प्रारंभिक परीक्षा
MSME के लिये पारस्परिक ऋण गारंटी योजना
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) के लिये म्यूचुअल क्रेडिट अथवा पारस्परिक ऋण गारंटी योजना (MCGS-MSME) की शुरूआत को स्वीकृति दे दी है।
MCGS-MSME क्या है?
- परिचय: यह एक ऐसी पहल जिसके अंतर्गत ऋणदाताओं द्वारा अनुभव किये जाने वाले जोखिम को कम कर MSME को दिये जाने वाले ऋण के लिये गारंटी प्रदान करते हुए उनके लिये (MSME) ऋण प्रप्ति को सुविधाजनक बनाया जाएगा।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- लक्ष्यित उधारकर्ता: वैध उद्यम पंजीकरण संख्या वाले MSME।
- ऋण सीमा: उपकरण/मशीनरी की खरीद के लिये अधिकतम 100 करोड़ रुपए का ऋण।
- ऋण गारंटी: राष्ट्रीय ऋण गारंटी न्यासी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) द्वारा सदस्य ऋण संस्थानों (MLI) को ऋण का 60% गारंटी कवरेज प्रदान किया जाएगा।
- परियोजना लागत: उपकरण/मशीनरी की न्यूनतम लागत परियोजना लागत का 75% है।
- योजना अवधि: 4 वर्ष की अवधि के लिये अथवा 7 लाख करोड़ रुपए की संचयी गारंटी जारी होने तक, जो भी पहले हो।
- महत्त्व:
- विनिर्माण को बढ़ावा: इससे MSME के लिये ऋण उपलब्धता बढ़ेगी, जिनका भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 17% का योगदान है।
- मेक इन इंडिया के लिये समर्थन: यह GDP में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को 25% तक बढ़ाने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- ऋण प्राप्ति: इस पहल के अंतर्गत MSME के विस्तार के लिये संपार्श्विक-मुक्त ऋण की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- रोज़गार वृद्धि: 27 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार के साथ इससे विनिर्माण क्षेत्र में रोज़गार के महत्त्वपूर्ण अवसर सर्जित होंगे।
नोट: MLI का तात्पर्य उन सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (SCB), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों (AIFI) से है, जिन्होंने योजना के तहत NCGTC के साथ पंजीकरण कराया है।
राष्ट्रीय ऋण गारंटी न्यासी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) क्या है?
- परिचय: NCGTC एक उभयनिष्ठ न्यासी कंपनी है जो विभिन्न ऋण गारंटी न्यास निधियों का प्रबंधन और संचालन करती है, ताकि उधारकर्त्ताओं को उधारदाताओं के साथ उधार जोखिम साझा कर वित्त प्राप्ति में सहायता प्रदान की जा सके।
- यह MSME, स्टार्टअप और सुभेद्य समूहों जैसे वंचित क्षेत्रों में ऋण विस्तार को प्रोत्साहित करते हुए ऋणदाताओं (जैसे बैंक और वित्तीय संस्थान) को ऋण गारंटी प्रदान करता है।
- स्थापना: इसकी स्थापना मार्च 2014 में कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत 10 करोड़ रुपए की चुकता पूंजी के साथ की गई थी।
- यह एक निजी लिमिटेड कंपनी है जिस पर पूर्णतः भारत सरकार का स्वामित्व है तथा यह वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के अधीन संचालन करती है।
- कवरेज: NCGTC वर्तमान में MCGS-MSME, माइक्रो यूनिट्स हेतु क्रेडिट गारंटी फंड (CGFMU), इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) सहित 14 समर्पित ऋण गारंटी ट्रस्ट योजनाओं का प्रबंधन करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. विनिर्माण क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की हाल की नीतिगत पहल क्या है/हैं? (2012)
नीचे दिये गये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
प्रारंभिक परीक्षा
विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025
स्रोत: पी.आई.बी.
