अंतर्राष्ट्रीय संबंध
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा
- 04 Feb 2023
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प्रिलिम्स के लिये:चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा, OBOR, BRI, POK, मोतियों की माला, पनामा नहर, हिंद-प्रशांत क्षेत्र। मेन्स के लिये:चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा और भारत पर इसके प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
देश के ऊर्जा संकट से कुछ राहत पाने के लिये पाकिस्तान ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan Economic Corridor- CPEC) के तहत 2.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नाभिकीय रिएक्टर का उद्घाटन किया।
- यह 1100 मेगावाट क्षमता का विद्युत संयंत्र है, जो देश में सबसे सस्ती विद्युत का उत्पादन करेगा।
पृष्ठिभूमि:
- पाकिस्तान ने हाल ही में अपने राष्ट्रीय ग्रिड में खराबी के कारण राष्ट्रव्यापी विद्युत कटौती का सामना किया।
- यह देश वर्षों से ब्लैकआउट की स्थिति से जूझ रहा है और बढ़ती ऊर्जा लागत, कम विदेशी मुद्रा भंडार तथा सरकारी बजट पर दबाव का सामना कर रहा है।
- पाकिस्तान बढ़ी हुई ऊर्जा दरों के बदले बेलआउट हेतु अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) के साथ संवाद कर रहा है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार नौ वर्षों में सबसे कम हो गया है क्योंकि उच्च जीवाश्म ईंधन की लागत ने सरकार के बजट पर अत्यधिक दबाव डाला है।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा:
- CPEC चीन के उत्तर-पश्चिमी झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र और पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को जोड़ने वाली बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का 3,000 किलोमीटर का लंबा मार्ग है।
- यह पाकिस्तान और चीन के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा, औद्योगिक एवं अन्य बुनियादी ढाँचा विकास परियोजनाओं के साथ राजमार्गों, रेलवे तथा पाइपलाइन्स के नेटवर्क के माध्यम से पूरे पाकिस्तान में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है।
- यह चीन के लिये ग्वादर बंदरगाह से मध्य-पूर्व और अफ्रीका तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करेगा ताकि चीन हिंद महासागर तक पहुँच प्राप्त कर सके तथा चीन बदले में पाकिस्तान के ऊर्जा संकट को दूर करने और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिये पाकिस्तान में विकास परियोजनाओं का समर्थन करेगा।
- CPEC, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक हिस्सा है।
- वर्ष 2013 में शुरू किये गए ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि एवं समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है।
पाकिस्तान और चीन के लिये CPEC की चुनौतियाँ:
- पाकिस्तान:
- क्षेत्रीय असंतुलन: CPEC पाकिस्तान में कुछ क्षेत्रों और प्रांतों पर केंद्रित है, जिससे विकास एवं निवेश में क्षेत्रीय असंतुलन की चिंता बढ़ जाती है।
- ऋण जाल: बड़े पैमाने पर चीनी ऋण द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं का होना तथा इन ऋणों को चुका पाने की क्षमता पर प्रश्न के कारण पाकिस्तान का ऋण स्तर एक चिंता का विषय बन गया है। IMF के अनुसार, चीन अब पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेनदार है, जिसके पास वर्ष 2021 में चीन के कुल विदेशी ऋण का 27.4% हिस्सा है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: CPEC के निर्माण में बड़े पैमाने की बुनियादी ढाँचा परियोजना के नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें वनों की कटाई, जैवविविधता की हानि तथा वायु एवं जल प्रदूषण शामिल हैं।
- सामाजिक निहितार्थ: परियोजना के विकास ने स्थानीय समुदायों के विस्थापन तथा उनकी पारंपरिक आजीविका के नुकसान के साथ-साथ इस क्षेत्र में बढ़ते प्रवास एवं जनसंख्या के दबाव के प्रभाव के बारे में चिंताओं को जन्म दिया है।
- संप्रभुता की चिंता: कुछ विद्वानों ने पाकिस्तान में चीन के बढ़ते प्रभाव तथा देश की संप्रभुता एवं स्वतंत्रता से समझौता करने की परियोजना की क्षमता के बारे में चिंता जताई है।
- चीन:
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: चीनी श्रमिकों की सुरक्षा तथा क्षेत्र की स्थिरता CPEC की सफलता के लिये एक बड़ी चुनौती है।
