शासन व्यवस्था
केवल प्रसार भारती के माध्यम से प्रसारण
प्रिलिम्स के लिये:प्रसार भारती, TRAI मेन्स के लिये:TRAI और उसकी शक्तियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक परामर्श ज़ारी किया है जिसमें यह सुझाव दिया गया है कि किसी भी तरह का प्रसारण केवल प्रसार भारती के माध्यम से ही किया जाए।
प्रसार भारती के विषय में:
- प्रसार भारती एक सांविधिक स्वायत्त निकाय है। यह देश का सरकारी प्रसारण केंद्र है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1997 में प्रसार भारती अधिनियम के तहत की गई थी।
- प्रसार भारती निगम का मुख्य उद्देश्य दूरदर्शन और आकाशवाणी को स्वायत्तता प्रदान करना है ताकि ‘जनता को शिक्षित करने के साथ ही उनका मनोरंजन किया जा सके’।
परामर्श क्या है?
- इसमें कहा गया है कि मंत्रालयों, केंद्र सरकार के विभागों, राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन या उनसे संबंधित संस्थाओं को प्रसारण गतिविधियों के अंतर्गत प्रसारण या वितरण कार्यों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।
- यदि केंद्रीय मंत्रालय, राज्य सरकार, केंद्रशासित प्रदेश और उनसे संबंधित संस्थाएँ पहले से ही अपनी सामग्री प्रसारित कर रही हैं, तो यह कार्य अब सार्वजनिक प्रसारण केंद्र प्रसार भारती के माध्यम से किया जाएगा।
- यह भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI), सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा दी गई कानूनी राय की सिफारिशों के अनुरूप है।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, सार्वजनिक सेवा प्रसारण एक सांविधिक निगम या उन निगमों के हाथों में होना चाहिये, जिन्हें राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मामलों में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये विधि के तहत स्थापित किया गया हो।
- विद्यमान नीति दिशा-निर्देशों के अनुसार, भारत के सरकारी विश्वविद्यालय, कॉलेज, स्कूल, कृषि विज्ञान केंद्र, केंद्रीय/राज्य विश्वविद्यालय, स्वायत्त निकाय और कृषि विश्वविद्यालयों में सामुदायिक रेडियो को स्थापित किया जा सकता है।
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण की सिफारिशें क्या थीं?
- वर्ष 2012 में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने परामर्श दिया था कि केंद्र और राज्य सरकार, उनकी कंपनियों, उपक्रमों, निजी क्षेत्र के साथ संयुक्त उद्यम तथा अन्य सरकारों द्वारा वित्तपोषित किसी भी तरह की संस्थाओं को टीवी चैनलों के प्रसारण और/या वितरण के व्यवसाय में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।
- यह सरकारिया आयोग की सिफारिश और क्रिकेट संघ मामले के निर्णय पर निर्भर था।
- प्रसार भारती के महत्त्व को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। यह निकाय प्रसारण गतिविधियों के संबंध में सरकारी संस्थाओं की विधिसम्मत आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु उत्तरदायी है, साथ ही अपनी स्वायत्तता और कार्यात्मक स्वतंत्रता को बढ़ाने के लिये प्रसार भारती तथा सरकार के बीच निष्पक्ष संबंध का परामर्श भी देता है।
TRAI:
- कानूनी समर्थन: TRAI की स्थापना 20 फरवरी, 1997 को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 द्वारा की गई थी।
- उद्देश्य:
- TRAI का उद्देश्य देश में दूरसंचार के विकास के लिये अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करना एवं इसे बेहतर बनाना है।
- TRAI दूरसंचार सेवाओं के लिये टैरिफ के निर्धारण/संशोधन सहित दूरसंचार सेवाओं को नियंत्रित करता है जो पहले केंद्र सरकार के क्षेत्राधिकार में आता था।
- इसका उद्देश्य एक स्वच्छ और पारदर्शी वातावरण प्रदान करना है जिससे कंपनियों के मध्य निष्पक्ष और स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा हो सकें।
- मुख्यालय: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- शक्तियाँ:
- सूचना प्रस्तुत करने का आदेश: यह किसी भी सेवा प्रदाता को अपने मामलों से संबंधित सूचना या स्पष्टीकरण लिखित रूप में प्रस्तुत करने के लिये कह सकता है जैसी प्राधिकरण की आवश्यकता हो सकती है।
- जाँच के लिये नियुक्तियाँ: प्राधिकरण किसी भी सेवा प्रदाता के मामलों में जाँच करने के लिये एक या अधिक व्यक्तियों को नियुक्त कर सकता है।
- निरीक्षण के लिये आदेश: इसे अपने किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को किसी भी सेवा प्रदाता के खातों या अन्य दस्तावेज़ों का निरीक्षण करने का निर्देश देने का अधिकार है।
- सेवा प्रदाताओं को निर्देश जारी करना: प्राधिकरण के पास सेवा प्रदाताओं को ऐसे निर्देश जारी करने की शक्ति होगी जिसे सेवा प्रदाताओं द्वारा कार्य करने के लिये वह उचित एवं आवश्यक समझे।
स्रोत: द हिंदू
भारतीय अर्थव्यवस्था
बेहतर पहुँच और सेवा उत्कृष्टता
प्रिलिम्स के लिये:सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), NPA, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक। मेन्स के लिये:बेहतर पहुँच और सेवा उत्कृष्टता |
चर्चा में क्यों?
