अंतर्राष्ट्रीय संबंध
एलएसी के पास हवाई क्षेत्र का उल्लंघन
- 11 Aug 2022
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स, आउटर स्पेस ट्रीटी 1967,1994 शिकागो कन्वेंशन, LAC, ईस्टर्न लद्दाख, हवाई संप्रभुता, 1994 शिकागो कन्वेंशन, एयर ट्रैफिक कंट्रोल मेन्स के लिये:हवाई क्षेत्र उल्लंघन और संबंधित कानून, भारत चीन संघर्ष। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के चुशुल-मोल्दो सीमा में हवाई क्षेत्र के उल्लंघन पर विशेष दौर की सैन्य वार्ता हुई।
- यह वार्ता चीनी लड़ाकों द्वारा "उत्तेजक व्यवहार" की पृष्ठभूमि के खिलाफ आयोजित की गई थी, जो अक्सर LAC के करीब उड़ान भरते हुए 10-किमी नो-फ्लाई ज़ोन कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेज़र (CBM) का उल्लंघन करते थे।
ऐसी घटनाओं के कारण:
- LAC पूरी तरह से सीमांकित नहीं है और संरेखण पर दोनों देशों में मतभेद हैं जिसके कारण ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं।
- एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिये दोनों पक्ष ज़मीनी स्तर पर नियमित रूप से बातचीत करते हैं।
- मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों पक्षों ने LAC पर वायु सेना को तैनात किया है तथा अपने-अपने ठिकानों की सुरक्षा को भी बढ़ाया है।
भारत-चीन के बीच हालिया विवाद:
- जून 2020 में गलवान घाटी में झड़प – यह लाठी और डंडों से लड़ी गई न कि बंदूकों से, वर्ष 1975 के बाद से दोनों पक्षों के बीच पहला घातक टकराव था।
- हालिया संघर्ष जनवरी 2021 में हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक घायल हो गए थे। यह भारत के सिक्किम राज्य में सीमा पर हुआ जो भूटान और नेपाल के बीच स्थित है।
- हाल ही में चीनीयों ने भारतीय वायुसेना द्वारा तिब्बत क्षेत्र में उनके द्वारा नियंत्रित क्षेत्र के भीतर संचालित चीनी वायु सेना के विमानों का पता लगाने के लिये अपनी क्षमता को उन्नत करने के बारे में शिकायत की है।
- दोनों ने स्थिति और तनाव को कम करने के लिये कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के 16 दौर आयोजित किये हैं, जो चीन द्वारा वर्ष 2020 में LAC पर यथास्थिति को बदलने की कोशिशों के बाद शुरू हुआ था।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC):
- परिचय: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) एक प्रकार की सीमांकन रेखा है, जो भारत-नियंत्रित क्षेत्र और चीन-नियंत्रित क्षेत्र को एक दूसरे से अलग करती है।
- LAC, पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा (LoC) से भिन्न है:
- दोनों देशों के बीच शिमला समझौते के बाद वर्ष 1972 में LoC को नामित कर इसे मानचित्र पर दर्शाया गया है।
- लेकिन LAC पर दोनों देशों (भारत-चीन) द्वारा सहमति नहीं बन पाई है, न ही इसे मानचित्र पर दर्शाया गया है और न ही इसे भौगोलिक रूप से सीमांकित किया गया है।
- LAC, पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा (LoC) से भिन्न है:
- LAC की लंबाई: भारत LAC की लंबाई 3,488 किमी मानता है; जबकि चीन इसे केवल 2,000 किमी के आसपास मानता है।
- LAC का विभाजन:
- इसे तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: पूर्वी क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश से सिक्किम (1346 किमी), मध्य क्षेत्र उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश (545 किमी) और पश्चिमी क्षेत्र लद्दाख (1597 किमी) तक फैला है।
- पूर्वी सेक्टर में LAC का संरेखण वर्ष 1914 की मैकमोहन रेखा के समरूप है।
- यह वर्ष 1914 में भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत अस्तित्व में आई थी।
- LAC का मध्य क्षेत्र सबसे कम विवादित, जबकि पश्चिमी क्षेत्र दोनों पक्षों के मध्य सबसे अधिक विवादित है।
- इसे तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: पूर्वी क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश से सिक्किम (1346 किमी), मध्य क्षेत्र उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश (545 किमी) और पश्चिमी क्षेत्र लद्दाख (1597 किमी) तक फैला है।
वायु-क्षेत्र पर भारत-चीन के मध्य समझौता:
- भारत और चीन के बीच मौजूदा समझौतों के अनुसार, लड़ाकू विमानों और सशस्त्र हेलीकॉप्टरों का संचालन LAC से कुछ दूरी तक ही सीमित है।
- वर्ष 1996 के 'भारत-चीन सीमा क्षेत्र में LAC के साथ शांति और सद्भाव के रखरखाव पर समझौते' के अनुसार, "लड़ाकू विमान (लड़ाकू, बमवर्षक, टोही, सैन्य प्रशिक्षक, सशस्त्र हेलीकॉप्टर और अन्य सशस्त्र विमान) LAC के 10 किमी के क्षेत्र में उड़ान नहीं भरेंगे।
