भूगोल
भूजल स्तर में कमी
- 30 Jul 2022
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प्रिलिम्स के लिये:केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB), अटल भूजल योजना (अटल जल), जल शक्ति अभियान (JSA), भूजल की कमी। मेन्स के लिये:भूजल की कमी, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप। |
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा हाल ही में किये गए विश्लेषण के अनुसार, देश के कुछ हिस्सों में भूजल स्तर कम हो रहा है।
- नवंबर 2011 से नवंबर 2020 के दशकीय औसत की तुलना में नवंबर 2021 के दौरान CGWB द्वारा एकत्र किये गए आँकड़ों से पता चलता है कि लगभग 70% कुओं ने जल स्तर में वृद्धि दर्ज की है, जबकिं लगभग 30% कुओं में भूजल स्तर में गिरावट (ज़्यादातर 0 - 2 मीटर की सीमा में) दर्ज की गई है।
भारत में भूजल की कमी की वर्तमान स्थिति:
- भूजल की कमी की स्थिति:
- CGWB के अनुसार, भारत में कृषि भूमि की सिंचाई के लिये हर साल 230 बिलियन मीटर क्यूबिक भूजल निकाला जाता है, जिससे देश के कई हिस्सों में भूजल का तेज़ी से क्षरण हो रहा है।
- भारत में कुल अनुमानित भूजल की कमी 122-199 बिलियन मीटर क्यूबिक की सीमा में है।
- निकाले गए भूजल का 89% सिंचाई क्षेत्र में उपयोग किया जाता है, जिससे यह देश में उच्चतम श्रेणी का उपयोगकर्त्ता बन जाता है।
- इसके बाद घरेलू उपयोग के लिये भूजल का स्थान आता है जो निकाले गए भूजल का 9% है। भूजल का औद्योगिक उपयोग 2% है। शहरी जल की 50 फीसदी और ग्रामीण घरेलू जल की 85 फीसदी ज़रूरत भी भूजल से ही पूरी होती है।
- कारण:
- हरित क्रांति: हरित क्रांति ने सूखा प्रवण/जल की कमी वाले क्षेत्रों में जल गहन फसलों को उगाने में सक्षम बनाया, जिससे भूजल की अधिक निकासी हुई।
- इसकी पुनःपूर्ति की प्रतीक्षा किये बिना ज़मीन से जल को बार-बार पंप करने से इसमें त्वरित कमी आई।
- इसके अलावा बिजली पर सब्सिडी और पानी की अधिक खपत वाली फसलों के लिये उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)।
- उद्योगों की आवश्यकता: लैंडफिल, सेप्टिक टैंक, टपका हुआ भूमिगत गैस टैंक और उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अति प्रयोग से होने वाले प्रदूषण के मामले में जल प्रदूषण के कारण भूजल संसाधनों की क्षति और इनमें कमी आती है।
- अपर्याप्त विनियमन: भूजल का अपर्याप्त विनियमन तथा इसके लिये कोई दंड न होना भूजल संसाधनों की समाप्ति को प्रोत्साहित करता है।
- संघीय मुद्दा: जल एक राज्य का विषय है, जल संरक्षण और जल संचयन सहित जल प्रबंधन पर पहल तथा देश में नागरिकों को पर्याप्त पीने योग्य पानी उपलब्ध कराना मुख्य रूप से राज्यों की ज़िम्मेदारी है।
- हरित क्रांति: हरित क्रांति ने सूखा प्रवण/जल की कमी वाले क्षेत्रों में जल गहन फसलों को उगाने में सक्षम बनाया, जिससे भूजल की अधिक निकासी हुई।
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड (CGWB):
- यह जल संसाधन मंत्रालय का एक अधीनस्थ कार्यालय है और राष्ट्रीय शीर्ष एजेंसी है जिसे देश के भूजल संसाधनों के प्रबंधन, अन्वेषण, निगरानी, मूल्यांकन, वृद्धि तथा और विनियमन हेतु वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1970 में कृषि मंत्रालय के अधीन अन्वेषण कार्य ट्यूबवेल संगठन (Exploratory Tubewells Organization) का नाम बदलकर की गई थी जिसे वर्ष 1972 के दौरान भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के भूजल प्रभाग के साथ विलय कर दिया गया था।
