आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण
प्रिलिम्स के लियेआयुध निर्माणी बोर्ड मेन्स के लियेआयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण, उसका महत्त्व और संबंधित चिंताएँ |
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार के ‘आयुध निर्माणी बोर्ड’ (Ordnance Factory Board-OFB) के निगमीकरण के निर्णय का देश भर के 41 आयुध कारखानों और उनकी संबद्ध इकाइयों के श्रमिक संघों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- ध्यातव्य है कि केंद्र सरकार के इस निर्णय का विरोध करने के लिये देश के तीन मान्यता प्राप्त रक्षा कर्मचारियों के ट्रेड यूनियन एक साथ एक मंच पर आ गए हैं, इनमें शामिल हैं-
- अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF)
- भारतीय राष्ट्रीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (INDWF)
- भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन काॅन्ग्रेस (INTUC)
- तीनों संगठनों द्वारा सरकार के इस निर्णय को लेकर 12 अक्तूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का निर्णय लिया गया था, हालाँकि रक्षा मंत्रालय (MoD) के साथ तीनों संगठनो की वार्ता के चलते इस अनिश्चितकालीन हड़ताल को कुछ समय के लिये रद्द कर दिया गया है।
आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB)
- आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) एक विशाल औद्योगिक ढाँचा है, जो कि रक्षा मंत्रालय (MoD) के रक्षा उत्पादन विभाग (DDP) के अधीन कार्य करता है।
- 200 वर्ष पुराने आयुध निर्माणी बोर्ड का मुख्यालय कोलकाता में स्थित है और यह 41 कारखानों, 9 प्रशिक्षण संस्थानों, 3 क्षेत्रीय विपणन केंद्रों तथा 4 क्षेत्रीय सुरक्षा नियंत्रकों का एक समूह है।
- इतिहास
- भारतीय आयुध कारखानों का इतिहास और विकास भारत में ब्रिटिश शासनकाल से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपने आर्थिक लाभ और राजनीतिक शक्ति को बढ़ाने के लिये रक्षा उपकरणों को एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व के रूप में स्वीकार किया था।
- इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1775 में ब्रिटिश सरकार ने कोलकाता के फोर्ट विलियम कॉलेज में आयुध बोर्ड की स्थापना किये जाने की स्वीकृति प्रदान की और इससे भारत में औपचारिक तौर पर आयुध कारखानों की शुरुआत हुई।
- भारत में वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय कुल 18 आयुध कारखाने थे और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 23 आयुध कारखाने और बनाए गए।
- वर्ष 1962 के युद्ध के बाद भारत में रक्षा उपकरणों के उत्पादन हेतु एक बुनियादी ढाँचा विकसित करने के उद्देश्य से रक्षा मंत्रालय के तहत रक्षा उत्पादन विभाग (DDP) की स्थापना की गई। इसके पश्चात् भारत के सभी आयुध कारखानों के प्रबंधन और उन्हें एक साथ एक समूह में लाने के उद्देश्य से 02 अप्रैल, 1979 को आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) का गठन किया गया।
महत्त्व
- ध्यातव्य है कि आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) द्वारा संचालित आयुध कारखानों से न केवल सशस्त्र बलों के लिये बल्कि अर्ध-सैनिक और पुलिस बलों के लिये भी हथियार, गोला-बारूद और रक्षा उपकरणों के एक बड़े हिस्से की आपूर्ति की जाती है।
- आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) का उद्देश्य भारत को हथियारों और गोला-बारूद के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।
आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण और उसका महत्त्व
- आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) का निगमीकरण करना ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ का एक भाग है जिसकी घोषणा भारत सरकार ने 16 मई, 2020 को की थी।
