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डेली न्यूज़

  • 04 Nov, 2023
  • 47 min read
आंतरिक सुरक्षा

राज्य प्रायोजित साइबर हमले

प्रिलिम्स के लिये:

राज्य प्रायोजित हमले, पेगासस स्पाइवेयर, साइबर हमला, गोपनीयता उल्लंघन, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C), साइबर सुरक्षा

मेन्स के लिये:

पेगासस परियोजना और निगरानी में सुधार की आवश्यकता, सरकारी नीतियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके डिज़ाइन एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में Apple Inc. ने विपक्षी नेताओं और पत्रकारों सहित व्यक्तियों को "राज्य-प्रायोजित हमलावरों के बारे में सूचित किया, जो उनके iPhones को दूरस्थ गतिविधियों के तहत जोखिम में डालने की कोशिश कर रहे हैं"।

  • ऐसा दूसरी बार हुआ है कि भारत में विपक्षी राजनेताओं और नागरिक समाज के अभिकर्त्ताओं को चेतावनी दी गई है कि वे जासूसी के प्रयासों का निशाना बने हैं।
  • वर्ष 2021 में पेरिस स्थित फॉरबिडन स्टोरीज़ कलेक्टिव ने बताया कि पेगासस स्पाइवेयर, जो केवल इज़रायली फर्म NSO ग्रुप द्वारा सरकारी एजेंसियों को बेचा गया था, का कथित तौर पर भारत में कई पत्रकारों, नागरिक समाज समूहों और राजनेताओं पर इस्तेमाल किया गया था।

नोट: साइबर हमला कंप्यूटर सिस्टम, नेटवर्क या डिजिटल उपकरणों की सुरक्षा में सेंध लगाने का एक दुर्भावनापूर्ण और जान-बूझकर किया गया प्रयास है, जिसका उद्देश्य संवेदनशील डेटा को चुराना, नुकसान पहुँचाना, बदलना या उस तक पहुँचना, संचालन में बाधा डालना या डिजिटल क्षेत्र में नुकसान पहुँचाना है।

राज्य प्रायोजित साइबर हमले:

  • परिचय:
    • राज्य-प्रायोजित साइबर हमले, जिन्हें राष्ट्र-राज्य साइबर हमलों के रूप में भी जाना जाता है, अन्य देशों, संगठनों या व्यक्तियों के खिलाफ सरकारों या सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित या समर्थित साइबर हमले हैं।
    • चूँकि ये हमले किसी राष्ट्र-राज्य के विशाल संसाधनों और क्षमताओं द्वारा समर्थित होते हैं, इसलिये वे अपने उच्च स्तर के संगठन, जटिलता और संसाधनशीलता से प्रतिष्ठित होते हैं।
    • राज्य-प्रायोजित साइबर हमलों के उदाहरणों में स्टक्सनेट वर्म शामिल है, जिसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लक्षित किया, वर्ष 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कथित रूसी हस्तक्षेप एवं वर्ष 2017 वानाक्राई रैनसमवेयर हमला, जो उत्तर कोरिया से जुड़ा था।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव:
    • डेटा चोरी: राज्य-प्रायोजित हमलों से संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा जानकारी, गोपनीय सैन्य सूचना और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा संबंधी डेटा की चोरी हो सकती है। इस तरह के उल्लंघन किसी देश की रक्षा क्षमताओं से समझौता कर सकते हैं।
    • आर्थिक प्रभाव: प्रमुख उद्योगों और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे पर हमलों से आर्थिक नुकसान हो सकता है। उदाहरण के लिये ऊर्जा या वित्तीय प्रणालियों में व्यवधान के गंभीर आर्थिक परिणाम हो सकते हैं।
    • राजनीतिक प्रभाव: साइबर हमलों का उपयोग जनता की राय में हेर-फेर करने, चुनावों को प्रभावित करने और राजनीतिक स्थिरता को कमज़ोर करने के लिये किया जा सकता है। दुष्प्रचार अभियान तथा हैकिंग के दूरगामी राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं।
    • राष्ट्रीय संप्रभुता: साइबर हमले किसी देश की संप्रभुता का उल्लंघन कर सकते हैं और अपने नागरिकों पर शासन करने तथा उनकी रक्षा करने की क्षमता से समझौता कर सकते हैं।

पेगासस (Pegasus):