बेहतर पहुँच और सेवा उत्कृष्टता (EASE) सुधारों के एक हिस्से के रूप में सरकार नए खंडों को जोड़कर अपने पोर्टफोलियो का विस्तार करने के लिये क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) का लाभ उठाने की योजना बना रही है।
प्रमुख बिंदु:
- पहल तथा लक्ष्य केंद्र द्वारा किये जा रहे EASE सुधार कार्यक्रम का हिस्सा होंगे।
- ग्रामीण बैंकों को फसल ऋण के अलावा ट्रैक्टर, छोटे उद्यमों, शिक्षा और आवास के लिये ऋण देने के साथ-साथ ग्रामीण समुदायों के लिये ऋण प्रदान करने के लिये कहा जाएगा।
- केंद्र सरकार शिक्षा ऋण के लिये गारंटी सीमा 7.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 10 लाख रुपए करने के प्रस्ताव पर काम कर रही है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बैंक शिक्षा क्षेत्र को ऋण की सुविधा देना फिर से शुरू करें।
- सरकार की योजना RRB की लाभप्रदता में सुधार जारी रखने की है।
- कोविड-19 महामारी की अवधि के दौरान लगातार दो वर्षों के नुकसान के बाद RRB ने वित्त वर्ष 2011 में 1,682 करोड़ रुपए का समेकित शुद्ध लाभ दर्ज किया, जिसमें से 43 RRBs में से 30 ने शुद्ध लाभ दर्ज किया।
महत्त्व:
- यह RRBs को अपने वृहत ग्रामीण नेटवर्क और स्थानीय समझ का लाभ उठाकर व्यवसाय का विस्तार करने में मदद करेगा तथा शिक्षा, आवास एवं सूक्ष्म व्यवसायों जैसे उद्देश्यों के लिये ग्रामीण उपभोक्ताओं तक ऋण की पहुँच में भी वृद्धि करेगा।
- RRB को छोटे उद्यमों, आवास और शिक्षा के लिये ऋण प्रदान करने हेतु निर्देश से इन क्षेत्रों के लिये ऋण प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
- RRB को अधिक प्रतिस्पर्द्धी और व्यवसाय के अनुकूल बनने की दिशा में निर्देशित किया जाएगा यानि उन्हें ग्राहक अनुकूल बनाने का एजेंडा सबसे प्राथमिक है।
- RRB के लिये EASE कार्यक्रम परिचालनों को डिजिटल बनाने और RRB को एक-दूसरे से जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
EASE सुधार क्या है?
- इसे सरकार और PSB द्वारा संयुक्त रूप से जनवरी 2018 में लॉन्च किया गया था।
- यह इंडियन बैंक्स एसोसिएशन की ओर से बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप द्वारा तैयार किया गया।
- इसका उद्देश्य लाभप्रदता, परिसंपत्ति गुणवत्ता, ग्राहक सेवा और डिजिटल क्षमताओं में सुधार के लिये PSB में नए युग के सुधारों को बढ़ावा देना है।
- EASE सुधार एजेंडा के तहत विभिन्न चरण:
- EASE 1.0: EASE 1.0 रिपोर्ट ने पारदर्शी रूप से गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के समाधान में PSB के प्रदर्शन में महत्त्वपूर्ण सुधार दिखाया।
- EASE 2.0: EASE 2.0 को EASE 1.0 की नींव पर बनाया गया था और सुधार प्रक्रिया को अपरिवर्तनीय बनाने, प्रणालियों को मजबूत करने तथा परिणामों को प्रभावित करने के लिये छह विषयों में नए सुधार कार्य बिंदु पेश किये गए, ये छह विषय हैं:
- ज़िम्मेदार बैंकिंग
- ग्राहक प्रतिक्रिया
- क्रेडिट ऑफ-टेक
- उद्यमी मित्र के रूप में PSB (MSME के क्रेडिट प्रबंधन के लिये SIDBI पोर्टल)
- वित्तीय समावेशन और डिजिटलीकरण
- शासन और मानव संसाधन (HR)
- EASE 3.0: यह तकनीक का उपयोग करते हुए सभी ग्राहकों के लिये बैंकिंग को आसान बनाने का प्रयास करता है।
- डायल-ए-लोन और PSBloansin59minutes.com।
- फिनटेक और ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ साझेदारी,
- क्रेडिट@क्लिक करें,
- तकनीक-सक्षम कृषि ऋण,
- EASE बैंकिंग आउटलेट आदि।
- EASE 4.0: यह ग्राहक-केंद्रित डिजिटल परिवर्तन के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिये PSB को तकनीक-सक्षम, सरलीकृत और सहयोगी बैंकिंग के लिये प्रतिबद्ध करता है।
- इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख विषय प्रस्तावित किये गए:
- 24×7 बैंकिंग
- उत्तर-पूर्वी राज्यों पर फोकस
- बैड बैंक
- बैंकिंग क्षेत्र के बाह्य क्षेत्रों से धन का सृजन:
- फिनटेक क्षेत्र का लाभ उठाना
- EASE 5.0:
- बदलती उपभोक्ता अपेक्षाओं को पूरा करने के लिये प्रतिस्पर्द्धी गतिशीलता और तकनीकी वातावरण को बदलने के लिये PSB अत्याधुनिक क्षमताओं में निवेश करते रहेंगे और जारी सुधारों को तेज़ करेंगे।
- यह छोटे व्यवसायों और कृषि का समर्थन करने पर ज़ोर देने के साथ डिजिटल ग्राहक अनुभव एवं एकीकृत तथा समावेशी बैंकिंग पर ध्यान केंद्रित करता है।
- ये पहलें विविध विषयों पर केंद्रित होंगी जैसे- व्यवसाय वृद्धि, लाभप्रदता, जोखिम, ग्राहक सेवा, संचालन व क्षमता निर्माण।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs):
- परिचय:
- RRBs वित्तीय संस्थान हैं जो कृषि और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों हेतु पर्याप्त ऋण सुनिश्चित करते हैं।
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना नरसिंहम वर्किंग ग्रुप (1975) की सिफारिशों के आधार पर और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 के विनियमन के बाद की गई थी।