- वर्ष 1993 और 2012 के बीच दोनों देशों के बीच शांति बनाए रखने के लिये भारत और चीन द्वारा विश्वास निर्माण उपायों (CBM) के समझौते पर सहमति व्यक्त की गई थी।
विश्वास निर्माण के उपाय (CMB):
- आमने-सामने की स्थिति में कोई भी पक्ष बल का प्रयोग नहीं करेगा और न ही बल प्रयोग करने की धमकी देगा,
- दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ शिष्टाचार से पेश आएँगे और किसी भी भड़काऊ कार्रवाई से बचेंगे,
- यदि दोनों पक्षों के सीमा कर्मी एलएसी के संरेखण पर मतभेदों के कारण आमने-सामने की स्थिति में आ जाते हैं, तो वे आत्म-संयम का प्रयोग करेंगे और स्थिति को बढ़ने से रोकने के लिये सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।
- पूर्व अनुमति के बिना किसी भी पक्ष का कोई भी सैन्य विमान LAC के पार उड़ान नहीं भरेगा।
- एलएसी से दो किलोमीटर के भीतर कोई भी पक्ष गोली नहीं चलाएगा, बायोडिग्रेडेशन का कारण नहीं बनेगा, खतरनाक रसायनों का उपयोग नहीं करेगा, विस्फोट ऑपरेशन नहीं करेगा या बंदूकों या विस्फोटकों के साथ शिकार नहीं करेगा।
घटना के बाद की प्रतिक्रिया:
- भारतीय पक्ष ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
- अभी हाल ही में भारत और चीन ने विशेष सैन्य वार्ता के दौरान दो वायु सेनाओं के बीच "सीधे संपर्क के प्रस्ताव" पर चर्चा की है।
- सीधा संपर्क तंत्र एक अलग हॉटलाइन या दोनों सेनाओं के बीच मौजूदा हॉटलाइन का उपयोग करके हो सकता है।
- भारतीय और चीनी सेनाओं के पास उनके ग्राउंड कमांडरों के बीच, वर्तमान में छह हॉटलाइन हैं – पूर्वी लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में दो-दो।
- छठा अगस्त, 2021 में उत्तरी सिक्किम में कोंगरा ला और तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में खंबा दज़ोंग के बीच स्थापित किया गया था।
- भारतीय और चीनी सेनाओं के पास उनके ग्राउंड कमांडरों के बीच, वर्तमान में छह हॉटलाइन हैं – पूर्वी लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में दो-दो।
वायु अंतरिक्ष और संबंधित कानून:
- परिचय:
- अंतर्राष्ट्रीय कानून में वायु क्षेत्र, एक विशेष राष्ट्रीय क्षेत्र के ऊपर का स्थान है, जिसे क्षेत्र को नियंत्रित करने वाली सरकार से संबंधित माना जाता है।
- इसमें बाहरी अंतरिक्ष शामिल नहीं है, जिसे वर्ष 1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि के तहत मुक्त घोषित किया गया है और राष्ट्रीय विनियोग के अधीन नहीं है।
- हालाँकि संधि ने उस ऊँचाई को परिभाषित नहीं किया जिस पर बाहरी अंतरिक्ष शुरू होता है और वायु स्थान समाप्त होता है।
- वायु संप्रभुता:
- यह एक संप्रभु राज्य का अपने हवाई क्षेत्र के उपयोग को विनियमित करने और अपने स्वयं के विमानन कानून को लागू करने का मौलिक अधिकार है।
- राज्य अपने क्षेत्र में विदेशी विमानों के प्रवेश को नियंत्रित करता है और इस क्षेत्र में सभी व्यक्ति राज्य के कानूनों के अधीन आयेंगे।
- हवाई अंतरिक्ष संप्रभुता का सिद्धांत पेरिस कन्वेंशन ऑन रेगुलेशन ऑफ एरियल नेविगेशन (1919) और बाद में अन्य बहुपक्षीय संधियों द्वारा स्थापित किया गया है।
- शिकागो कन्वेंशन, 1944 के तहत अनुबंध करने वाले राज्य एवं अन्य अनुबंधित राज्यों में पंजीकृत और वाणिज्यिक गैर-अनुसूचित उड़ानों में लगे विमानों को पूर्व राजनयिक अनुमति के बिना अपने क्षेत्र में उड़ान भरने के साथ-साथ यात्रियों, कार्गो और मेल को लेने और छोड़ने की अनुमति देने के लिये सहमत हैं।
- यह प्रावधान व्यवहार में मृत पत्र बन गया है।
- निषिद्ध वायु क्षेत्र:
- यह ऐसे हवाई क्षेत्र को संदर्भित करता है जिसके भीतर आमतौर पर सुरक्षा चिंताओं के कारण विमान की उड़ान की अनुमति नहीं है। यह कई प्रकार के विशेष उपयोग वाले हवाई क्षेत्र पदनामों में से एक है और इसे वैमानिकी चार्ट पर "पी" अक्षर के साथ अनुक्रमांक संख्या द्वारा दर्शाया गया है।
- प्रतिबंधित वायु क्षेत्र:
- निषिद्ध वायु क्षेत्र से भिन्न इस स्थान में आमतौर पर सभी विमानों के लिये प्रवेश वर्जित है और वायु यातायात नियंत्रण (ATC) या वायु क्षेत्र के नियंत्रण निकाय से मंज़ूरी के अधीन नहीं है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. "संयुक्त राज्य अमेरिका चीन के रूप में एक अस्तित्वगत खतरे का सामना कर रहा है, जो कि तत्कालीन सोवियत संघ की तुलना में बहुत अधिक चुनौतीपूर्ण है।" समझाइये (मुख्य परीक्षा, 2021) प्रश्न. "चीन अपने आर्थिक संबंधों और सकारात्मक व्यापार अधिशेष का उपयोग एशिया में संभावित सैन्य शक्ति की स्थिति विकसित करने के लिये उपकरण के रूप में कर रहा है"। इस कथन के आलोक में भारत पर उसके पड़ोसी देश के रूप में इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2017) |