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महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट्स की जिस्ट

जैव विविधता और पर्यावरण

मैंग्रोव की स्थिति 2024

  • 16 Aug 2024
  • 69 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व के मैंग्रोव की स्थिति 2024, वैश्विक मैंग्रोव गठबंधन, विश्व मैंग्रोव दिवस, वैश्विक मैंग्रोव निगरानी, ​​जलीय कृषि, समुद्र जल स्तर में वृद्धि, IUCN रेड लिस्ट, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ, कार्बन स्टोरेज, इकोटूरिज्म, कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क

मुख्य परीक्षा के लिए:

मैंग्रोव के लिये चुनौतियाँ, मैंग्रोव की स्थिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व मैंग्रोव दिवस (26 जुलाई) पर ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस (Global Mangrove Alliance- GMA) द्वारा "विश्व के मैंग्रोव की स्थिति 2024" शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई।

  • GMA 100 से अधिक सदस्यों का प्रमुख गठबंधन है, जो विश्व के मैंग्रोव के संरक्षण और पुनरुद्धार का कार्य कर रहा है।

मैंग्रोव की स्थिति क्या है?

  • विश्व में मैंग्रोव:
    • मैंग्रोव के स्थान और स्थानिक विस्तार पर डेटा मैंग्रोव वनों की सुरक्षा और संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण है। मैंग्रोव वनों के पहले वैश्विक मानचित्र वर्ष 1997 में तथा पुनः वर्ष 2010 और 2011 में तैयार किये थे। ये उन मानचित्रों में से एक थे जिन्हें अद्यतन नहीं किया गया है।
    • वर्ष 2018 से, ग्लोबल मैंग्रोव वॉच (Global Mangrove Watch- GMW) ने 1996 से 2020 तक वैश्विक मैंग्रोव विस्तार मानचित्रों की एक समय शृंखला प्रदान की है। GMW मैंग्रोव विस्तार डेटासेट अब अपने चौथे संस्करण में है, जिसका GMW v4.0 वर्ष 2024 में जारी किया गया है।
    • GMW v4.0 वर्ष 2020 मैंग्रोव विस्तार ने वैश्विक स्तर पर 147,256 वर्ग किमी. मैंग्रोव का मानचित्रण किया। यह कुल विस्तार GMW v3.0 में मानचित्रित विस्तार के समान ही है, लेकिन उच्च रिज़ॉल्यूशन पर इसमें अधिक उल्लेखनीय परिवर्तन शामिल हैं।
      • GMW v4.0 मानचित्र की समग्र सटीकता 95.3% आँकी गई, जो GMW v3.05 की तुलना में काफी बेहतर है।
      • इस बढ़ी हुई सटीकता का श्रेय कुछ कारकों को दिया जा सकता है, जिनमें GMW  मैंग्रोव आवास मास्क में सुधार, उच्च स्थानिक रिज़ॉल्यूशन पर बेहतर उपग्रह इमेजरी, बेहतर और अधिक सटीक प्रशिक्षण डेटा तथा वर्गीकरण के लिये मशीन लर्निंग दृष्टिकोण में सुधार शामिल हैं।
      • GMW v4.0 के साथ भविष्य के कार्य में ऐतिहासिक समय शृंखला का पुनः मानचित्रण शामिल होगा, जिससे समय के साथ परिवर्तन का अधिक विश्वसनीय आकलन संभव हो सकेगा।
    • GMW v4.0 मानचित्र ने 128 देशों और क्षेत्रों में मैंग्रोव की पहचान की है, जो पिछले GMW  v3.0 मानचित्र की तुलना में छह अधिक है।
      • दक्षिण-पूर्व एशिया में लगभग 50,000 वर्ग किमी. मैंग्रोव क्षेत्र है, जो वैश्विक स्तर पर कुल मैंग्रोव (अकेले इंडोनेशिया में विश्व के 21% मैंग्रोव हैं) का लगभग एक-तिहाई है।
      • इस क्षेत्र के बाद पश्चिमी और मध्य अफ्रीका तथा फिर अमेरिका के दो क्षेत्र आते हैं।
      • बरमूडा में सेंट जॉर्ज द्वीप 32.36 डिग्री अक्षांश पर प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले मैंग्रोव का सबसे उत्तरी रिकॉर्ड रखता है, जबकि सबसे दक्षिणी मैंग्रोव अब ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में 5 किमी आगे दक्षिण में 38.90 डिग्री अक्षांश तक फैला हुआ है।