- पहला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक "प्रथम ग्रामीण बैंक" 2 अक्तूबर, 1975 को स्थापित किया गया था।
- RRBs को अपने कुल ऋण का 75% प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण के रूप में प्रदान करना आवश्यक है।
- हितधारक:
- एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की इक्विटी केंद्र सरकार, संबंधित राज्य सरकार और प्रायोजक बैंक के पास 50:15:35 के अनुपात में होती है।
- उद्देश्य:
- ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और सीमांत किसानों, खेतिहर मज़दूरों, कारीगरों तथा छोटे उद्यमियों को ऋण एवं अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
- शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण ज़माओं के बहिर्वाह को रोकना और क्षेत्रीय असंतुलन को कम करना तथा ग्रामीण रोज़गार सृजन में वृद्धि करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त में से किसे/किन्हें भारत में "वित्तीय समावेशन" प्राप्त करने के लिये उठाए गए कदमों के रूप में माना जा सकता है? (a) केवल 1 और 2 प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा/से संस्थान अनुदान/प्रत्यक्ष ऋण सहायता प्रदान करता/करते है/हैं? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
जैव विविधता और पर्यावरण
सैंडलवुड स्पाइक डिज़ीज़
प्रिलिम्स के लिये:सैंडलवुड स्पाइक डिज़ीज़, भारतीय चंदन, फाइटोप्लाज़्मा, संतालम/सैंटालम एल्बम। मेन्स के लिये:सैंडलवुड स्पाइक डिज़ीज़ और संबंधित चिंताएँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि चंदन की व्यावसायिक खेती पर सैंडलवुड स्पाइक डिज़ीज़ (SSD) एक गंभीर खतरा पैदा कर रहा है।
सैंडलवुड स्पाइक डिज़ीज़:
- परिचय:
- यह एक संक्रामक रोग है जो फाइटोप्लाज़्मा के कारण होता है।
- फाइटोप्लाज़्मा पौधों के ऊतकों के जीवाणु परजीवी होते हैं जो कीट वैक्टर द्वारा संचरित होते हैं और पौधे से पौधे में संचरण में शामिल होते हैं।
- अभी तक संक्रमण का कोई इलाज नहीं है।
- वर्तमान में इस रोग के प्रसार को रोकने के लिये संक्रमित पेड़ को काटने एवं हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता।
- यह रोग सर्वप्रथम वर्ष 1899 में कर्नाटक के कोडागु (Kodagu) ज़िले में देखा गया था।
- वर्ष 1903 से 1916 के बीच कोडागु (Kodagu) एवं मैसूर क्षेत्र में दस लाख से अधिक चंदन के पेड़ हटा दिये गए।
- यह एक संक्रामक रोग है जो फाइटोप्लाज़्मा के कारण होता है।
- चिंताएँ:
- इस रोग के कारण प्रत्येक वर्ष 1 से 5% चंदन के पेड़ नष्ट हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि इसके प्रसार को रोकने के लिये उपाय नहीं किये गए तो यह रोग चंदन के वृक्षों की पूरी प्राकृतिक आबादी को नष्ट कर सकता है।
- एक और चिंता की बात यह है कि इस प्रवृत्ति को रोकने में किसी भी तरह की देरी के परिणामस्वरूप यह बीमारी खेती वाले चंदन के पेड़ों में फैल सकती है।
- हाल में उठाए गए कदम:
- जानलेवा बीमारी से निपटने के प्रयास में इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IWST) बंगलूरू और पुणे स्थित नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंसेज़ एक साथ तीन साल के अध्ययन के लिये संगठित होकर काम करेंगे।
- इसे केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा 50 लाख रुपए के वित्तीय आवंटन के साथ शुरू किया गया।
- IWST चंदन अनुसंधान और वुड साइंस के लिये उत्कृष्ट केंद्र है।
भारतीय चंदन:
- विषय:
- संतालम/सैंटालम एल्बम, जिसे आमतौर पर भारतीय चंदन के रूप में जाना जाता है, चीन, भारत, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस में पाया जाने वाला एक शुष्क पर्णपाती वन प्रजाति है।
- चंदन लंबे समय से भारतीय विरासत और संस्कृति से जुड़ा हुआ है, क्योंकि इस देश ने विश्व के चंदन व्यापार में 85% का योगदान दिया था। हालाँकि हाल ही में इसमें तेज़ी से गिरावट आई है।
- यह छोटा उष्णकटिबंधीय पेड़ लाल लकड़ी और छाल के कई गहरे रंगों (गहरा भूरा, लाल तथा गहरा भूरा) के साथ 20 मीटर तक ऊँचा होता है।
- क्योंकि यह मज़बूत और टिकाऊ होता है, इसे ज़्यादातर इसकी लकड़ी के उपयोग के कारण काटा जाता है।
- संतालम/सैंटालम एल्बम, जिसे आमतौर पर भारतीय चंदन के रूप में जाना जाता है, चीन, भारत, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस में पाया जाने वाला एक शुष्क पर्णपाती वन प्रजाति है।
- IUCN रेड लिस्ट स्थिति: सुभेद्य
- उपयोग:
- भारत में इसे "चंदन" और "श्रीगंधा" भी कहा जाता है। भारतीय परंपरा में चंदन का एक विशेष स्थान है जहाँ पालने से लेकर श्मशान तक इसका उपयोग किया जाता है।
- चंदन की हर्टवुड, जो कि बारीक होती है, का उपयोग बढ़िया फर्नीचर और नक्काशी के लिये किया जाता है। हर्टवुड और जड़ों से 'चंदन का तेल' भी प्राप्त होता है जिसका उपयोग इत्र, धूप, सौंदर्य प्रसाधन, साबुन तथा दवाओं में किया जाता है। इसकी छाल में टैनिन होता है, जिसका उपयोग डाई के लिये किया जाता है।
