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जैव विविधता और पर्यावरण

गतिशील भूजल संसाधन आकलन, 2022

  • 10 Nov 2022
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय भूजल बोर्ड, भारी धातु, अटल भूजल योजना, जल शक्ति अभियान

मेन्स के लिये:

भूजल और इसके प्रबंधन की चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने वर्ष 2022 हेतु पूरे देश के लिये गतिशील भूजल संसाधन आकलन रिपोर्ट जारी की।

प्रमुख बिंदु

  • निष्कर्ष:
    • कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण 437.60 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) है और वार्षिक भूजल निकासी 239.16 BCM है।
      • आकलन में भूजल पुनर्भरण में वृद्धि के संकेत हैं।
      • तुलनात्मक रूप से वर्ष 2020 में एक आकलन में पाया गया कि वार्षिक भूजल पुनर्भरण 436 BCM और निष्कर्षण 245 BCM था।
        • यह भूजल पुनर्भरण (हाइड्रोलॉजिक) प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी की सतह से जल नीचे की ओर रिसता है और जलभृतों में एकत्र हो जाता है। इसलिये इस प्रक्रिया को डीप ड्रेनेज या डीप परकोलेशन के रूप में भी जाना जाता है।
      • वर्ष 2022 के आकलन से पता चलता है कि भूजल निष्कर्षण वर्ष 2004 के बाद से सबसे कम है, उस समय यह 231 BCM था।
    • इसके अलावा देश में कुल 7089 मूल्यांकन इकाइयों में से 1006 इकाइयों को 'अतिदोहित के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • कुल वार्षिक भूजल निष्कर्षण का लगभग 87% अर्थात् 20849 BCM सिंचाई उपयोग के लिये है। केवल 30.69 BCM घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिये है, जो कुल निष्कर्षण का लगभग 13% है।
  • राज्यवार भूजल निष्कर्षण:
    • देश में भूजल निष्कर्षण का कुल स्तर 60.08% है।
    • हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दादरा और नगर हवेली, दमन एवं दीव राज्यों में भूजल निष्कर्षण का स्तर बहुत अधिक है जहाँ यह 100% से अधिक है।
    • दिल्ली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़, लक्षद्वीप और पुद्दुचेरी में भूजल निष्कर्षण की स्थिति 60-100% के बीच है।
    • बाकी राज्यों में भूजल निकासी का स्तर 60% से नीचे है।

भारत में भूजल की स्थिति:

  • परिचय:
    • भारत कुल वैश्विक निकासी का एक-चौथाई भाग के साथ भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्त्ता है। भारतीय शहर अपनी जल आपूर्ति का लगभग 48% भूजल से पूरा करते हैं।
      • भारत में लगभग 400 मिलियन निवासियों के साथ 4,400 से अधिक वैधानिक कस्बे और शहर हैं, जो वर्ष 2050 तक 300 मिलियन तक बढ़ जाएंगे।
  • भूजल की कमी से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ:
    • अप्रबंधित भूजल उपयोग और बढ़ती आबादी के परिणामस्वरूप अनुमानित 3.1 बिलियन लोगों के लिये वर्ष 2050 तक मौसमी जल की कमी और लगभग 1 बिलियन लोगों के लिये सामान्य जल की कमी हो सकती है
    • इसके अलावा जल और खाद्य सुरक्षा संबंधी खतरे भी उत्पन्न हो सकते हैं तथा अच्छे बुनियादी ढाँचे के विकास के बावजूद शहरों में गरीबी की समस्या होगी।

भारत में भूजल प्रबंधन से संबंधित चुनौतियाँ:

