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सिल्क रोड के मार्ग में बदलाव

  • 17 Jun 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन, सिल्क रोड, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC)

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा तथा भारत के संबंध में इसके निहितार्थ।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

साइंस बुलेटिन पत्रिका में प्रकाशित चीनी वैज्ञानिकों के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, प्राचीन सिल्क रोड का मुख्य मार्ग जलवायु परिवर्तन के कारण उत्तर की ओर स्थानांतरित हुआ है। 

  • यह अध्ययन जलवायु परिवर्तन एवं मानव समाजों के स्थानिक विकास के बीच संबंधों के परीक्षण के क्रम में महत्त्वपूर्ण है।

सिल्क रोड:

  • परिचय:
    • सिल्क रोड यूरोप के अटलांटिक समुद्र तट को एशिया के प्रशांत तट से जोड़ने वाले व्यापारिक मार्गों का एक विशाल नेटवर्क था।
    • इसका नाम इस मार्ग के सुदूर पूर्वी छोर पर स्थित चीन से होने वाले आकर्षक रेशम के व्यापार के कारण रखा गया था। 
    • रेशम के अलावा, इस मार्ग का उपयोग मसालों, सोने तथा कीमती पत्थरों जैसी अन्य वस्तुओं के व्यापार हेतु किया जाता था।
  • मार्ग:
    • यह मार्ग समरकंद, बेबीलोन और कुस्तुंतुनिया  सहित कई महत्त्वपूर्ण शहरों एवं राज्यों से होकर गुज़रता था।
  • इतिहास:
    • सिल्क रोड का इतिहास 1,500 वर्षों से भी अधिक का है, जिसे पारंपरिक तौर पर दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व (जब यूरोप एवं चीन के बीच संपर्क और भी मज़बूत हुए थे) का माना जाता है।
    • दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में चीन के हान राजवंश के सम्राट वू (Wu) ने अपने राजदूत झांग कियान को "पश्चिमी क्षेत्रों" (झिंजियांग और उससे आगे के क्षेत्रों) में भेजा। इससे सिल्क रोड के तारिम बेसिन मार्ग का क्रमिक विकास हुआ।
      • इस अग्रणी प्रयास के लिये झांग कियान को "सिल्क रोड का जनक" होने का श्रेय दिया जाता है।
    • चीन की तत्कालीन राजधानी (शियान) की ओर आने वाले या वहाँ से जाने वाले व्यापारियों द्वारा तारिम बेसिन मार्ग का उपयोग किया जाता था और यह तियानशान, कुनलुन तथा पामीर जैसे पहाड़ों से घिरे बेसिन के किनारे से होकर गुज़रता था एवं तकला मकान का रेगिस्तान भी इस बेसिन से संलग्न था।
    • तारिम बेसिन से होकर यात्रा करने के बाद व्यापारी पश्चिम की ओर लेवंत (आधुनिक सीरिया, जॉर्डन एवं लेबनान) और अनातेलिया की ओर बढ़ते थे, जहाँ वस्तुओं को भूमध्यसागरीय बंदरगाहों के जहाज़ो तक पहुँचाया जाता था तथा यहाँ से इनका स्थानांतरण पश्चिमी यूरोप की ओर होता था।
    • इस मार्ग ने यूरेशिया के विपरीत छोरों के बीच वस्तुओं, लोगों, विचारों, धर्मों और यहाँ तक ​​कि बीमारियों के प्रसार के साथ यूरोप तथा एशिया की सभ्यताओं के बीच सांस्कृतिक एवं आर्थिक आदान-प्रदान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सिल्क रोड का मार्ग कैसे बदला गया?

  • पुराना मार्ग (तारिम बेसिन मार्ग):
    • सिल्क रोड का मूल मुख्य मार्ग तारिम बेसिन के चारों ओर से होकर गुज़रता था, जो उत्तर में तियानशान पर्वतमाला (Tianshan Mountains) और दक्षिण में कुनलुन पर्वतमाला (Kunlun Mountains) के बीच स्थित है।
    • व्यापारियों ने तारिम बेसिन की कठोर रेगिस्तानी परिस्थितियों से बचने के लिये यह मार्ग चुना।
  • नया मार्ग (जुंगगर बेसिन मार्ग):
    • लगभग 420-850 ई. की अवधि के दौरान कारवाँ ने सिल्क रोड पर तारिम बेसिन के आसपास के पारंपरिक मार्ग का अनुसरण नहीं किया।
      • इसके बजाय उन्होंने तियानशान पर्वतमाला (आधुनिक शिनजियांग के जुंगगर बेसिन में) की उत्तरी ढलानों का उपयोग करना शुरू कर दिया, जिसे ऐतिहासिक रूप से जुंगारिया कहा जाता था।
      • इस "नए उत्तरी" मार्ग ने अंततः तारिम बेसिन मार्ग को पूरी तरह से प्रतिस्थापित कर दिया।
    • नये मार्ग के परिणाम:
      • इसने तुर्को-सोग्डियन सांस्कृतिक क्षेत्र के विकास को बढ़ावा दिया।
      • इसने चीनी राजवंशों और मध्य तथा पश्चिम एशिया के खानाबदोश साम्राज्यों, जैसे खज़र साम्राज्य (Khazar Empire), के बीच संचार तथा व्यापार को सुगम बनाया।
      • इस बदलाव से यूरेशिया में संचार और व्यापार में सुधार हुआ तथा प्रशांत तथा अटलांटिक क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी स्थापित हुई।

