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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

Y गुणसूत्र और कैंसर की संभावना

  • 28 Jun 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कोलोरेक्टल कैंसर, DNA, T कोशिका, बायोमार्कर, गुणसूत्र

मेन्स के लिये:

कैंसर की संभावना और Y गुणसूत्र के बीच संबंध

चर्चा में क्यों?

हालिया शोधों से पता चला है कि Y गुणसूत्र और कैंसर की संभावना अंतर्संबंधित हैं, इस अध्ययन में पाया गया है कि किस प्रकार पुरुष कुछ प्रकार के कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

  • यह अध्ययन कोलोरेक्टल और मूत्राशय कैंसर में Y गुणसूत्र की भूमिका पर प्रकाश डालता है जिससे ट्यूमर विकसित होने, प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया एवं नैदानिक ​​रोग निदान को प्रभावित करने वाले प्रमुख आनुवंशिक तंत्रों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।

कोलोरेक्टल और मूत्राशय कैंसर:

  • कैंसर:
    • शरीर में असामान्य कोशिकाओं के अनियंत्रित विकास और प्रसार के रूप में चिह्नित विकारों की एक शृंखला को सामूहिक रूप से कैंसर कहा जाता है।
      • कैंसर कोशिकाएँ (असामान्य कोशिकाएँ) स्वस्थ ऊतकों और अंगों को प्रभावित करने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम होती हैं।
    • एक स्वस्थ शरीर में सामान्य तौर पर कोशिकाएँ नियमित तरीके से बढ़ती हैं, विभाजित होती हैं और अंततः मर जाती हैं जिससे ऊतकों एवं अंगों का कामकाज़ सामान्य ढंग से चलता रहता है।
      • हालाँकि कैंसर के मामले में कुछ आनुवंशिक उत्परिवर्तन या असामान्यताएँ सामान्य कोशिका चक्र को बाधित करती हैं जिससे कोशिकाएँ विभाजित होती हैं और इनकी संख्या अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं।
      • ये कोशिकाएँ ऊतकों का एक समूह बना सकती हैं जिसे ट्यूमर कहा जाता है।
  • कोलोरेक्टल कैंसर:
    • कोलोरेक्टल कैंसर को कोलन कैंसर या रेक्टल कैंसर के रूप में भी जाना जाता है। यह कोलन या मलाशय में विकसित कैंसर को संदर्भित करता है जो बड़ी आँत के हिस्से हैं।
      • यह विश्व भर में सबसे आम प्रकार के कैंसर में से एक है।
    • यह सामान्यतः बृहदान्त्र (कोलन) या मलाशय की आंतरिक परत पर छोटी, गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि के रूप में शुरू होता है जिसे पॉलीप्स कहा जाता है। समय के साथ इनमें से कुछ पॉलीप्स कैंसर बन सकते हैं।
  • मूत्राशय कैंसर:
    • मूत्राशय कैंसर का तात्पर्य मूत्राशय के ऊतकों में कैंसर कोशिकाओं के विकास से है जहाँ मूत्र एकत्रित होता है।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:

  • पुरुषों में कोलोरेक्टल कैंसर में Y गुणसूत्र की भूमिका:
    • अध्ययनों में पाया गया है कि KRAS नामक ओंकोजीन (Oncogene) द्वारा संचालित एक माउस मॉडल का उपयोग करके कोलोरेक्टल कैंसर के मामले में लैंगिक अंतर की जाँच की गई है।
      • शोध में पाया कि नर चूहों में मेटास्टेसिस (ट्यूमर की मूल जगह से शरीर के अन्य भागों में कैंसर कोशिकाओं का फैलना) की आवृत्ति अधिक थी तथा मादा चूहों की तुलना में उनकी जीवित रहने की दर बहुत कम थी जो मनुष्यों में देखे गए परिणामों को प्रतिबिंबित करता है।
    • उन्होंने Y गुणसूत्र पर एक अपग्रेडेड जीन की भी पहचान की जो पुरुषों में ट्यूमर के खतरे और प्रतिरक्षा को कम करके कोलोरेक्टल कैंसर उत्पन्न करने का कारण बनता है।
      • यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करने वाले वंशाणुओं/जीन का दमन करने के साथ-साथ ऐसे जीन को सक्रिय करने का कार्य करता है जो सेल माइग्रेशन, इन्वेज़न (हमले) और एंजियोजेनेसिस (नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण) को बढ़ावा देते हैं।