- चंदन के तेल में रोगाणुरोधक, सूजन व जलन रोधक, आक्षेपनाशक और कसैले गुण होते हैं।
- इसका उपयोग अरोमाथेरेपी में तनाव, उच्च रक्तचाप को कम करने और घावों को ठीक करने तथा त्वचा के दोषों का इलाज करने के लिये किया जाता है।
- प्रमुख उत्पादक क्षेत्र:
- भारत में चंदन ज़्यादातर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में उगाया जाता है।
आगे की राह
- अध्ययन द्वारा सलाह दी गई है कि परीक्षण का उपयोग यह प्रमाणित करने के लिये किया जाना चाहिये कि व्यावसायिक उद्देश्यों हेतु उत्पादित चंदन के पौधे SSD मुक्त हैं।
- इसके अतिरिक्त इसने चंदन की पौध को संभालने की नीतियों में आवश्यक परिवर्तन करने का आग्रह किया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखे जाने वाले 'रेड सैंडर्स' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) व्याख्या:
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स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-रूस व्यापार
प्रिलिम्स के लिये:ब्रह्मोस मिसाइल, अभ्यास इंद्र, कामोव का -226, S-400 ट्रायम्फ। मेन्स के लिये:भारत-रूस व्यापार, भारत-रूस संबंधों में बदलते रुझान। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने डेटा जारी किया है जिसमें दर्शाया गया है कि रूस के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2022-23 के केवल पाँच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में 18,229.03 मिलियन अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है।
जाँच-परिणाम:
- अवलोकन:
- दोनों देशों के बीच कुल वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021-22 में 13,124.68 मिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2020-21 में 8,141.26 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
- कोविड से पहले यह वर्ष 2019-20 में 10,110.68 मिलियन अमेरिकी डॉलर तथा 2018-19 में 8,229.91 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 2017-18 में 10,686.85 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
- रूस पिछले वर्ष अपने 25वें स्थान से बढ़कर अब भारत का सातवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
- अमेरिका, चीन, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इराक और इंडोनेशिया ऐसे छह देश थे जिन्होंने वर्ष 2022-23 के पहले पाँच महीनों के दौरान भारत के साथ व्यापार की उच्च मात्रा दर्ज की।
- कुल 18,229.03 अमेरिकी डॉलर में से रूस से भारत का आयात 17,236.29 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि मॉस्को को भारत का निर्यात केवल 992.73 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जिससे 16,243.56 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नकारात्मक व्यापार संतुलन बना रहा।
- आँकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत के कुल व्यापार में रूस की हिस्सेदारी वर्ष 2021-22 के 1.27% से बढ़कर 3.54% हो गई है। जबकि वर्ष 1997-98 में भारत के कुल व्यापार में रूस की हिस्सेदारी 2.1% थी, यह पिछले 25 वर्षों से 2% से नीचे है।
- दोनों देशों के बीच कुल वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021-22 में 13,124.68 मिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2020-21 में 8,141.26 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
- ड्राइव:
- यह मुख्य रूप से रूस से तेल और उर्वरक के आयात में अचानक उछाल के कारण हुआ, यह वर्ष 2022 के पहले से ही बढ़ना शुरू हुआ था।
- पिछले वर्ष के समान महीनों की तुलना में तीन महीनों (जून में 561.1%, जुलाई में 577.63% और अगस्त में 642.68%) में 500% की वृद्धि हुई थी।
- पेट्रोलियम तेल और अन्य ईंधन वस्तुओं (खनिज ईंधन, खनिज तेल एवं उनके आसवन के उत्पाद, बिटुमिनस पदार्थ, खनिज मोम) में रूस से भारत के कुल आयात का 84% हिस्सा है।
- इस वर्ष रूस से कुल आयात में उर्वरक और ईंधन की हिस्सेदारी 91% से अधिक है।
- यह मुख्य रूप से रूस से तेल और उर्वरक के आयात में अचानक उछाल के कारण हुआ, यह वर्ष 2022 के पहले से ही बढ़ना शुरू हुआ था।
भारत-रूस संबंधों के विभिन्न पहलू:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- शीत युद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के बीच मज़बूत रणनीतिक, सैन्य, आर्थिक और राजनयिक संबंध थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस को भारत के साथ घनिष्ठ संबंध विरासत में मिले, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने एक विशेष सामरिक संबंध साझा किये।
- हालांँकि पिछले कुछ वर्षों में खासकर पोस्ट-कोविड परिदृश्य में संबंधों में भारी गिरावट आई है। इसका सबसे बड़ा कारण रूस के चीन और पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध होना है, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में भारत के लिये कई भू-राजनीतिक मुद्दों को उत्पन्न कर दिया है।
