विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
लॉन्ग रीड सीक्वेंसिंग और Y गुणसूत्र
प्रिलिम्स के लिये:लॉन्ग रीड सीक्वेंसिंग, एक्स और वाई क्रोमोसोम, डीएनए मेन्स के लिये:लॉन्ग रीड सीक्वेंसिंग का महत्त्व |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
नई "लॉन्ग रीड" सीक्वेंसिंग तकनीक ने Y गुणसूत्र के एक छोर से दूसरे छोर तक विश्वसनीय अनुक्रम प्रदान किया है।
- नेचर जर्नल में प्रकाशित निष्कर्ष सेक्स जीन और शुक्राणु की कार्यप्रणाली, Y गुणसूत्र के विकास तथा कुछ मिलियन वर्षों में इसके संभावित रूप से गायब होने के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
- इससे पहले कुछ अध्ययनों ने कोलोरेक्टल और मूत्राशय के कैंसर में Y गुणसूत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला था, जिसमें प्रमुख आनुवंशिक तंत्रों का खुलासा किया गया था जो ट्यूमर की प्रगति, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और नैदानिक पूर्वानुमान में योगदान करते हैं।
DNA, जीन और गुणसूत्र के बीच अंतर:
- DNA:
- DNA एक लंबा अणु है जिसमें हमारा अद्वितीय आनुवंशिक कोड होता है। DNA दो रेशों से बनता है जो सर्पिल सीढ़ी की तरह एक डबल हेलिक्स आकार बनाने के लिये एक-दूसरे के चारों ओर लिपटे होते हैं।
- DNA का प्रत्येक रेशा चार बुनियादी बिल्डिंग ब्लॉक्स या 'बेस' से बनता है: एडेनिन (A), साइटोसिन (C), गुआनिन (G) और थाइमिन (T)।
- जीन:
- जीन DNA के खंड होते हैं जिनमें शरीर में एक विशिष्ट अणु, आमतौर पर एक प्रोटीन का उत्पादन करने के लिये निर्देशों का सेट होता है।
- ये प्रोटीन यह नियंत्रित करने कि शरीर कैसे बढ़ता है और कैसे काम करता है तथा आँखों का रंग, रक्त का प्रकार या ऊँचाई जैसी विशेषताओं के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
- प्रत्येक कोशिका में जीन के दो सेट मौजूद होते हैं, एक माँ से प्राप्त होता है और एक पिता से। भंडारण और पहुँच में आसानी के लिये जीन की पैकेजिंग 46 पार्सल के रूप में होती है, इन्हीं 46 पार्सल को गुणसूत्र/क्रोमोसोम कहा जाता है।
- जीन DNA के खंड होते हैं जिनमें शरीर में एक विशिष्ट अणु, आमतौर पर एक प्रोटीन का उत्पादन करने के लिये निर्देशों का सेट होता है।
- गुणसूत्र:
- प्रत्येक कोशिका के केंद्रक में DNA अणु गुणसूत्र नामक धागे जैसी संरचना में व्यवस्थित होता है।
- प्रत्येक गुणसूत्र हिस्टोन नामक प्रोटीन के चारों ओर मज़बूत कुंडलित DNA से बना होता है जो इसकी संरचना का समर्थन करता है।
- कोशिका के केंद्रक में गुणसूत्र दिखाई नहीं देते- माइक्रोस्कोप से भी नहीं।
Y गुणसूत्र और इसके संबंधित निष्कर्ष:
- परिचय:
- Y गुणसूत्र एक पुरुष-निर्धारण गुणसूत्र है; इसमें SRY (Sex-Determining region Y- लिंग-निर्धारण क्षेत्र Y) नामक जीन होता है, जो भ्रूण में वृषण के विकास को निर्देशित करता है।
- Y बनाम X:
- Y, X और मानव जीनोम के 22 अन्य गुणसूत्रों से बहुत अलग होता है; यह आकार में छोटा होता है और इसमें बहुत सारे DNA अनुक्रम होते हैं जो लक्षणों (जंक DNA) में योगदान नहीं करते हैं (X पर लगभग 1,000 की तुलना में केवल 27) जिससे गुणसूत्र को अनुक्रमित करना कठिन हो जाता है।
- Y का लोप:
- लगभग 150 मिलियन वर्ष पहले SRY विकसित हुआ और एक नए प्रोटो-Y को परिभाषित किया गया जो काफी तेज़ी से नष्ट होता गया (प्रति मिलियन वर्ष ~10 सक्रिय जीन के विघटन के साथ)।
- यदि यह गिरावट जारी रही तो कुछ मिलियन वर्षों में संपूर्ण मानव Y गुणसूत्र विलुप्त हो जाएगा (जैसा कि पहले ही कुछ कृंतकों में हो चुका है)।
- Y अनुक्रमण के निष्कर्ष:
- Y अंतिम मानव गुणसूत्र है जिसे एंड-टू-एंड अथवा T2T (telomere-to-telomere) अनुक्रमित किया गया है।
- टेलोमेरेस DNA अनुक्रमों और गुणसूत्रों के छोर पर पाए जाने वाले प्रोटीन से बनी संरचनाएँ हैं।
- कुछ नए जीन खोजे गए हैं लेकिन वे मात्र ज्ञात जीन की अतिरिक्त प्रतियाँ हैं।
- अब सेंट्रोमियर संरचना ज्ञात है तथा Y के अंत में दोहराव वाले अनुक्रम पढ़े जा चुके हैं।
- सेंट्रोमियर गुणसूत्र का एक क्षेत्र है जो कोशिका के विभाजित होने पर प्रतियों को एक ओर/दूर खींचता है।
- प्रत्येक गुणसूत्र पर सेंट्रोमियर का स्थान गुणसूत्र को विशिष्ट आकार देता है तथा इसका उपयोग विशिष्ट जीन के स्थान का उल्लेख करने में मदद के लिये किया जा सकता है।
- ये निष्कर्ष विश्व भर के वैज्ञानिकों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। यह Y जीन के विवरण की जाँच करने में मदद करेगा, साथ ही SRY और शुक्राणु जीन कैसे व्यक्त होते हैं अथवा दोहराए गए अनुक्रम कहाँ एवं कैसे उत्पन्न होते हैं, इसकी जानकारी भी देगा।