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने 2 फरवरी 2025 को पार्वती अरगा रामसर साइट, गोंडा, उत्तर प्रदेश (UP) में विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025 समारोह का आयोजन किया।
विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025 के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: यह दिवस आर्द्रभूमि के महत्त्व के संदर्भ में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष मनाया जाता है और यह वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन को अपनाए जाने को विस्मृत कराता है।
- वर्ष 2025 का विषय: हमारे साझा भविष्य के लिये आर्द्रभूमि की रक्षा।
- नवीन रामसर स्थल: झारखंड में उधवा झील, तमिलनाडु में तीरतंगल और सक्काराकोट्टई और सिक्किम में खेचियोपलरी को रामसर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है।
- ये सिक्किम और झारखंड के पहले रामसर स्थल हैं।
- इसके साथ ही भारत में रामसर स्थलों (अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आद्रभूमि) की संख्या बढ़कर 89 हो गई।
- तमिलनाडु में सबसे अधिक संख्या में रामसर स्थल (20 स्थल) हैं, जिसके बाद उत्तर प्रदेश (10 स्थल) का स्थान है।
- नवीन कॉरिडोर: सरकार ने घोषणा की कि उत्तर प्रदेश में अयोध्या और देवी पाटन के बीच एक नया प्रकृति-संस्कृति पर्यटन कॉरिडोर विकसित किया जाएगा।
- अमृत धरोहर पहल: अमृत धरोहर को जून 2023 में रामसर स्थलों के संरक्षण के लिये लॉन्च किया गया था, जो चार प्रमुख घटकों अर्थात प्रजाति और आवास संरक्षण, प्रकृति पर्यटन, आर्द्रभूमि आजीविका और आर्द्रभूमि कार्बन पर केंद्रित है।
- खतरा: आर्द्रभूमि के लिये सबसे बड़ा खतरा औद्योगिक और मानवीय अपशिष्टों से जनित प्रदूषण है, जिससे इन पारिस्थितिक तंत्रों का नाश होता है।
पार्वती अरगा रामसर साइट से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: यह चिरस्थाई रूप से अलवणीय जल क्षेत्र है, जिसमें दो गोखुर झीलें यानि पार्वती और अरगा शामिल हैं, जो वर्षा आश्रित हैं और तराई क्षेत्र (गंगा के मैदान) में स्थित हैं।
- इसके निकटवर्ती टिकरी वन को भी इको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
- गोखुर अथवा ऑक्सबो झीलें U आकार की झीलें होती हैं, जिनका निर्माण किसी नदी के घुमावदार मार्ग के कटने पर होता है, जिससे एक अलग जल क्षेत्र का निर्माण होता है।
- पारिस्थितिक महत्त्व: यह गंभीर रूप से संकटापन्न व्हाइट टेल्ड गिद्ध, भारतीय गिद्ध और संकटापन्न मिस्र के गिद्ध पाए जाते हैं।
- यूरेशियन कूट्स, मैलार्ड्स, ग्रेलैग गीज़, नॉर्दर्न पिनटेल्स और रेड-क्रेस्टेड पोचर्ड्स जैसे प्रवासी पक्षी शीत ऋतु के दौरान यहाँ आते हैं।
- आक्रामक प्रजातियाँ: इसे आक्रामक प्रजातियों, विशेष रूप से सामान्य जलकुंभी (Water Hyacinth) से खतरा है।
- सांस्कृतिक स्थल: यह क्षेत्र महर्षि पतंजलि और गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली है, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. यदि अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के एक आर्द्रभूमि को 'मोंट्रेक्स रिकॉर्ड' के अंतर्गत लाया जाता है, तो इसका क्या अर्थ है? (2014) (A) मानवीय हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप आर्द्रभूमि के पारिस्थितिक स्वरूप में परिवर्तन हुआ है, हो रहा है या होने की संभावना है। उत्तर: (A) |
प्रारंभिक परीक्षा
अल्पसंख्यक समुदायों का सशक्तीकरण
स्रोत: पी.आई.बी.
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (MoMA) ने अल्पसंख्यक समुदायों को सशक्त बनाने के लिये भारत में जारी प्रयासों पर प्रकाश डाला।
अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित प्रमुख पहलें कौन-सी हैं?
- पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना (2007): इस योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के मेधावी छात्रों को उच्च शिक्षा और रोज़गार क्षमता वर्द्धन हेतु छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
- इस योजना के तहत धन का आवंटन वर्ष 2008-09 में 70.63 करोड़ रुपए था जो वर्ष 2023-24 बढ़कर 1000 करोड़ रुपए हो गया।
- प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना (2008): इस योजना के अंतर्गत माता-पिता को अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों को स्कूल भेजने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है तथा स्कूली शिक्षा के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- वर्ष 2008-09 में इस योजना हेतु 62.21 करोड़ रुपए आवंटित किये गए थे जिसे वर्ष 2023-24 में बढ़ाकर 400 करोड़ रुपए कर दिया गया।
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (NMDFC) (1994): यह अल्पसंख्यकों के पिछड़े वर्गों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये स्वरोज़गार और आय-सृजन गतिविधियों के लिये रियायती ऋण प्रदान करता है।
- वर्ष 2014-15 इसका आवंटन 2 करोड़ रुपए था जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 3 करोड़ रुपए कर दिया गया।
- हज तीर्थयात्रा सहायता (2016): इसके अंतर्गत निम्न आय वाले व्यक्तियों के लिये हज तीर्थयात्रा (सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का तक) की सुविधा प्रदान की जाती है।
- इसका व्यय वर्ष 2014-15 में 9.75 करोड़ रुपए था जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 83.51 करोड़ रुपए हो गया।
- जियो पारसी योजना (2013): इसका उद्देश्य वैज्ञानिक हस्तक्षेप के माध्यम से पारसी समुदाय के लोगों की संख्या में होने वाली निरंतर कमी की रोकथाम करना है।
- मार्च 2024 तक, इस योजना के तहत 400 से अधिक पारसी बच्चों के जन्म को सक्षम बनाया गया है, जिसके लिये वर्ष 2023-24 में 3 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
- प्रधानमंत्री विरासत का संवर्द्धन (PM VIKAS): PM VIKAS अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की पाँच मौजूदा योजनाओं जैसे USTTAD (विकास के लिये पारंपरिक कला/शिल्प में कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण), नई मंजिल, नई रोशनी और हमारी धरोहर को मिलाकर कौशल विकास और सांस्कृतिक संरक्षण के माध्यम से अल्पसंख्यकों को सशक्त बना रहा है।
- प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK): PMJVK अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में सामुदायिक बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिला परियोजनाएँ, जलापूर्ति, स्वच्छता और खेल शामिल हैं।
भारत के अल्पसंख्यक समुदाय
- अल्पसंख्यक समुदाय: केंद्र सरकार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम (NCMA), 1992 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा निर्धारित करती है, जिसके तहत मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों, बौद्धों, जैनियों (वर्ष 2014 में जोड़े गए) और जोरास्ट्रियन (पारसी) को आधिकारिक तौर पर अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में मान्यता दी जाती है।
- कुल मिलाकर वे भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 19.3% हिस्सा हैं (जनगणना 2011)।
- जबकि अधिकांश राज्य केंद्रीय सूची का पालन करते हैं, महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों की अपनी सूची हो सकती है (उदाहरण के लिये, महाराष्ट्र में यहूदी एक अधिसूचित अल्पसंख्यक हैं)।
- संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि और संस्कृति को संरक्षित रखने के अधिकारों की रक्षा करता है तथा धर्म, नस्ल, जाति या भाषा के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है।
- अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रबंधन करने का अधिकार देता है।
- अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा के लिये संस्थाएँ:
- अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय: वर्ष 2006 में स्थापित, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से अलग होकर, भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये कार्यक्रमों का समन्वय करता है।
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM): NCMA 1992 के तहत निर्मित NCM संविधान और संसद द्वारा पारित कानूनों के अनुरूप अल्पसंख्यक समूहों के हितों की रक्षा करता है।
- वक्फ अधिनियम, 1995: वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विकास को नियंत्रित करता है।
- केंद्रीय वक्फ परिषद (CWC) राज्य स्तरीय वक्फ बोर्डों को सहयोग देते हुए वक्फ संपत्तियों के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के लिये योजनाओं का क्रियान्वयन करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत में, यदि किसी धार्मिक संप्रदाय/समुदाय को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाता है, तो वह किस विशेष लाभ का हकदार है? (2011)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) व्याख्या:
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चर्चित स्थान
पोटोमैक नदी
स्रोत: द हिंदू
