अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-अमेरिका कॉम्पैक्ट पहल
- 21 Feb 2025
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत-अमेरिका कॉम्पैक्ट पहल, टाइगर ट्रायम्फ, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, मिशन 500' पहल, TRUST, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर मेन्स के लिये:भारत-अमेरिका संबंध, बहुपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग, चुनौतियाँ और आगे की राह |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21वीं सदी के अमेरिका-इंडिया कॉम्पैक्ट (सैन्य साझेदारी, त्वरणित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी हेतु अवसरों का उत्प्रेरण) का शुभारंभ किया गया।
भारत-अमेरिका कॉम्पैक्ट पहल की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- रक्षा सहयोग: अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी (2025-2035) के लिये एक नवीन 10-वर्षीय फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किये जाएंगे, जिससे रक्षा बिक्री का विस्तार होगा और जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों का सह-उत्पादन होगा तथा टाइगर ट्रायम्फ जैसे संयुक्त अभ्यासों को परिवर्द्धित किया जाएगा।
- इस पहल में निर्बाध रक्षा व्यापार के लिये पारस्परिक रक्षा खरीद (RDP) समझौता और AI-संचालित स्वायत्त रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिये स्वायत्त प्रणाली उद्योग गठबंधन (ASIA) शामिल हैं।
- व्यापार और निवेश विस्तार: कॉम्पैक्ट पहल के तहत, द्विपक्षीय व्यापार को वर्ष 2030 तक 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने के लिये 'मिशन 500' पहल शुरू की गई, जिसे द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के लिये वार्ता द्वारा समर्थित किया गया।
- इसके अंतर्गत किये जाने वाले प्रयासों में कृषि वस्तुओं और औद्योगिक निर्यात के लिये बाज़ार पहुँच में विस्तार के साथ व्यापार बाधाओं जैसे पेय पदार्थों, वाहनों और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) उत्पादों पर टैरिफ में कटौती को कम करना शामिल है।
- ऊर्जा सुरक्षा: अमेरिका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) में भारत की सदस्यता के समर्थन के साथ परमाणु, गैस और तेल के क्षेत्र में सहयोग में विस्तार होगा।
- प्रौद्योगिकी उन्नति: क्रांतिक और उभरती प्रौद्योगिकियों पर पहल (iCET) को TRUST (रणनीतिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर संबंधों में परिवर्तन) के रूप में पुनः ब्रांड किया गया, जिसमें अर्द्धचालक, क्वांटम कंप्यूटिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- इसके अंतर्गत किये जाने वाले प्रयासों से लिथियम और दुर्लभ मृदा तत्त्व पुनर्प्राप्ति परियोजनाओं सहित क्रांतिक खनिज आपूर्ति शृंखलाओं का विस्तार होगा।
- NASA-ISRO पहलों के माध्यम से नागरिक अंतरिक्ष सहयोग में विस्तार होगा, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिये भारतीय अंतरिक्ष यात्री का मिशन और NISAR का प्रक्षेपण शामिल है।
- बहुपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग: इस पहल से क्वाड साझेदारी का सुदृढ़ीकरण होगा, आतंकवाद-रोधी प्रयासों में सुधार होगा, हिंद-प्रशांत सुरक्षा और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाओं में विस्तार होगा।
- लोगों के बीच सहभागिता: कॉम्पैक्ट पहल से शैक्षणिक और कार्यबल गतिशीलता को बढ़ावा मिलेगा, विधिक प्रवासन का सरलीकरण होगा तथा मानव तस्करी और अंतरराष्ट्रीय अपराध के विरुद्ध विधि प्रवर्तन सहयोग का सुदृढ़ीकरण होगा।
भारत-अमेरिका संबंध
- व्यापार और निवेश: भारत-अमेरिका संबंधो का विकास "वैश्विक रणनीतिक साझेदारी" के रूप में हो गया है।
- वर्ष 2024 में, अमेरिका के साथ भारत का कुल माल व्यापार 129.2 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा। भारत ने अमेरिका में 87.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात किया, जबकि अमेरिका से आयात 41.8 बिलियन अमरीकी डॉलर था। वर्ष 2024 में भारत का अमेरिका के साथ 45.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का व्यापार अधिशेष रहा।
- वर्ष 2000 से वर्ष 2024 की अवधि में 65.19 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के साथ अमेरिका भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत और अमेरिका संयुक्त राष्ट्र, G-20, दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ, विश्व व्यापार संगठन, I2U2 समूह और इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) जैसे बहुपक्षीय मंचों में सहयोग करते हैं।
- रक्षा सहयोग: वर्ष 2005 के रक्षा ढाँचे से भारत-अमेरिका रक्षा संबंधो का सुदृढ़ीकरण हुआ, जिसे वर्ष 2015 में नवीनीकृत किया गया।