- Y अंतिम मानव गुणसूत्र है जिसे एंड-टू-एंड अथवा T2T (telomere-to-telomere) अनुक्रमित किया गया है।
लॉन्ग रीड सीक्वेंसिंग:
- लॉन्ग रीड सीक्वेंसिंग, जिसे तीसरी पीढ़ी की अनुक्रमणिका(sequencing) भी कहा जाता है, एक DNA अनुक्रमण तकनीक है जो पारंपरिक लघु-पठित (Short reads) अनुक्रमण विधियों की तुलना में अधिक लंबे DNA टुकड़ों के अनुक्रमण को सक्षम बनाती है।
- DNA अनुक्रमण के सबसे बुनियादी रूपों में से एक सेंगर (Sanger) अनुक्रमण है जो DNA के अपेक्षाकृत छोटे टुकड़ों (900 क्षार युग्म तक) को अनुक्रमित कर सकता है।
- DNA अनुक्रमण के अधिक आधुनिक रूपों को भावी पीढ़ी के अनुक्रमण कहा जाता है जो सेंगर अनुक्रमण की तुलना में लंबे DNA अनुक्रमों को कुशलतापूर्वक निर्धारित कर सकता है।
- पिछले दशक में लॉन्ग-रीड, एकल-अणु DNA अनुक्रमण प्रौद्योगिकियाँ जीनोमिक्स में शक्तिशाली कारक के रूप में उभरी हैं। ये अधिक लंबे DNA अंशों (सामान्य श्रेणी: 10,000 - 100,000 क्षार युग्म) के DNA अनुक्रम को पढ़ सकती हैं।
- शॉर्ट रीड अधिकांश आनुवंशिक भिन्नता को पकड़ सकता है जबकि लॉन्ग रीड सीक्वेंसिंग जटिल संरचनात्मक वेरिएंट का पता लगाने में मदद करता है जिन्हें शॉर्ट रीड के साथ पता लगाना मुश्किल हो सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. प्राय: समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019) (a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची। उत्तर: (a) प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले "जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सिक्वेंसिंग)" की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये : (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी? (2021) |
शासन व्यवस्था
भारत की छठी लघु सिंचाई गणना
प्रिलिम्स के लिये:लघु सिंचाई गणना, लघु सिंचाई योजनाएँ मेन्स के लिये:सिंचाई से संबंधित पहल, लघु सिंचाई गणना का महत्त्व |
स्रोत: पी. आई. बी.
चर्चा में क्यों?
जल शक्ति मंत्रालय ने पूरे भारत में सिंचाई प्रथाओं की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए लघु सिंचाई योजनाओं (संदर्भ वर्ष 2017-18 के साथ) पर छठी गणना रिपोर्ट जारी की।
- अब तक क्रमशः संदर्भ वर्ष 1986-87, 1993-94, 2000-01, 2006-07 और 2013-14 के साथ पाँच गणनाएँ की गई हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- कुल लघु सिंचाई योजनाएँ:
- देश में कुल 23.14 मिलियन लघु सिंचाई (MI) योजनाएँ बताई गई हैं।
- इनमें से 21.93 मिलियन (94.8%) भूजल (GW) और 1.21 मिलियन (5.2%) सतही जल (SW) योजनाएँ हैं।
- योजनाओं के प्रमुख प्रकार:
- लघु सिंचाई योजनाओं में खोदे गए कुओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, इसके बाद कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल हैं।
- पाँचवी गणना की तुलना में छठी लघु सिंचाई गणना के दौरान लघु सिंचाई योजनाओं में लगभग 1.42 मिलियन की वृद्धि हुई है।
- राष्ट्रीय स्तर पर भूजल और सतही जल स्तर की योजनाओं में क्रमशः 6.9% और 1.2% की वृद्धि हुई है।
- MI योजनाओं में अग्रणी राज्य:
- भारत में MI योजनाओं में उत्तर प्रदेश अग्रणी है तथा इसके बाद महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु का स्थान है।
- खोदे गए कुओं, सतही प्रवाह और सतही लिफ्ट योजनाओं में महाराष्ट्र अग्रणी राज्य है।
- उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब क्रमशः उथले ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल के मामले में अग्रणी राज्य हैं।
- SW योजनाओं में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।
- स्वामित्व विश्लेषण:
- लगभग 96.6% MI योजनाएँ निजी स्वामित्व के अधीन हैं।
- GW योजनाओं में निजी संस्थाओं का स्वामित्व 98.3% है एवं SW योजनाओं में यह हिस्सेदारी 64.2% की है।
- पहली बार MI योजना के हिस्सेदारों के लिंग पर डेटा एकत्र किया गया था।
- व्यक्तिगत स्वामित्व वाली 18.1% योजनाओं का स्वामित्व महिलाओं के पास है।
- वित्तपोषण और स्रोत:
- लगभग 60.2% योजनाओं का वित्तपोषण एकल स्रोत से किया जाता है।
- व्यक्तिगत किसानों की स्वयं की बचत, एकल-स्रोत वित्तपोषण (79.5%) में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
- 39.8% योजनाओं में वित्त के एक से अधिक स्रोत हैं।
- लगभग 60.2% योजनाओं का वित्तपोषण एकल स्रोत से किया जाता है।
लघु सिंचाई योजना:
- लघु सिंचाई योजना एक प्रकार की सिंचाई परियोजना है जो 2,000 हेक्टेयर तक के कृषि योग्य कमांड क्षेत्र (CCA) की सिंचाई के लिये सतही जल या भूजल का उपयोग करती है।