  • अनियमित निष्कर्षण:
    • भूजल, जिसे "सामान्य पूल संसाधन" के रूप में माना जाता है, ऐतिहासिक रूप से इसके निष्कर्षण पर नियंत्रण संबंधी ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
    • बढ़ती आबादी, शहरीकरण और सिंचाई गतिविधियों के विस्तार के कारण कई दशकों से भूजल के दोहन में काफी वृद्धि हो रही हैै।
  • अत्यधिक सिंचाई:
    • 1970 के दशक में लोकप्रिय हुई भूजल सिंचाई ने सामाजिक-आर्थिक कल्याण, उत्पादकता में वृद्धि के साथ बेहतर आजीविका का नेतृत्त्व किया है।
  • भूजल प्रबंधन प्रणालियों से संबंधित जानकारी की कमी:
    • स्थानीय स्तर पर मांग और आपूर्ति में समन्वय की कमी, भारत एक बड़े हिस्से की समस्या है।
    • बढ़ती आबादी या फिर बड़े पैमाने पर शहरी विकास इसके कारणों के दो उदाहरण हैं, लेकिन उन्हें इतना भी प्रत्यक्ष कारण नहीं माना जा सकता है।
    • उदाहरण के लिये किसी आबादी की बेहतर आर्थिक स्थिति जल आपूर्ति और वितरण की अधिक मांग कर सकती है।
  • भूजल प्रदूषण:
    • केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा प्राप्त पानी की गुणवत्ता के आँकड़ों से पता चलता है कि 21 राज्यों के 154 ज़िलों में भूजल में आर्सेनिक संदूषण है।
    • मानवजनित गतिविधियों और भूगर्भीय स्रोतों के कारण गुणवत्ता में बहुत कमी आ गई है।
    • यह संदूषण के स्तर में वृद्धि करता है क्योंकि पृथ्वी की पर्पटी (Crust) में भारी धातु की सांद्रता सतह की तुलना में अधिक होती है।
    • इसके अतिरिक्त, सतही जल प्रदूषण भूजल की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है क्योंकि पानी की सतह पर प्रदूषक भूमि की परतों के माध्यम से रिसते हैं, भूजल को दूषित करते हैं तथा तेल रिसाव या सामान्य रिसाव के माध्यम से मिट्टी की संरचना को भी बदल सकते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन:
    • उपरोक्त सभी चुनौतियों का समग्र प्रभाव देश पर जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले प्रभावों से भी तेज़ होता है।
    • भारत में भूजल की जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वे जलवायु संकट को और भी बदतर बना देती हैं, जो भूजल की उपलब्धता से जुड़े संकट को गहरा कर देता है।
    • हाइड्रोलॉजिकल चक्र में गड़बड़ी के कारण लंबे समय तक बाढ़ एवं सूखे की स्थिति पैदा होती है जिससे भूजल की गुणवत्ता तथा मात्रा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
      • उदाहरण के लिये बाढ़ की घटनाओं ने भूजल में रसायनों और जैविक संदूषकों के अपवाह को बढ़ा दिया है।

सरकार द्वारा की गई पहल:

  • अटल भूजल योजना (अटल जल): यह सामुदायिक भागीदारी के साथ भूजल संसाधनों के सतत् प्रबंधन के लिये विश्व बैंक की सहायता से 6000 करोड़ रुपए की केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
  • जल शक्ति अभियान (JSA): इन क्षेत्रों में भूजल की स्थिति सहित जल की उपलब्धता में सुधार हेतु देश के 256 जल संकटग्रस्त ज़िलों में वर्ष 2019 में इसे शुरू किया गया था।
    • इसमें पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण, पारंपरिक जल निकायों के कायाकल्प, गहन वनीकरण आदि पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
  • जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रम: CGWB द्वारा जलभृत मानचित्रण कार्यक्रम (Aquifer Mapping Programme) शुरू किया गया है।
    • कार्यक्रम का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के साथ जलभृत/क्षेत्र विशिष्ट भूजल प्रबंधन योजना तैयार करने हेतु जलभृत की स्थिति और उनके लक्षण व वर्णन को चित्रित करना है।
  • कायाकल्प और शहरी परिवर्तन हेतु अटल मिशन (AMRUT): मिशन अमृत शहरों में शहरी बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, जैसे कि जल की आपूर्ति, सीवरेज़ और सेप्टेज प्रबंधन, बेहतर जल निकासी, पर्यावरणीय अनुकूल स्थान और पार्क व गैर-मोटर चालित शहरी परिवहन आदि।

