करने और ज़ब्त करने के क्रम में सीमा पार सहयोग को सुविधाजनक बनाते हैं।
- सचिवालय: इसके सचिवालय की भूमिका कोरियाई सर्वोच्च अभियोजक कार्यालय (SPO) द्वारा संभाली जाती है।
परिसंपत्तियों की वसूली (Asset Recovery)
- परिसंपत्तियों की वसूली का आशय अवैध तरीकों से प्राप्त धन का पता लगाने, उसे रोकने, ज़ब्त करने और संबंधित हितधारकों को वापस करने की प्रक्रिया है।
- वर्ष 2003 में “भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र अभिसमय” (UNCAC) को अपनाए जाने के बाद पहली बार अवैध तरीकों से प्राप्त की गई संपत्तियों की वसूली और वापसी को अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक कानून के मूल सिद्धांत के रूप में स्थापित किया गया।
- इससे अंतर्राष्ट्रीय नीति एजेंडे में परिसंपत्ति वसूली को दृढ़तापूर्वक स्थापित किया गया।
CARIN से संबंधित मुख्य बिंदु क्या हैं?
- परिचय: CARIN एक अनौपचारिक नेटवर्क या अंतर-एजेंसी नेटवर्क है जिसका प्रतिनिधित्व प्रत्येक सदस्य राज्य के विधि प्रवर्तन और न्यायिक विशेषज्ञों (जैसे अभियोजक या न्यायाधीश) द्वारा किया जाता है।
- उद्देश्य: इससे संपूर्ण परिसंपत्ति वसूली प्रक्रिया को समर्थन (परिसंपत्ति का पता लगाने से लेकर फ्रीज़िग, ज़ब्ती, प्रबंधन और परिसंपत्ति साझा करने तक) मिलता है।
- सचिवालय: CARIN का स्थायी सचिवालय हेग के यूरोपोल मुख्यालय में स्थित है।
- सदस्यता: वर्तमान में CARIN के 61 पंजीकृत सदस्य प्राधिकार हैं, जिनमें 27 यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के साथ 13 अंतर्राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं।
- यह विश्व भर में स्थित अन्य सात क्षेत्रीय परिसंपत्ति पुनर्प्राप्ति अंतर-एजेंसी नेटवर्क (ARIN) से भी संबंधित है।
- वित्तपोषण: इसका वित्तपोषण यूरोपीय संघ द्वारा किया जाता है।
- संरचना और संचार: सदस्य प्रतिनिधियों को "राष्ट्रीय संपर्क बिंदु" के रूप में नामित किया गया है और अंग्रेजी इस नेटवर्क की कार्यकारी भाषा है।
- कार्यप्रणाली: संगठन का संचालन नौ सदस्यों के एक संचालन समूह के साथ चक्रीय वार्षिक अध्यक्षता से होता है।
नोट: भगोड़ा आर्थिक अपराधी वह व्यक्ति है जिसके विरुद्ध भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 में सूचीबद्ध अपराध करने के लिये गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और अपराध का मूल्य कम-से-कम 100 करोड़ रुपए है। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (c) |
रैपिड फायर
माउंट लेवोटोबी ज्वालामुखी
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप पर स्थित माउंट लेवोटोबी लाकी-लाकी ज्वालामुखी उद्गार हुआ।
- यह ज्वालामुखी उद्गार इंडोनेशिया में तीव्र ज्वालामुखी गतिविधियों के बाद हुआ है, तथा हाल ही में पश्चिमी सुमात्रा में माउंट मेरापी में भी एक अन्य ज्वालामुखी उद्गार हुआ था।
- इंडोनेशिया में लगभग 120 सक्रिय ज्वालामुखी हैं तथा माउंट लेवोटोबी, पैसिफिक रिंग ऑफ फायर का एक हिस्सा है, जो लगातार भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिये जाना जाता है।
- पैसिफिक रिंग ऑफ फायर (परि-प्रशांत मेखला) प्रशांत महासागर में एक क्षेत्र है जहाँ सक्रिय ज्वालामुखियों और लगातार भूकंपों जैसी गतिविधियाँ देखने को मिलती हैं।
- यह गतिविधियाँ काफी हद तक टेक्टोनिक प्लेटों का परिणाम हैं, जहाँ विशाल प्रशांत प्लेट अपने आसपास की कम घनत्व वाली प्लेटों जैसे नाज़का प्लेट, ज़ुआन डे फूका प्लेट के साथ संपर्क में रहती है।
अधिक पढ़ें: ज्वालामुखी
रैपिड फायर
बाल्फोर घोषणा-पत्र
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में बाल्फोर घोषणा-पत्र को 107 वर्ष पूरे हुए, जो 2 नवम्बर, 1917 को जारी किया गया था।
- बाल्फोर घोषणा-पत्र (जिसका नाम ब्रिटिश विदेश सचिव आर्थर जेम्स बाल्फोर के नाम पर रखा गया) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी किया गया एक सार्वजनिक दस्तावेज़ था।
- इसमें फिलिस्तीन में "यहूदी लोगों के लिये होमलैंड" की स्थापना का समर्थन किया गया, जो उस समय एक ओटोमन क्षेत्र था, जहाँ यहूदी अल्पसंख्यक आबादी कम थी।
- यह घोषणा-पत्र यूरोप में बढ़ते उत्पीड़न के बीच यहूदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये जारी किया गया था।
