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साइबर सुरक्षित भारत

  • 06 Sep 2022
  • 6 min read

हाल ही में राष्ट्रीय ई-शासन प्रभाग (National e-Governance Division-NeGD) ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (Indian Institute of Public Administration-IIPA), नई दिल्ली में 30वें मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी (Chief Information Security Officers-CISO) डीप-डाइव प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।

साइबर सुरक्षित भारत पहल:

  • परिचय:
    • साइबर सुरक्षित भारत पहल की संकल्पना साइबर अपराध के बारे में जागरूकता फैलाने और सभी सरकारी विभागों में मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (CISOs) एवं अग्रिम पंक्ति के सूचना प्रौद्योगिकी अधिकारियों की क्षमता निर्माण के मिशन के साथ की गई थी।
    • इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology-MeitY) द्वारा वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था।
    • CISO प्रशिक्षण सार्वजनिक निजी भागीदारी (Public Private Partnership-PPP) मॉडल के तहत सरकार और उद्योग संघ के मध्य इस प्रकार की प्रथम साझेदारी है।
  • लक्षित प्रतिभागी:
    • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों, पुलिस एवं सुरक्षा बलों के तकनीकी शाखाओं सहित केंद्र तथा राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों और अधीनस्थ एजेंसियों/सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारी:
      • नामित मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी (CISOs),
      • CTOs और तकनीकी / PMU टीमों के सदस्य, अपने संबंधित संगठन में सूचना प्रौद्योगिक प्रणाली की सुरक्षा का निरीक्षण करने के लिये ज़िम्मेदार अधिकारी।
    • प्रशिक्षण:
      • NeGD, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक शाखा, प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था में सहायता प्रदान करेगी, जबकि उद्योग संघ, प्रशिक्षण के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।
      • उद्योग के प्रशिक्षण भागीदार माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), आईबीएम (IBM), इंटेल (Intel), पालो (Palo),ऑल्टो नेटवर्क (Alto Networks), ईवाई (E&Y) और Dell-EMC हैं। NIC, CERT-In और CDAC सरकार की ओर से ज्ञान भागीदार हैं।
  • उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य CISOs को साइबर हमलों को व्यापक रूप से और पूरी तरह से समझने के लिये शिक्षित और सक्षम करना, सुरक्षा की नवीनतम तकनीकों में आवश्यक प्रभावों के बारे जानकारी प्राप्त करना एवं व्यक्तिगत संगठनों और नागरिकों को बड़े पैमाने पर एक लचीली ई-बुनियादी ढाँचे  के लाभों का अनुवाद करना है।
    • साइबर खतरों के उभरते परिदृश्य पर जागरूकता का विस्तार करना।
    • संबंधित समाधानों की गहन समझ विकसित करना।
    • साइबर सुरक्षा से संबंधित लागू ढाँचे, दिशानिर्देश और नीतियाँ बनाना।
    • सफलता और असफलताओं से सीखने के लिये सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना।
    • अपने संबंधित कार्यात्मक क्षेत्र में साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर सूचित निर्णय लेने के लिये महत्त्वपूर्ण इनपुट प्रदान करना।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. हाल ही में कभी-कभी समाचारों में आने वाले शब्द 'वानाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू' निम्नलिखित में से किससे संबंधित हैं (2018)

(a) एक्सोप्लैनेट
(b) क्रिप्टोकरेंसी
(c) साइबर हमले
(d) लघु उपग्रह

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • रैंसमवेयर दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर (या मैलवेयर) का एक रूप है। एक बार जब यह कंप्यूटर में प्रवेश कर लेता है, तो यह आमतौर पर डेटा तक पहुँच कर उपयोगकर्त्ताओं को नुकसान पहुँचाता है। भुगतान करने पर डेटा तक पहुँच बहाल करने का वादा करते हुए हमलावर पीड़ित से फिरौती की मांग करते है। 'वानाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू' कुछ रैनसम वेयर हैं, जिन्होंने बिटकॉइन (क्रिप्टोकरेंसी) में फिरौती के भुगतान की मांग की थी।
  • क्रिप्टोक्यूरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है जिसमें एन्क्रिप्शन तकनीकों का उपयोग मुद्रा की इकाइयों की पीढ़ी को विनियमित करने और केंद्रीय बैंक से स्वतंत्र रूप से संचालित होने वाले धन के हस्तांतरण को सत्यापित करने के लिये किया जाता है। अतः विकल्प (c) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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