आंतरिक सुरक्षा
मेक-II परियोजना में शामिल नवीन उत्पाद
- 07 Nov 2022
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प्रिलिम्स के लिये:रक्षा अधिग्रहण कार्यक्रम, मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट, ड्रोन किल सिस्टम मेन्स के लिये:भारतीय रक्षा उपकरण, रक्षा अधिग्रहण कार्यक्रम, सरकार की संबंधित पहल |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय सेना ने रक्षा खरीद की मेक-II पहल के तहत भारतीय उद्योगों द्वारा विकसित महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी हेतु पाँच परियोजना स्वीकृति आदेशों (PSOs) को मंज़ूरी दी है।
मेक-II परियोजना:
- परिचय:
- मेक-II परियोजनाएँ अनिवार्य रूप से उद्योग द्वारा वित्तपोषित परियोजनाएँ हैं जिनमें प्रोटोटाइप के विकास के लिये भारतीय विक्रेताओं द्वारा डिज़ाइन एवं विकसित किये गए नवीन समाधान शामिल हैं।
- कुल 43 परियोजनाओं में से अब तक 22 प्रोटोटाइप विकास के चरण में हैं जिनकी कुल लागत, परियोजना लागत (₹27,000 करोड़) के सापेक्ष 66% (₹18,000 करोड़) है।
- परियोजना के तहत शामिल नवीन पहलू:
- हाई फ्रीक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (HFSDR):
- ये रेडियो सेट इन्वेंट्री में मौजूदा सीमित डेटा हैंडलिंग क्षमता और पुरानी तकनीक वाले हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो सेटों की जगह लेंगे।
- अत्याधुनिक, हल्के वज़न वाले HFSDR सुरक्षा एवं डेटा क्षमता में वृद्धि और बैंड विड्थ के माध्यम से लंबी दूरी का रेडियो संचार प्रदान करेगा।
- ड्रोन किल सिस्टम:
- ड्रोन किल सिस्टम, निम्न रेडियो क्रॉस सेक्शन ड्रोन के खिलाफ एक हार्ड किल एंटी ड्रोन सिस्टम है।
- इसे दिन और रात में सभी प्रकार के क्षेत्रों में काम करने के लिये विकसित किया जा रहा है।
- इन्फैंट्री ट्रेनिंग वेपन सिम्युलेटर (IWTS):
- IWTS, भारतीय सेना के साथ प्रमुख सेवा के रूप में पहली ट्राई-सर्विस मेक-II परियोजना है।
- मीडियम रेंज प्रिसिशन किल सिस्टम (MRPKS):
- MRPKS एक बार लॉन्च होने के बाद दो घंटे तक हवा में उड़ान (Loiter) भर सकता है और 40 किमी. की दूरी तक हाई वैल्यू टार्गेट्स को निशाना बना सकता है।
- 155mm टर्मिनली गाइडेड मुनिशन (TGM):
- हाई फ्रीक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (HFSDR):
पूंजी अधिग्रहण की 'मेक' श्रेणी:
- पूंजी अधिग्रहण की 'मेक' श्रेणी मेक इन इंडिया पहल की आधारशिला है जिसका उद्देश्य सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भागीदारी के माध्यम से स्वदेशी क्षमताओं का निर्माण करना है।
- 'मेक-I' सरकार द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं को संदर्भित करती है, जबकि 'मेक-II' के तहत उद्योग-वित्तपोषित कार्यक्रमों को कवर किया जाता है।
- मेक-I को भारतीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ लाइट टैंक और संचार उपकरण जैसे बड़े प्लेटफॉर्म के विकास में शामिल किया गया है।
- मेक-II श्रेणी में सैन्य हार्डवेयर उपकरणों का प्रोटोटाइप विकास या आयात प्रतिस्थापन के लिये इसका उन्नयन शामिल है जिसके प्रोटोटाइप विकास उद्देश्यों के लिये कोई सरकारी वित्तपोषण प्रदान नहीं किया जाएगा।
- 'मेक' के तहत एक अन्य उप-श्रेणी 'मेक-III' है जो सैन्य हार्डवेयर उपकरणों को कवर करती है जिसे स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित नहीं किया जा सकता है, लेकिन आयात प्रतिस्थापन के लिये देश में निर्मित किया जा सकता है तथा भारतीय कंपनियाँ विदेशी भागीदारों के सहयोग से इनका निर्माण कर सकती हैं।
रक्षा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु अन्य पहलें:
- रक्षा औद्योगिक गलियारे
- आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण
- डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज
- मसौदा रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्द्धन नीति 2020
- रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (iDEX)
- मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) क्या है? (a) इज़रायल की एक रडार प्रणाली उत्तर: (c) व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही है। प्रश्न. रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का अब उदारीकरण होना तय है: इसका भारतीय रक्षा और अर्थव्यवस्था पर लघु एवं दीर्घावधि में क्या प्रभाव पड़ने की संभावना है? (मुख्य परीक्षा, 2014) प्रश्न. S-400 वायु रक्षा प्रणाली तकनीकी रूप से दुनिया में वर्तमान में उपलब्ध किसी भी अन्य प्रणाली से कैसे बेहतर है? (मुख्य परीक्षा, 2021)। |