  • परिचय:
    • यह एक प्रकार का मैलेशियस सॉफ्टवेयर या मैलवेयर है जिसे स्पाइवेयर के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
      • यह उपयोगकर्त्ताओं की जानकारी के बिना उपकरणों तक पहुँच प्राप्त करने के लिये डिज़ाइन किया गया है और व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करता है तथा इसे वापस रिले करने के लिये सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।
    • पेगासस को इज़रायली फर्म NSO ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है जिसे वर्ष 2010 में स्थापित किया गया था।
      • पेगासस संक्रमण को ऑपरेटिंग सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर तथाकथित "ज़ीरो-क्लिक" हमलों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, जिसके सफल होने के लिये फोन के मालिक से किसी भी बातचीत की आवश्यकता नहीं होती है।
  • लक्ष्य:
    • इज़रायल की निगरानी वाली फर्म द्वारा सत्तावादी सरकारों को बेचे गए एक फोन मैलवेयर के माध्यम से दुनिया भर के मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को लक्षित किया गया है।
    • भारतीय मंत्री, सरकारी अधिकारी और विपक्षी नेता भी उन लोगों की सूची में शामिल हैं जिनके फोन पर इस स्पाइवेयर द्वारा छेड़छाड़ किये जाने की संभावना व्यक्त की गई है।
      • वर्ष 2019 में व्हाट्सएप ने इज़रायल के NSO ग्रुप के खिलाफ अमेरिकी न्यायालय में एक मुकदमा दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि यह फर्म मोबाइल उपकरणों को दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर से संक्रमित करके एप्लीकेशन पर साइबर हमलों को प्रेरित कर रही है।
  • साइबर सुरक्षा हेतु पहलें:

आगे की राह 

  • व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने तथा लागू करने की आवश्यकता है जो साइबर क्षेत्र में रक्षा एवं अपराध दोनों का समाधान करेंगी
  • सरकारी एजेंसियों के लिये घुसपैठ पहचान हेतु उन्नत प्रणाली, सुरक्षित नेटवर्क और साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण सहित साइबर सुरक्षा बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के लिये संसाधन आवंटित करने की आवश्यकता है।
  • खतरे की खुफिया जानकारी साझा करने और राज्य-प्रायोजित खतरों पर प्रतिक्रियाओं का समन्वय करने के लिये अन्य देशों तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना चाहिये।

भारतीय अर्थव्यवस्था

सतत् व्यापार और मानकों पर तृतीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

प्रिलिम्स के लिये:

क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI), सस्टेनेबल ट्रेड एंड स्टैंडर्ड्स पर इंटरनेशनल कन्वेंशन, सस्टेनेबिलिटी स्टैंडर्ड्स पर यूनाइटेड नेशंस फोरम, गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेज़, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC)

मेन्स के लिये:

भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) और उसका योगदान, खाद्य सुरक्षा तथा मानक

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के एक स्वायत्त संगठन, क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI) ने नई दिल्ली में सतत् व्यापार और मानकों (ICSTS) पर तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेज़बानी की।

  • ICSTS के दो दिवसीय कार्यक्रम को निजी स्थिरता मानकों पर भारत के राष्ट्रीय मंच (इंडिया PSS प्लेटफॉर्म) द्वारा आयोजित किया गया है जिसकी मेज़बानी स्थिरता मानकों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम (UNFSS) के सहयोग से QCI द्वारा की गई है।
  • ICSTS का उद्देश्य स्वैच्छिक स्थिरता मानकों (VSS) की चुनौतियों और अवसरों पर जागरूकता एवं संवाद को बढ़ावा देना है, जो वैश्विक मूल्य शृंखलाओं के पर्यावरणीय व सामाजिक पहलुओं को बेहतर बनाने के उपकरण हैं।

ICSTS की मुख्य विशेषताएँ: 

  • QCI और अफ्रीकी मानकीकरण संगठन (African Organisation for Standardisation- ARSO) ने वैश्विक व्यापार परिदृश्य को बढ़ावा देने, व्यापार संबंधों को मज़बूत करने एवं मानकों में सामंजस्य स्थापित करने हेतु एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये।
  • भारत ने ब्राज़ील और मैक्सिको के साथ साझेदारी की है, साथ ही अब स्वैच्छिक स्थिरता मानकों के संबंध में ARSO के साथ सहयोग बढ़ाया है।
    • धारणीय मानक विशेष नियम हैं जो गारंटी प्रदान करते हैं कि आपके द्वारा खरीदे गए उत्पाद पर्यावरण और उन्हें बनाने वाले लोगों को नुकसान नहीं पहुँचाएंगे।
  • इसमें ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) पहल पर प्रकाश डाला गया क्योंकि यह डिजिटलीकरण की पहल को बढ़ावा दे रहा है, भारत में ई-कॉमर्स में क्रांति ला रहा है एवं डिजिटल युग में व्यापार को अधिक सुलभ तथा कुशल बना रहा है।
    • यह पहल डेटा गोपनीयता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।
    • ONDC ने ONDC नेटवर्क के विक्रेता एप में सुचारु रूप से शामिल होने हेतु संस्थाओं की डिजिटल तैयारी का आकलन करने के लिये QCI की पहचान की है।
  • ICSTS में भारत अच्छी कृषि पद्धतियों (IndG.A.P.), मानकों की तुलना ग्लोबल गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेज़ (GLOBALG.A.P.) से की गई थी। ICSTS में राष्ट्रीय तकनीकी कार्य समूह (National Technical Working Group- NTWG) तंत्र के माध्यम से मानक एवं राष्ट्रीय व्याख्या दिशा-निर्देश (National Interpretation Guidelines- NIG) का सृजन भी हुआ।
    • इससे भारतीय कृषि पद्धतियों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने में मदद मिलती है। NIG का निर्माण भारत में इन मानकों को लागू करने हेतु दिशा-निर्देश प्रदान करना है।
    • इन प्रयासों से लगभग 12,000 किसानों को लाभ होगा और यह सुनिश्चित होगा कि वे अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता एवं स्थिरता मानकों को पूरा करेंगे।

