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डेली न्यूज़

  • 28 Oct, 2024
  • 53 min read
भूगोल

वायुमंडलीय नदियों का ध्रुव की ओर स्थानांतरण

प्रिलिम्स के लिये:

वायुमंडलीय नदी, पाइनएप्पल एक्सप्रेस, नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA)।

मेन्स के लिये:

वायुमंडलीय नदी, भौगोलिक विशेषताएँ और उनका स्थान, वायुमंडलीय नदियों का ध्रुव की ओर स्थानांतरण, वैश्विक मौसम पैटर्न पर इनके स्थानांतरण का प्रभाव, वायुमंडलीय नदियों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि पिछले 40 वर्षों में वायुमंडलीय नदियाँ 6 से 10 डिग्री तक ध्रुव की ओर स्थानांतरित हुई हैं, जिससे वैश्विक मौसम पैटर्न प्रभावित हुआ है।  

  • इस बदलाव के कारण कुछ क्षेत्रों में सूखा बढ़ रहा है, जबकि अन्य क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या तीव्र हो रही है, जिसका जल संसाधनों और जलवायु स्थिरता पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है।

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वायुमंडलीय नदियाँ क्या हैं?

परिचय:

  • वायुमंडलीय नदियाँ (ARs) वायुमंडल में नमी की लंबी, संकीर्ण पट्टियाँ हैं जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से मध्य अक्षांश क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों (विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बाहर) में बड़ी मात्रा में जलवाष्प का परिवहन करती हैं।
  • उदाहरण के लिये "पाइनएप्पल एक्सप्रेस" एक वायुमंडलीय नदी है जो हवाई के निकट उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र से गर्म, आर्द्र वायु को उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट, विशेष रूप से कैलिफोर्निया तक पहुँचाती है।

AR के निर्माण के लिये आवश्यक शर्तें:

  • प्रबल निम्न-स्तरीय पवनें: ये पवनें जलवाष्प के परिवहन के लिये मार्ग के रूप में कार्य करती हैं तथा उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध में जेट धाराएँ उच्च गति वाले चैनलों के रूप में कार्य करती हैं, जो कभी-कभी 442 किमी/घंटा (275 मील प्रति घंटे) तक पहुँच जाती हैं।
  • उच्च नमी स्तर: वर्षा प्रक्रिया शुरू होने के लिये पर्याप्त नमी महत्त्वपूर्ण है।
  • ऑरोग्राफिक लिफ्ट: जब नम वायु पहाड़ों जैसे ऊँचे इलाकों में प्रवाहित होती है तो ये ऊपर उठते ही ठंडी हो जाती है। इस शीतलन प्रक्रिया से नमी बढ़ती है, जिससे बादल बनते हैं और उपयुक्त परिस्थितियों में वर्षा होती है।

श्रेणियाँ:

  • श्रेणी 1 (कमज़ोर): श्रेणी 1 वायुमंडलीय नदी एक हल्की और संक्षिप्त मौसमी घटना होगी जिसका मुख्य रूप से लाभकारी प्रभाव होगा, जैसे 24 घंटे की मामूली वर्षा
  • श्रेणी 2 (मध्यम): श्रेणी 2 वायुमंडलीय नदी एक मध्यम तूफान है जिसका अधिकतर लाभकारी प्रभाव होता है, लेकिन कुछ हद तक हानिकारक भी होता है।
  • श्रेणी 3 (मज़बूत): श्रेणी 3 की वायुमंडलीय नदी लाभकारी एवं खतरनाक प्रभावों के संतुलन के साथ अधिक शक्तिशाली और दीर्घकालिक होती है। उदाहरण के लिये इस श्रेणी का तूफान 36 घंटों में 5-10 इंच वर्षण करने में सक्षम है, जो जलाशयों का पुनर्भरण करने के लिये पर्याप्त है, लेकिन यह कुछ नदियों को बाढ़ की स्थितियों के निकट भी पहुँचा सकता है।
  • श्रेणी 4 (चरम): श्रेणी 4 वायुमंडलीय नदी अधिकतर खतरनाक होती है हालाँकि इसके कुछ लाभकारी पहलू भी होते हैं। इस श्रेणी का तूफान कई दिनों तक भारी वर्षा करने में सक्षम है जिससे कई नदियाँ बाढ़ की स्थिति में आ सकती हैं।
  • श्रेणी 5 (असाधारण): श्रेणी 5 वायुमंडलीय नदी मुख्य रूप से खतरनाक है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • लंबाई: प्रायः "आकाश में बहने वाली नदियों" के रूप में संदर्भित वायुमंडलीय नदियाँ हजारों किलोमीटर की हो सकती हैं तथा स्थलीय नदियों के समान इनका आकार एवं क्षमता भी भिन्न हो सकती है।
  • मौसमी घटना: उत्तरी गोलार्द्ध में ये आमतौर पर दिसंबर और फरवरी के बीच मिलती हैं जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में ये जून से अगस्त तक मिलना सामान्य हैं।
    • अगस्त 2022 में न्यूज़ीलैंड में एक वायुमंडलीय नदी से रिकॉर्ड वर्षा, बाढ़ और विस्थापन देखने को मिला।  
    • दिसंबर 2022 और मार्च 2023 के बीच कैलिफोर्निया में 12 वायुमंडलीय नदियों के परिणामस्वरूप तीव्र वर्षा, बाढ़ और वायु से क्षति देखने को मिली।
  • जलवाष्प क्षमता: एक औसत वायुमंडलीय नदी में मिसिसिपी नदी के मुहाने पर प्रवाहित जल के बराबर जलवाष्प हो सकती है तथा असाधारण रूप से बड़ी नदियाँ इसकी मात्रा से 15 गुना अधिक जल वाष्प ले जाने में सक्षम होती हैं।
  • परिवर्तनशीलता: कोई भी दो वायुमंडलीय नदियाँ एक जैसी नहीं होती हैं; उनकी विशेषताएँ वायुमंडलीय अस्थिरता और जेट स्ट्रीम पैटर्न जैसे कारकों के आधार पर भिन्न होती हैं।
  • प्रभाव: वायुमंडलीय नदियाँ लाभदायक वर्षा और विनाशकारी बाढ़ दोनों उत्पन्न कर सकती हैं, जिससे मौसम के पैटर्न को प्रभावित करने में इनकी दोहरी भूमिका उजागर होती है।