- राजनीतिक संबंध:
- वर्ष 2019 में राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के सर्वोच्च सम्मान - “ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल” प्रदान किया। रूस और भारत के बीच एक विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के विकास एवं रूसी तथा भारतीय लोगों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों के
- में उनके विशिष्ट योगदान के लिये प्रधानमंत्री को यह समान प्रदान किया गया था।
- दो अंतर-सरकारी आयोग स्तर की वार्षिक बैठकें होती हैं - पहली व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग (IRIGC-TEC) पर तथा दूसरी सैन्य-तकनीकी सहयोग (IRIGC-MTC) पर।
- व्यापारिक संबंध:
- दोनों देश वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय निवेश को 50 अरब अमेरिकी डॉलर और द्विपक्षीय व्यापार को 30 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने पर ज़ोर दे रहे हैं।
- रक्षा और सुरक्षा संबंध:
- दोनों देश नियमित रूप से त्रि-सेवा अभ्यास 'इंद्र' आयोजित करते हैं।
- भारत और रूस के बीच संयुक्त सैन्य कार्यक्रमों में शामिल हैं:
- ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल कार्यक्रम
- 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू जेट कार्यक्रम
- सुखोई एसयू-30एमकेआई कार्यक्रम
- इल्यूशिन/एचएएल सामरिक परिवहन विमान
- KA-226T ट्विन-इंजन यूटिलिटी हेलीकॉप्टर
- कुछ युद्धपोत
- भारत द्वारा रूस से खरीदे/पट्टे पर लिये गए सैन्य हार्डवेयर में शामिल हैं:
- एस-400 ट्रायम्फ
- मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत में बनेगी 200 कामोव Ka-226
- टी-90एस भीष्म
- आईएनएस विक्रमादित्य विमान वाहक कार्यक्रम
- परमाणु संबंध:
- कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) भारत में बनाया जा रहा है।
- भारत और रूस दोनों बांग्लादेश में रूपपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना को स्थापित कर रहे हैं।
भारत के लिये रूस का महत्त्व:
- चीन को संतुलित करना: पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी आक्रमण ने भारत-चीन संबंधों को एक ऐसे मोड़ पर ला दिया है, इससे यह भी प्रदर्शित हुआ कि रूस, चीन के साथ तनाव को कम करने में योगदान दे सकता है।
- लद्दाख के विवादित क्षेत्र में गलवान घाटी में घातक झड़पों के बाद रूस ने रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक आयोजित की।
- आर्थिक जुड़ाव के उभरते नए क्षेत्र: हथियार, हाइड्रोकार्बन, परमाणु ऊर्जा और हीरे जैसे सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा आर्थिक जुड़ाव के नए क्षेत्रों के उभरने की संभावना है - खनन, कृषि-औद्योगिक और उच्च प्रौद्योगिकी,रोबोटिक्स, नैनोटेक, और बायोटेक।
- रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक में भारत के पदचिह्नों का विस्तार होना तय है। इससे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को भी बढ़ावा मिल सकता है।
- आतंकवाद का मुकाबला: भारत और रूस अफगानिस्तान के बीच की खाई को पाटने हेतु कार्य कर रहे हैं तथा दोनों देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का आह्वान किया गया है।
- बहुपक्षीय मंचों पर समर्थन: इसके अतिरिक्त रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) की स्थायी सदस्यता के लिये भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है।
- रूस का सैन्य निर्यात: रूस भारत के लिये सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक रहा है। यहाँ तक कि वर्ष 2011-2015 की तुलना में पिछले पाँच साल की अवधि में भारत के हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 50% से अधिक गिर गई।
- वैश्विक हथियारों के व्यापार पर नज़र रखने वाले स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में भारत ने रूस से 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियार आयात किये हैं।
आगे की राह
- रूस आने वाले दशकों तक भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार बना रहेगा।
- दूसरी ओर रूस और चीन के बीच वर्तमान में एक अर्द्ध-गठबंधन व्यवस्था है। रूस बार-बार दोहराता रहा है कि वह खुद को किसी के कनिष्ठ साझेदार के रूप में नहीं देखता है। इसलिये रूस चाहता है कि भारत एक संतुलनकर्त्ता की तरह कार्य करे।
- दोनों देश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि वे तीसरे देशों को रूसी उपकरणों और सेवाओं के निर्यात के लिये भारत को उत्पादन आधार के रूप में उपयोग करने में कैसे सहयोग कर सकते हैं।
- इसे संबोधित करने के लिये रूस ने 2019 में हस्ताक्षरित एक अंतर-सरकारी समझौते के बाद इसके लिये अपनी कंपनियों को भारत में संयुक्त उद्यम स्थापित करने की अनुमति देते हुए विधायी परिवर्तन किये हैं।