वाशिंगटन के ऊपर हवा में एक अमेरिकी सैन्य हेलीकॉप्टर और एक यात्री विमान के टकराने के बाद पोटोमैक नदी में गिर जाने के बाद किसी के भी जीवित बचने की पुष्टि नहीं हुई है।
- पोटोमैक नदी पश्चिमी वर्जीनिया, अमेरिका के पोटोमैक रिवर हाइलैंड्स से उद्गमित होती है और वर्जीनिया, मैरीलैंड, वाशिंगटन डीसी से प्रवाहित होते हुए चेसापीक बे में गिरती है।
- चेसापीक बे अमेरिका की सबसे बड़ी और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी ज्वारनदमुख (Estuary) है।
- ज्वारनदमुख (Estuary) एक अर्द्ध-संलग्न तटीय क्षेत्र है, जहाँ नदियों का ताज़ा जल समुद्र के खारे जल से मिलता है, जिससे एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता है।
- पोटोमैक नदी, जिसे प्रायः "अमेरिका की नदी" के रूप में जाना जाता है, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिकीय दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
रैपिड फायर
गुलियन-बैरे सिंड्रोम और BBE
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
पुणे में बिकरस्टाफ ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस (BBE) का मामला सामने आया, जो गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का एक दुर्लभ प्रकार है।
- GBS: यह तंत्रिका संबंधी दुर्लभ विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिका तंत्र (PNS) (माँसपेशियों की गति और संवेदी कार्यों को नियंत्रित करती है) पर हमला करती है।
- लक्षण: शरीर में हल्की कमज़ोरी से लेकर गंभीर पक्षाघात तक, जिसमें श्वसन में कठिनाई भी शामिल है।
- उपचार: GBS का कोई ज्ञात उपचार नहीं है। स्वस्थ रक्तदान से प्राप्त अंतःशिरा इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) से इस विकार से रिकवरी में सहायता मिल सकती है।
- BBE: यह एक दुर्लभ, तेज़ी से बढ़ने वाला, संक्रमण के बाद होने वाला तंत्रिका संबंधी विकार है, जिसके कारण मस्तिष्क स्तंभ में सूजन आ जाती है।
- लक्षण: श्वास संबंधी संक्रमण अथवा अतिसार, गतिभ्रंश (Ataxia)(माँसपेशियों पर नियंत्रण करने में अक्षमता), नेत्र पक्षाघात (नेत्र की माँसपेशियों का पक्षाघात), और अंगों में कमज़ोरी।
- उपचार: इस स्थिति के उपचार के लिये प्रायः IVIG का उपयोग किया जाता है।
- BBE और GBS: BBE केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) को प्रभावित करता है, जबकि GBS PNS को प्रभावित करता है।
- BBE संक्रमण के बाद स्वप्रतिरक्षी अनुक्रिया (शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा स्वयं से ही ऊतकों पर आक्रमण) के कारण होता है, जबकि GBS संक्रमण, टीकाकरण या सर्जरी के कारण होता है।
- पूर्वोपाय: BBE और GBS के पूर्वोपायों में फ्लू का टीका लगवाना, स्वच्छता का ध्यान रखना तथा कमज़ोरी अथवा संवेदनशून्यता जैसे तंत्रिका संबंधी लक्षणों के लिये तत्काल चिकित्सा सहायता लेना शामिल है।
और पढ़ें: गुलियन बैरे सिंड्रोम
रैपिड फायर
कर्नाटक ने सम्मानपूर्वक मरने के अधिकार को मंजूरी दी
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
कर्नाटक ने सम्मानजनक मृत्यु के अनुरोधों को स्वीकार करने के लिये अस्पतालों में मेडिकल बोर्ड स्थापित करने की अनुमति दी।
- यह कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस, 2018 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार किया गया है, जिसमें निष्क्रिय इच्छामृत्यु की कानूनी वैधता को बरकरार रखा गया था।
- निष्क्रिय इच्छामृत्यु में जीवन-रक्षक उपचारों को रोकना या बंद कर देना शामिल है, जिससे व्यक्ति को अपनी स्थिति से स्वाभाविक रूप से मरने दिया जाता है।
- सर्वोच्च न्यायालय का 2023 का आदेश अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ मरण के अधिकार की पुष्टि करता है और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के मानदंडों को सरल बनाता है।
- सर्वोच्च न्यायालय दिशा-निर्देश 2023:
- WLST का प्रत्याहरण: प्राथमिक और द्वितीयक चिकित्सा बोर्ड, लिविंग विल के आधार पर जीवन-रक्षक चिकित्सा (WLST) का प्रत्याहरण किये जाने के अनुरोधों की समीक्षा करेंगे।
- लिविंग विल: लिविंग विल (एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव) से रोगियों को अपने उपचार संबंधी इच्छाओं को दस्तावेज़ित करने की सुविधा मिलती है, जिससे जीवन के अंतिम निर्णयों में गरिमा सुनिश्चित होती है।
- अनुमोदन: प्रक्रिया के लिये उपचार करने वाले डॉक्टर, दो मेडिकल बोर्ड (प्रत्येक में तीन चिकित्सक) तथा ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा नामित चिकित्सक से अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
- सहमति: मेडिकल बोर्ड के निर्णय के लिये निकटतम रिश्तेदार की सहमति और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (JMFC) से अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
- उन्नत चिकित्सा निर्देश (AMD): AMD के अनुसार यदि रोगी की क्षमता समाप्त हो जाती है, तो स्वास्थ्य देखभाल संबंधी निर्णय लेने के लिये कम-से-कम दो व्यक्तियों की नियुक्ति करना अनिवार्य है।
- AMD को स्वस्थ मस्तिष्क वाले वयस्कों द्वारा निष्पादित किया जा सकता है , डिजिटल रूप में या दस्तावेज़ पर दर्ज किया जा सकता है, तथा स्वास्थ्य रिकॉर्ड में बनाए रखा जा सकता है।
और पढ़ें: सर्वोच्च न्यायालय ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु के मानदंडों को आसान बनाया