भूगोल
भारत में सौर विकिरण में गिरावट
- 30 Apr 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:जलवायु परिवर्तन, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), एरोसोल, नवीकरणीय ऊर्जा, PM-कुसुम, प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना। मेन्स के लिये:भारत में सौर ऊर्जा और विकास, सौर ऊर्जा से संबंधित चुनौतियाँ, भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने के लिये सरकारी योजनाएँ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों
जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंताएँ बढ़ती जा रही हैं, सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का महत्त्व तेज़ी से बढ़ता जा रहा है।
- हालाँकि, भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) के वैज्ञानिकों के एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि सौर पैनलों द्वारा बिजली में रूपांतरण के लिये उपलब्ध सौर विकिरण की मात्रा के बारे में पूरे भारत में कई स्थानों पर गिरावट आ रही है।
अध्ययन की मुख्य बातें क्या हैं?
- एरोसोल लोड:
- कार्बन उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन के जलने और धूल के साथ-साथ बादलों के कारण एरोसोल लोड में वृद्धि, सौर विकिरण में गिरावट में योगदान करती है।
- एरोसोल सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करते हैं और इसे ज़मीन से दूर विक्षेपित कर देते हैं तथा वे घने बादलों का निर्माण भी कर सकते हैं जो पुनः सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर देते हैं।
- सौर पैनलों की दक्षता उन पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी की मात्रा से काफी प्रभावित होती है।
- सौर फोटोवोल्टिक (SPV) क्षमता में गिरावट:
- विश्लेषण से पता चलता है कि सभी मॉनिटर किये गए स्टेशनों की SPV क्षमता में व्यापक गिरावट आई है।
- SPV विकिरण की वह मात्रा है जो पैनलों द्वारा बिजली में परिवर्तित करने के लिये व्यावहारिक रूप से उपलब्ध हो सकती है।
- SPV क्षमता में सभी स्टेशनों में सामान्य गिरावट देखी गई, जिसमें अहमदाबाद, चेन्नई, गोवा, जोधपुर, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पुणे, शिलांग, तिरुवनंतपुरम और विशाखापत्तनम शामिल हैं।
- भारत के सबसे बड़े सौर पार्क उत्तर पश्चिम, विशेष रूप से गुजरात व राजस्थान में स्थित हैं, और इन दोनों राज्यों के शहरों में भी SPV क्षमता में कमी देखी जा रही है।
- विश्लेषण से पता चलता है कि सभी मॉनिटर किये गए स्टेशनों की SPV क्षमता में व्यापक गिरावट आई है।
- भारत पर वैश्विक सौर विकिरण (GR):
- वैश्विक सौर विकिरण (GR) सौर विकिरण की कुल मात्रा है जो पृथ्वी की सतह पर प्रति इकाई क्षेत्र में प्राप्त हो रही है।
- GR उत्तर पश्चिम भारत तथा अंतर्देशीय प्रायद्वीपीय भारत में अधिकतम है, सुदूर उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में न्यूनतम है।
- कमी का कारण वायुमंडलीय अशांति और बादल में वृद्धि है। भारत के अधिकांश हिस्सों में मानसूनी बादल GR को कम कर देते हैं।
- श्रीनगर को छोड़कर अधिकांश स्टेशनों के लिये प्री-मानसून सीज़न में अधिकतम GR होता है।
- स्टेशन के आधार पर न्यूनतम GR मानसून, मानसून के बाद या सर्दियों के बीच भिन्नता होती है।
- GR उत्तर पश्चिम भारत तथा अंतर्देशीय प्रायद्वीपीय भारत में अधिकतम है, सुदूर उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में न्यूनतम है।
- वैश्विक सौर विकिरण (GR) सौर विकिरण की कुल मात्रा है जो पृथ्वी की सतह पर प्रति इकाई क्षेत्र में प्राप्त हो रही है।
- विकिरण का प्रकीर्णन (DR):
- विकिरण का प्रकीर्णन, वायुमंडलीय कणों द्वारा बिखेरे गए सौर विकिरण को संदर्भित करता है।
- स्वच्छ आकाश, सौर विकिरण का एक बड़ा प्रतिशत संचारित करता है, जिसके परिणामस्वरूप विकिरण का प्रकीर्णन अपेक्षाकृत कम होता है।
- इसके विपरीत, आंशिक रूप से छाए बादल तथा अशांत वातावरण, वायुमंडलीय कणों द्वारा सौर विकिरण के बढ़ते प्रकीर्णन के कारण उच्च विसरित विकिरण प्रदर्शित करता है।
- 50% से अधिक स्टेशनों पर सौर विकिरण प्रकीर्णन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, विशेष रूप से उत्तर पश्चिम तथा प्रायद्वीपीय भारत के कुछ भागों में।