मुख्य बिंदु:

  • निजी स्थिरता मानकों पर भारत राष्ट्रीय मंच (INPPSS):
    • इसे QCI के सचिवीय निरीक्षण के तहत शुरू किया गया था। राष्ट्रीय संदर्भ में PSS मुद्दों के समाधान के लिये यह विश्व में अपनी तरह की पहली पहल है।
    • इसका उद्देश्य मुख्य सार्वजनिक और निजी हितधारकों के बीच सतत् विकास लाभ और बाज़ार पहुँच के अवसरों को अधिकतम करने के बारे में चर्चा की सुविधा प्रदान करना है।
  • स्थिरता मानकों पर संयुक्त राष्ट्र मंच (UNFSS):
  • भारतीय अच्छी कृषि पद्धतियाँ( IndG.AP.):
    • IndG.AP, भारत में सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण कृषि उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये  QCI द्वारा विकसित एक प्रमाणन योजना है।
    • IndG.AP कृषि के विभिन्न पहलुओं जैसे- मृदा, जल, फसल स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, श्रमिक कल्याण और खाद्य सुरक्षा को कवर करती हैं।
  • वैश्विक अच्छी कृषि पद्धतियाँ (GLOBALG.A.P.):
    • यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मान्यता प्राप्त मानक है जो बढ़ते पौधों, सब्जियों, कंद, फलों, पोल्ट्री, मवेशियों और जलीय उत्पादों के क्षेत्र में गुणवत्ता प्रबंधन, सुरक्षा तथा ट्रेसबिलिटी सुनिश्चित करती है।
  • राष्ट्रीय तकनीकी कार्य समूह (NTWG):
    • NTWG एक ऐसा समूह है जो वैश्विक और स्थानीय मुद्दों के बीच अंतर को पाटता है। वे राष्ट्रीय स्तर पर अनुकूलन और अनुप्रयोग चुनौतियों की पहचान करते हैं तथा राष्ट्रीय व्याख्या दिशा-निर्देश (NIG) विकसित करते हैं। NIG पूरे विश्व में लागत प्रभावी ऑडिट प्रक्रियाओं का समर्थन करते हैं।

भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI):

  • परिचय:
    • QCI वर्ष 1860 के सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम XXI के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी संगठन है।
    • यह भारत सरकार और भारतीय उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित किया गया था, जिसका प्रतिनिधित्व तीन प्रमुख उद्योग संघों, एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (ASSOCHAM), भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने वर्ष 1997 में किया था।
    • QCI की स्थापना भारत में विभिन्न क्षेत्रों में गुणवत्ता मानकों को बढ़ावा देने लिये की गई थी।
    • यह भारत में मान्यता, प्रमाणन और गुणवत्ता संवर्धन हेतु ज़िम्मेदार है।
    • DPIIT, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को गुणवत्ता तथा QCI से जुड़े सभी मामलों के लिये कैबिनेट निर्णय की संरचना एवं कार्यान्वयन में सहायता के लिये नोडल बिंदु के रूप में नामित किया गया था।          
  • सदस्य:
    • QCI में अध्यक्ष तथा महासचिव सहित 39 सदस्य शामिल होते हैं।
      • इसका अध्यक्ष भारत के प्रधान मंत्री द्वारा नामित किया जाता है।
    • इस परिषद् में सरकार, उद्योग और अन्य हितधारकों का समान प्रतिनिधित्व है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 'क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. QCI का गठन भारत सरकार तथा भारतीय उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
  2. QCI के अध्यक्ष की नियुक्ति, उद्योग द्वारा सरकार को की गई संस्तुतियों पर प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


जैव विविधता और पर्यावरण

अंतर्राष्ट्रीय बायोस्फीयर रिज़र्व दिवस, 2023

प्रिलिम्स के लिये:

बायोस्फीयर रिज़र्व, विश्व बायोस्फीयर रिज़र्व दिवस, मैन एंड द बायोस्फीयर (MAB) प्रोग्राम