- निगमीकरण के परिणामस्वरूप आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) को भी सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रमों की तरह कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक या एक से अधिक 100 प्रतिशत सरकारी स्वामित्त्व वाली संस्थाओं के रूप में परिवर्तित कर दिया जाएगा।
- अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) के निगमीकरण से सार्वजनिक क्षेत्र की एक ही संस्था बनाई जाएगी अथवा सार्वजनिक स्वामित्त्व वाली कई सारी संस्थाएँ बनाई जाएंगी।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2000-2015 के बीच सरकार द्वारा रक्षा सुधारों को लेकर गठित तीन-तीन समितियों ने आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) के निगमीकरण की सिफारिश की थी, किंतु अब तक इसको कार्यान्वित नहीं किया जा सका है।
- महत्त्व
- इस संबंध में घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीताराम ने कहा था कि सरकार के इस निर्णय से आयुध आपूर्ति की स्वायत्तता, जवाबदेही एवं दक्षता में सुधार किया जा सकेगा।
- उल्लेखनीय है कि आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) का सशस्त्र बलों समेत अपने अन्य रक्षा बलों को रक्षा उपकरणों और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति का काफी खराब रिकॉर्ड रहा है।
- वर्ष 2019 में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) के प्रदर्शन मूल्यांकन से संबंधित अपनी रिपोर्ट में भी इस प्रकार की खामियों का उल्लेख किया था, जो कि संगठन के कार्यों को प्रभावित कर रही हैं।
- आयुध निर्माणी बोर्ड के प्रदर्शन मूल्यांकन से पता चलता है कि इस संगठन का प्रबंधन काफी खराब तरीके से किया जा रहा है, जिसका प्रभाव इसके संचालन पर पड़ रहा है।
- इसी को देखते हुए कई विशेषज्ञ आयुध निर्माणी बोर्ड के निगमीकरण की मांग कर रहे थे, ताकि आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) के प्रबंधन को सुधारा जा सके।
- संगठन के प्रबंधन में सुधार कर सशस्त्र बलों को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति में होने वाली देरी को कम किया जा सकेगा, जिससे सशस्त्र बलों और अन्य रक्षा बलों की सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी होगी।
- निर्णय की आलोचना
- कई जानकार मान रहे हैं कि आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) को अलग-अलग स्वायत्त कारखानों के रूप में विभाजित करना, इसकी मौजूदा कार्यप्रणाली को प्रभावित करेगा। इसका प्रभाव सशस्त्र बलों को की जाने वाली आपूर्ति पर पड़ सकता है, क्योंकि हथियारों और रक्षा उपकरणों के विनिर्माण में संलग्न इकाइयाँ रक्षा उत्पादन के लिये परस्पर निर्भर हैं और यदि इन्हें स्वायत्त इकाई बनाया जाता है तो इनके बीच समन्वय स्थापित करना काफी मुश्किल हो जाएगा।
- आयुध कारखानों में कार्यरत कर्मचारियों को आशंका है कि आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण अंततोगत्वा निजीकरण को बढ़ावा देगा।
- इसी कारण आयुध कारखानों में कार्यरत कर्मचारियों को अपनी नौकरी जाने का भी खतरा है।
आगे की राह
- भारत के कुछ आयुध कारखाने 200 से भी अधिक वर्ष पुराने हैं और यही कारण है कि ये मौजूदा समय की आवश्यकताओं को पूरा करने में समर्थ नहीं हैं।
- इन कारखानों और आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) के निगमीकरण के माध्यम से इनकी कार्यपद्धति में परिवर्तन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
- आयुध निर्माणी बोर्ड के पश्चात् इसके प्रबंधन में क्षेत्र विशिष्ट विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाना चाहिये और साथ ही अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये।
- केंद्र सरकार आयुध कारखानों में कार्य कर रहे कर्मचारियों को विश्वास में लिये बिना आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण नहीं कर सकती है, इसलिये यह आवश्यक है कि कर्मचारियों को यह विश्वास दिलाया जाए कि ‘निगमीकरण’ का अर्थ ‘निजीकरण’ नहीं है।