भूमि पर पहुँचती नदी का वायुमंडलीय दृश्य:

  • जब वायुमंडलीय नदी भूमि पर पहुँचती है तो नमी युक्त वायु ऊपर उठती है और पर्वत श्रृंखलाओं पर ठंडी हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप भारी वर्षा होती है। सर्दियों के तूफानों के विपरीत वायुमंडलीय नदियाँ गर्म होती हैं, जिससे तेज़ी से बर्फ पिघलती है, अपवाह होता है और बाढ़ आती है, जिससे संबंधित क्षेत्रों की जल आपूर्ति प्रभावित होती है।

जलवायु परिवर्तन की भूमिका:

  • जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी पर औसत तापमान बढ़ रहा है, जिससे वायुमंडल में अधिक जलवाष्प जाने से वायुमंडलीय नदियों को नुकसान पहुँचने की संभावना बढ़ रही है।
  • अध्ययनों से पता चलता है कि मानवजनित कारकों के कारण दक्षिणी गोलार्द्ध में वायुमंडलीय नदियाँ प्रति दशक 0.72° तक ध्रुवों की ओर स्थानांतरित हो रही हैं।
    • ये बदलाव समुद्र के तापमान, वायुमंडलीय CO2 के स्तर और ओज़ोन परत को प्रभावित करते हैं। 
    • जैसे-जैसे ग्रह गर्म होता जाएगा, वायुमंडलीय नदियों की तीव्रता और आवृत्ति में वृद्धि होने की संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ क्षेत्रों में 40% तक अधिक वर्षा होगी।

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नोट:

  • वायुमंडलीय नदी पृथ्वी की सतह पर एक भौतिक नदी नहीं है बल्कि वायुमंडल में एक अदृश्य, लंबे चैनल के रूप में है जिससे बड़ी मात्रा में जलवाष्प का परिवहन होने के साथ मौसम की स्थिति और वर्षा प्रभावित होती है।

वायुमंडलीय नदियों की क्या भूमिका है?

  • सकारात्मक भूमिका:
    • मीठे जल का पुनर्वितरण: AR कई क्षेत्रों में औसत वार्षिक अपवाह के 50% से अधिक के लिये ज़िम्मेदार हैं। उदाहरण के लिये कैलिफोर्निया की वार्षिक वर्षा का 50% AR पर निर्भर है, जिससे ये जल आपूर्ति और कृषि के लिये महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं।
    • वैश्विक जल चक्र: AR वैश्विक जल चक्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जिससे जल आपूर्ति और बाढ़ के जोखिम दोनों पर प्रभाव (खासकर पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में) पड़ता है। ये मौसम के पैटर्न को प्रमुख रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
    • बर्फ का जमाव: सर्दियों के दौरान वायुमंडलीय नदियों से बर्फ का जमाव होता है, जो बाद में पिघलकर गर्म महीनों में जल स्तर को बनाए रखती है। बर्फ के ढेर सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करते हैं, जिससे पृथ्वी की सतह को ठंडा रखने में मदद मिलती है।
  • नकारात्मक भूमिका:
    • बाढ़: अत्यधिक वर्षा से मृदा संतृप्ति हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ आ सकती (विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ पर्याप्त वनस्पति नहीं होती) है।
    • भूस्खलन और मृदा अवतलन: खड़ी ढलान, वन रहित क्षेत्र और भारी मात्रा में वर्षा से भूस्खलन और मृदा अवतलन का खतरा बढ़ जाता है।
    • सूखा: वायुमंडलीय नदियों की कमी से लंबे समय तक सूखा पड़ सकता है, जिससे जल की कमी एवं खाद्य असुरक्षा के साथ मानवीय संघर्षों में वृद्धि हो सकती है।

भारत में वायुमंडलीय नदियाँ: 

  • एक अध्ययन से पता चला है कि वायुमंडलीय नदियाँ (AR) वर्ष 1985 और 2020 के बीच भारत में 70% बाढ़ का कारण (विशेष रूप से ग्रीष्मकालीन मानसून के दौरान) बनी हैं। 
  • वर्ष 2013 की उत्तराखंड बाढ़ और वर्ष 2018 की केरल बाढ़ जैसी प्रमुख घटनाएँ AR से संबंधित थीं। 
  • शोधकर्त्ताओं ने वर्ष 1951 से 2020 तक 596 प्रमुख AR घटनाएँ दर्ज़ कीं, जिनमें से 95% से अधिक मानसून के दौरान घटित हुईं। 
  • वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण तीव्र मौसमी परिवर्तनों की आवृत्ति और गंभीरता में वृद्धि हुई है, जिसके कारण अत्यधिक वर्षा और बाढ़ की समस्या हो रही है। 
  • अध्ययन में भारत में बाढ़ के लिये बेहतर निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणालियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है, क्योंकि गर्म महासागरीय तापमान के कारण बाढ़ की तीव्रता और अधिक बढ़ जाती है।

वायुमंडलीय नदियों का स्थानांतरण ध्रुवों की ओर क्यों हो रहा है?