मेन्स के लिये:

बायोस्फीयर रिज़र्व मुख्य क्षेत्र, कार्य

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय बायोस्फीयर रिज़र्व दिवस की दूसरी वर्षगाँठ, 3 नवंबर को मनाई जाती है, जो हमारे पर्यावरण की सुरक्षा एवं स्थिरता को बढ़ावा देने में बायोस्फीयर रिज़र्व (BR) के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालती है।

  • इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राष्ट्रीय सतत् तटीय प्रबंधन केंद्र के साथ साझेदारी में भारत के चेन्नई में 10वीं साउथ एंड सेंट्रल एशियन बायोस्फीयर रिज़र्व नेटवर्क मीटिंग (SACAM) का समापन किया।
    • "रिज टू रीफ" (Ridge to Reef) थीम वाले SACAM कार्यक्रम ने दक्षिण तथा मध्य एशिया में सतत् पर्यावरण प्रथाओं के सहयोग पर सहमति प्राप्त की।

विश्व बायोस्फीयर रिज़र्व दिवस:

  • यह दिवस जैवविविधता के संरक्षण एवं सतत् विकास को बढ़ावा देने में बायोस्फीयर रिज़र्व की भूमिका के महत्त्व को दर्शाता है। 
  • यूनेस्को द्वारा वर्ष 2022 में स्थापित यह दिवस प्रतिवर्ष 3 नवंबर को मनाया जाएगा।
  • इसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना तथा वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व (WNBR) की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना है।

बायोस्फीयर रिज़र्व:

  • परिचय:
    • बायोस्फीयर रिज़र्व 'सतत् विकास के लिये सीखने के स्थान (Learning Places)' हैं।
    • वे संघर्ष की रोकथाम एवं जैवविविधता के प्रबंधन सहित सामाजिक और पारिस्थितिक प्रणालियों के बीच परिवर्तनों तथा अंतःक्रियाओं को समझने व उन्हें प्रबंधित करने के लिये अंतःविषय दृष्टिकोण का परीक्षण करने के लिये महत्त्वपूर्ण स्थल हैं।
    • वे ऐसे स्थल हैं जो वैश्विक चुनौतियों का स्थानीय समाधान प्रदान करते हैं। बायोस्फीयर रिज़र्व में स्थलीय, समुद्री एवं तटीय पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं।
      • प्रत्येक स्थल जैवविविधता के संरक्षण को उसके सतत् उपयोग के साथ सामंजस्य बिठाने वाले समाधानों को बढ़ावा देता है।
  • विशेषताएँ:
    • बायोस्फीयर रिज़र्व में तीन मुख्य ज़ोन (क्षेत्र) शामिल हैं:
      • मुख्य क्षेत्र/कोर एरिया सख्त प्रावधानों के साथ संरक्षित क्षेत्र है, जहाँ प्राकृतिक प्रक्रियाएँ एवं जैवविविधता संरक्षित हैं।
      • बफर ज़ोन मुख्य क्षेत्र से घिरा होता है, जहाँ मानवीय गतिविधियाँ संरक्षण एवं अनुसंधान उद्देश्यों के साथ संगत होती हैं।
      • संक्रमण क्षेत्र सबसे बाहरी क्षेत्र है, जहाँ सतत् विकास और मानव कल्याण को बढ़ावा दिया जाता है।

  • बायोस्फीयर रिज़र्व राष्ट्रीय सरकारों द्वारा नामांकित होते हैं और उन राज्यों के संप्रभु क्षेत्राधिकार में रहते हैं जहाँ वे स्थित हैं। 
  • बायोस्फीयर रिज़र्व्स को यूनेस्को द्वारा मैन एंड द बायोस्फीयर (MAB) कार्यक्रम के तहत नामित किया गया है जिसे वर्ष 1971 में शुरू किया गया था।
  • बायोस्फीयर रिज़र्व्स वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व (WNBR) का हिस्सा हैं, जिसमें वर्तमान में 134 देशों में कुल 748 साइटें शामिल हैं, जिनमें 22 ट्रांसबाउंड्री साइटें शामिल हैं।
    • WNBR बायोस्फीयर रिज़र्व और उनके हितधारकों के बीच सूचना, ज्ञान एवं सर्वोत्तम पद्धत्ति के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है।
    • WNBR जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता हानि, गरीबी और महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये सहयोग एवं नवाचार को भी बढ़ावा देता है।

  • भारत में बायोस्फीयर रिज़र्व:

बायोस्फीयर रिज़र्व का महत्त्व:

  • बायोस्फीयर रिज़र्व कार्बन सिंक (carbon sinks) के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और जलवायु परिवर्तन शमन में योगदान करते हैं।
    • जलवायु संकट के सामने आशा की किरण के रूप में कार्य करते हुए, यूनेस्को बायोस्फीयर रिज़र्व छिपे हुए नखलिस्तान (किसी झरने या जल-स्रोत के आसपास स्थित एक ऐसा क्षेत्र जहाँ किसी वनस्पति के उगने के लिये पर्याप्त अनुकूल परिस्थितियाँ उपलब्ध होती हैं) हैं, जो जैवविविधता की रक्षा करते हैं, प्रदूषण को कम करते हैं और जलवायु लचीलेपन को बढ़ाते हैं।
  • बायोस्फीयर रिज़र्व उष्णकटिबंधीय वर्षावनों, अल्पाइन रेगिस्तानों और तटीय क्षेत्रों सहित विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्रों के लिये अभयारण्य के रूप में कार्य करते हैं, जो अनगिनत अद्वितीय और लुप्तप्राय पौधों एवं जानवरों की प्रजातियों के लिये आवास प्रदान करते हैं।
    • बायोस्फीयर रिज़र्व 250 मिलियन से अधिक लोगों का घर है, जो अपनी आजीविका के लिये पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं।
  • वे पर्यावरण-पर्यटन और अन्य पर्यावरण-अनुकूल गतिविधियों के अवसर प्रदान करके सतत्त आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं, जिससे स्थानीय समुदायों को लाभ होता है।
  • बायोस्फीयर रिज़र्व यह भी प्रदर्शित करता है कि निर्णय लेने और प्रबंधन प्रक्रियाओं में स्थानीय समुदायों, स्वदेशी लोगों, महिलाओं, युवाओं एवं अन्य हितधारकों को कैसे शामिल किया जाए।

बायोस्फीयर रिज़र्व के लिये चुनौतियाँ:

  • तेज़ी से  हो रहे निर्वनीकरण से बायोस्फीयर रिज़र्व के भीतर पारिस्थितिक तंत्र की अखंडता को खतरा है।
    • लकड़ी और वन्य जीवन जैसे प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन, भंडार के पारिस्थितिक संसाधनों को समाप्त कर सकता है।
  • मानवीय गतिविधियों और शहरी विस्तार के कारण आवास की हानि विभिन्न पौधों एवं जीव-जंतुओं की प्रजातियों को खतरे में डालती है।
  • आक्रामक प्रजातियों का प्रवेश मूल पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन को बाधित करता है, जिससे जैवविविधता प्रभावित होती है।
    • आक्रामक प्रजातियों को नियंत्रित करना और प्रबंधित करना एक सतत् चुनौती है।
  • जलवायु परिवर्तन एक गंभीर खतरा उत्पन्न करता है, जो जीवमंडल भंडार के भीतर पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता और लचीलेपन को प्रभावित करता है।
    • बदलते मौसम के पैटर्न, बढ़ते तापमान एवं चरम घटनाओं से पारिस्थितिकी तंत्र में गड़बड़ी हो सकती है।
  • कृषि, खनन और बुनियादी ढाँचे के विकास जैसे भूमि उपयोग में परिवर्तन, भंडार के प्राकृतिक परिदृश्य को प्रभावित करते हैं।
  • कृषि अपवाह, औद्योगिक गतिविधियों और अपशिष्ट निपटान से होने वाला प्रदूषण बायोस्फीयर रिज़र्व के भीतर पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकता है।
    • जल की गुणवत्ता बनाए रखना और प्रदूषण को कम करना पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • कई बायोस्फीयर रिज़र्व में संरक्षण एवं प्रबंधन प्रयासों के लिये पर्याप्त संसाधनों और धन की कमी है।