- CCA ऐसा क्षेत्र है जो खेती के लिये उपयुक्त होता है और योजना के तहत सिंचित किया जा सकता है।
- लघु सिंचाई योजनाओं को दो प्रमुख श्रेणियों और छह उप-श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।
- भूजल (GW) योजनाओं में खोदे गए कुएँ, उथले ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल शामिल हैं।
- सतही जल (SW) योजनाओं में सतही प्रवाह और सतही लिफ्ट योजनाएँ शामिल हैं।
- लघु सिंचाई योजनाएँ किसानों को नियंत्रित और समय पर सिंचाई सुविधा प्रदान करती हैं जिसमें बीजों की नई उच्च उपज वाली किस्मों की मांग होती है। ये योजनाएँ श्रम प्रधान, कम कार्यान्वयन अवधि वाली होती हैं और इन्हें शुरू करने के लिये उचित निवेश की आवश्यकता होती है।
सिंचाई से संबंधित सरकार द्वारा की गई पहलें:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
G20 संस्कृति मंत्री स्तरीय बैठक और B20 शिखर सम्मेलन 2023
प्रिलिम्स के लिये:G20, बिजनेस 20 (B20), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मेन्स के लिये:वैश्विक व्यापारिक नेताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में B20 की भूमिका, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का महत्त्व |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में G20 संस्कृति मंत्री स्तरीय बैठक का समापन किया, जिसमें सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा, प्रत्यावर्तन पर प्रकाश डालने और संपत्तियों पर खतरों को संबोधित करने पर सहमति बनी।
- इसके अलावा प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में बिज़नेस 20 (B20) इंडिया 2023 शिखर सम्मेलन को भी संबोधित किया।
G20 संस्कृति सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ:
- सांस्कृतिक विरासत पर संकट:
- "काशी कल्चर पाथवे" दस्तावेज़ ने सांस्कृतिक विरासत के लिये विभिन्न खतरों की पहचान की, जिसमें लूटपाट, सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी, सांस्कृतिक स्थलों का विनाश, अवशेषों का अपमान आदि शामिल हैं।
- सांस्कृतिक खतरों का प्रभाव:
- इन खतरों से सांस्कृतिक संपत्तियों की अपरिवर्तनीय हानि हो सकती है, सामाजिक-सांस्कृतिक प्रथाओं में बाधा आ सकती है और लोगों तथा समुदायों के सांस्कृतिक, मानवीय, आर्थिक एवं सामाजिक अधिकारों पर प्रभाव पड़ सकता है।
- अवैध ऑनलाइन व्यापार पर चिंता:
- G20 देशों के संस्कृति मंत्रियों ने सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी को सक्षम करने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के उदय के बारे में चिंता व्यक्त की और इस मुद्दे के समाधान के लिये नियमों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
- सांस्कृतिक संपत्ति और संगठित अपराध के बीच संबंध:
- मंत्रियों ने सांस्कृतिक संपत्ति के विनाश और तस्करी तथा विशेष रूप से युद्ध की स्थितियों में धनशोधन, भ्रष्टाचार, कर चोरी एवं आतंकवाद के वित्तपोषण जैसे संगठित अपराधों के बीच संबंध पर प्रकाश डाला।
- सांस्कृतिक विनाश के विरुद्ध एकता:
- सभी प्रतिभागी राष्ट्रों ने विशेष रूप से युद्ध परिदृश्यों में सांस्कृतिक विरासत के जान-बूझकर या संपार्श्विक विनाश के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित की, जो शांति और सतत् विकास में बाधा डालते हैं।
- विकास के लिये जीवंत विरासत के प्रति प्रतिबद्धता:
- G20 देशों ने सतत् विकास के लिये जीवंत विरासत (पूर्वजों से विरासत में मिली और हमारे वंशजों को हस्तांतरित) का दोहन करने के लिये संस्थागत और नीतिगत ढाँचे को मज़बूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की।
- प्रधानमंत्री का संग्रहालय:
- भारत के प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में "प्रधानमंत्री संग्रहालय" पर प्रकाश डाला, जो भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करता है और "युग-युगीन भारत" राष्ट्रीय संग्रहालय के विकास पर ज़ोर दिया, जो भारत के 5,000 साल से अधिक के इतिहास और संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय होगा।
बिज़नेस 20 (B20):
- परिचय:
- B20 वैश्विक व्यापार समुदाय को शामिल करने वाला आधिकारिक G20 संवाद मंच है।
- B20, वैश्विक आर्थिक एवं व्यापार नियंत्रण पर वैश्विक व्यापार नेताओं के दृष्टिकोण को संगठित करने में अग्रणी भूमिका निभाता है।
- यह संपूर्ण G20 व्यापारिक समुदाय की एकीकृत आवाज़ का प्रतिनिधित्व करता है।
- प्रत्येक वर्ष G20 प्रेसीडेंसी द्वारा एक B20 अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है जिसे B20 शेरपा (प्रतिनिधि) और सचिवालय द्वारा समर्थन प्रदान किया जाता है।
