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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 04 Apr, 2025
  • 10 min read
रैपिड फायर

टाइगर ट्रायम्फ 2025

स्रोत: पी.आई.बी.

1 अप्रैल 2025 को, भारतीय नौसेना ने द्विपक्षीय संयुक्त मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) जल-थल अभ्यास, टाइगर ट्रायम्फ 2025 के चतुर्थ संस्करण का उद्घाटन किया।

  • दो चरणों में आयोजित होने वाले इस अभ्यास का उद्देश्य अमेरिका-भारत सामरिक समुद्री सहयोग को मज़बूत करना और उनकी रक्षा साझेदारी को सुदृढ़ करना है।
  • बंदरगाह चरण: विशाखापत्तनम में आयोजित इस चरण में समुद्र आधारित प्रशिक्षण अभ्यास की योजना बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा तथा इसमें विशेष ऑपरेशनों तथा वायु, समुद्री, साइबर और अंतरिक्ष में मल्टी-डोमेन ऑपरेशनों पर सत्र शामिल होंगे।
  • समुद्री चरण: द्विपक्षीय सेनाएँ संयुक्त कमान और नियंत्रण केंद्र के माध्यम से समुद्री, जलस्थलीय और HADR ऑपरेशन संचालित करेंगी।
    • यह चरण काकीनाडा (आंध्र प्रदेश) में जलस्थलीय लैंडिंग के बाद एक मानवीय राहत और चिकित्सा प्रतिक्रिया शिविर (एयर-पोर्टेबल भीष्म चिकित्सा उपकरण के साथ) की स्थापना के साथ संपन्न हुआ।
  • साइबर और अंतरिक्ष विशेषज्ञों के साथ-साथ तीनों सेनाओं के विशेष अभियान बल इस अभ्यास में भाग लेंगे और एयर-पोर्टेबल भीष्म चिकित्सा उपकरण का प्रदर्शन करेंगे।
  • भारत और अमेरिका के बीच अन्य संयुक्त अभ्यासों में युद्ध अभ्यास (सैन्य), कोप इंडिया (वायु) और वज्र प्रहार शामिल हैं ।

भारत-अमेरिका संबंध:

India-US Partnership

और पढ़ें: भारत-अमेरिका कॉम्पैक्ट पहल


रैपिड फायर

भारत-चीन संबंधों के 75 वर्ष

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

1 अप्रैल 2025 के दिन भारत और चीन के बीच 1 अप्रैल 1950 को स्थापित राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूर्ण हुए।

  • चीनी राष्ट्रपति के अनुसार भारत-चीन संबंध "ड्रैगन-एलीफैंट टैंगो" की भाँति है, जो प्रतिद्वंद्विता के बजाय सह-अस्तित्व और साझा विकास का प्रतीक है।

भारत-चीन कूटनीति के 75 वर्ष

  • भारत-चीन संबंधों में प्राचीन सांस्कृतिक और व्यापारिक विनिमय की शुरुआत से, जिसमें सिल्क रोड के माध्यम से बौद्ध धर्म का प्रसार भी शामिल है, स्वातंत्र्योत्तर (1950 का दशक) काल के साथ विकास हुआ जो “हिंदी-चीनी भाई-भाई” भावना का प्रतीक था।
  • चीन-भारत युद्ध (1962) के कारण कूटनीतिक गतिरोध उत्पन्न हुआ, लेकिन 1980-2000 के दशक में 1993 के शांति और सौहार्द समझौते, वर्ष 1996 के सैन्य विश्वास निर्माण उपायों (CBM) समझौते और बढ़ते व्यापार के माध्यम से संबंध सामान्य हो गए।
  • भारत और चीन के बीच सुदृढ़ आर्थिक संबंध हैं जहाँ वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 118.4 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा और भारतीय यूनिकॉर्न में 3.5 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक का निवेश हुआ। 
  • अकादमिक आदान-प्रदान तथा वर्ष 2025 में आयोजित टैगोर की शताब्दी संगोष्ठी जैसे आयोजनों के माध्यम से दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों का सुदृढ़ीकरण होता है।
  • बहुपक्षीय रूप से, वे BRICS, SCO, G-20 में सहयोग करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) जैसी पहलों का समर्थन करते हैं।
  • दोनों देशों के प्रमुख मुद्दों में अनिर्धारित 3,488 किलोमीटर LAC शामिल है, जिसके कारण डोकलाम (2017) और गलवान (2020) जैसे संघर्ष निरंतर होते रहे हैं और PoK के माध्यम से चीन के BRI और CPEC संबंधी रणनीतिक चिंताएँ हैं।

India_China_Border_Disputes

और पढ़ें: भारत-चीन संबंधों की जटिलता और भविष्य 


रैपिड फायर

Fram2 मिशन और ध्रुवीय कक्षा

स्रोत: TH

SpaceX ने Fram2 मिशन लॉन्च किया है, जो फ्लोरिडा स्थित NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX क्रू ड्रैगन कैप्सूल के माध्यम से प्रमोचित किया गया।