- इस समझौते को समयबद्ध तरीके से कार्यान्वित करने की ज़रूरत है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्न:प्रीलिम्सप्रश्न. हाल ही में भारत ने निम्नलिखित में से किस देश के साथ 'परमाणु क्षेत्र में सहयोग की प्राथमिकता और कार्यान्वयन के लिये कार्ययोजना' नामक एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं? (2019) (a) जापान उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न. भारत-रूस रक्षा समझौते पर भारत-अमेरिका रक्षा समझौते का क्या महत्त्व है? हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2020) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
जैव विविधता और पर्यावरण
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
प्रीलिम्स के लिये:डेज़र्ट नेशनल पार्क, इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर रेड लिस्ट, स्पीशीज़ रिकवरी प्रोग्राम। मेन्स के लिये:ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की सुरक्षा हेतु उपाय |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पाकिस्तान के चोलिस्तान रेगिस्तान में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स (GIB) देखे जाने की घटना ने अटकलों को जन्म दे दिया है कि लुप्तप्राय पक्षी भारत के डेज़र्ट नेशनल पार्क (डीएनपी) से अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार चले गए होंगे।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड:
- विषय:
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (अर्डीओटिस नाइग्रिसप्स), राजस्थान का राज्य पक्षी है और भारत का सबसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी माना जाता है।
- यह घास के मैदान की प्रमुख प्रजाति मानी जाती है, जो चरागाह पारिस्थितिकी का प्रतिनिधित्त्व करती है।
- इसकी अधिकतम आबादी राजस्थान और गुजरात तक ही सीमित है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह प्रजाति कम संख्या में पाई जाती है।
- खतरे:
- विद्युत लाइनों से टकराव/इलेक्ट्रोक्यूशन, शिकार (अभी भी पाकिस्तान में प्रचलित), आवास का नुकसान और व्यापक कृषि विस्तार आदि के परिणामस्वरूप यह पक्षी खतरे में है।
- सुरक्षा की स्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट-1
- प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS): परिशिष्ट-I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची 1
- GIB की सुरक्षा के लिये किये गए उपाय:
- प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम:
- इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के वन्यजीव आवास का एकीकृत विकास (IDWH) के तहत प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के तहत रखा गया है।
- नेशनल बस्टर्ड रिकवरी प्लान:
- वर्तमान में इसे संरक्षण एजेंसियों (Conservation Agencies) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- संरक्षण प्रजनन सुविधा:
- जून 2019 में MoEFCC, राजस्थान सरकार और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा जैसलमेर में डेज़र्ट नेशनल पार्क में एक संरक्षण प्रजनन सुविधा स्थापित की है।
- कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स की आबादी में वृद्धि करना है जिसके लिये चूजों को जंगल में छोड़ा जाना है।
- प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड:
- राजस्थान सरकार ने इस प्रजाति के प्रजनन बाड़ों के निर्माण और उनके आवासों पर मानव दबाव को कम करने के लिये एवं बुनियादी ढाँचे के विकास के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ’लॉन्च किया है।
- पर्यावरण अनुकूल उपाय:
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सहित वन्यजीवों पर पॉवर ट्रांसमिशन लाइनों (Power Transmission Lines) और अन्य पॉवर ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर (Power Transmission Infrastructures) के प्रभावों को कम करने के लिये पर्यावरण के अनुकूल उपायों का सुझाव देने हेतु टास्क फोर्स का गठन।
- प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम:
मरुभूमि राष्ट्रीय उद्यान के संदर्भ में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- यह राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर ज़िलों के भीतर भारत की पश्चिमी सीमा पर स्थित है।
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, राजस्थान राजकीय पशु (चिंकारा) और राजकीय वृक्ष (खेज़री) तथा राजकीय पुष्प (रोहिड़ा) इस उद्यान में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं।
- इसे 1980 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल और 1992 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. मरुभूमि राष्ट्रीय उद्यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/ से सही है/हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) |