आगे की राह

  • एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन ढाँचा:
    • एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन ढाँचे पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह जल, भूमि और संबंधित संसाधनों के समन्वित विकास एवं प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
  • जल संवेदनशील शहरी ढाँचा अपनाना:
    • सबसे पहले, जल के प्रति संवेदनशील शहरी ढाँचा और योजना को अपनाने से जल की मांग एवं आपूर्ति के लिये भूजल, सतही जल तथा वर्षा जल का प्रबंधन करके जल चक्र को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
  • जल पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग के लिये प्रावधान:
    • अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण के प्रावधान और एक जल चक्र की चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये इसके पुन: उपयोग से स्रोत स्थिरता एवं भूजल प्रदूषण शमन में भी मदद मिलेगी।
  • अन्य हस्तक्षेप:
    • वर्षा जल संचयन, झंझावात जल संचयन, वर्षा-उद्यान और जैव-प्रतिधारण तालाब जैसे हस्तक्षेप जो वनस्पति भूमि के साथ वर्षा को रोकते हैं पारंपरिक प्रणालियों के कम रखरखाव विकल्प हैं। ये भूजल पुनर्भरण और शहरी बाढ़ शमन में मदद करते हैं।

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. भारत के 36% ज़िलों को केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) द्वारा "अतिदोहित" या "गंभीर" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  2. CGWA का गठन पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत किया गया था।
  3. भारत में भूजल सिंचाई के तहत दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्र है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) केवल 1 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • भूजल स्तर के आधार पर देश भर के क्षेत्रों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है: अति-दोहन वाले क्षेत्र, गंभीर और कम गंभीर। अति-दोहन वाले क्षेत्रों में भूजल की पुनर्भरण दर की तुलना में अधिक दर (100 प्रतिशत से अधिक) से भूजल का दोहन किया जा रहा है। गंभीर स्थिति में भूजल दोहन, पुनर्भरण का 90-100 प्रतिशत है और कम गंभीर स्थिति में भूजल दोहन पुनर्भरण के सापेक्ष 70-90 प्रतिशत है।
  • भारत के गतिशील भूजल संसाधनों पर राष्ट्रीय संकलन रिपोर्ट 2017 के अनुसार देश में कुल 6881 मूल्यांकन इकाइयों (ब्लॉकों/मंडलों/ताल्लुकों) में से विभिन्न राज्यों में 1186 इकाइयों (17%) को अतिशोषित, 313 इकाइयों ( 5%) को गंभीर और 972 इकाइयों (14%) को कम गंभीर के रूप में वर्गीकृत किया गया है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • नोट: भारत के गतिशील भूजल संसाधनों पर राष्ट्रीय संकलन, 2020 के अनुसार; देश में कुल 6965 मूल्यांकन इकाइयों (ब्लॉक/मंडल/ताल्लुकों) में से 16% को 'अति-शोषित, 4% को गंभीर, 15% को कम गंभीर और 64%' को 'सुरक्षित' के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इनके अलावा 97 (1%) मूल्यांकन इकाइयाँ ऐसी हैं, जिन्हें खारे (Saline) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) का गठन पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 (3) के तहत भूजल संसाधनों के विकास और प्रबंधन को विनियमित एवं नियंत्रित करने के लिये किया गया था। अत: कथन 2 सही है।
  • संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत (39 मिलियन हेक्टेयर), चीन (19 मिलियन हेक्टेयर) और संयुक्त राज्य अमेरिका (17 मिलियन हेक्टेयर) भूजल से सिंचाई करने वाले सबसे बड़े देश हैं। अत: कथन 3 सही है।

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।


मेन्स:

प्रश्न. “भारत में अवक्षयी (depleting) भूजल संसाधनों का आदर्श समाधान जल संचयन प्रणाली है"। शहरी क्षेत्रों में  इसको किस प्रकार प्रभावी बनाया जा सकता है?  (2018)

प्रश्न. भारत अलवणजल (फ्रेश वाटर) संसाधनों से सुसंपन्न है। समालोचनापूर्वक परीक्षण कीजिये कि क्या कारण है कि भारत इसके बावजूद जलाभाव से ग्रसित है। (2015)

स्रोत : पी.आई.बी

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