  • समुद्र के सतह के तापमान में परिवर्तन: वर्ष 2000 से पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र के सतह के तापमान में कमी आने के कारण वायुमंडलीय नदियाँ ध्रुवों की ओर स्थानांतरित हो रही हैं, जो ला नीना स्थितियों से संबंधित है।
    • परिणामस्वरूप, उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में लंबे समय तक जल की कमी हो सकती है, जबकि उच्च अक्षांशों में अत्यधिक वर्षा और बाढ़ देखने को मिल सकती है।
  • वॉकर परिसंचरण: ला नीना के दौरान पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में वॉकर परिसंचरण मज़बूत होता है जिससे उष्णकटिबंधीय वर्षा बेल्ट का विस्तार होता है। यह परिवर्तन, वायुमंडलीय भंवर पैटर्न में परिवर्तन के साथ मिलकर, उच्च दाब विसंगतियाँ पैदा करता है जिससे AR का ध्रुवों की ओर स्थानांतरण होता है।
    • वॉकर परिसंचरण भूमध्य रेखा के चारों ओर वायु संचलन का एक चक्रीय पैटर्न है जो जलवायु और मौसम में प्रमुख भूमिका निभाता है।
  • दीर्घकालिक जलवायु रुझान: IPCC की रिपोर्ट के अनुसार, औद्योगिक काल से पहले की तुलना में वैश्विक तापमान में लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। गर्म परिस्थितियों से जेट स्ट्रीम पैटर्न में बदलाव के साथ ये ध्रुव की ओर स्थानांतरित हुई हैं। यह स्थानांतरण AR को उच्च अक्षांशों की ओर प्रेरित करता है, जिससे मौसम का पैटर्न प्रभावित होता है और उन क्षेत्रों में चरम घटनाओं की आवृत्ति बढ़ जाती है।

वायुमंडलीय नदियों के ध्रुव की ओर स्थानांतरण के क्या निहितार्थ हैं?

  • जल संसाधन प्रबंधन: कैलिफोर्निया और दक्षिणी ब्राज़ील जैसे उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र (जो वर्षा के लिये काफी हद तक AR पर निर्भर हैं) AR के कम होने के कारण लंबे समय तक जल की कमी का सामना कर सकते हैं। इससे कृषि और स्थानीय समुदायों के लिये मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
  • बाढ़ और भूस्खलन में वृद्धि: अमेरिका के प्रशांत उत्तर-पश्चिम, यूरोप और यहाँ तक ​​कि ध्रुवीय क्षेत्रों जैसे उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन देखने को मिल सकता है, क्योंकि आर्कटिक की ध्रुव की ओर गति के कारण बुनियादी ढाँचे और सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
  • आर्कटिक जलवायु प्रभाव: आर्कटिक में AR से समुद्री बर्फ पिघलने में तेज़ी आ सकती है।
    • शोध में पाया गया कि वर्ष 1979 से आर्कटिक क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन नमी में 36% की वृद्धि के लिये वायुमंडलीय नदियों का योगदान है।
  • पूर्वानुमान संबंधी चुनौतियाँ: प्राकृतिक प्रक्रियाओं की परिवर्तनशीलता (जैसे कि अल नीनो और ला नीना के बीच उतार-चढ़ाव) से भविष्य में नदी के वायुमंडलीय व्यवहार के बारे में पूर्वानुमान लगाना जटिल हो जाता है। 
    • वर्तमान जलवायु मॉडल इन प्राकृतिक परिवर्तनशीलताओं को कम आंक सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मौसम के पैटर्न और जल उपलब्धता के पूर्वानुमान की गलत गणनाएँ हो सकती हैं।

निष्कर्ष

जलवायु परिवर्तन के कारण वायुमंडलीय नदियों के ध्रुवों की ओर स्थानांतरण से वैश्विक मौसम पैटर्न में व्यवधान हो रहा है। इससे उच्च अक्षांशों में वर्षा और बाढ़ में वृद्धि हो सकती है जबकि निचले अक्षांशों में गंभीर सूखे की स्थिति हो सकती है। इन प्रभावों को कम करने के लिये, मौसम पूर्वानुमान में सुधार करना, जल अवसंरचना में निवेश करना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना महत्त्वपूर्ण है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: वायुमंडलीय नदियाँ क्या हैं? जलवायु परिवर्तन उनके व्यवहार और प्रभाव को किस प्रकार प्रभावित करता है?

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)    

मेन्स: 

प्रश्न.  आर्कटिक की बर्फ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना किस तरह से अलग-अलग ढंग से पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप और मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव डालते हैं? स्पष्ट कीजिये। (2021)

प्रश्न 2. भारत आर्कटिक क्षेत्र के संसाधनों में गहरी रूचि क्यों ले रहा है? (2018)

प्रश्न 3. क्रायोस्फीयर वैश्विक जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करता है? (2017)


शासन व्यवस्था

भारत में फ्रीबीज़ कल्चर

प्रिलिम्स:

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), मिड-डे मिल स्कीम, नीति आयोग, भारत निर्वाचन आयोग

मेन्स:

चुनावों में फ्रीबीज़- उनके फायदे, नुकसान और आगे की राह 

स्रोत: लाइवमिंट

चर्चा में क्यों?