आगे की राह

  • स्थानीय पहलों का सुदृढ़ीकरण:
    • इन महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों के प्रबंधन और सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिये स्थानीय समुदायों को प्रोत्साहित करना एवं उनका समर्थन करना आगे बढ़ने का एक महत्त्वपूर्ण तरीका है।
    • स्थानीय समुदाय-संचालित संरक्षण प्रयासों की सफलताओं, जैसे कि सुंदरबन बायोस्फीयर रिज़र्व और मन्नार बायोस्फीयर रिज़र्व की खाड़ी को उजागर किया जाना चाहिये।
      • भारत में सुंदरबन बायोस्फीयर रिज़र्व में स्थानीय समुदाय मैंग्रोव वनों के प्रबंधन और क्षेत्र की जैवविविधता की रक्षा के लिये मिलकर कार्य कर रहे हैं।
      • भारत में मन्नार बायोस्फीयर रिज़र्व की खाड़ी में महिलाओं सहित स्थानीय समुदाय स्वयं सहायता समूह बनाकर संरक्षण प्रयासों में योगदान दे रहे हैं, जबकि युवा पर्यावरण-पर्यटन में संलग्न हो रहे हैं।
        • मन्नार बायोस्फीयर रिज़र्व की खाड़ी में शुरू की गई 'प्लास्टिक चेकपॉइंट्स' की अवधारणा अन्य बायोस्फीयर रिज़र्व के लिये प्लास्टिक कचरे को निपटाने के हेतु एक मॉडल के रूप में कार्य कर सकती है।
  • सतत् प्रथाओं को सशक्त बनाना:
    • पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन और सामुदायिक भागीदारी पर ज़ोर देते हुए बायोस्फीयर रिज़र्व के अंतर्गत सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देना चाहिये।
    • पारिस्थितिक फुटप्रिंट को कम करने के लिये सतत् कृषि, उत्तरदायी संसाधन प्रबंधन और अपशिष्ट कटौती उपायों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
  • जलवायु लचीलापन एवं अनुकूलन:
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के उपायों सहित बायोस्फीयर रिज़र्व के अंतर्गत  जलवायु-लचीली रणनीतियाँ स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा और मौसम पैटर्न में बदलाव के प्रति संवेदनशीलता को कम करने के लिये अनुकूलन योजनाएँ विकसित की जानी चाहिये।
  • संसाधन आवंटन और वित्त पोषण:
    • बायोस्फीयर रिज़र्व के लिये अधिक वित्त पोषण और तकनीकी सहायता का समर्थन करना, जिससे वे अपने संरक्षण एवं प्रबंधन लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम हो सकें।
      • संसाधनों और संबद्ध विशेषज्ञता के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, सरकारी निकायों तथा गैर-लाभकारी संस्थाओं के साथ सहयोग की आवश्यकता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न.1 निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. नोकरेक बायोस्फीयर रिज़र्व: गारो पहाड़ियाँ
  2. लोगटक (लोकटक) झील: बरैल रेंज
  3. नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान: डफला पहाड़ियाँ

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) कोई भी नहीं

उत्तर: (a)


प्रश्न 2. जैवविविधता के साथ-साथ मनुष्य के परंपरागत जीवन के संरक्षण के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण रणनीति निम्नलिखित में से किस एक की स्थापना करने में निहित है? (2014)

(a) जीवमंडल निचय (रिज़र्व)
(b) वानस्पतिक उद्यान
(c) राष्ट्रीय उपवन
(d) वन्यजीव अभयारण्य

उत्तर: (a)


प्रश्न 3. भारत के सभी बायोस्फीयर रिज़र्व में से चार को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड नेटवर्क के रूप में मान्यता दी गई है। निम्नलिखित में से कौन-सा उनमें से एक नहीं है? (2008)

(a) मन्नार की खाड़ी
(b) कंचनजंगा
(c) नंदा देवी
(d) सुंदरबन

उत्तर: (b)


शासन व्यवस्था

यूनिवर्सल बेसिक इनकम

प्रिलिम्स के लिये:

यूनिवर्सल बेसिक इनकम, वर्कफ्री पायलट प्रोजेक्ट, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT), सशर्त नकद हस्तांतरण (CCT), MGNREGA

मेन्स के लिये:

यूनिवर्सल बेसिक इनकम के गुण एवं दोष, इसकी व्यवहार्यता और वैकल्पिक उपाय

स्रोत: डाउन टू अर्थ

हाल ही में तेलंगाना में वर्ष 2022 में शुरू किये गए वर्कफ्री पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से व्यक्तियों और परिवारों पर यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) के सकारात्मक परिणाम पर प्रकाश डाला गया है।

वर्कफ्री (WorkFREE) पायलट प्रोजेक्ट:

  • परिचय:
    • यह परियोजना यूरोपीय अनुसंधान परिषद द्वारा वित्तपोषण के साथ यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ, मोंटफोर्ट सोशल इंस्टीट्यूट, हैदराबाद और इंडिया नेटवर्क फॉर बेसिक इनकम के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
    • पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक वयस्क को 1,000 रुपए और एक बच्चे को 18 महीने तक 500 रुपये प्रतिमाह का भुगतान किया जाता है।
    • यह परियोजना हैदराबाद की पाँच मलिन बस्तियों में 1,250 निवासियों को सहायता प्रदान करती है।
    • वर्कफ्री पायलट प्रोजेक्ट को एक परिवर्तनकारी पहल के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो व्यक्तियों और परिवारों पर इसके सकारात्मक परिणामों को उजागर करती है।
    • तेलंगाना के कुछ निवासी स्थानांतरण से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए थे और उन्हें UBI समर्थन के माध्यम से वित्तीय स्थिरता मिली है। उन्होंने नकद सहायता का उपयोग चूड़ी व्यवसाय शुरू करने के लिये किया जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
    • निवासियों ने नकद सहायता का उपयोग भोजन, ईंधन, कपड़े खरीदने और यूटिलिटी बिलों का भुगतान करने के लिये भी किया, जो आमतौर पर मासिक खर्च का बड़ा हिस्सा होता है।
  • अन्य समान पायलट प्रोजेक्ट:
    • स्व-रोज़गार महिला संघ (Self Employed Women’s Association- SEWA) पायलट प्रोजेक्ट वर्ष 2011 में दिल्ली और मध्य प्रदेश में आयोजित किया गया था। इस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लगभग 100 परिवारों को प्रतिमाह 1,000 रुपए मिलते थे।

