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आंतरिक सुरक्षा

आईएनएस विक्रांत: पहला स्वदेशी विमानवाहक

  • 26 Jun 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

आईएनएस विक्रांत, रक्षा अधिग्रहण परिषद

मेन्स के लिये

प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण का महत्त्व और आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के हिस्से के रूप में निर्मित स्वदेशी विमानवाहक आईएनएस विक्रांत (IAC-1) पर चल रहे कार्य की समीक्षा की।

  • आईएनएस विक्रांत को वर्ष 2022 में कमीशन किये जाने की संभावना है। वर्तमान में भारत के पास केवल एक ही विमानवाहक पोत है, रूसी मूल का आईएनएस विक्रमादित्य।
  • इससे पहले रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने ‘प्रोजेक्ट-75I’ के तहत भारतीय नौसेना हेतु छह उन्नत पनडुब्बियों के लिये ‘प्रस्ताव निवेदन’ (RFP) जारी करने की मंज़ूरी दी थी।

प्रमुख बिंदु

आईएनएस विक्रांत

  • इस स्वदेशी विमानवाहक का नाम नौसेना के सेवामुक्त प्रथम वाहक के नाम पर ‘विक्रांत’ रखा गया है।
  • इसमें 30 विमानों का एक वायु घटक होगा, जिसमें स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकाप्टरों के अलावा मिग-29K लड़ाकू जेट, कामोव-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर और जल्द ही नौसेना में शामिल होने वाले MH-60R मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर होंगे।
  • इसकी अधिकतम गति तकरीबन 30 समुद्री मील (लगभग 55 किमी. प्रति घंटा) होगी और इसे चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित किया जाएगा। स्वदेशी विमानवाहक एक बार में 18 समुद्री मील (32 किमी. प्रति घंटे) की गति से 7,500 समुद्री मील की दूरी तय करने में सक्षम होगा।
  • इस विमानवाहक पर हथियारों के रूप में बराक एलआर एसएएम और एके-630 शामिल हैं, साथ ही इसमें सेंसर के रूप में एमएफएसटीएआर और आरएएन -40 एल 3डी रडार शामिल हैं। पोत में ‘शक्ति’ नाम का इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट भी मौजूद है।
  • इस विमानवाहक पोत में विमान संचालन को नियंत्रित करने के लिये ‘रनवे’ और 'शॉर्ट टेक ऑफ बट अरेस्टड रिकवरी' सिस्टम भी मौजूद है।

महत्त्व:

  • विमानवाहक पोत की लड़ाकू क्षमता, पहुँच और बहुमुखी प्रतिभा देश की रक्षा में मज़बूत क्षमताओं को जोड़ेगी और समुद्री क्षेत्र में भारत के हितों को सुरक्षित रखने में मदद करेगी।
  • यह लंबी दूरी पर वायु शक्ति को प्रक्षेपित करने की क्षमता के साथ एक अतुलनीय सैन्य उपकरण की पेशकश करेगा, जिसमें हवाई अवरोध, सतह-विरोधी युद्ध, आक्रामक और रक्षात्मक काउंटर-एयर, हवाई पनडुब्बीरोधी युद्ध तथा हवाई पूर्व चेतावनी शामिल हैं।

भारतीय नौसेना की वर्तमान स्थिति:

  • समुद्री क्षमता परिप्रेक्ष्य योजना (Maritime Capability Perspective Plan) के अनुसार, वर्ष 2027 तक भारत के पास लगभग 200 जहाज़ होने चाहिये परंतु लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।
    • हालाँकि इसका कारण मुख्य रूप से वित्तपोषण नहीं बल्कि प्रक्रियात्मक देरी या स्वयं द्वारा लगाए गए कुछ प्रतिबंध हैं।
  • नौसेना के पास अत्याधुनिक सोनार और रडार हैं। इसके अलावा इसके कई जहाज़ों में स्वदेशी सामग्री की उच्च मात्रा इस्तेमाल की गई है।

कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में नौसेना का योगदान:

  • ऑपरेशन समुद्र सेतु- I: कोरोना वायरस के मद्देनज़र लागू किये गए यात्रा प्रतिबंधों के बीच विदेश में फँसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिये निकासी अभियान है।
  • ऑपरेशन समुद्र सेतु- II: भारतीय नौसेना ने भारत में ऑक्सीजन से भरे कंटेनरों की शिपमेंट के लिये ‘ऑपरेशन समुद्र सेतु-II’ की शुरुआत की थी।

स्रोत: द हिंदू

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