- इसका मुख्यालय भूजल भवन, फरीदाबाद, हरियाणा में है।
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत गठित केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) द्वारा देश में भूजल विकास के नियमन से संबंधित विभिन्न गतिविधियों की देखरेख की जा रही है।
सरकार द्वारा की गई पहलें:
- केंद्र सरकार:
- यह समुदायों/हितधारकों की भागीदारी के माध्यम से वैज्ञानिक तरीके से तैयार की गई ग्राम/ग्राम पंचायत स्तर की जल सुरक्षा योजना के आधार पर सतह और भूजल के संयुक्त उपयोग की अवधारणा को बढ़ावा दे रही है।
- अटल भूजल योजना (अटल जल): यह सामुदायिक भागीदारी के साथ भूजल संसाधनों के सतत् प्रबंधन के लिये विश्व बैंक की सहायता से 6000 करोड़ रुपए की केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
- जल शक्ति अभियान (JSA): इन क्षेत्रों में भूजल की स्थिति सहित पानी की उपलब्धता में सुधार हेतु देश के 256 जल संकटग्रस्त ज़िलों में वर्ष 2019 में इसे शुरू किया गया था।
- इसमें पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण, पारंपरिक जल निकायों के कायाकल्प, गहन वनीकरण आदि पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
- जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रम: CGWB द्वारा जलभृत मानचित्रण कार्यक्रम (Aquifer Mapping Programme) शुरू किया गया है।
- कार्यक्रम का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के साथ जलभृत/क्षेत्र विशिष्ट भूजल प्रबंधन योजना तैयार करने हेतु जलभृत की स्थिति और उनके लक्षण व वर्णन को चित्रित करना है।
- कायाकल्प और शहरी परिवर्तन हेतु अटल मिशन (AMRUT): मिशन अमृत शहरों में शहरी बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, जैसे कि पानी की आपूर्ति, सीवरेज़ और सेप्टेज प्रबंधन, बेहतर जल निकासी, पर्यावरणीय अनुकूल स्थान और पार्क व गैर-मोटर चालित शहरी परिवहन आदि।
- राज्य सरकार:
- राज्य सरकारों द्वारा भी विभिन्न पहलें की गई हैं जैसे:
- मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान, राजस्थान
- जलयुक्त शिबार, महाराष्ट्र
- सुजलाम सुफलाम अभियान, गुजरात
- मिशन काकतीय, तेलंगाना
- नीरू चेट्टू, आंध्र प्रदेश
- जल जीवन हरियाली, बिहार
- जल ही जीवन, हरियाणा
- कूदीमरामथु (Kudimaramath) योजना, तमिलनाडु
- राज्य सरकारों द्वारा भी विभिन्न पहलें की गई हैं जैसे:
आगे की राह:
- भूजल का कृत्रिम तरीके से संभरण: यह मृदा के माध्यम से अंत:स्पंदन को बढ़ानेे के लिये भूमि पर जल का प्रसार करने या उसे अवरुद्ध कर जलभृत में प्रवेश कराने या कुओं से सीधे जलभृत में जल डालने की प्रक्रिया है।
- भूजल प्रबंधन संयंत्र: स्थानीय स्तर पर भूजल प्रबंधन संयंत्र स्थापित करने से लोगों को अपने क्षेत्र में भूजल की उपलब्धता के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे वे इसका बुद्धिमानीपूर्ण उपयोग कर सकेंगे।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रारंभिक परीक्षा:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: B
मुख्य परीक्षा:प्रश्न: जल तनाव क्या है? यह भारत में क्षेत्रीय रूप से कैसे और क्यों भिन्न है? (2019) प्रश्न: जल संरक्षण और जल सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा शुरू किये गए जल शक्ति अभियान की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? (2020) |