- इस वृद्धि का कारण वायुमंडलीय अशांति और वातावरण में बादल छाए रहना है।
- विकिरण का प्रकीर्णन, वायुमंडलीय कणों द्वारा बिखेरे गए सौर विकिरण को संदर्भित करता है।
मुख्य बिंदु |
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सौर विकिरण |
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एरोसोल |
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नोट:
- भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देशों में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएँ हैं। भारत के भू-क्षेत्र पर प्रतिवर्ष लगभग 5,000 ट्रिलियन kWh की सौर ऊर्जा आपतित होती है।
- जैसा कि IMD द्वारा पुष्टि की गई है कि पृथ्वी की सतह पर आने वाले सौर विकिरण में मंदता(Dimming) और चमक(Brightening) की बहुदशकीय प्रवृत्ति विश्व में विभिन्न स्थानों पर देखी गई है, जो IPCC AR6 (जलवायु परिवर्तन आकलन रिपोर्ट 6 पर अंतर सरकारी पैनल) के परिणामों के अनुरूप है।
भारत के सौर ऊर्जा लक्ष्यों के लिये क्या निहितार्थ हैं?
- वर्तमान परिदृश्य:
- भारत की वर्तमान स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता लगभग 81 गीगावॉट (1 गीगावॉट 1,000 मेगावाट है) या कुल स्थापित बिजली का लगभग 17% है।
- भारत विश्व स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में चौथे, पवन ऊर्जा क्षमता में चौथे और सौर ऊर्जा क्षमता में पाँचवें स्थान पर है (अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी - नवीकरणीय क्षमता सांख्यिकी 2023 के अनुसार)।
- महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य:
- भारत की वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से लगभग 500 गीगावॉट, यानी अपनी बिजली की लगभग आधी आवश्यकता प्राप्त करने की महत्त्वाकांक्षी योजना है।
- इसका अर्थं होगा कि उस वर्ष तक कम से कम 280 गीगावॉट सौर ऊर्जा या वर्ष 2030 तक कम से कम 40 गीगावॉट की वार्षिक सौर क्षमता जोड़ी जाएगी।
- चुनौतियाँ:
- महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों के बावजूद, देश को अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिये संघर्ष करना पड़ा है, पिछले पाँच वर्षों में वार्षिक वृद्धि बड़ी कठिनता से 13 गीगावॉट को पार कर पाई है।
- कोविड-19 महामारी जैसे कारकों को प्रगति में बाधा के रूप में उद्धृत किया गया है और देश आने वाले वर्षों में सालाना 25-40 गीगावॉट जोड़ने की राह पर है।
- तथा भारत में सौर ऊर्जा विकास के लिये अन्य चुनौतियों में भूमि अधिग्रहण जटिलताएँ, ग्रिड एकीकरण मुद्दे, छत पर सौर ऊर्जा की धीमी वृद्धि, भंडारण प्रौद्योगिकी की सीमित उपलब्धता और अधिक नवाचार की आवश्यकता शामिल है।
सौर उन्नति की संभावना:
- आर्थिक और तकनीकी प्रगति के अलावा, सौर ऊर्जा प्रगति के पर्यावरणीय लाभों में शामिल हैं
- जलवायु परिवर्तन को कम करना: सौर पैनल अपने न्यूनतम पारिस्थितिक प्रभाव और कार्बन पदचिह्न के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- प्रदूषण में कमी: स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन से वायु और जल प्रदूषण में कमी आती है, जिससे एक स्वस्थ एवं स्थायी वातावरण के निर्माण को बढ़ावा मिलता है।
- ग्रह के भविष्य को सुरक्षित करना: सौर ऊर्जा के पर्यावरणीय लाभ प्रगति से परे हैं, जो एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है
सौर ऊर्जा से संबंधित सरकारी पहल क्या हैं?
- उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिये उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI)
- सोलर पार्क योजना
- PM-कुसुम
- प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर सौर विकिरण की उपलब्धता में कमी के प्रभाव और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में इसके निहितार्थ का विश्लेषण कीजिये |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष केप्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्पेट वायुविलय अंत:क्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019) (a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न: भारत में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएँ हैं, हालाँकि इसके विकास में क्षेत्रीय भिन्नताएँ हैं। व्याख्या कीजिये। (2020) |