- B20 का लक्ष्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये आवर्ती राष्ट्रपति पद की प्राथमिकताओं के अनुरूप कार्रवाई योग्य नीति हेतु सिफारिशें प्रदान करना है।
- B20 सर्वसम्मति-आधारित नीति अनुशंसाओं के लिये ज़िम्मेदार टास्क फोर्स (TFs) और एक्शन काउंसिल (ACs) के माध्यम से संचालित होता है।
- ये सिफारिशें G20 एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लिये निर्देशित होती हैं।
- B20 इंडिया 2023 की थीम:
- B20 इंडिया की थीम ‘R.A.I.S.E’ है यानी ज़िम्मेदार (Responsible), त्वरित (Accelerated), नवोन्मेषी (Innovative),टिकाऊ (Sustainable),न्यायसंगत व्यवसाय(Equitable Businesses)।
- इसका उद्देश्य समावेशी वैश्विक मूल्य शृंखला (GVCs), ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन, डिजिटल परिवर्तन, वित्तीय समावेशन तथा आगामी रोज़गार जैसे क्षेत्रों में वैश्विक भागीदारों के साथ सहयोग करना है।
- B20 इंडिया की थीम ‘R.A.I.S.E’ है यानी ज़िम्मेदार (Responsible), त्वरित (Accelerated), नवोन्मेषी (Innovative),टिकाऊ (Sustainable),न्यायसंगत व्यवसाय(Equitable Businesses)।
- B20 इंडिया के सदस्य:
- इसके सदस्यों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, रूस और मैक्सिको हैं।
- B20 इंडिया शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ:
- राष्ट्रों को बाज़ार के रूप में देखने के प्रति सावधानी:
- भारत के प्रधानमंत्री ने वैश्विक व्यवसायों में शामिल देशों को मात्र बाज़ार मानने के संबंध में आगाह किया।
- लाभदायक बाज़ार की स्थिति बनाए रखने के लिये उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के हितों को संतुलित करने के महत्त्व पर बल दिया।
- वैश्विक आपूर्ति शृंखला व्यवधान और भारत का समाधान:
- इसमें कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में अपरिवर्तनीय व्यवधानों की ओर इशारा किया गया।
- संकट के समय ऐसी आपूर्ति शृंखलाओं की दक्षता पर सवाल उठाया।
- वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में व्यवधानों को संबोधित करने हेतु भारत को एक भरोसेमंद समाधान के रूप में प्रस्तुत किया गया।
- भारत की तकनीकी क्षमता पर प्रकाश डाला गया जिससे आपूर्ति शृंखलाओं को प्रबंधित और अनुकूलित करने के लिये नवीन समाधान तथा डिजिटल उपकरण अपनाने की क्षमता का संकेत मिलता है।
- व्यावसायिक दृष्टिकोण पर पुनर्विचार:
- पारंपरिक "ब्रांड और बिक्री" दृष्टिकोण को पुनः शुरू करने का समर्थन किया गया।
- लोगों की क्रय-शक्ति में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- पाँच वर्षों में 13.5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने एवं एक नया उपभोक्ता आधार तैयार करने में भारत की सफलता पर प्रकाश डाला गया।
- पारंपरिक "ब्रांड और बिक्री" दृष्टिकोण को पुनः शुरू करने का समर्थन किया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता सेवा दिवस:
- उत्पादकों एवं खरीदारों के मध्य विश्वास बढ़ाने के लिये एक वार्षिक "अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता सेवा दिवस" का सुझाव दिया गया।
- वैश्विक स्तर पर प्रस्तावित व्यवसायों को उपभोक्ताओं की भलाई और बाज़ार की अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करने हेतु एकजुट होने पर बल दिया गया।
- उत्पादकों एवं खरीदारों के मध्य विश्वास बढ़ाने के लिये एक वार्षिक "अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता सेवा दिवस" का सुझाव दिया गया।
- क्रिप्टोकरेंसी और AI नैतिक विचार:
- क्रिप्टोकरेंसी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा उत्पन्न उभरती चुनौतियों का समाधान किया गया।
- सभी हितधारकों की चिंताओं को दूर करने के लिये एक एकीकृत वैश्विक ढाँचे की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
- एल्गोरिदम पूर्वाग्रह और सामाजिक प्रभाव सहित AI से जुड़े नैतिक विचारों पर चर्चा की गई।
- नैतिक रूप से AI का विस्तार सुनिश्चित करने के लिये वैश्विक व्यापार समुदायों और सरकारों के बीच सहयोग का समर्थन किया गया।
- क्रिप्टोकरेंसी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा उत्पन्न उभरती चुनौतियों का समाधान किया गया।
- चुनौतियाँ और अवसर:
- व्यवसायों और समाज से ग्रह (Planet) पर निर्णयों के प्रभाव का विश्लेषण करने का आग्रह किया।
- इस बात पर बल दिया गया कि जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट, खाद्य आपूर्ति शृंखला असंतुलन और साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियों का जवाब व्यापार एवं मानवता के भविष्य को आकार देगा।