नोट: KRAS एक जीन है जो कर्स्टन रैट सार्कोमा वायरल ओंकोजीन होमोलॉग नामक प्रोटीन को एनकोड करता है। यह एक प्रोटो-ओंकोजीन है, जिसका अर्थ है कि इसमें कैंसर कारक जीन बनने की क्षमता है।

  • मूत्राशय कैंसर के परिणामों पर Y गुणसूत्र की हानि का प्रभाव:
    • एक अलग जाँच में मूत्राशय कैंसर के परिणामों पर Y गुणसूत्र की हानि का प्रभाव देखा गया।
      • पुरुषों की उम्र बढ़ने के साथ कोशिकाओं में Y गुणसूत्र की हानि होती है तथा कैंसर कोशिकाएँ पुरुषों में प्रतिरक्षा प्रणाली को खत्म करने में बढ़ावा देती है।
    • Y गुणसूत्र की हानि का कारण गलत निदान और अधिक आक्रामक ट्यूमर से जुड़ा हुआ पाया गया।
      • इस स्थिति ने प्रतिरक्षा विनियमन में शामिल जीन की अभिव्यक्ति को बदलकर एक अधिक प्रतिरक्षा दमनकारी ट्यूमर माइक्रोएन्वायरनमेंट उत्पन्न किया है।
      • उदाहरण स्वरूप Y गुणसूत्र की हानि से PD-L1 की अभिव्यक्ति बढ़ गई, एक प्रोटीन जो T कोशिका सक्रियण को रोकता है और कैंसर कोशिकाएँ प्रतिरक्षा प्रणाली को खत्म करने में बढ़ावा देती है।
    • हालाँकि यह पाया गया कि Y गुणसूत्र विलोपन ने एंटी-PD1 अवरोधक थेरेपी की प्रतिक्रिया में सुधार किया, जो मूत्राशय की विकृतियों के एक उपसमूह के लिये व्यवहार्य चिकित्सीय मार्ग की ओर इशारा करता है।
      • इससे पता चलता है कि Y गुणसूत्र की हानि उन रोगियों के चयन के लिये एक बायोमार्कर के रूप में है जो इस उपचार से लाभान्वित हो सकते हैं।

गुणसूत्र:

  • परिचय: गुणसूत्र अधिकांश जीवित कोशिकाओं के केंद्र में पाए जाने वाले न्यूक्लिक एसिड और प्रोटीन की एक धागे जैसी संरचना होती है, जो जीन के रूप में आनुवंशिक जानकारी रखते हैं।
    • कोशिका विभाजन, वृद्धि और विकास तथावंशानुक्रम के लिये गुणसूत्र आवश्यक हैं।
    • मनुष्य में आमतौर पर 46 गुणसूत्र होते हैं या प्रत्येक कोशिका में उनके 23 जोड़े होते हैं।
  • संरचना: गुणसूत्र DNA अणुओं से बने होते हैं जो हिस्टोन नामक प्रोटीन के चारों ओर बँधे होते हैं।
    • DNA और प्रोटीन का यह संयोजन आनुवंशिक सामग्री को संकुचित एवं व्यवस्थित करने में सहायता करता है।
  • प्रकार: गुणसूत्र के दो मुख्य प्रकार हैं: ऑटोसोम और सेक्स क्रोमोसोम।
    • ऑटोसोम: ऑटोसोम गैर-लिंग गुणसूत्र हैं।
      • मनुष्यों में ऑटोसोम के 22 जोड़े होते हैं, जिनकी संख्या 44 होती है।
      • ऑटोसोम में लिंग निर्धारण से संबंधित जीन को छोड़कर विभिन्न लक्षणों और विशेषताओं को निर्धारित करने के लिये उत्तरदायी जीन होते हैं।
    • लिंग गुणसूत्र: लिंग गुणसूत्र किसी व्यक्ति के लिंग का निर्धारण करते हैं और इन्हें X और Y अक्षरों द्वारा दर्शाया जाता है।
    • महिलाओं में दो X गुणसूत्र (XX) होते हैं, जबकि पुरुषों में एक X और एक Y गुणसूत्र (XY) होता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, मानव शरीर में B कोशिकाओं और T कोशिकाओं की भूमिका का सर्वोत्तम वर्णन करता है?(2022)

(a) वे शरीर की पर्यावरणीय प्रतूर्जकों (एलर्जनों) से संरक्षित करती हैं।
(b) वे शरीर के दर्द और सूजन का अपशमन करती हैं।
(c) वे शरीर में प्रतिरक्षा निरोधकों की तरह काम करते हैं।
(d) वे रोगजनकों द्वारा होने वाले रोगों से बचाती हैं।

उत्तर: (d)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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