  • यह निजी अंतरिक्ष उड़ान ध्रुवीय कक्षा (ऐसा पथ जिस पर मानव द्वारा पहले कभी यात्रा नहीं की गई) का अनुसरण करने वाला पहला मानव मिशन है और इसका उद्देश्य मुक्त उड़ान मिशन के दौरान मानव शरीर पर अंतरिक्ष उड़ान के प्रभाव पर अनुसंधान करना है।
  • ध्रुवीय कक्षा: यह एक प्रकार की निम्न भू कक्षा (200-1000 किमी. ऊँचाई) है, जहाँ उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर पश्चिम से पूर्व की ओर नहीं, बल्कि प्रमुख रूप से एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव की ओर (सटीक ध्रुवीय कक्षा से 10 डिग्री तक विचलन हो सकता है) गमन करते हैं। 
    • ये कक्षाएँ वैश्विक भूप्रेक्षण की दृष्टि से आदर्श हैं क्योंकि वे संपूर्ण धरातल कवरेज प्रदान करती हैं।

orbits

ध्रुवीय बनाम विषुवतीय कक्षा से गमन:

पहलू

ध्रुवीय कक्षा 

विषुवतीय कक्षा 

विकिरण जोखिम

ध्रुवों पर क्षीण चुंबकीय क्षेत्र के कारण उच्चतर

पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा संरक्षण के कारण निम्न जोखिम

ईंधन की आवश्यकताएँ

उच्चतर, कोई घूर्णनात्मक वर्धन नहीं, अधिक ऊर्जा-गहन

पृथ्वी के पूर्वाभिमुख घूर्णन के कारण अपेक्षाकृत निम्न आवश्यकता

बचाव और सुरक्षित वापसी

अधिक जटिल, दूरस्थ ध्रुवीय क्षेत्र, विलंबित सहायता

अटलांटिक/प्रशांत जैसे सरल, प्रमाणित क्षेत्र जहाँ से वापसी संभव है

संचार

ध्रुवों पर चुनौतीपूर्ण, सीमित ग्राउंड स्टेशन, हाल ही में निराकरण किया गया 

अपेक्षाकृत सरल, मध्य-अक्षांशीय भू-स्टेशन अच्छी तरह से समर्थित

पूर्व में उपयोग

चालक दल के लिये सीमित, उपग्रहों के लिये सामान्य, पिछली परियोजनाएँ रद्द कर दी गईं

सामान्य, जैसे, ISS, शटल मिशन, सुस्थापित

और पढ़ें: SpaceX द्वारा भारत का उपग्रह प्रक्षेपण


रैपिड फायर

देवराय प्रथम और विजयनगर साम्राज्य

स्रोत: द हिंदू

देवराय प्रथम के राज्याभिषेक से संबंधित 15वीं शताब्दी की दुर्लभ ताम्रपत्रों का बंगलूरू में अनावरण किया गया, जिसमें संगम राजवंश और विजयनगर साम्राज्य के बारे में महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक विवरण उपलब्ध हैं।

ताम्रपत्र की मुख्य विशेषताएँ:

  • शक 1328 (1406 ई.) की तिथि वाले, देवराय प्रथम (1406-1422) के शासनकाल के ये ताम्रपत्र संस्कृत, कन्नड़ और नागरी लिपियों में अंकित हैं, तथा इनमें विजयनगर साम्राज्य के पारंपरिक वराह प्रतीक के स्थान पर वामन मुद्रा अंकित है।
    • ताम्रपत्र में चंद्र, यदु, संगम और हरिहर और बुक्का सहित उनके पाँच पुत्रों से संगम राजवंश की वंशावली का भी पता लगाया गया है।
  • राजा देवराय प्रथम (हरिहर के पुत्र) के राज्याभिषेक के दौरान जारी किये गए ताम्रपत्र भी उनके राज्याभिषेक की पहले से असत्यापित तिथि की पुष्टि करते हैं। 
    • इसमें देवरायपुर-अग्रहार नामक भूमि अनुदान का भी उल्लेख है।
  • संगम राजवंश: इस राजवंश ने विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की और हम्पी को अपनी राजधानी बनाकर 1336 से 1485 ई. तक शासन किया।
    • देवराय प्रथम राजवंश के एक प्रमुख शासक थे, उनके अलावा हरिहर प्रथम, हरिहर द्वितीय और देवराय द्वितीय थे।
    • इतालवी यात्री निकोलो कोंटी ने देवराय प्रथम के दरबार में आया था।
  • विजयनगर साम्राज्य: हरिहर प्रथम और बुक्का राय प्रथम द्वारा स्थापित साम्राज्य (1336-1646) पर 4 राजवंशों - संगम, सलुव, तुलुव और अराविदु का शासन था ।
    • तालीकोटा के युद्ध (1565) में दक्कन सल्तनत द्वारा विजयनगर साम्राज्य की निर्णायक हार हुई, जिसके परिणामस्वरूप उसका पतन हो गया।

Vijayanagara_Empire

और पढ़ें: विजयनगर साम्राज्य के ताम्रपत्र की खोज, विजयनगर के राजा कृष्णदेवराय 


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