सिल्क रोड के स्थानांतरण के पीछे क्या कारण थे?

  • जलवायु परिवर्तन:
    • शोधकर्त्ताओं ने पूर्व जलवायु (Past Climate) का पुनर्निर्माण करने के लिये चिरोनोमिड (झील मक्खियों) जीवाश्मों का उपयोग किया और तारिम बेसिन में शीतलक (Cooling) और शुष्कन (Drying) की अवधि (420-600 ई.) पाई गई, जिसका अर्थ है कि उस समय के दौरान इस क्षेत्र में तापमान में कमी आई तथा वर्षा भी कम हुई (जलवायु परिवर्तन)
      • बर्फ के पिघलने से प्राप्त होने वाले जल और वर्षा में कमी के कारण तारिम बेसिन को जल की कमी का सामना करना पड़ा जिसके चलते यह पारंपरिक मार्ग कम व्यवहार्य हो गया। इस प्रकार पारंपरिक मार्ग से होकर गुज़रने वाले कारवाँ (Caravans) तियानशान पहाड़ों के साथ उत्तरी मार्ग की तरफ स्थानांतरित हो गए क्योंकि वहाँ अधिक प्रचुर एवं सतत् जल संसाधन उपलब्ध थे।
  • भू-राजनीतिक कारक:
    • तारिम बेसिन में जलवायु में सुधार होने के बाद भी (600-850 ई. के बीच गर्म और आर्द्र), व्यापार मार्ग उत्तरी जुंगगर बेसिन मार्ग पर बना रहा।
    • इसका कारण शिनजियांग के दक्षिण में टुबो साम्राज्य (तिब्बत) का उदय है, जिसकी विस्तारित शक्ति का टकराव चीन के तांग राजवंश से हुआ, जिससे पारंपरिक तारिम बेसिन मार्ग व्यापार के लिये संभवतः कम सुरक्षित या राजनीतिक दृष्टि से कम अनुकूल हो गया।

सिल्क रूट का क्या ऐतिहासिक महत्त्व क्या था?

  • आर्थिक महत्त्व:
    • सिल्क रोड मुख्य व्यापार मार्ग के रूप में कार्य करता था, जिससे चीन, भारत, फारस, अरब और भूमध्य सागर के बीच रेशम, मसाले, मूल्यवान धातुओं और रत्नों जैसे उच्च-स्तरीय उत्पादों का व्यापार संभव हुआ।
    • इससे अत्यधिक धन अर्जन और समृद्धि की प्राप्ति हुई, जिससे इस प्राचीन मार्ग के आस-पास स्थित समाजों की आर्थिक उन्नति व प्रगति में सहायता मिली।
  • संस्कृति का आदान-प्रदान:
    • सिल्क रूट ने पूर्व और पश्चिम में सांस्कृतिक, कलात्मक एवं धार्मिक विचारों के आदान-प्रदान को सुगम बनाया, जिससे बौद्ध धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम तथा अन्य मान्यताओं का प्रसार हुआ। इससे प्रौद्योगिकी, कृषि प्रथाओं और कलात्मक परंपराओं का हस्तांतरण भी संभव हुआ।
    • सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाते हुए तथा एक विविध एवं परस्पर संबद्ध विश्व के निर्माण में योगदान देते हुए इस आदान-प्रदान ने संस्कृतियों, भाषाओं और ज्ञान के सम्मिश्रण को बढ़ावा दिया
  • भू-राजनीतिक महत्त्व:
    • सिल्क रूट व्यापार मार्गों का एक महत्त्वपूर्ण जाल था, जो शासन करने वाले साम्राज्यों को शक्ति और प्रभुत्व प्रदान करता था। इसकी सुरक्षा हेतु किलेबंदी की गई और साथ ही सैन्य चौकियाँ तथा कूटनीतिक संबंध स्थापित किये गए।
    • इस मार्ग पर नियंत्रण स्थापित करने के लिये हुई प्रतिस्पर्द्धा ने यूरेशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य को आकार दिया, जिसने सदियों तक विभिन्न सभ्यताओं के उत्थान और पतन को प्रभावित किया।
  • प्रौद्योगिकी संबंधी प्रगति:
    • सिल्क रूट ने पूर्व और पश्चिम के बीच कम्पास (दिशा निरूपण यंत्र), बारूद और मुद्रण जैसी तकनीकी नवाचारों के आदान-प्रदान को सक्षम बनाया।
    • इसने ऊँट कारवाँ और समुद्री नौपरिवहन सहित परिवहन की उन्नत विधियों के विकास को भी बढ़ावा दिया।
  • विरासत और समकालीन प्रासंगिकता:
    • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जैसी पहल वर्तमान आर्थिक और भू-राजनीतिक गतिशीलता में इसके महत्त्व को उजागर करती। यह पहल दर्शाती है कि सिल्क रूट वर्तमान में भी आधुनिक व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रभावित करता है।