स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संयुक्त राष्ट्र की 77वीं वर्षगांठ
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र की 77वीं वर्षगाँठ, संयुक्त राष्ट्र और उसके अंग, UNSC तथा इसकी विशेषताएँ। मेन्स के लिये:UNSC के कामकाज से जुड़े मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व ने 24 अक्तूबर, 2022 को संयुक्त राष्ट्र (UN) की 77वीं वर्षगाँठ मनाई।
संयुक्त राष्ट्र (UN):
- परिचय:
- संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) 1945 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। वर्तमान में इसमें शामिल सदस्य राष्ट्रों की संख्या 193 है।
- इसका मिशन एवं कार्य इसके चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों व विशेष एजेंसियों द्वारा इन्हें कार्यान्वित किया जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र के कार्यों में अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना, मानवाधिकारों की रक्षा करना, मानवीय सहायता पहुँचाना, सतत् विकास को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय कानून का भली-भाँति कार्यान्वयन करना शामिल है।
- संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का इतिहास:
- वर्ष 1899 में विवादों और संकट की स्थितियों को शांति से निपटाने, युद्धों को रोकने एवं युद्ध के नियमों को संहिताबद्ध करने हेतु हेग (Hague) में अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन आयोजित किया गया था।
- इस सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिप्रद निपटान के लिये कन्वेंशन को अपनाया गया एवं वर्ष 1902 में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय की स्थापना की गई, जिसने वर्ष 1902 में कार्य करना प्रारंभ किया। यह संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की पूर्ववर्ती संस्था थी।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (1945):
- यह सम्मेलन सेन फ्रांसिस्को (USA) में आयोजित किया गया, इसमें 50 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया एवं संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर हस्ताक्षर किये।
- वर्ष 1945 का संयुक्त राष्ट्र चार्टर एक अंतर-सरकारी संगठन के रूप में संयुक्त राष्ट्र की आधारभूत संधि है।
- वर्ष 1899 में विवादों और संकट की स्थितियों को शांति से निपटाने, युद्धों को रोकने एवं युद्ध के नियमों को संहिताबद्ध करने हेतु हेग (Hague) में अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन आयोजित किया गया था।
- घटक: सभी 6 घटकों की स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के साथ हुई थी।
- महासभा
- सुरक्षा परिषद्
- आर्थिक और सामाजिक परिषद
- न्यास परिषद
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
- संयुक्त राष्ट्र सचिवालय
- निधि और कार्यक्रम:
- विशिष्ट एजेंसियाँ:
- खाद्य और कृषि संगठन (FAO)
- अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO)
- इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट (IFAD)
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
- विश्व बैंक
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO)
- अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU)
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO)
- संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO)
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
- UNCTAD
- संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय (UNODC)
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR)
- एशिया एवं प्रशांत के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक आयोग (ESCAP)
संयुक्त राष्ट्र के अद्यतन योगदान क्या हैं?
- संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता में वृद्धि:
- 1960 के दशक के बाद संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की संख्या लगभग 50 सदस्यों से बढ़कर दोगुनी हो गई।
- विउपनिवेशीकरण:
- संयुक्त राष्ट्र ने ही 1960 के उपनिवेशवाद के विघटन में प्रमुख भूमिका निभाई थी और लगभग 80 उपनिवेशों को स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद की थी।
- नागरिक समाज में भागीदारी:
- संयुक्त राष्ट्र अब केवल राष्ट्रों का संगठन नहीं है, बल्कि समय के साथ अधिक से अधिक संयुक्त राष्ट्र निकायों ने राष्ट्रों, विशेषज्ञों, बुद्धिजीवियों और मीडिया के लोगों के साथ जुड़ना शुरू कर दिया है।
- बेहतर आधार:
- राष्ट्र संघ की तुलना में संयुक्त राष्ट्र ने अब तक सफलतापूर्वक खुद को कायम रखा है, जो एक उपलब्धि है।
- शांति स्थापना:
- संयुक्त राष्ट्र ने तृतीय विश्व युद्ध को सफलतापूर्वक रोका है।
संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख असफलताएँ क्या हैं?