- राजनीतिक विरोध: कुछ राजनीतिक दलों एवं समूहों द्वारा इसका विरोध किया गया है, जो पारदर्शिता की कमी तथा पाकिस्तान की संप्रभुता पर परियोजना के संभावित दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में चिंतित हैं।
भारत के लिये CPEC के निहितार्थ:
- भारत की संप्रभुता:
- भारत की संप्रभुता: भारत CPEC की लगातार आलोचना करता रहा है, क्योंकि यह गिलगित- बाल्टिस्तान के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुज़रता है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवादित क्षेत्र है।
- इस आर्थिक गलियारे को कश्मीर घाटी के लिये एक वैकल्पिक सड़क लिंक के रूप में भी देखा जाता है, जो भारतीय सीमा पर स्थित है।
- यदि CPEC सफल होता है, तो यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तानी क्षेत्र की मान्यता को और सशक्त करेगा तथा 73,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर भारत के दावे को कमज़ोर करेगा, जहाँ 1.8 मिलियन से अधिक आबादी का निवास है।
- समुद्री मार्ग से व्यापार पर चीनी नियंत्रण:
- पूर्वी तट पर प्रमुख अमेरिकी बंदरगाह चीन के साथ व्यापार करने हेतु पनामा नहर पर निर्भर हैं।
- एक बार CPEC के पूरी तरह कार्यात्मक हो जाने के पश्चात् चीन उत्तर और लैटिन अमेरिकी उद्यमों के लिये एक 'छोटे एवं अधिक किफायती' व्यापार मार्ग की पेशकश करने की स्थिति में होगा, जिससे चीन को उन शर्तों को निर्धारित करने की शक्ति मिल जाएगी जिसके द्वारा अटलांटिक और प्रशांत महासागर में माल की अंतर्राष्ट्रीय आवाजाही हो सकेगी। ।
- चीन की मोतियों की माला (पर्ल ऑफ़ स्ट्रिंग) पहल:
- चटगाँव बंदरगाह (बांग्लादेश), हंबनटोटा बंदरगाह (श्रीलंका), पोर्ट सूडान (सूडान), मालदीव, सोमालिया और सेशेल्स में मौजूदा उपस्थिति के साथ ग्वादर बंदरगाह पर नियंत्रण कम्युनिस्ट राष्ट्र का हिंद महासागर पर पूर्ण प्रभुत्त्व स्थापित करता है।
- BRI और चीनी प्रभुत्त्व का व्यापार में सशक्त नेतृत्त्व:
- चीन की BRI परियोजना, जो बंदरगाहों, सड़कों और रेलवे के नेटवर्क के माध्यम से चीन तथा बाकी यूरेशिया के बीच व्यापार संपर्क पर केंद्रित है, की अक्सर इस क्षेत्र पर हावी होने की चीन की राजनीतिक योजना के रूप में व्याख्या की जाती है। CPEC उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
आगे की राह
- भारत को अपने रणनीतिक स्थान का लाभ उठाना चाहिये और लाभ अर्जित करने हेतु समान विचारधारा वाले देशों के साथ कार्य करना चाहिये जैसे-
- एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर भारत-जापान आर्थिक सहयोग हेतु समझौता है, यह भारत को महत्त्वपूर्ण रणनीतिक लाभ प्रदान करता है और चीन का मुकाबला करने हेतु सक्षम बना सकता है।
- ब्लू डॉट नेटवर्क, इसे संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।
- यह वैश्विक बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु उच्च गुणवत्ता वाले, विश्वसनीय मानकों को बढ़ावा देने के लिये सरकारों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को एक साथ लाने की एक बहु-हितधारक पहल है।
- यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान देने के साथ-साथ विश्व स्तर पर सड़क, बंदरगाह एवं पुलों के लिये मान्यता प्राप्त मूल्यांकन एवं प्रमाणन प्रणाली के रूप में काम करेगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का उल्लेख किसके संदर्भ में किया जाता है? (2016) (a) अफ्रीकी संघ उत्तर: D व्याख्या:
मेन्स:प्रश्न. चीन-पकिस्तान आर्थिक गलियारे (सी.पी.ई.सी.) को चीन की अपेक्षाकृत अधिक विशाल ‘एक पट्टी एक सड़क’ पहल के एक मूलभूत भाग के रूप में देखा जा रहा है। सी.पी.ई.सी. का संक्षिप्त वर्णन प्रस्तुत कीजिये और भारत द्वारा उससे किनारा करने के कारण गिनाइये। (2018) प्रश्न. चीन और पाकिस्तान ने एक आर्थिक गलियारे के विकास के लिये समझौता किया है। यह भारत की सुरक्षा के लिये क्या खतरा प्रस्तुत करता है? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2014) प्रश्न. “चीन अपने आर्थिक संबंधों एवं सकारात्मक व्यापार अधिशेष को एशिया में संभाव्य सैन्य शक्ति हैसियत को विकसित करने के लिये उपकरणों के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।” इस कथन के प्रकाश में उसके पड़ोसी के रूप में भारत पर इसके प्रभाव पर चर्चा कीजिये। (2017) |