यूनिवर्सल बेसिक इनकम:

  • परिचय:
    • सार्वभौमिक बुनियादी आय एक सामाजिक कल्याण प्रस्ताव है जिसमें सभी लाभार्थियों को बिना शर्त हस्तांतरण भुगतान के रूप में नियमित रूप से एक गारंटीकृत आय प्राप्त होती है।  
    • एक बुनियादी आय प्रणाली के लक्ष्यों में गरीबी को कम करना और ऐसे अन्य आवश्यकता-आधारित सामाजिक कार्यक्रमों को प्रतिस्थापित करना शामिल है जिसके लिये संभावित रूप से अधिक नौकरशाही संलग्नता की आवश्यकता होती है। 
    • UBI आमतौर पर बिना शर्तों के या न्यूनतम शर्तों के साथ सभी (या आबादी के एक अत्यंत बड़े भाग) तक पहुँच बनाने का लक्ष्य रखती है।
  • गुण:
    • गरीबी उन्मूलन: यह सभी के लिये, विशेष रूप से सबसे कमज़ोर और हाशिये पर स्थित समूहों के लिये एक न्यूनतम आय सीमा प्रदान करके गरीबी तथा आय असमानता को कम करती है। यह लोगों को खाद्य, स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को वहन करने में भी मदद कर सकती है।
    • एक स्वास्थ्य प्रोत्साहक: गरीबी और वित्तीय असुरक्षा से संबद्ध तनाव, दुश्चिंता तथा अवसाद को कम करके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है। यह लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता और पोषण तक पहुँच बनाने में भी सक्षम कर सकती है।
    • सरलीकृत कल्याण प्रणाली: यह विभिन्न लक्षित सामाजिक सहायता कार्यक्रमों को प्रतिस्थापित कर मौजूदा कल्याण प्रणाली को सुव्यवस्थित कर सकती है। यह प्रशासनिक लागत को कम करती है और साधन-परीक्षण, पात्रता आवश्यकताओं एवं बेनिफिट क्लिफ (benefit cliffs) से जुड़ी जटिलताओं को समाप्त करती है।
    • व्यक्तिगत स्वतंत्रता में वृद्धि: UBI लोगों को वित्तीय सुरक्षा और उनके कार्य, शिक्षा एवं व्यक्तिगत जीवन के बारे में चयन की अधिक स्वतंत्रता प्रदान करती है।
    • आर्थिक प्रोत्साहक: यह प्रत्यक्ष रूप से व्यक्तियों के हाथों में धन का प्रवेश कराती है, जो उपभोक्ता व्यय को उत्प्रेरित करती है और आर्थिक विकास को गति देती है। यह स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा दे सकती है, वस्तुओं एवं सेवाओं के लिये मांग उत्पन्न कर सकती है तथा रोज़गार के अवसर सृजित कर सकती है।
      • यह लोगों को उद्यमशीलता की राह पर आगे बढ़ने, जोखिम उठाने और रचनात्मक या सामाजिक रूप से लाभकारी गतिविधियों में संलग्न होने के लिये सशक्त कर सकती है जो अन्यथा आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं भी हो सकते हैं।
  • दोष:
    • लागत और राजकोषीय संवहनीयता: सार्वभौमिक बुनियादी आय की लागत अत्यधिक होती है और इसके वित्तपोषण के लिये उच्च करों, व्यय में कटौती या ऋण की आवश्यकता होगी। यह मुद्रास्फीति उत्पन्न कर सकती है, श्रम बाज़ार को विकृत कर सकती है और आर्थिक विकास को मंद कर सकती है।
    • विकृत प्रोत्साहन का निर्माण: यह काम करने की प्रेरणा को कम करती है और उत्पादकता एवं दक्षता में कमी लाती है। यह निर्भरता, पात्रता तथा आलस्य की एक संस्कृति का भी निर्माण कर सकती है। यह लोगों को कौशल, शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त करने से भी हतोत्साहित कर सकती है।
    • मुद्रास्फीति संबंधी दबाव: यह मुद्रास्फीति संबंधी दबावों में योगदान कर सकती है। यदि सभी को एक निश्चित राशि प्राप्त होगी तो इससे वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्यों में वृद्धि हो सकती है क्योंकि व्यवसाय बाज़ार में उपलब्ध अतिरिक्त आय पर कब्ज़ा करने के लिये अपनी मूल्य निर्धारण रणनीतियों को समायोजित करते हैं।
    • निर्भरता बढ़ाने की क्षमता: सार्वभौमिक बुनियादी आय सरकारी समर्थन पर लोगों की निर्भरता का निर्माण कर सकती है और इसमें एक जोखिम शामिल है कि कुछ लोग आत्मसंतुष्ट या मूल आय पर आश्रित बन सकते हैं, जिससे व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक विकास के लिये प्रेरणा कम हो सकती है। 

UBI के स्थान पर भारत कौन-से विकल्प चुन सकता है?