चुनावी अभियानों में फ्रीबीज़ (मुफ्त वस्तु) भारतीय राजनीति में विभाजनकारी मुद्दा बनी हुई है। भारत के कई शहरों में हाल ही में किये गए एक सर्वेक्षण से स्पष्ट होता है कि शहरी भारतीयों में मुफ्त वस्तुओं के प्रति मिश्रित दृष्टिकोण है, खासकर राजकोषीय ज़िम्मेदारी पर बढ़ती बहस के संदर्भ में।

  • वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री द्वारा "रेवड़ी संस्कृति" की आलोचना से चुनाव-प्रेरित मुफ्त वस्तुओं की स्थिरता और नैतिक निहितार्थ पर चर्चा तीव्र हो गई है।
  • मुफ्त वस्तु अल्पकालिक वितरण होते हैं जिनका उद्देश्य मतदाताओं को आकर्षित करना होता है, तथा इनमें अक्सर स्थायी प्रभाव का अभाव होता है, जबकि कल्याणकारी नीतियों में स्थायी आर्थिक और सामाजिक खुशहाली को बढ़ावा दिया जाता है।

नोट: 

  • सर्वेक्षण में आधे से अधिक (56%) उत्तरदाताओं ने मुफ्त वस्तुओं को अनावश्यक बताया, 78% ने इन्हें मत प्राप्त करने की रणनीति बताया तथा 61% ने राष्ट्रीय वित्त पर इनके प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की।
  • धनी उत्तरदाताओं (84%) ने मुफ्त वस्तुओं को आर्थिक रूप से हानिकारक माना, जबकि निम्न आय वाले उत्तरदाताओं में से केवल 46% ने इस दृष्टिकोण को साझा किया। निम्न आय वर्ग के लोग आवश्यक वस्तुओं, विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा पर सब्सिडी को उचित मानते हैं, जो धनी उत्तरदाताओं के विचारों से अलग है।

मुफ्त वस्तु और कल्याणकारी नीतियों के बीच क्या अंतर है?

मुफ्त वस्तु 

कल्याणकारी नीतियाँ 

  • RBI ने अपनी 2022 की रिपोर्ट में "मुफ्त वस्तु" को "निःशुल्क प्रदान किये गए सार्वजनिक कल्याणकारी उपायों" के रूप में परिभाषित किया है। 
  • मुफ्त वस्तु अक्सर अल्पकालिक राहत पर केंद्रित होते हैं।
  • इसमें आमतौर पर मुफ्त लैपटॉप, टी.वी., साइकिल, विद्युत और जल जैसी वस्तुएँ शामिल होती हैं, जिन्हें अक्सर चुनावी प्रोत्साहन के रूप में उपयोग किया जाता है। 
  • सतत् विकास को बढ़ावा देने की जगह निर्भरता को बढ़ावा देने के लिये अक्सर इसकी आलोचना की जाती है।
  • कल्याणकारी योजनाएँ व्यापक पहल हैं जिनका उद्देश्य लक्षित जनसंख्या के जीवन स्तर और संसाधनों तक पहुँच को बढ़ाकर उनका उत्थान करना है।
  • DPSP में निहित, सामाजिक न्याय और समानता के लक्ष्यों के साथ संरेखित और सकारात्मक सामाजिक प्रभाव और दीर्घकालिक मानव विकास का लक्ष्य। 
  • उदाहरण: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), MGNREGA और मिड-डे मिल (MDM) स्कीम।

फ्रीबीज़ से जुड़े सकारात्मक पहलू क्या हैं?

  • निम्न वर्ग का उत्थान: अपेक्षाकृत निम्न विकास स्तर और उच्च गरीबी दर वाले राज्यों में, इस प्रकार की फ्रीबीज़ समाज के निम्न वर्ग को सहायता प्रदान करने और उनके उत्थान में विशेष रूप से मूल्यवान हो जाती हैं।
  • कल्याणकारी योजनाओं का आधार: मुफ्त सुविधाओं में न केवल चुनाव-पूर्व वादे शामिल हैं, बल्कि कई सेवाएँ भी शामिल हैं जो सरकार नागरिकों के प्रति अपने संवैधानिक दायित्वों (राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों) को पूरा करने के लिये प्रदान करती है।
  • उद्योगों को बढ़ावा: तमिलनाडु और बिहार जैसे राज्य महिलाओं को सिलाई मशीन, साड़ियाँ और साइकिलें उपलब्ध कराते हैं, जिससे इन उद्योगों की बिक्री को बढ़ावा मिलता है, जिसे संबंधित उत्पादन के कारण अपव्यय के बजाय उत्पादक निवेश माना जा सकता है।
  • उन्नत सामाजिक कल्याण: फ्रीबीज़ से वंचित और कम आय वाले लोगों को भोजन, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी आवश्यक सेवाएँ और वस्तुएँ प्रदान करके सहायता मिलती है। 
    • महिलाओं के लिये बस पास जैसी फ्रीबीज़ सुविधाएँ महिलाओं को कार्यबल में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित कर सकती हैं, जिससे आर्थिक रूप से स्थिर परिवार बन सकते हैं और महिला सशक्तीकरण में वृद्धि हो सकती है।
  • शिक्षा और कौशल विकास तक पहुँच में वृद्धि: साइकिल और लैपटॉप जैसी वस्तुओं का वितरण करके,सरकारें विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक पहुँच में सुधार करती हैं। 
    • उदाहरण के लिये, छात्रों के बीच लैपटॉप वितरित करने जैसी मुफ्त सुविधाएँ (जैसा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने किया है) उनकी उत्पादकता, ज्ञान और कौशल को बढ़ा सकती हैं।
    • नीति आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार और पश्चिम बंगाल में स्कूली छात्राओं को साइकिल वितरित करने से स्कूल छोड़ने की दर में उल्लेखनीय कमी आई है, उपस्थिति बढ़ी है और सीखने के परिणामों में सुधार हुआ है।
  • राजनीतिक सहभागिता और सार्वजनिक विश्वास को मज़बूत करना: फ्रीबीज़ सरकार की जवाबदेही और नागरिकों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता प्रदर्शित करके राजनीतिक जागरूकता और सार्वजनिक विश्वास को बढ़ावा दे सकते हैं। 
    • सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के एक अध्ययन के अनुसार, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में फ्रीबीज़ से शासन के प्रति जनता की संतुष्टि में वृद्धि के साथ राजनीतिक भागीदारी और मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई। 

फ्रीबीज़ से जुड़े नकारात्मक पहलू क्या हैं?

