भूगोल
ला नीना का पूर्वानुमान
- 13 Sep 2024
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:ला नीना, अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO), पूर्वी प्रशांत, व्यापारिक पवनें, जलवायु परिवर्तन, राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA), मौसम विज्ञान ब्यूरो (BoM), भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), मैडेन जूलियन दोलन (MJO), अरब सागर, चक्रवात। मेन्स के लिये:अल नीनो और ला नीना के बीच अंतर, भारतीय मौसम की स्थिति पर इसका प्रभाव। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठनों द्वारा वर्ष 2024 में ला नीना पर किये गए पूर्वानुमान स्पष्ट रूप से अपेक्षाओं से कम रहे हैं।
- भारत ने अगस्त-सितंबर 2024 के दौरान अधिक वर्षा होने के लिये इस महत्त्वपूर्ण जलवायु घटना पर विश्वास प्रदर्शित किया था।
ला नीना क्या है?
- ला नीना जिसका स्पेनिश में अर्थ "छोटी लड़की"होता है, अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) का एक चरण है, एक ऐसी घटना जो वैश्विक प्राकृतिक जलवायु परिवर्तनशीलता को महत्त्वपूर्ण रूप से संचालित करती है।
- ENSO की विशेषता उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में उतार-चढ़ाव है, जो ऊपर वायुमंडलीय विविधताओं के परिणामस्वरूप होता है।
- ये परिवर्तन वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण को बाधित करते हैं और विश्व भर में मौसम के पैटर्न पर व्यापक प्रभाव डालते हैं।
- ENSO दो से सात वर्षों तक के अनियमित चक्रों में घटित होता है और इसमें तीन चरण: गर्म (अल नीनो, या स्पेनिश में "द लिटिल बॉय"), ठंडा (ला नीना) और तटस्थ होते हैं।
- तटस्थ चरण के दौरान, पूर्वी प्रशांत (दक्षिण अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी तट के पास) पश्चिमी प्रशांत (फिलीपींस और इंडोनेशिया के आसपास) की तुलना में ठंडा होता है।
- यह तापमान अंतर पृथ्वी के घूर्णन से प्रेरित प्रचलित व्यापारिक पवनों के कारण उत्पन्न होता है, जो भूमध्य रेखा के 30 डिग्री उत्तर और दक्षिण के बीच पूर्व से पश्चिम की ओर चलती हैं, तथा गर्म सतही जल को पश्चिम की ओर धकेलती हैं।
- परिणामस्वरूप, विस्थापित गर्म जल की जगह लेने के लिये नीचे से ठंडा जल सतह पर आ जाता है।
- अल नीनो चरण के दौरान व्यापारिक पवनें कमज़ोर हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिकी तटों पर गर्म जल का विस्थापन कम हो जाता है, जिससे पूर्वी प्रशांत महासागर सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है।
- ला नीना चरण में व्यापारिक पवनें मज़बूत हो जाती हैं, जिससे जल की बड़ी मात्रा पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र की ओर बढ़ जाती है, जिससे पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में तापमान ठंडा हो जाता है।
- भारत में अल नीनो आमतौर पर मानसून के मौसम में कम वर्षा से संबंधित होता है, जबकि ला नीना मानसून की गतिविधि को बढ़ाता है।
- सबसे हालिया अल नीनो घटना जून 2023 और मई 2024 के बीच घटित हुई, जो सबसे लंबे समय तक दर्ज किये गए ला नीना प्रकरणों में से एक के बाद आई, जो वर्ष 2020 से वर्ष 2023 तक चली।
- भारत में अल नीनो आमतौर पर मानसून के मौसम में कम वर्षा से संबंधित होता है, जबकि ला नीना मानसून की गतिविधि को बढ़ाता है।
- अल नीनो और ला नीना से संबंधित खतरों, जिनमें अत्यधिक तापमान, अधिक वर्षा और सूखा शामिल होते हैं, का प्रभाव मानवजनित जलवायु परिवर्तन के कारण तीव्र हो गया है।
वैश्विक मौसम मॉडल ने वर्ष 2024 में क्या भविष्यवाणी की?
- रिकॉर्ड पर सबसे मज़बूत अल नीनो घटनाओं में से एक जून 2024 में समाप्त हो गई, जिसके बाद ENSO एक तटस्थ चरण में प्रवेश कर गया।
- कई वैश्विक मौसम मॉडलों के शुरुआती पूर्वानुमानों में जुलाई के आसपास ला नीना की स्थिति की शुरुआत की भविष्यवाणी की गई थी। हालाँकि जुलाई के मध्य तक यह स्पष्ट हो गया कि ला नीना में देरी होगी।
- अमेरिका स्थित NOAA ने संकेत दिया कि तटस्थ से सकारात्मक समुद्री सतह के तापमान में परिवर्तन, जो ENSO तटस्थ से ला नीना में बदलाव का संकेत है, संभवतः अगस्त और अक्तूबर के बीच होगा।
- इसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया में मौसम विज्ञान ब्यूरो (BoM) ने जुलाई 2024 में ला नीना पर "निगरानी" जारी रखी है तथा वर्ष के उत्तरार्ध में सामान्य से अधिक ठंडी समुद्री सतह की स्थिति विकसित होने की भविष्यवाणी की है।
- मध्य अप्रैल में जारी अपने प्रारंभिक दीर्घावधि पूर्वानुमान के बाद से ही भारतीय मौसम विभाग (IMD) लगातार ला नीना के उभरने का अनुमान लगा रहा था।
- महत्त्वपूर्ण रूप से ला नीना के कारण अगस्त और सितंबर 2024 में वर्षा बढ़ने की उम्मीद थी, मौसमी भविष्यवाणी ला नीना के विकास पर निर्भर थी, जिसके परिणामस्वरूप अंतिम दो मानसून महीनों के दौरान 'सामान्य से अधिक' वर्षा होने का अनुमान था।
प्रारंभिक पूर्वानुमान गलत क्यों रहा?
