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डेली न्यूज़


आंतरिक सुरक्षा

रक्षा निर्यात को बढ़ाने के लिये मसौदा नीति

  • 04 Aug 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये: 

मेक इन इंडिया, मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति, व्यापार सुगमता सूचकांक

मेन्स के लिये: 

DPEPP, 2020 उसके उद्देश्य तथा रणनीतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence- MoD) ने सार्वजनिक प्रतिक्रिया (FeedBack) के लिये रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्द्धन नीति (Defence Production & Export Promotion Policy- DPEPP) 2020 का मसौदा तैयार किया है।

  • DPEPP 2020 को आत्मनिर्भर बनने और निर्यात के लिये देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिये एक अतिव्यापी मार्गदर्शक दस्तावेज़ के रूप में परिकल्पित किया गया है।

लक्ष्य एवं उद्देश्य: 

  • इसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं तथा सेवाओं के $5 बिलियन के निर्यात सहित 1,75,000 करोड़ रुपए का विनिर्माण कारोबार सुनिश्चित करना है
  • इसके अलावा सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये उत्तम उत्पादों के निर्माण के साथ-साथ एयरोस्पेस और नौसेना के जहाज़ निर्माण उद्योग को शामिल करते हुए एक गतिशील, मज़बूत तथा प्रतिस्पर्द्धी रक्षा उद्योग विकसित करना है।
  • आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू डिज़ाइन तथा विकास के माध्यम से "मेक इन इंडिया" पहल को आगे बढ़ाना।
  • रक्षा उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना और वैश्विक रक्षा मूल्य शृंखलाओं का हिस्सा बनना।
  • एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना जो अनुसंधान और विकास तथा नवाचार को प्रोत्साहित करता है एवं एक मज़बूत व आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग को बढ़ावा देता है।

नीति में उल्लिखित रणनीतियाँ:

  • खरीद संबंधी सुधार-
    • रक्षा उत्पादों के विकास और उत्पादन से संबंधित विनिर्देशों और प्रौद्योगिकियों के आकलन के लिये एक परियोजना प्रबंधन इकाई (Project Management Unit) स्थापित की जाएगी।
    • स्वदेशी डिज़ाइन, विकास और उत्पादन के लिये लाइसेंस प्राप्ति की प्रक्रिया को खत्म करने पर केंद्रित।
    • इसका उद्देश्य दीर्घकालिक एकीकृत परिप्रेक्ष्य योजना (Long Term Integrated Perspective Plan- LTIPP) में अनुमानित प्रणालियों के डिज़ाइन अधिकारों और बौद्धिक संपदा अधिकारों को अपनाना है।
      • इसके अलावा एक प्रौद्योगिकी मूल्यांकन सेल (Technology Assessment Cell-TAC) भी बनाया जाएगा।
  • स्वदेशीकरण और MSMEs/स्टार्टअप को सहायता-
    • स्वदेशीकरण नीति का उद्देश्य भारत में निर्मित रक्षा उपकरणों और प्लेटफार्मों के लिये आयातित घटकों तथा उप-संयोजकों का स्वदेशी स्तर पर निर्माण करने के लिये एक उद्योग परिवेशविकसित करना है। 
      • वर्ष 2025 तक इस प्रकार के लगभग 5,000 उपकरणों का भारत में ही निर्माण करना प्रस्तावित है।
    • वर्तमान में 50 से अधिक स्टार्टअप नए 'फिट-फॉर-मिलिटरी-यूज़' तकनीकों/उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं।
  • संसाधनों के आवंटन का अनुकूलन करना-
    • मसौदे में कहा गया है कि घरेलू उद्योग की खरीद को बढ़ावा देने के लिये यह अनिवार्य है कि वर्ष 2025 तक मौजूदा खरीद को 70,000 करोड़ रुपए से दोगुना करके 1,40,000 करोड़ रुपए किया जाए।
      • कुल रक्षा खरीद में घरेलू खरीद का हिस्सा लगभग 60% है।
  • निवेश को बढ़ावा देना और व्यापार सुगमता सूचकांक में सुधार करना-
    • भारत पहले से ही बढ़ते यात्री, यातायात और सैन्य व्यय के साथ एक बड़ा एयरोस्पेस बाज़ार है  जिसके परिणामस्वरूप हवाई जहाज़ों की मांग बढ़ रही है।
    • विमान निर्माण कार्य, विमान रखरखाव, मरम्मत और आमूलचूल परिवर्तन, हेलिकाप्टर,  इंजन निर्माण और लाइन रिप्लेसमेंट इकाइयाँ, मानव रहित हवाई वाहन और उन्नयन तथा रेट्रोफिट्स जैसे क्षेत्रों में एयरोस्पेस उद्योग के अवसरों की पहचान की गई है।
      • यह विश्व बैंक द्वारा जारी  व्यापार सुगमता सूचकांक में बाज़ार के आकार में सुधार, जनसांख्यिकीय विभाजन आदि संकेतकों में भारत की रैंकिंग से स्पष्ट है।
    • माँग की नियमित आपूर्ति को बनाए रखने के लिये रक्षा क्षेत्र में निवेश नियमित आधार पर होना चाहिये।
  • नवाचार और अनुसंधान एवं विकास-
    • रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप्स को आवश्यक ऊष्मायन और बुनियादी ढाँचा सहायता प्रदान करने के लिये रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचारों (Innovations for Defence Excellence -iDEX) का संचालन किया गया है।
      •  iDEX को अगले पाँच वर्षों के दौरान 300 और स्टार्टअप के साथ जुड़ने तथा 60 नई तकनीकों/उत्पादों को विकसित करने के लिये बढ़ावा दिया जाएगा।
    • मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति को नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने और DPSUs, आयुध निर्माण बोर्ड (Ordnance Factory Board (OFB) में अधिक से अधिक पेटेंट फाइल करने के लिये शुरू किया गया था।
      • इस क्षेत्र में बौद्धिक संपदा के निर्माण और इसके व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिये इसे बढ़ावा दिया जाएगा।

अन्य प्रमुख बिंदु:

  • यह नीति रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिये, रक्षा अटैच (Attachés) को अनिवार्य बनाती है और विदेशों में स्वदेशी रक्षा उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये समर्थित है।
    • यह प्रयास चयनित रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (Defence Public Sector Undertakings- DPSUs) द्वारा पूरा किया जाएगा।
  • रणनीतिक विचारों के अधीन, घरेलू रूप से निर्मित रक्षा उत्पादों को सरकार के माध्यम से सरकारी समझौतों और क्रेडिट/फंडिंग के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जाएगा।

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आगे की राह:

  • रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता, प्रभावी रक्षा क्षमता और राष्ट्रीय संप्रभुता को बनाए रखने तथा सैन्य श्रेष्ठता हासिल करने के लिये यह एक महत्त्वपूर्ण घटक साबित होगी।
  • इसे प्राप्त करने से रणनीतिक स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी साथ ही लागत प्रभावी रक्षा उपकरण और रक्षा आयात से संबंधित व्यय पर बचत हो सकेगी जो बाद में भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढाँचे को सशक्त बनाने में प्रयुक्त हो सकती है।

स्रोत: द हिंदू

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