  • सार्वजनिक वित्त पर बोझ: फ्रीबीज़ के वितरण से सार्वजनिक वित्त पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिसकी लागत विभिन्न राज्यों में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.1% से 2.7% तक होती है। आंध्र प्रदेश और पंजाब जैसे कुछ राज्य अपने राजस्व का 10% से अधिक सब्सिडी के लिये आवंटित करते हैं।
  • स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के विरुद्ध: चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से अतार्किक फ्रीबीज़ का वादा मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित करता है, समान अवसर उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को बाधित करता है तथा चुनाव प्रक्रिया की शुचिता को दूषित करता है।
    • यह एक अनैतिक प्रथा है जो मतदाताओं को रिश्वत देने के समान है।
  • संसाधन आवंटन में विकृति: फ्रीबीज़ उत्पादक क्षेत्रों की उपेक्षा कर संसाधनों का गलत आवंटन कर सकती हैं, जिससे आर्थिक विकास और आवश्यक बुनियादी ढाँचे  के विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है। नीति आयोग ने उत्तर प्रदेश में लैपटॉप जैसी सब्सिडी की आलोचना करते हुए कहा कि इससे शिक्षा की तत्काल जरूरतों पर असर पड़ता है।
  • निर्भरता की संस्कृति: मुफ्त चीजें निर्भरता की संस्कृति को बढ़ावा दे सकती हैं, तथा आत्मनिर्भरता और उद्यमशीलता को हतोत्साहित कर सकती हैं, जो टिकाऊ आर्थिक विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • जवाबदेही में कमी: वे शासन में जवाबदेही को कम कर सकते हैं, क्योंकि राजनीतिक दल प्रणालीगत मुद्दों और सार्वजनिक सेवा वितरण में विफलताओं से ध्यान हटाने के लिये मुफ्त सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: मुफ़्त बिजली देने से प्राकृतिक संसाधनों, जैसे पानी और बिजली का अत्यधिक उपयोग हो सकता है, जिससे संरक्षण के लिये प्रोत्साहन कम हो सकता है और प्रदूषण बढ़ सकता है। उदाहरण के लिये, पंजाब में किसानों को मुफ़्त बिजली देने से संसाधनों का अत्यधिक उपयोग हुआ है और बिजली उपयोगिता से सेवा की गुणवत्ता में कमी आई है।

फ्रीबीज़ पर नैतिक दृष्टिकोण क्या है?

  • सरकार:
    • नैतिक उत्तरदायित्व: समाज के वंचित वर्गों का उत्थान करना सरकार का नैतिक दायित्व है। कल्याणकारी उपाय प्रदान करना इस कर्तव्य को पूरा करने के रूप में देखा जा सकता है, विशेषकर गरीबी और असमानता को दूर करने में। 
      • हालाँकि, वास्तविक कल्याण और वोट हासिल करने के उद्देश्य से की जाने वाली लोकलुभावनवादिता के बीच एक महीन रेखा है।
    • जवाबदेहिता और पारदर्शिता: सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि ऐसी योजनाएँ पारदर्शी, लक्षित और टिकाऊ हों तथा राजनीतिक लाभ के लिये सार्वजनिक धन का दुरुपयोग न हो।
    • प्रोत्साहनों का विरूपण: फ्रीबीज़ बाजार की गतिशीलता को विकृत कर सकते हैं, जिससे काम और उत्पादकता के प्रति हतोत्साहन उत्पन्न हो सकता है। 
      • नैतिक शासन को निर्भरता के स्थान पर आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना चाहिये तथा नागरिकों को उत्पादक आर्थिक गतिविधियों में संलग्न होने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।
  • नागरिकों का दृष्टिकोण:
    • नागरिकों का उत्तरदायित्व: हालाँकि नागरिक फ्रीबीज़ से लाभान्वित हो सकते हैं, लेकिन उनसे उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार करने की भी अपेक्षा की जाती है, जैसे वित्त का बुद्धिमानीपूर्वक प्रबंधन करना और अपनी परिस्थितियों को सुधारने के लिये उत्पादक साधनों का प्रयास करना।
      • सरकारी सहायता पर निर्भरता व्यक्तिगत और सामुदायिक विकास में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
    • समानता और न्याय: फ्रीबीज़ के आवंटन का विश्लेषण समानता के परिप्रेक्ष्य से किया जाना चाहिये। 
      • नैतिक विचारों में यह मूल्यांकन करना शामिल है कि क्या ये उपाय अन्य की तुलना में विशिष्ट समूहों को लाभ पहुँचाते हैं और क्या वे गरीबी के अंतर्निहित कारणों से प्रभावी रूप से निपटते हैं।
    • सार्वजनिक धारणा और सामाजिक मूल्य: फ्रीबीज़ कल्चर सामाजिक मूल्यों को प्रभावित कर सकती है, तथा उत्तरदायित्व के बजाय अधिकार संबंधी मानसिकता को बढ़ावा दे सकती है।
      • इससे नागरिक सहभागिता और सामुदायिक कल्याण पर दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।

