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जैव विविधता और पर्यावरण

भू-जल निष्कर्षण और भूमि अवतलन

  • 19 May 2023
  • 11 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भू-जल निष्कर्षण, भूमि अवतलन, शहरीकरण, भारत में गतिशील भू-जल संसाधनों का राष्ट्रीय संकलन, केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB)

मेन्स के लिये:

भारत में भू-जल निष्कर्षण की स्थिति, भू-जल निष्कर्षण के कारण, भूमि अवतलन।

चर्चा में क्यों?  

 उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में इमारतों में दरारें और भूमि अवतलन की घटना वर्ष 2023 की शुरुआत में चर्चा में रही।

  • इसी तरह की घटनाएँ  पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और फरीदाबाद के मैदानी इलाकों में वर्षों से देखी जा रही हैं। केंद्रीय भू-जल बोर्ड (CGWB) द्वारा वर्षों से एकत्र किये गए आँकड़ों के अनुसार, इन खतरनाक घटनाओं का कारण अत्यधिक भू-जल निष्कर्षण को माना जा रहा है। 

भू-अवतलन क्या है?  

  •  विषय:
    • भूमि अवतलन का तात्पर्य पृथ्वी की सतह के क्रमिक डूबने या धँसने से है, सामान्य रूप से यह मृदा, चट्टान या अन्य सामग्रियों की भूमिगत परतों के संघनन के कारण होता है।
    • यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब भूमि के नीचे सहायक संरचनाएँ जैसे-जलभृत, भूमिगत खदानें या प्राकृतिक गैस निष्कर्षण आदि समाप्त हो जाते हैं या जब कुछ भूगर्भीय प्रक्रियाएँ होती हैं।
  • प्रभाव:
    • शहरी इलाकों में यह सड़कों, इमारतों और भूमिगत उपयोगिताओं सहित बुनियादी ढांँचे को हानि पहुंँचा सकता है।
    • यह समुद्र तल के सापेक्ष भूमि की ऊँचाई कम करके तटीय क्षेत्रों में बाढ़ के खतरे को भी बढ़ा सकता है।
    • अवतलन कृषि क्षेत्रों में सिंचाई प्रणाली को प्रभावित कर सकता है, नदियों और नहरों में जल के प्रवाह को बाधित कर सकता है तथा  कृषि भूमि को स्थायी रूप से नुकसान पहुँचा सकता है।

CGWB द्वारा भूजल निष्कर्षण और भूमि अवतलन की पहचान:

  • भूजल निकासी के कारण भूमि अवतलन: 
    • खनन गतिविधियों हेतु किये गए खुदाई कार्यों के कारण  "मृदा संतुलन" या खनन से उत्पन्न कंपन की वजह से अवतलन की घटनाएँ देखी गई हैं। शोधकर्त्ता यह पता लगा रहे हैं कि भूजल निष्कर्षण भारत में मृदा के अवतलन में कैसे योगदान देता है।
  • विभिन्न क्षेत्रों में भूमि अवतलन के साक्ष्य: 
    • भूस्खलन या भूकंप के कारण भूमि संचलन के विपरीत भूजल निकासी से अवतलन धीरे-धीरे होता है एवं ऐसी घटनाएँ वर्षों तक नहीं देखी जाती हैं।
      • भू-संचलन के उपग्रह-आधारित विश्लेषण का उपयोग कर किये गए अध्ययनों में भूजल निकासी के परिणामस्वरूप भवनों के विकृत होने की जानकारी मिली है।
    • सेंटिनल-1 उपग्रह के डेटा का उपयोग करने से पता चला है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region- NCR) वर्ष 2011-2017 तक प्रतिवर्ष औसतन 15 मिमी. तक अवतलित हो गया है।
      • शहरीकरण और अनियोजित विकास ने भूजल निकासी को बढ़ा दिया और NCR में अवतलन जैसी घटना को को बढ़ावा दिया। 
    • कोलकाता और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में भी भूजल ब्लॉकों तथा भूमि का अत्यधिक दोहन हुआ है।

भारत में भूजल निकासी की स्थिति:  