- B20 टास्क फोर्स की सिफारिशें:
- टास्क फोर्स ने चार प्रमुख सिफारिशें की हैं:
- वैश्विक सतत् विकास लक्ष्य (SDG) त्वरण।
- 'वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं' के वित्तपोषण के लिये फंड (जलवायु, ऊर्जा, जैव विविधता और महासागर प्रदूषण में भौगोलिक रूप से परिवर्तनीय SDG परियोजनाओं पर प्रारंभिक बल के साथ)।
- SDG वित्तपोषण के लिये घरेलू वित्तीय क्षेत्रों का क्षमता निर्माण।
- समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिये वित्त तक MSME की पहुँच में सुधार और पूंजी की लागत को कम करना।
- स्वास्थ्य देखभाल, ऊर्जा और डिजिटल बुनियादी ढाँचे पर अधिक ध्यान केंद्रित करना।
- टास्क फोर्स ने चार प्रमुख सिफारिशें की हैं:
- राष्ट्रों को बाज़ार के रूप में देखने के प्रति सावधानी:
नैतिक AI:
- AI जो मौलिक मूल्यों के संबंध में अच्छी तरह से परिभाषित नैतिक दिशा-निर्देशों का पालन करता है, में व्यक्तिगत अधिकार, गोपनीयता, गैर-भेदभाव और गैर-हेरफेर जैसे घटक शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. G20 के सभी चार देश निम्नलिखित में से किस समूह के सदस्य हैं? (2020) (a) अर्जेंटीना, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की उत्तर: (a) प्रश्न: निम्नलिखित में से किस एक समूह में चारों देश G-20 के सदस्य हैं? (a) अर्जेंटीना, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की उत्तर: (a) प्रश्न. G20 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर : (c) |
भारतीय राजव्यवस्था
स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण
प्रिलिम्स के लिये:स्थानीय निकाय चुनावों में OBC आरक्षण, अनुच्छेद 243D(6) और अनुच्छेद 243T(6), के. कृष्णमूर्ति (डॉ.) बनाम भारत संघ (2010), पेसा अधिनियम 1996, ट्रिपल टेस्ट मेन्स के लिये:स्थानीय निकाय चुनाव, शिक्षा और नौकरियों में OBC आरक्षण, OBC आरक्षण के पक्ष और विपक्ष में तर्क |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में गुजरात राज्य सरकार ने पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिये आरक्षण को मौजूदा 10% से बढ़ाकर 27% कर दिया है।
नोट:
- वर्ष 2022 में सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश को स्थानीय निकाय चुनावों में OBC को आरक्षण प्रदान करने की अनुमति दी।
- जनवरी 2022 में महाराष्ट्र सरकार की एक याचिका के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2021 के अपने आदेश को वापस ले लिया, जिसमें स्थानीय निकाय चुनावों में OBC के लिये 27% आरक्षण पर रोक लगा दी गई थी।
निर्णय के मुख्य बिंदु:
- यह निर्णय न्यायमूर्ति के. एस. झावेरी आयोग की सिफारिशों के बाद लिया गया, जिसे गुजरात में स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण के लिये सुझाव देने हेतु वर्ष 2022 में सर्वोच्च न्यायालय (SC) के निर्देश के जवाब में गठित किया गया था।
- विस्तारित 27% OBC आरक्षण स्थानीय निकायों के सभी स्तरों (नगर निगम, नगर पालिका, ग्राम पंचायत, तालुका पंचायत और ज़िला पंचायत) पर लागू होगा।
- हालाँकि बढ़ा हुआ OBC आरक्षण पेसा अधिनियम 1996 के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में लागू नहीं होगा जहाँ अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी 50% से अधिक है। ऐसे क्षेत्रों में OBC उम्मीदवारों को 10% आरक्षण मिलेगा।
- SC (14%) और ST (7%) के लिये मौजूदा कोटा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनिवार्य 50% आरक्षण सीमा के उल्लंघन के बिना अपरिवर्तित रहता है।
स्थानीय निकायों में आरक्षण के बारे में सर्वोच्च न्यायालय के विचार:
- के. कृष्णमूर्ति (डॉ.) बनाम भारत संघ (2010) मामले में पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 243D(6) और अनुच्छेद 243T(6) की व्याख्या की, जो क्रमशः पंचायत एवं नगर निकायों में पिछड़े वर्गों के लिये कानून बनाकर आरक्षण की अनुमति देते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी माना कि राजनीतिक भागीदारी में बाधाएँ शिक्षा और रोज़गार जैसी बाधाओं की तरह नहीं हैं जो शिक्षा और रोज़गार तक पहुँच को सीमित करती हैं।
- अनुच्छेद 15 (4) और अनुच्छेद 16 (4) शिक्षा और रोज़गार में आरक्षण का आधार प्रदान करते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी माना कि राजनीतिक भागीदारी में बाधाएँ शिक्षा और रोज़गार जैसी बाधाओं की तरह नहीं हैं जो शिक्षा और रोज़गार तक पहुँच को सीमित करती हैं।
- हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी माना कि यद्यपि स्थानीय निकायों में आरक्षण स्वीकार्य है लेकिन यह स्थानीय निकायों के संबंध में पिछड़ेपन की अनुभवजन्य जाँच/अनुसंधान के अधीन है, जिसे तीन-परीक्षण मानदंडों के माध्यम से पूरा किया जाता है जो निम्नलिखित तीन शर्तों को संदर्भित करता है:
- स्थानीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति की अनुभवजन्य जाँच करने के लिये एक विशेष आयोग का गठन किया जाना चाहिये।
- स्थानीय निकाय-वार प्रावधानित किये जाने वाले अपेक्षित आरक्षण का अनुपात निर्दिष्ट करना चाहिये।
- यह आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षित संपूर्ण सीटों के कुल 50% से अधिक नहीं होगा।
स्थानीय निकाय चुनावों में OBC आरक्षण से संबंधित सामान्य तर्क:
- पक्ष में तर्क:
- सशक्तीकरण, समावेशन एवं सहभागिता: आरक्षण OBC समुदाय के व्यक्तियों को स्थानीय शासन में सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर प्रदान करता है जिससे उन्हें अपनी बातों को रखने, अपने समुदायों की वकालत करने और नीति-निर्माण में योगदान करने का मौका मिलता है जो उनके जीवन को प्रभावित करता है।
- नीति की प्रासंगिकता: OBC समुदायों के निर्वाचित प्रतिनिधि अपने समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने और उन्हें प्रभावी ढंग से संबोधित करने की दिशा में काम करने की अधिक संभावना रखते हैं।
- कौशल और नेतृत्व विकास: आरक्षण उन्हें नेतृत्व भूमिकाओं, सार्वजनिक भाषण एवं निर्णयन में अनुभव प्राप्त करने के अधिक अवसर प्रदान करेगा।
- राजनीतिक जागरूकता में वृद्धि: यह OBC समुदाय के सदस्यों के मध्य राजनीतिक जागरूकता और जुड़ाव को बढ़ावा देगा तथा उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया में अधिक सक्रिय रूप से योगदान करने के लिये प्रेरित करेगा।
- दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव: समर्थकों का तर्क है कि इससे समय के साथ संसाधनों का अधिक न्यायसंगत वितरण हो सकता है जिसकी सहायता से सामाजिक-आर्थिक सूचकों में सुधार हो सकता है और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच असमानताएँ कम हो सकती हैं।
- विपक्ष में तर्क:
- जाति-आधारित विभाजन: कुछ विरोधियों का तर्क है कि जाति-आधारित आरक्षण समाज के भीतर विभाजन को कायम रखता है, एकता को बढ़ावा देने के बजाय मतभेदों पर ज़ोर देता है।
- OBC के भीतर वंचित समूह: एक चिंता यह है कि OBC श्रेणी के भीतर कुछ समूहों को दूसरों की तुलना में अधिक विशेषाधिकार प्राप्त (क्रीमी लेयर) हो सकते हैं। संपूर्ण OBC श्रेणी के लिये आरक्षण लागू करने से कुछ अपेक्षाकृत अधिक विशेषाधिकार प्राप्त समूहों को असंगत रूप से लाभ हो सकता है, जबकि हाशिये पर मौजूद OBC समूह का प्रतिनिधित्व कम रहेगा।
- आरक्षण का प्रभाव: संशयवादी वास्तव में सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को संबोधित करने में आरक्षण की दीर्घकालिक प्रभावकारिता पर भी सवाल उठाते हैं। वे लक्षित कल्याण कार्यक्रम, कौशल विकास आदि जैसे वैकल्पिक दृष्टिकोण के पक्ष में तर्क देते हैं।
- स्थानीय शासन पर प्रभाव: जब उम्मीदवार आरक्षण के माध्यम से चुने जाते हैं तो शासन संबंधी चिंताओं की तुलना में इनके राजनीतिक विचारों से अधिक प्रेरित होने की आशंकाएँ रहती हैं। यह प्रभावी निर्णय लेने और स्थानीय निकायों के समग्र विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. स्थानीय स्वशासन की सर्वोत्तम व्याख्या यह की जा सकती है कि यह एक प्रयोग है: (2017) (a) संघवाद का उत्तर: B प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: B
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अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच विमानन सहयोग
प्रिलिम्स के लिये:ग्लोबल रिसर्च एलायंस (GRA), न्यूज़ीलैंड भौगोलिक स्थिति मेन्स के लिये:विमानन बाज़ार में बुनियादी ढाँचागत विकास, अपनी कृषि पद्धतियों के लिये ग्लोबल रिसर्च एलायंस (GRA) में भारत की भागीदारी के लाभ |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और न्यूज़ीलैंड ने नागरिक उड्डयन में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- इसके अतिरिक्त दोनों देशों के कृषि मंत्रियों के बीच एक बैठक हुई, जिसमें उन्होंने न केवल कृषि सहयोग को बढ़ावा देने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, बल्कि भारत को वैश्विक अनुसंधान गठबंधन (GRA) में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया।
नागरिक उड्डयन पर समझौता ज्ञापन की मुख्य विशेषताएँ:
- हवाई सेवा समझौता, 2016 को आगे बढ़ाते हुए MoU का उद्देश्य भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच विमानन साझेदारी को और मज़बूत करना है।
- नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में सहयोग में नए मार्गों का निर्धारण, कोड-शेयर सेवाएँ, यातायात अधिकार और क्षमता पात्रता शामिल है।
- भारत और न्यूज़ीलैंड दोनों को तीसरे और चौथे स्वतंत्रता यातायात अधिकारों का प्रयोग करने का विशेषाधिकार प्राप्त है, जो उन्हें किसी भी प्रकार के विमान का उपयोग करके असीमित सेवाएँ संचालित करने में सक्षम बनाता है।
- न्यूज़ीलैंड की एयरलाइंस भारत में छह गंतव्यों के लिये उड़ान भर सकती हैं, जबकि भारतीय एयरलाइंस ऑकलैंड, वेलिंगटन, क्राइस्टचर्च और न्यूज़ीलैंड में तीन अतिरिक्त बिंदुओं पर सेवा दे सकती हैं, जैसा कि भारत की सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है।
- दोनों देशों की एयरलाइंस किसी भी प्रकार के विमान का उपयोग करके असीमित कार्गो सेवाओं को स्वतंत्र रूप से संचालित कर सकती हैं, मध्यवर्ती बिंदुओं पर रुकने और निर्दिष्ट मार्ग बिंदुओं द्वारा प्रतिबंधित किये बिना अपनी सेवाओं को भविष्य के लिये विस्तारित करने का अधिकार है।
विमानन में स्वतंत्रता यातायात अधिकार:
- स्वतंत्रता यातायात अधिकार देशों के बीच हवाई सेवाएँ संचालित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समझौतों या संधियों द्वारा एयरलाइंस को दिये गए अधिकारों को संदर्भित करता है।
- ये अधिकार इस बात को रेखांकित करते हैं कि एयरलाइंस किस हद तक किसी देश के अंदर और बाहर उड़ान भर सकती हैं, जिसमें उड़ानों की संख्या, मार्ग और गंतव्यों की सेवा भी शामिल है।
- यातायात अधिकारों में विभिन्न स्तर अथवा "स्वतंत्रता" शामिल है, पहली स्वतंत्रता (बिना लैंडिंग के किसी देश के ऊपर से उड़ान भरने का अधिकार) से लेकर नौवीं स्वतंत्रता (कैबोटेज, जो विदेशी एयरलाइंस को दूसरे देश के भीतर घरेलू उड़ानें संचालित करने की अनुमति देती है) तक है।
- देशों के बीच द्विपक्षीय या बहुपक्षीय हवाई सेवा समझौतों में इन अधिकारों पर बातचीत और सहमति होती है।
वैश्विक अनुसंधान गठबंधन (GRA):
- GRA एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि किये बिना अधिक खाद्यान उत्पादन के तरीके खोजने के लिये देशों को एक साथ लाता है।
- GRA को वर्ष 2009 में न्यूज़ीलैंड द्वारा लॉन्च किया गया था और तब से इसमें 67 सदस्य देश शामिल हो गए हैं।
- GRA का लक्ष्य कृषि उत्पादन प्रणालियों की उत्सर्जन तीव्रता को कम करना और मृदा कार्बन पृथक्करण की उनकी क्षमता को बढ़ाना है।
- GRA तीन मुख्य कृषि उप-क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है: धान-चावल, फसल भूमि और पशुधन।
- यह इन्वेंट्री और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs), मृदा कार्बन तथा नाइट्रोजन चक्रण, एकीकृत अनुसंधान जैसी क्रॉस-कटिंग गतिविधियों का समन्वय भी करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिये और सूचियों के नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (2009) सूची I सूची II (भौगोलिक विशेषता) (देश)
कूट: A B C D (a) 1 2 4 3 उत्तर: (b)
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आंतरिक सुरक्षा
भारतीय सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाना
प्रिलिम्स के लिये:आपातकालीन खरीद, UAV, टेथर्ड ड्रोन, SWARM ड्रोन, मेक प्रोजेक्ट, iDEX (रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार) मेन्स के लिये:भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं को बढ़ाने का महत्त्व |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
अपनी समग्र परिचालन क्षमता को बढ़ाने के लिये भारतीय सेना ने आपातकालीन खरीद (Emergency Procurement- EP) के तहत 130 टेथर्ड ड्रोन और 19 टैंक-ड्राइविंग सिमुलेटर की खरीद के लिये अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं।
- लंबे समय तक संचालित होने वाले टेथर्ड ड्रोन सिस्टम का उपयोग ऊँचाई वाले क्षेत्रों में किया जा सकता है।
नोट:
- वर्ष 2016 के उरी हमले के बाद पहली बार सशस्त्र बलों को आपातकालीन वित्तीय शक्तियाँ प्रदान की गई थीं, जिसका उद्देश्य खरीद की धीमी नौकरशाही प्रणाली को रोकने में सहायता करना था। इन वित्तीय शक्तियों के तहत प्रत्येक सेवा स्वयं 300 करोड़ रुपए के अनुबंध पर हस्ताक्षर कर सकती है।
टेथर्ड ड्रोन और सिमुलेटर:
- टेथर्ड ड्रोन: टेथर्ड ड्रोन मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) की एक श्रेणी है जो एक टेथर्ड के माध्यम से ज़मीन-आधारित स्टेशन से जुड़े होते हैं।
- टेथर्ड ड्रोन सिस्टम, जिनके पंख दिन और रात दोनों समय फैले हुए होते हैं, का उद्देश्य सतर्क रक्षक रहना है, जो सीमा सुरक्षा बढ़ाने के लिये लगातार महत्त्वपूर्ण डेटा और वीडियो फीड भेजते हैं।