- हथियारों की प्रतिस्पर्द्धा और शीत युद्ध:
- हालाँकि, तृतीय विश्वयुद्ध को आज तक सफलतापूर्वक रोककर रखा गया है, फिर भी राष्ट्रों के बीच हिंसा, हथियारों की प्रतिस्पर्द्धा , परमाणु हथियारों की प्रतिस्पर्द्धा और शीत युद्ध की स्थिति अब भी उपस्थित हैं।
- शक्ति दमन सिद्धांत:
- विश्व निकाय अभी भी 'सिद्धांत' और 'शक्ति' के बीच संघर्ष को देखता है।
- जबकि एक शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण विश्व की आशाओं का प्रतिनिधित्व संयुक्त राष्ट्र करता है, जो सबसे शक्तिशाली राष्ट्रों को वीटो अधिकार के अलोकतांत्रिक उपकरणों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सीटों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर अंतिम निर्देश विशेषाधिकार प्राप्त हैं।
- बहुध्रुवीय संगठन नहीं:
- संयुक्त राष्ट्र स्वयं को एक बहुध्रुवीय और बहुपक्षीय संगठन के रूप में प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा है।
- गठन के समय, संयुक्त राष्ट्र में कुल 51 सदस्यों के साथ 5 स्थायी सदस्य थे, वर्तमान में इसके 193 सदस्य हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा में स्थायी सदस्य अभी भी 5 हैं।
- समग्र विकास में पिछड़ापन:
- संगठन बढ़ते वैश्वीकरण का सामना करने में सक्षम नहीं था।
- संयुक्त राष्ट्र समग्र विकास में पिछड़ा हुआ है; विशेष रूप से महामारी या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीकों से निपटने के लिये कोई संस्थागत व्यवस्था नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत का महत्त्व:
- भारत और संयुक्त राष्ट्र:
- भारत संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में से एक है।
- अपनी स्वतंत्रता के बाद से और उससे पहले भी, भारत संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई सभी पहलों जैसे सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों, सतत् विकास लक्ष्यों और जलवायु परिवर्तन सहित संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न शिखर सम्मेलनों में सक्रिय भागीदार रहा है।
- शांति की स्थापना:
- जहाँ तक संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना क्षेत्र का संबंध है, भारत ने अधिकांश देशों के साथ शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है।
- भारत और UNSC:
- भारत को जनवरी 2021 में दो साल के लिये UNSC के एक अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया।
- संगठन में भारत की अस्थायी सदस्यता का उपयोग अन्य समान विचारधारा वाले देशों को विश्वव्यापी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का समर्थन करने के लिये राजी करने हेतु किया जा सकता है।
- इसके अलावा भारत को भविष्य में सर्वोच्च निकाय में स्थान बनाने पर भी ध्यान देना चाहिये; जिसका अर्थ है-संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य बनना।
- सुधारों की आवश्यकता को लेकर बढ़ती चिंता:
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र में विशेष रूप से UNSC में सुधारों की तत्काल आवश्यकता को महसूस किया है और इस मुद्दे पर चिंता जताई है।
- भारत सहित कई विकासशील देश अब अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और राजनीति दोनों में बड़ी भूमिका निभाते हैं। लेकिन ये परिवर्तन UNSC में परिलक्षित नहीं होते हैं, जहाँ सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों द्वारा अभी भी सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये जा रहे हैं।
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र में विशेष रूप से UNSC में सुधारों की तत्काल आवश्यकता को महसूस किया है और इस मुद्दे पर चिंता जताई है।
आगे की राह
- पिछले 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र ने स्वयं को संभाल कर रखा है, समृद्ध भी हुआ है, और कुछ मामूली समायोजनों से गुज़रा है। हालाँकि अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र इसे और बेहतर बनाने के लिये प्रयासरत रहे।
- UNSC में सुधार की सख्त ज़रूरत है, यह कार्य जितनी जल्दी हो उतना ही बेहतर होगा।
- संक्षेप में जहाँ तक पूरे संयुक्त राष्ट्र की बात है, सिद्धांतों में पूर्ण सुधार की आवश्यकता है जिसे अब सबसे शक्तिशाली द्वारा नहीं किया जाना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रीलिम्सप्रश्न. प्रायः समाचारों में देखे जाने वाले 'बीजिंग घोषणा और कार्रवाई मंच (बीजिंग डिक्लरेशन एण्ड प्लैटफार्म फॉर एक्शन)' क्या है?(2015) (a) क्षेत्रीय आतंकवाद से निपटने की एक कार्यनीति (स्ट्रैटजी), शंघाई सहयोग संगठन उत्तर: (c) प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य होते हैं और शेष 10 सदस्य महासभा द्वारा ___ साल की अवधि के लिये चुने जाते हैं:(2009) (a) 1 वर्ष उत्तर: (b) प्रश्न. UNEP द्वारा समर्थित 'कॉमन कार्बन मीट्रिक' को किसलिये विकसित किया गया है? (a) दुनिया भर में निर्माण कार्यों के कार्बन पदचिह्न का आकलन करने के लिये उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) के मुख्य कार्य क्या हैं? इससे जुड़े विभिन्न कार्यात्मक आयोगों की व्याख्या कीजिये: (2017) प्रश्न. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) की पार्टियों के सम्मेलन (COP) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत ने क्या प्रतिबद्धताएँ की हैं? (2021) |