- भारत अमेरिका का एक प्रमुख रक्षा साझेदार है, जिसे सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1 (STA‑1) का दर्जा प्राप्त है (जिससे अमेरिकी रक्षा प्रौद्योगिकियों के सरल अभिगम की सुविधा मिलती है)।
- संयुक्त अभ्यास: वज्र प्रहार (सेना), साल्वेक्स (भारतीय नौसेना), कोप इंडिया (वायु सेना) और मालाबार अभ्यास (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का चतुर्भुज नौसैनिक अभ्यास)।
- लोगों के बीच संबंध: 3.5 मिलियन भारतीय अमेरिकी समुदाय अमेरिकी समाज में प्रमुख भूमिका निभाने के साथ भारत-अमेरिका संबंधों को मज़बूत बनाने में सहायक है।
भारत-अमेरिका संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- टैरिफ विवाद: राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के "उच्च टैरिफ" (उच्च आयात शुल्क) की आलोचना करते हुए "पारस्परिक टैरिफ" (किसी अन्य देश द्वारा टैरिफ की प्रतिक्रिया में लगाया जाने वाला समान टैरिफ) की अपनी नीति पर बल दिया, जिससे भारतीय निर्यातकों की लागत बढ़ सकती है। इसके अलावा, मुक्त व्यापार समझौता न होने से टैरिफ में वृद्धि के साथ व्यापार प्रतिबंधित होता है।
- अमेरिका के साथ भारत का वर्तमान व्यापार अधिशेष कम हो सकता है क्योंकि यह 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार लक्ष्य तक पहुँचने हेतु आयात बढ़ा रहा है, जिस क्रम में संभवतः चुनिंदा टैरिफ कटौतियों से भारत की व्यापक आर्थिक दक्षता की तुलना में अमेरिकी हितों को प्राथमिकता मिलेगी।
- आव्रजन नीतियाँ: भारत ने 2,20,000-7,00,000 भारतीय आप्रवासियों (जिनके पास आवश्यक दस्तावेज़ नहीं हैं) की वापसी की सुविधा देने पर सहमति व्यक्त की, जिसे ट्रंप के सख्त आव्रजन दृष्टिकोण के अनुरूप देखा गया।
- IT पेशेवरों के लिये H-1B वीज़ा पर भारत की निर्भरता के बावजूद इस संदर्भ में कोई स्पष्ट प्रतिबद्धता नहीं जताई गई, जिससे सिलिकॉन वैली और ट्रंप की राष्ट्रवादी नीतियों के बीच के तनाव पर प्रकाश पड़ता है।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: रक्षा संबंधों में गहनता के बावजूद AI, ड्रोन और मिसाइल प्रौद्योगिकी पर अमेरिकी प्रतिबंध से भारत की उन्नत रक्षा प्रणालियों तक पहुँच में बाधा आ सकती है।
- डेटा स्थानीयकरण: अमेरिका द्वारा भारत के डेटा संप्रभुता कानूनों का विरोध किया जाता है। इनका तर्क है कि इससे अमेरिकी तकनीकी फर्मों को नुकसान होगा।
- भू-राजनीतिक और बहुपक्षीय मतभेद: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिये अमेरिकी समर्थन के बावजूद, वैश्विक शासन में मतभेद बने हुए हैं। रूस क्षेत्र में युद्ध समाप्त करने के क्रम में अमेरिका, भारत से रूस के साथ अपने संबंधों का लाभ उठाने का आग्रह कर रहा है जबकि भारत इसमें तटस्थ दृष्टिकोण अपना रहा है।
- रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक रक्षा एवं ऊर्जा संबंध, मास्को को अलग-थलग करने के अमेरिकी प्रयासों के साथ टकराव की स्थिति में हैं।
आगे की राह
- BTA: व्यापार संबंधी तनाव को कम करने के लिये BTA को अंतिम रूप देना, सेमीकंडक्टर और फार्मास्यूटिकल्स में आपूर्ति शृंखला एकीकरण में सुधार करना तथा निवेश आकर्षित करने के लिये अमेरिकी मानदंडों के साथ नियामक मानकों को सुसंगत बनाना आवश्यक है।
- कार्यबल गतिशीलता: भारत को पेशेवरों एवं तकनीकी प्रतिभाओं को समर्थन देने के क्रम में H-1B कोटा के साथ वीज़ा प्रसंस्करण को सुलभ बनाने पर बल देना चाहिये।
- डेटा गवर्नेंस: भारत को डेटा स्थानीयकरण मानदंडों को आसान बनाना चाहिये। भारत में अमेरिकी तकनीकी निवेश को सुविधाजनक बनाने के साथ डिजिटल गवर्नेंस में विश्वास बढ़ाने के लिये संयुक्त साइबर सुरक्षा ढाँचा विकसित करना चाहिये।
- कूटनीतिक जुड़ाव: वैश्विक शासन संबंधी मतभेदों को दूर करने एवं आर्थिक तथा सुरक्षा प्रभाव को बढ़ावा देने के लिये ग्लोबल साउथ में भारत की रणनीतिक भूमिका का लाभ उठाते हुए क्वाड, IPEF जैसे बहुपक्षीय मंचों में अमेरिका-भारत समन्वय को मज़बूत बनाना चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में भारत-अमेरिका कॉम्पैक्ट पहल के महत्त्व पर चर्चा कीजिये |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:प्रश्न . निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (ए.एस.इ.ए.एन.) के ‘मुक्त व्यापार भागीदारों’ में से हैं? (a) केवल 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न. 'भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के बीच संबंधों में खटास के प्रवेश का कारण वाशिंगटन का अपनी वैश्विक रणनीति में अभी तक भी भारत के लिये किसी ऐसे स्थान की खोज़ करने में विफलता है, जो भारत के आत्म-समादर और महत्त्वाकांक्षा को संतुष्ट कर सके।' उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये। (2019) |