- विमानन के अलावा टेथर्ड ड्रोन से निगरानी में एक आदर्श बदलाव आया है, जो कैमरे और रेडियो जैसे महत्त्वपूर्ण उपकरणों के भार के साथ ज़मीन पर टिके रहते हैं।
- अपनी उन्नत सेंसर तकनीक और विशाल क्षेत्रों का निर्बाध दृश्य प्रदान करने की क्षमता के साथ टेथर्ड ड्रोन युद्ध के मैदान पर स्थितिजन्य जागरूकता और सामरिक निर्णय लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- सिमुलेटर: यह माना जाता है कि सिमुलेटर वास्तव में टैंक और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों (Infantry Combat Vehicles- ICV) के ड्राइवरों के प्रशिक्षण में मदद करेंगे तथा प्रशिक्षण के दौरान टैंक एवं ICV पर टूट-फूट को कम करने में योगदान देंगे।
भारतीय सेना ने अपनी तैयारी में कैसे सुधार किया है?
- भारतीय सेना वर्ष 2023 को 'परिवर्तन के वर्ष' के रूप में मना रही है तथा "अपनी क्षमताओं में बहुत बड़ा परिवर्तन" लाने हेतु कार्यात्मक प्रक्रियाओं को नया रूप देने एवं पुनः तैयार करने के लिये कई परियोजनाओं पर काम कर रही है।
- वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध के बाद से सेना ने निगरानी और भार वहन हेतु छोटे ड्रोन के लिये भारत की नई स्टार्ट-अप कंपनियों के साथ अनुबंधों की एक श्रृंखला संपन्न की है।
- लॉजिस्टिक तथा नैनो ड्रोन, काउंटर-ड्रोन, लोइटर म्यूनिशन (loiter munitions), SWARM ड्रोन, UAV-लॉन्च प्रिसिजन-गाइडेड मिसाइल एवं स्वचालित स्पेक्ट्रम मॉनीटरिंग सिस्टम जैसी उच्च तकनीकें खरीदी जा रही हैं।
- 'आत्मनिर्भरता' के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप सेना विभिन्न माध्यमों जैसे- 'मेक' परियोजनाओं, iDEX (Innovation for Defence Excellence) तथा अग्रणी प्रौद्योगिकी संस्थानों में 'सेना कक्ष' (Army Cells) की स्थापना जैसे आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से स्वदेशीकरण के साथ आधुनिकीकरण की स्थिति हासिल कर रही है जिससे सेना की आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा।
रक्षा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु कुछ पहलें:
- रक्षा औद्योगिक गलियारा
- आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण
- डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज
- रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्द्धन नीति (2020) का मसौदा
- रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (iDEX)
- मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति
- भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण योजना (INIP) 2015-2030
- नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (NIIO)
भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाना क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- राष्ट्रीय सुरक्षा: भारत के जटिल भू-रणनीतिक वातावरण और संघर्षों के इतिहास को देखते हुए अपनी सीमाओं तथा नागरिकों की सुरक्षा के लिये रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना आवश्यक है।
- निवारण: भारत की मज़बूत रक्षा ताकतें क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान कर विरोधियों को संघर्ष या शत्रुतापूर्ण कार्रवाई शुरू करने से हतोत्साहित कर सकती हैं।
- संघर्ष समाधान: संघर्ष की गंभीर स्थिति में बेहतर रक्षा क्षमताओं के परिणामस्वरूप त्वरित और अधिक अनुकूल समाधान प्राप्त हो सकते हैं।
- आतंकवाद का मुकाबला: भारत ने आतंकवाद और कई विद्रोही गतिविधियों का सामना किया है, रक्षा क्षमताओं में वृद्धि ने अधिक प्रभावी आतंकवाद विरोधी अभियानों को संभव बनाया है।
- सामरिक स्वायत्तता: रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने से रक्षा उपकरणों, प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता के लिये बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम हो जाती है, जिससे भारत की रणनीतिक स्वायत्तता बढ़ती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) क्या है? (2018) (a) इज़रायल की एक रडार प्रणाली उत्तर: C प्रश्न. भारत ने निम्नलिखित में से किससे बराक एंटी-मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदी? (2008) (a) इज़रायल उत्तर: (a) प्रश्न. भारतीय रक्षा के संदर्भ में 'ध्रुव' क्या है? (2008) (a) विमान ले जाने वाला युद्धपोत उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. S-400 वायु रक्षा प्रणाली तकनीकी रूप से दुनिया में वर्तमान में उपलब्ध किसी भी अन्य प्रणाली से कैसे बेहतर है? (2021) |