सिल्क रूट का अंत किस प्रकार हुआ और वर्तमान में इसके पुनर्रुत्थान हेतु क्या प्रयास किये जा रहे हैं?

  • सिल्क रूट का अंत:
    • वर्ष 1453 में ओटोमन साम्राज्य ने पश्चिम के साथ व्यापार बंद कर दिया, जिससे पूर्व और पश्चिम अलग हो गए तथा अंततः मूल सिल्क रूट तिरोहित हो गया। बाद के समय में अधिक कुशल पूर्व-पश्चिम व्यापार के लिये वैकल्पिक समुद्री मार्गों की खोज की गई।
  • सिल्क रूट का पुनर्रुत्थान:
    • वर्ष 2013 में, चीन ने सिल्क रूट को पुनः क्रियाशील बनाने के लिये "वन बेल्ट, वन रोड" (OBOR) अथवा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव रणनीति की पहल की। 
    • इसका उद्देश्य एशिया, यूरोप और पूर्वी अफ्रीका के 60 से अधिक देशों के साथ कनेक्टिविटी स्थापित करना है।

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) क्या है?

  • परिचय:
    • यह वैश्विक कनेक्टिविटी और सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई एक बहुआयामी विकास रणनीति है।
    • इसकी शुरुआत वर्ष 2013 में की गई थी और इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को स्थलीय और समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है।
  • उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य बुनियादी ढाँचे, व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ाकर अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है।
  • BRI के मार्ग:
    • सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट:
      • BRI का यह खंड स्थल मार्गों के नेटवर्क के माध्यम से यूरेशिया में कनेक्टिविटी, बुनियादी ढाँचे और व्यापार संबंधों को बेहतर बनाने हेतु समर्पित है।
    • मेरीटाइम सिल्क रोड:
      • यह बंदरगाहों, शिपिंग मार्गों एवं समुद्री अवसंरचना परियोजनाओं के रूप में समुद्री संपर्क और सहयोग पर ज़ोर देता है।
        • यह दक्षिण चीन सागर से शुरू होकर भारत-चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया तथा हिंद महासागर के इर्द-गिर्द होते हुए अफ्रीका और यूरोप तक पहुँचता है।
  • भौगोलिक गलियारे:
    • भूमि आधारित सिल्क रोड इकॉनमी बेल्ट में विकास के लिये 6 प्रमुख गलियारों की परिकल्पना की गई है:
      • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC)
      • नया यूरेशियन लैंड ब्रिज आर्थिक गलियारा।
      • चीन-इंडोचाइना प्रायद्वीप आर्थिक गलियारा।
      • चीन-मंगोलिया-रूस आर्थिक गलियारा।
      • चीन-मध्य एशिया-पश्चिम एशिया आर्थिक गलियारा।
      • चीन-म्याँमार आर्थिक गलियारा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का उल्लेख किसके संदर्भ में किया जाता है? (2016)

(a) अफ्रीकी संघ
(b) ब्राज़ील
(c) यूरोपीय संघ
(d) चीन

उत्तर: d


मेन्स

प्रश्न. चीन-पकिस्तान आर्थिक गलियारे (सी.पी.ई.सी.) को चीन की अपेक्षाकृत अधिक विशाल ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल के एक मूलभूत भाग के रूप में देखा जा रहा है। सी.पी.ई.सी. का संक्षिप्त वर्णन प्रस्तुत कीजिये और भारत द्वारा उससे किनारा करने के कारण गिनाइये। (2018)

प्रश्न. “चीन अपने आर्थिक संबंधों एवं सकारात्मक व्यापार अधिशेष को एशिया में संभाव्य सैन्य शक्ति हैसियत को विकसित करने के लिये उपकरणों के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।” इस कथन के प्रकाश में उसके पड़ोसी के रूप में भारत पर इसके प्रभाव पर चर्चा कीजिये। (2017)

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