आगे की राह

  • लोकतांत्रिक संस्थाओं को सुदृढ़ बनाना: भारत का निर्वाचन आयोग (ECI) की स्वायत्तता को न केवल कागजों पर बल्कि सार रूप में भी सुद्रंढ करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये, जिससे चुनावों के दौरान मुफ्त वितरण की प्रभावी निगरानी और विनियमन सुनिश्चित हो सके। 
  • मतदाता जागरूकता बढ़ाना: मतदाता शिक्षा और जागरूकता पहल को बढ़ावा देने से मतदाताओं को अल्पकालिक प्रोत्साहनों से प्रभावित होने के स्थान पर राजनीतिक दलों के दीर्घकालिक विकास एजेंडे के आधार पर सूचित निर्णय लेने के लिये सशक्त बनाया जा सकता है।
  • नीतिगत केंद्रण में बदलाव: राजनीतिक दलों को लोकलुभावन वादों की तुलना में टिकाऊ, दीर्घकालिक नीति नियोजन और विकास को प्राथमिकता देने के लिये प्रोत्साहित करने से सार्वजनिक परिचर्चा तत्काल लेकिन अस्थायी लाभों के बजाय सार्थक विकास उद्देश्यों की ओर स्थानांतरित हो सकती है।
  • पारदर्शी शासन सुनिश्चित करना: कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेहिता पर बल देने से भ्रष्टाचार कम हो सकता है और यह सुनिश्चित हो सकता है कि लक्षित लाभार्थियों को सहायता मिले, जिससे सरकारी कार्यक्रमों में जनता का विश्वास बढ़ेगा।
  • सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों को सुदृढ़ करना: फ्रीबीज़ पर अत्यधिक निर्भरता के बजाय, सरकार को सामाजिक सुरक्षा तंत्रों को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, जैसे कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल, सुदृढ़ शिक्षा प्रणाली, रोज़गार सृजन और व्यापक गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, ताकि सामाजिक-आर्थिक असमानता के मूल कारणों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जा सके।

निष्कर्ष

शहरी भारतीयों में फ्रीबीज़ के प्रति जटिल दृष्टिकोण चुनावी वादों और राजकोषीय उत्तरदायित्व के बीच तनाव को रेखांकित करता है। जबकि मतदाता कल्याण प्रावधानों में संतुलन की मांग करते हैं, राजनीतिक दलों को अपने अभियानों को स्थायी आर्थिक उद्देश्यों के साथ संरेखित करने की चुनौती का सामना करना पड़ता है। जैसे-जैसे भारत का लोकतांत्रिक ताना-बाना विकसित होता है, फ्रीबीज़ पर चल रही बहस आने वाले राज्य और राष्ट्रीय चुनावों में कल्याण और राजकोषीय नीतियों को आकार दे सकती है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

Q. चुनावी लाभ प्राप्त करने के लिये राजनीतिक दलों द्वारा फ्रीबीज़ का उपयोग करने के नैतिक और प्रशासनिक निहितार्थ क्या हैं?

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स

Q. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :(2017)

  1. भारत का निर्वाचन आयोग पाँच-सदस्यीय निकाय है।
  2. संघ का गृह मंत्रालय, आम चुनाव और उप-चुनावों दोनों के लिए चुनाव कार्यक्रम तय करता है।
  3. निर्वाचन आयोग मान्यता-प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवाद निपटाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (d)


मेन्स

Q. आदर्श आचार संहिता के विकास के आलोक में भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (2022)


शासन व्यवस्था

साइबर धोखाधड़ी से GDP का 0.7% नुकसान

प्रिलिम्स के लिये: भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C), साइबर धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, फिशिंग, मैलवेयर, साइबर बुलिंग, साइबर जासूसी, पेगासस, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In), साइबर सुरक्षित भारत पहल, साइबर स्वच्छता केंद्र, राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC), डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023

मेन्स के लिये: साइबर धोखाधड़ी की आर्थिक लागत, खतरे और आगे की राह।

स्रोत: TH

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के तहत संचालित भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने साइबर धोखाधड़ी से संबंधित महत्त्वपूर्ण अनुमान लगाए हैं।

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) क्या है?

परिचय:

  • साइबर धोखाधड़ी सहित सभी प्रकार के साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के लिये गृह मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में I4C लॉन्च किया गया था।

I4C के उद्देश्य:

  • देश में साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिये एक नोडल बिंदु के रूप में कार्य करना।
  • महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध के विरुद्ध लड़ाई को मज़बूत करना।
  • साइबर अपराध से संबंधित शिकायतों को आसानी से दर्ज करने तथा साइबर अपराध की प्रवृत्तियों और पैटर्न की पहचान करने में सुविधा प्रदान करना।  
  • सक्रिय साइबर अपराध की रोकथाम और पता लगाने हेतु कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिये  एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करना।
  • साइबर अपराध को रोकने के विषय में जनता के बीच जागरूकता पैदा करना।
  • साइबर फोरेंसिक, जाँच, साइबर स्वच्छता, साइबर अपराध विज्ञान आदि के क्षेत्र में पुलिस अधिकारियों, सरकारी अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सहायता करना।

राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल:

  • I4C के तहत, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल एक नागरिक-केंद्रित पहल है जो नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी की ऑनलाइन रिपोर्ट करने में सक्षम बनाएगी और सभी शिकायतों तक संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिये पहुँच बनाई जाएगी।