  • परिचय:  
    • वर्तमान में 85% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी जीविका हेतु भूजल पर निर्भर है, जिससे भारत विश्व स्तर पर भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्त्ता है।
    • भारत में गतिशील भूजल संसाधनों की राष्ट्रीय संकलन रिपोर्ट के अनुसार, भारत का भूजल निष्कर्षण का चरण, जो भूजल बनाम पुनर्भरण के उपयोग का प्रतिशत है, वर्ष 2020 के 61.6% से घटकर 2022 में 60.08% हो गया है।
  • उत्तर पश्चिमी भारत में भूजल की कमी:
    • उत्तर पश्चिमी भारत में सीमित मानसून वर्षा के कारण कृषि पद्धतियाँ मुख्य रूप से भूजल निष्कर्षण पर निर्भर हैं।
    • CGWB के डेटा से भूजल दोहन के संकटग्रस्त स्तर का पता चलता है:
      • पंजाब: 76% भूजल ब्लॉक का 'अतिदोहन' हुआ है। 
      • चंडीगढ़: 64% भूजल ब्लॉक का 'अतिदोहन' हुआ है। 
      • दिल्ली: लगभग 50% भूजल ब्लॉक का 'अतिदोहन' हुआ है।
  • संबंधित मुद्दे:  
    • अनियमित निकासी: भूजल की कमी से प्रभावित कई राज्य कृषि सिंचाई के लिये भूजल निष्कर्षण हेतु निशुल्क या अत्यधिक सब्सिडी वाली विद्युत ऊर्जा (सौर पंप सहित) प्रदान करते हैं। 
      • यह दुर्लभ भूजल संसाधनों के अतिदोहन और उनके स्तर में कमी को प्रेरित करता है।
    • जल-गहन फसलों की खेती: गेहूँ और चावल के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ने गेहूँ और धान जैसी जल-गहन फसलों (जो अपने विकास के लिये भूजल पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं) के पक्ष में अत्यधिक विषम प्रोत्साहन संरचनाओं का निर्माण किया है।
      • यह भूजल को इन फसलों की खेती के लिये एक अत्यंत आवश्यक संसाधन बनाता है।
    • खारे जल का समावेश: तटीय क्षेत्रों में अत्यधिक भूजल निष्कर्षण से खारे जल का समावेश हो सकता है।  
      • जैसे ही शुद्ध भूजल का स्तर गिरता या समाप्त हो जाता है, तो जलभृतों में समुद्री जल प्रवेश कर जाता है, जिससे जल विभिन्न उपयोगों के लिये अनुपयुक्त हो जाता है और जिसका कृषि एवं पारिस्थितिक तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 
    • पारिस्थितिक प्रभाव: भूजल की कमी नदियों, झीलों और आर्द्रभूमि में पानी के प्रवाह को न्यून कर पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करती है। 
      • इससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है, जलीय जीवन और जैवविविधता को नुकसान पहुँचता है। यह भूजल स्रोतों पर निर्भर पौधों एवं जानवरों के लिये जल की उपलब्धता को भी प्रभावित करता है। 

आगे की राह

  • फसल विविधीकरण और कुशल सिंचाई: फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने और अधिक जल-कुशल सिंचाई तकनीकों जैसे- ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिस्टम को अपनाने की आवश्यकता है।
  • नदी जलग्रहण प्रबंधन: ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण, वर्षा जल संचयन क्षेत्र, बाढ़ के पानी को स्टोर करने हेतु संभावित रिचार्ज ज़ोन के लिये चैनलों की मैपिंग तथा शहरी क्षेत्रों में कृत्रिम भूजल पुनर्भरण संरचनाएँ (जहाँ भूजल सतह से पाँच-छह मीटर नीचे है) आदि से भूजल में गिरावट को रोकने में मदद मिलेगी।
  • प्रौद्योगिकी और निगरानी: रिमोट सेंसिंग, IoT डिवाइस तथा डेटा एनालिटिक्स जैसे भूजल स्तर की वास्तविक समय की निगरानी के लिये उपयुक्त तकनीक सूचित निर्णय लेने में मदद कर सकती है और भूजल की कमी को कम करने के लिये त्वरित कार्रवाई को सक्षम कर सकती है।
  • अपशिष्ट जल का पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग: ताज़े जल के स्रोतों पर निर्भरता कम करने और भूजल निकासी पर दबाव कम करने हेतु औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसे- गैर-पीने योग्य उद्देश्यों के लिये उपचारित अपशिष्ट जल के उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राचीन नगर अपने उन्नत जल संचयन और प्रबंधन प्रणाली के लिये सुप्रसिद्ध है, जहाँ बाँधों की शृंखला का निर्माण किया गया है और संबद्ध जलाशयों में नहर के माध्यम से जल को प्रवाहित किया जाता है? (2021)

(a) धौलावीरा
(b) कालीबंगा
(c) राखीगढ़ी
(d) रोपड़

उत्तर: (a) 


प्रश्न. 'वाटर क्रेडिट' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021) 

  1. यह जल एवं स्वच्छता क्षेत्र में कार्य के लिये सूक्ष्म  वित्त साधनों (माइक्रोफाइनेंस टूल) को लागू करता है।
  2. यह एक वैश्विक पहल है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक के तत्त्वावधान में प्रारंभ किया गया है।
  3. इसका उद्देश्य निर्धन लोगों को सहायिकी के बिना अपनी जल संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये समर्थ बनाना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (c) 


मेन्स:

प्रश्न. जल संरक्षण एवं जल सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित जल शक्ति अभियान की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? (2020

प्रश्न. रिक्तीकरण परिदृश्य में जल के विवेकपूर्ण उपयोग के लिये जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपाय सुझाइये। (2020) 

स्रोत: द हिंदू

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