  • Quasi UBRI: अर्द्ध-सार्वभौमिक बुनियादी ग्रामीण आय (Quasi-Universal Basic Rural Income- QUBRI) सार्वभौमिक बुनियादी आय का एक रूप है, जिसे ऐसे हस्तांतरण के रूप में परिभाषित किया गया है जो सार्वभौमिक रूप से बिना शर्त और नकद रूप में प्रदान किया जाता है। भारत में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को (उन परिवारों को छोड़कर जो प्रत्यक्ष रूप से समृद्ध हैं और कृषि संकट का सामना कर सकते हैं) 18,000 रुपए प्रतिवर्ष का प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण (Direct Cash Transfer) प्रदान करने का विचार पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefits Transfers- DBT): इस योजना के तहत सब्सिडी या नकद को प्रत्यक्ष रूप से लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित किया जाता है (बजाय इसके कि बिचौलियों की मदद ली जाए या वस्तु या सेवाओं के रूप में हस्तांतरण किया जाए)। DBT का उद्देश्य कल्याणकारी वितरण की दक्षता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही में सुधार के साथ-साथ लीकेज और भ्रष्टाचार को कम करना है।
  • सशर्त नकद हस्तांतरण (Conditional Cash Transfers- CCT): इस योजना के तहत गरीब परिवारों को इस शर्त पर नकद राशि प्रदान की जाती है कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने, उनका टीकाकरण कराने या स्वास्थ्य जाँच में भाग लेने जैसी कुछ शर्तों की पूर्ति करेंगे। CCT का उद्देश्य मानव पूंजी और गरीबों के दीर्घकालिक परिणामों में सुधार के साथ-साथ व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करना है।
  • अन्य आय सहायता योजनाएँ: इन योजनाओं के तहत किसानों, महिलाओं, वृद्धजनों, दिव्यांगों जैसे लोगों के ऐसे विशिष्ट समूहों को नकद या अन्य प्रकार की सहायता प्रदान की जाती है जो इसकी आवश्यकता रखते हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य इन समूहों के समक्ष विद्यमान विशिष्ट भेद्यताओं और चुनौतियों का समाधान करना है, साथ ही साथ उनके सशक्तीकरण एवं समावेशन को बढ़ावा देना है।
  • रोज़गार गारंटी योजनाएँ: मनरेगा (MGNREGA) के साथ भारत के पास पहले से ही इसका एक सफल उदाहरण मौजूद है। ये योजनाएँ ग्रामीण परिवारों को एक वर्ष में निश्चित दिनों के लिये रोज़गार की कानूनी गारंटी प्रदान करती हैं। ऐसे कार्यक्रमों का विस्तार और सुदृढ़ीकरण यह सुनिश्चित कर सकता है कि व्यक्तियों की रोज़गार अवसरों तक पहुँच हो और वे आजीविका अर्जित कर सकें।
  • कौशल विकास एवं प्रशिक्षण: कौशल विकास एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश से व्यक्तियों को स्थायी रोज़गार सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कौशल से लैस किया जा सकता है। कौशल संवर्द्धन पर ध्यान केंद्रित करके सरकार व्यक्तियों को उपयुक्त नौकरी खोजने और अपनी आय संभावनाओं में सुधार करने में सक्षम बना सकती है।

आगे की राह 

  • प्राप्तकर्त्ताओं का समर्थन करते समय हतोत्साहित करने वाले कार्य से बचने के लिये प्रदान की गई राशि को सावधानीपूर्वक संतुलित किया जाना चाहिये। UBI की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये पूरक उपायों के रूप में सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सहित मज़बूत समर्थन प्रणालियों का सुझाव दिया गया है।
  • हालाँकि नकद हस्तांतरण जैसी ये योजनाएँ UBI सिद्धांतों के अनुरूप हैं, वे प्रायः विशिष्ट जनसांख्यिकी को लक्षित करती हैं, इस प्रकार संभावित लाभार्थियों को बाहर करने का जोखिम हो सकता है। 
  • धन के गलत आवंटन को कम करने और मौजूदा कल्याण योजनाओं में रिसाव को कम करने के लिये UBI को अधिक कुशल विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने का सुझाव दिया गया है।

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