I4C प्रक्षेपण की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • वित्तीय प्रभाव: वर्ष 2025 में साइबर धोखाधड़ी के कारण भारतीयों को 1.2 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान होने की आशंका है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 0.7% होगा।
    • जनवरी से जून 2024 तक वित्तीय धोखाधड़ी में 11,269 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
  • साइबर धोखाधड़ी में योगदानकर्त्ता: I4C द्वारा प्रतिदिन लगभग 4,000 म्यूल बैंक अकाउंट की पहचान की जाती है।
    • I4C ने पूरे देश में 18 एटीएम हॉटस्पॉट की पहचान की है, जहाँ से धोखाधड़ी से पैसे निकाले गए।
    • म्यूल अकाउंट एक बैंक खाते को संदर्भित करता है जिसका उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी लेनदेन जैसी अवैध गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिये किया जाता है।   
  • घोटाले की उत्पत्ति: सरकार ने साइबर धोखेबाजों के कंबोडिया, म्याँमार और लाओस जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में "स्कैम कम्पाउंड्स" की पहचान की है।  
    • अधिकांश घोटाले चीन या चीन से जुड़ी संस्थाओं से होते हैं।
  • कार्यप्रणाली: अंतर्राष्ट्रीय स्कैम कम्पाउंड्स कॉल सेंटरों से मिलते जुलते हैं और निवेश घोटालों के केंद्र के रूप में उभरे हैं।
    • धोखेबाज भारतीय मोबाइल फोन नंबरों से अनजान लोगों को कॉल करते हैं तथा लॉटरी और पुरस्कार घोटाले आदि जैसे विभिन्न तरीकों से लोगों से पैसे ठगते हैं।
  • अवैध गतिविधियाँ: साइबर घोटालों का उपयोग आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के लिये किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिये, मार्च से मई 2024 के दौरान भारतीय खातों का उपयोग करके 5.5 करोड़ रुपए मूल्य की क्रिप्टो करेंसी खरीदी गई और भारत के बाहर धनशोधन किया गया।
    • दुबई, हॉन्गकॉन्ग, बैंकॉक और रूस के विदेशी एटीएम से म्यूल अकाउंट डेबिट कार्ड का उपयोग कर नकदी निकासी की सूचना मिली है।

साइबर धोखाधड़ी क्या है?

  • साइबर धोखाधड़ी एक प्रकार का साइबर अपराध है जिसका उद्देश्य किसी संस्था से धन (या अन्य मूल्यवान संपत्ति) चुराना होता है।  
  • इसमें धोखाधड़ी करने के लिये ऑनलाइन समाधान (इंटरनेट आधारित) का उपयोग करना शामिल है।

साइबर धोखाधड़ी के प्रकार: 

साइबर खतरा

विवरण

फिशिंग

  • फिशिंग में ऐसे ईमेल शामिल होते हैं जो विश्वसनीय स्रोतों से आते प्रतीत होते हैं, जो उपयोगकर्त्ताओं को ऐसे लिंक पर क्लिक करने के लिये प्रेरित करते हैं जो उन्हें नकली वेबसाइटों पर ले जाते हैं और हमलावर संवेदनशील विवरण जैसे क्रेडिट कार्ड नंबर प्राप्त कर लेते हैं।

मैलवेयर

  • मैलवेयर का उपयोग व्यक्तिगत जानकारी चुराने के लिये किया जाता है, जिससे साइबर अपराधी पीड़ित के कंप्यूटर पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते हैं।

रैंसमवेयर

  • रैनसमवेयर पीड़ित की फाइलों को एन्क्रिप्ट करता है और डिक्रिप्शन के लिये  भुगतान की मांग करता है। उदाहरण के लिये, वर्ष 2016 में वानाक्राई हमला 

साइबर बुलिंग

  • साइबर बुलिंग में किसी व्यक्ति की सुरक्षा को खतरा पहुँचाना या उसे कुछ भी कहने या करने के लिये मज़बूर करना शामिल है।

साइबर जासूसी

  • साइबर जासूसी वर्गीकृत डेटा, निजी जानकारी या बौद्धिक संपदा तक पहुँच प्राप्त करने के लिये किसी सार्वजनिक या निजी संस्था के नेटवर्क को निशाना बनाती है।

बिज़नेस ईमेल समझौता (BEC)

  • घोटालेबाज, आपूर्तिकर्त्ताओं, कर्मचारियों या कर कार्यालय के सदस्यों का रूप धारण करने के लिये वैध ईमेल खातों को हैक कर लेते हैं, जिसे व्हाइट-कॉलर अपराध माना जाता है।

डेटिंग हुडविंक्स

  • हैकर्स डेटिंग वेबसाइटों, चैट रूमों और ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स का उपयोग संभावित साझेदारों के रूप में पेश आने तथा व्यक्तिगत डेटा तक पहुँच प्राप्त करने के लिये करते हैं।
  • साइबर धोखाधड़ी के परिणाम: 
    • व्यक्तियों के लिये: साइबर अपराधों के कारण क्रेडिट कार्ड पर अनधिकृत खरीदारी हो सकती है और वित्तीय खातों तक पहुँच समाप्त हो सकती है। व्यक्तिगत डेटा का उपयोग पीड़ितों को परेशान करने और ब्लैकमेल करने के लिये किया जा सकता है, जिससे व्यक्तिगत संकट और बढ़ सकता है।
    • व्यवसायों के लिये: जो कंपनियाँ क्लाइंट डेटा की सुरक्षा करने में विफल रहती हैं, उन्हें भारी जुर्माना और कानूनी दंड का सामना करना पड़ सकता है। साइबर हमले किसी फर्म के समग्र मूल्य को कम कर सकते हैं, जिसका असर स्टॉक की कीमतों पर पड़ता है।
    • सरकार के लिये: साइबर उल्लंघनों का उद्देश्य अक्सर राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा संबंधी जानकारी को भ्रष्ट या मुद्रीकृत करना होता है, जिससे देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।

cybersecurity

भारत में साइबर धोखाधड़ी का परिदृश्य क्या है?