- मैकमोहन-हुसैन कॉरस्पोंडेंस (1915-1916) में ब्रिटेन के पूर्व वादे के विपरीत था, जिसमें उसने ओटोमन साम्राज्य के विरुद्ध अरब की सहायता के बदले में एक स्वतंत्र अरब राज्य का समर्थन करने का वादा किया था।
- ब्रिटेन ने मित्र राष्ट्रों के लिये यहूदियों का समर्थन मांगा ताकि अमेरिका और रूस में यहूदी समुदायों को प्रभावित किया जा सके, साथ ही फिलिस्तीन पर नियंत्रण को स्वेज़ नहर और भारत में ब्रिटिश हितों की रक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण माना।
और पढ़ें: इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष
रैपिड फायर
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में हाथियों की दुर्घटनाएँ
स्रोत: द हिंदू
मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व (BTR) में हाथियों के एक समूह की कथित तौर पर कोदो (कदन्न) खाने से मृत्यु हो गई।
- राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI), CSIR द्वारा वर्ष 2023 में किए गए अध्ययन के अनुसार, कोदो (कदन्न) का सेवन अक्सर लोगों और जानवरों में विषाक्तता और नशा के प्रभाव के रूप देखा जाता है।
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व:
- यह मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में स्थित है और विंध्य पहाड़ियों पर विस्तृत है।
- यह ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, जिसका प्रमाण प्रसिद्ध बांधवगढ़ किले के साथ-साथ संरक्षित क्षेत्र में मौजूद अनेक गुफाएँ, शैलचित्र और नक्काशी है।
- यह रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिये जाना जाता है।
- वर्ष 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया तथा 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के तहत पड़ोसी पनपथा अभयारण्य में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
- महत्त्वपूर्ण शिकार प्रजातियों में चीतल, सांभर, भौंकने वाले हिरण, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, चौसिंघा, लंगूर और रीसस मकाक शामिल हैं।
- बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भेड़िया और सियार जैसे प्रमुख शिकारी इन पर निर्भर हैं।
- भारत में हाथियों की जनसंख्या:
- भारत में जंगली एशियाई हाथी सबसे अधिक पाए जाते है, जिनकी जनसंख्या प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार 29,964 अनुमानित है।
- हाथियों की सबसे अधिक संख्या कर्नाटक में है, उसके बाद असम और केरल का स्थान है।
- भारत में जंगली एशियाई हाथी सबसे अधिक पाए जाते है, जिनकी जनसंख्या प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार 29,964 अनुमानित है।
अधिक पढ़ें: मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय उद्यान
रैपिड फायर
चितरंजन दास की जयंती
स्रोत: पी.आई.बी
5 नवंबर, 2024 को लोक सभा अध्यक्ष ने देशबंधु चित्तरंजन दास (सी.आर. दास) की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- सी.आर. दास देशबंधु के नाम से सुप्रसिद्ध हैं, जिसका अर्थ है "राष्ट्र का मित्र" और "राष्ट्रवाद का दूत", उनसे सुभाष चन्द्र बोस जैसे युवा प्रेरित थे।
- अलीपुर बम केस (1908) में अरबिंदो घोष का बचाव करके उन्होंने बैरिस्टर के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की, जिसके परिणामस्वरूप अरबिंदो रिहा हो गए।
- उन्होंने ढाका षडयंत्र केस (1910-11) में बचाव पक्ष के वकील के रूप में भी कार्य किया।
- वह गांधीजी और मोतीलाल नेहरू के साथ जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919) की जाँच करने वाली एक गैर-आधिकारिक समिति का हिस्सा थे।
- प्रारंभ में उन्होंने असहयोग आंदोलन में संशोधन की मांग की, लेकिन बाद में वर्ष 1920 में अपनी वकालत त्यागकर इसका समर्थन किया।
- उन्होंने "परिषदों के माध्यम से असहयोग आंदोलन" को आगे बढ़ाने के लिये वर्ष 1923 में मोतीलाल नेहरू के साथ स्वराज्य पार्टी की सह-स्थापना की।
- उन्होंने वर्ष 1922 में गया अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, लेकिन परिषद में प्रवेश का उनका प्रस्ताव खारिज हो जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
- उनकी जीवनी, द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ सी.आर.दास, पृथ्वीश चंद्र रे द्वारा लिखी गई थी।
और पढ़ें: श्री अरबिंदो