- मौसम वैज्ञानिकों द्वारा ला नीना के आगमन की भविष्यवाणी में हुई त्रुटि का कारण इसकी अपेक्षित हल्की तीव्रता बताया गया है।
- मौसम मॉडल प्रबल ला नीना (या अल नीनो) चरण के दौरान संकेतों को अधिक सटीकता से पहचान लेते हैं, किंतु कमज़ोर चरण के दौरान कम सटीक होते हैं ।
- इसके अतिरिक्त विभिन्न कारक प्रशांत महासागर की सतह और उपसतह स्थितियों को प्रभावित करते हैं, जिनमें वायुमंडलीय स्थितियों, पवनों और दबाव में अंतर-मौसमी परिवर्तनशीलता शामिल है।
- ये मैडेन जूलियन ऑसिलेशन (MJO) की गति से निकटता से जुड़े हुए हैं, जो वर्षा लाने वाली पवनों और बादलों का एक पूर्व दिशा में बढ़ने वाला बैंड है।
- इन विभिन्न मौसम प्रणालियों की परस्पर क्रिया से पूर्वानुमान में जटिलता उत्पन्न हो रही है।
- हाल के पूर्वानुमानों से पता चलता है कि ला नीना के आगमन के पहले संकेत संभवतः सितम्बर के अंत या अक्तूबर के आरम्भ में दिखाई देंगे, और साथ ही ला नीना नवम्बर में चरम पर होगा तथा उत्तरी गोलार्ध में संपूर्ण शीतकाल तक जारी रहेगा।
ला नीना का भारतीय मौसम पर क्या प्रभाव होगा?
- भारत के दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होने वाली अधिक वर्षा आमतौर पर ला नीना से जुड़ी होती है।
- हालाँकि 2024 की मानसूनी अवधि लगभग समाप्त हो चुकी है और साथ ही भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में ला नीना की स्थिति अभी भी विकसित नहीं हुई है, इसलिये यह जलवायु घटना वर्तमान में देश की वर्षा को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं करेगी।
- यदि ला नीना सितंबर के अंत या अक्तूबर तक शुरू होता है, तब यह उत्तर-पूर्वी मानसून की (अक्तूबर से दिसंबर) अवधि में होने वाली वर्षा को प्रभावित कर सकता है, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक और केरल को प्रभावित करता है।
- जलवायु विज्ञान की दृष्टि से, ला नीना उत्तर-पूर्वी मानसूनी वर्षा के लिये अनुकूल नहीं है, हालाँकि अतीत में इसके अपवाद भी रहे हैं।
- बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर सहित उत्तरी हिंद महासागर बेसिन में आमतौर पर मार्च से मई और अक्तूबर से दिसंबर के दौरान चक्रवात विकसित होते हैं और साथ ही मई और नवंबर में इनकी गतिविधि चरम पर होती है।
- ला नीना वर्षों के दौरान चक्रवातजनन (cyclogenesis) की अधिक संभावना होती है तथा चक्रवात अधिक तीव्र एवं दीर्घकालिक होते हैं।
- ऐतिहासिक रूप से ला नीना वर्ष अधिक कठोर और ठंडी सर्दियों से जुड़ा हुआ है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: ला-नीना की घटना और भारतीय मानसून पर इसके प्रभाव पर चर्चा कीजिये। भारत की जलवायु पर इसके प्रभाव के संदर्भ में यह अल-नीनो से किस प्रकार भिन्न है? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. आस्ट्रेलिया में हाल में आयी बाढ़ ‘‘ला-नीना’’ के कारण आयी थी। ‘‘ला-नीना’’ ‘‘अल-नीनो’’ से कैसे भिन्न है? (2011)
उपर्युक्त में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (D) मेन्सप्रश्न. सूखे को इसके स्थानिक विस्तार, अस्थायी अवधि, धीमी शुरुआत और कमज़ोर वर्गों पर स्थायी प्रभाव को देखते हुए एक आपदा के रूप में मान्यता दी गई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सितंबर 2010 के दिशा-निर्देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत में संभावित अल नीनो और ला नीना नतीजों से निपटने के लिये तैयारियों के तंत्र पर चर्चा कीजिये। (2014) |