  • अवलोकन: भारत में लगभग 658 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्त्ता हैं, जो इसे विश्व की दूसरी सबसे बड़ी इंटरनेट आबादी बनाता है।  
    • साइबर सुरक्षा फर्म Zscaler की "द थ्रेटलैब्ज़ 2024 फिशिंग रिपोर्ट" के अनुसार, अमेरिका और ब्रिटेन के बाद फिशिंग हमलों के लिये भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा देश है।
  • साइबर सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) द्वारा प्रकाशित वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (GCI) 2024 में टियर 1 का दर्जा हासिल किया है।  
    • 100 में से 98.49 के उल्लेखनीय स्कोर के साथ, भारत पूरे विश्व में साइबर सुरक्षा प्रथाओं के प्रति मज़बूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने वाले 'रोल-मॉडलिंग' देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है।
  • उल्लेखनीय साइबर धोखाधड़ी की घटनाएँ: 
    • आधार डेटा ब्रीच (2018): 1.1 बिलियन आधार कार्डधारकों के व्यक्तिगत डेटा से समझौता किया गया, जिसमें आधार नंबर, स्थायी खाता संख्या (PAN) और बैंक विवरण जैसी जानकारी शामिल थी।
    • केनरा बैंक एटीएम अटैक (2018): हैकर्स ने 300 डेबिट कार्ड पर स्कीमिंग डिवाइस का इस्तेमाल किया और 20 लाख रुपए से अधिक की चोरी की।
    • पेगासस स्पाइवेयर: इज़रायल द्वारा निर्मित इस स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल उपयोगकर्त्ता की सहमति के बिना डिवाइस से डेटा एकत्र करने के लिये किया गया था, जिससे 300 से अधिक सत्यापित भारतीय फोन नंबर प्रभावित हुए।

साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिये क्या किया जा सकता है?

  • साइबर सुरक्षा की सर्वोत्तम पद्धतियों को अपनाना: फायरवॉल का उपयोग करना जो कंप्यूटरों के लिये रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में कार्य करते हैं, अनधिकृत पहुँच को रोकने के लिये नेटवर्क ट्रैफिक की निगरानी और फिल्टरिंग करते हैं।
    • सुरक्षा कमज़ोरियों को दूर करने के लिये सभी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर प्रणालियों को अद्यतन रखना।
  • व्यक्तियों के लिये: अवांछित ईमेल, टेक्स्ट और फोन कॉल से सावधान रहना, विशेषकर उनसे जो उपयोगकर्त्ताओं को सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने के लिये मज़बूर करने का प्रयास करते हैं।
    • प्रत्येक खाते के लिये मज़बूत, अद्वितीय पासवर्ड का उपयोग करना जिसमें संख्याएँ, अक्षर और विशेष वर्ण सम्मिलित हों।
  • व्यवसायों के लिये: सुरक्षा की एक अतिरिक्त डिग्री प्रदान करने के लिये, सभी कर्मचारी खातों के लिये टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन सक्षम करना।
    • वित्तीय रिकॉर्ड, ग्राहक जानकारी और बौद्धिक संपदा सहित संवेदनशील व्यावसायिक डेटा की सुरक्षा के लिये एन्क्रिप्शन का उपयोग करना।
  • बैंकों की भूमिका: बैंकों को कम शेष वाले या वेतनभोगी खातों में असामान्य रूप से उच्च मूल्य के लेनदेन पर नजर रखनी चाहिये तथा प्राधिकारियों को सचेत करना चाहिये।
    • सामान्यतः चुराई गई धनराशि को क्रिप्टोकरेंसी में परिवर्तित करने और विदेश में स्थानांतरित करने से पहले अस्थायी रूप से इन खातों में रखा जाता है।
  • सिस्टम अपग्रेड की आवश्यकता: बैंकों को एक ही IP एड्रेस से एकाधिक खाता लॉगिन का पता लगाने के लिये अपने सिस्टम को अपग्रेड करना चाहिये, विशेषकर यदि IP देश के बाहर हो।
  • कंटेंट क्रिएटर के लिये: बौद्धिक संपदा, कानूनी शुल्क और विवादों या डेटा उल्लंघनों से होने वाले संभावित वित्तीय नुकसान से सुरक्षा के लिये निर्माता बीमा में निवेश करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत में साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे और अर्थव्यवस्था पर इसके वित्तीय प्रभाव की जाँच कीजिये।

  UPSC  सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न: भारत में, किसी व्यक्ति के साइबर बीमा कराने पर, निधि की हानि की भरपाई एवं अन्य लाभों के अतिरिक्त, सामान्यतः निम्नलिखित में से कौन-कौन से लाभ दिये जाते हैं? (2020)

  1. यदि कोई मैलवेयर कंप्यूटर तक उसकी पहुँच बाधित कर देता है, तो कंप्यूटर प्रणाली को पुनः प्रचालित करने में लगने वाली लागत
  2. यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि किसी शरारती तत्त्व द्वारा जान-बूझकर कंप्यूटर को नुकसान पहुँचाया गया है तो नए कंप्यूटर की लागत
  3. यदि साइबर बलात्-ग्रहण होता है तो इस हानि को न्यूनतम करने के लिये विशेषज्ञ परामर्शदाता की सेवाएँ लेने पर लगने वाली लागत
  4. यदि कोई तीसरा पक्ष मुक़दमा दायर करता है तो न्यायालय में बचाव करने में लगने वाली लागत

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (B)


प्रश्न: भारत में, साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना निम्नलिखित में से किसके/किनके लिये विधितः अधिदेशात्मक है/हैं ? (2017)

  1. सेवा प्रदाता (सर्विस प्रोवाइडर)
  2. डेटा सेंटर
  3. कॉर्पोरेट निकाय (बॉडी कॉर्पोरेट)

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1,2 और 3

उत्तर: (D)


मेन्स

Q. साइबर सुरक्षा के विभिन्न तत्त्व क्या हैं? साइबर सुरक्षा की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए समीक्षा कीजिये कि भारत ने किस हद तक एक व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति सफलतापूर्वक विकसित की है। (2022)


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