  • मैंग्रोव की विविधता:
    • उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय तटीय वातावरण में पनपने वाले मैंग्रोव पौधे विविध विशिष्ट अनुकूलन प्रदर्शित करते हैं, लेकिन मैंग्रोव-विशिष्ट प्रजातियों की वर्तमान वैश्विक सूची व्यक्तिपरक और अपूर्ण है, जिसके कारण महत्त्वपूर्ण चुनौतियों के बावजूद एक अद्यतन आधिकारिक सूची की आवश्यकता है।
      • किसी पौधे को मैंग्रोव के रूप में परिभाषित करने के लिये कोई स्पष्ट मानदंड नहीं हैं, इस बात पर बहस जारी है कि क्या कोई पौधा मैंग्रोव तक ही सीमित है या सिर्फ उससे संबंधित है।
      • ज्वारीय दलदली पौधे प्रायः मैंग्रोव के साथ-साथ पाए जाते हैं, जिससे मैंग्रोव और ज्वारीय दलदली प्रजातियों के बीच अंतर करना जटिल हो जाता है।
      • नव वर्णित प्रजातियाँ और उप-प्रजातियाँ मैंग्रोव जैव विविधता के बारे में हमारी अधूरी समझ को दर्शाती हैं।
      • तीन प्रजातियों में संकर प्रजातियों के बारे में वर्गीकरण संबंधी प्रश्न, उनके वर्गीकरण और IUCN रेड लिस्ट प्रक्रिया में उनके समावेशन को प्रभावित करते हैं।
    • कई मैंग्रोव प्रजातियों से जुड़ी कुछ विशिष्ट विशेषताएँ इस प्रकार हैं: ज़मीन के ऊपर उभरी हुई श्वसन जड़ें, अतिरिक्त ट्रंक समर्थन संरचनाएँ, लवण-उत्सर्जक पत्तियाँ, लवणीय वातावरण में अनुकूल जल संबंध बनाए रखने के लिये कम जल क्षमता और उच्च अंतःकोशिकीय लवण सांद्रता और सजीवप्रजक, जल-प्रकीर्णित प्रजनक जो मूल पौधे से जुड़े रहते हुए विकसित होते हैं।
    • IUCN मैंग्रोव विशेषज्ञ समूह (Mangrove Specialist Group- MSG) जैव-भूगोल और वर्गीकरण में अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए मैंग्रोव प्रजातियों की एक आधिकारिक सूची को अंतिम रूप देने के लिये काम कर रहा है, जिसे उनकी वेबसाइट पर अपडेट किया जाएगा।
  • आसन्न पारिस्थितिकी तंत्र:
    • मैंग्रोव, ज्वारीय दलदल, समुद्री घास के मैदान, ज्वारीय मैदान और प्रवाल भित्तियों सहित तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के जटिल मोज़ेक को परिभाषित करना तथा मानचित्रण करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन मुक्त-पहुँच वाले सुदूर संवेदन चित्रों और उन्नत कंप्यूटिंग प्लेटफार्मों के साथ इसमें सुधार हो रहा है।
      • ज्वारीय दलदल: 10-मीटर रिज़ॉल्यूशन सेंटिनल इमेजरी पर आधारित वर्ष 2023 का वैश्विक ज्वारीय दलदल मानचित्र, वर्ष 2020 के विस्तार को 52,880 वर्ग किमी. दर्शाता है, जो मुख्य रूप से समशीतोष्ण और आर्कटिक क्षेत्रों में है, लेकिन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में 7,000 वर्ग किमी. से अधिक की पहचान भी करता है, जो अक्सर मैंग्रोव के पीछे होता है।
      • समुद्री घास/सी-वीड: सी-वीड में कैरेबियन कार्बन अकाउंटिंग (Caribbean Carbon Accounting in Seagrass- CariCAS) नेटवर्क जैसे प्रयास समुद्री घास की मात्रा और कार्बन स्टॉक के बारे में हमारी समझ में सुधार कर रहे हैं, तथा समुद्री घास के मानचित्रण में वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद जलवायु परिवर्तन शमन में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाल रहे हैं।
      • अन्य पारिस्थितिकी तंत्र: एलन कोरल एटलस द्वारा विश्व स्तर पर मानचित्रित प्रवाल भित्तियाँ, तथा कार्बन भंडारण और तूफान से सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण ज्वारीय मैदान, मानवीय गतिविधियों के कारण खतरे का सामना कर रहे हैं, जिससे समग्र संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है, जिसमें मैंग्रोव और आसन्न पारिस्थितिकी तंत्रों के अंतर्संबंधों पर विचार किया जाए।

वर्ष 2000-2020 के दौरान विश्व के मैंग्रोव में परिवर्तन के कारक क्या हैं?

  • संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) का अध्ययन: संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने हाल ही में मैंग्रोव की वैश्विक स्थिति पर एक व्यापक अध्ययन किया।
    • इस अध्ययन में एक नवीन पद्धति का उपयोग किया गया, जिसमें मैंग्रोव क्षेत्र में परिवर्तनों का विश्लेषण करने के लिये रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी को स्थानीय ज्ञान के साथ एकीकृत किया गया।
    • जलीय कृषि में पाम-ऑइल बागानों और चावल की कृषि के रूपांतरण से वर्ष 2000 तथा 2020 के दौरान मैंग्रोव का 43.3% नुकसान हुआ है।
    • अध्ययन में नदी तल, तलछट इनपुट या समुद्र के स्तर में बदलाव के कारण होने वाली "प्राकृतिक संकुचन" पर प्रकाश डाला गया है, जो पिछले 20 वर्षों में 26% मैंग्रोव की हानि के लिये ज़िम्मेदार है।
    • व्यापक वर्गीकरण करें तो, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया में प्राकृतिक कारण प्रमुख हैं, जबकि अफ्रीका और एशिया में मानव-प्रेरित कारक अत्यधिक प्रभावी हैं।
    • प्राकृतिक विस्तार में वैश्विक स्तर पर सभी लाभों का 82% हिस्सा शामिल था। फिर भी पुनर्स्थापना प्रयासों को भी दर्ज किया गया जिनमें दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका में क्रमशः 25% और 33% मैंग्रोव विस्तार के प्रयास किये गए।
    • अपेक्षाओं के विपरीत, अध्ययन में पाया गया कि मैंग्रोव का प्राकृतिक विस्तार, प्राकृतिक संकुचन की तुलना में कहीं अधिक है, जिससे उनकी लचीलापन और स्थानीय जैवभौतिकीय स्थितियों तथा ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के बीच जटिल अंतर्सम्बन्ध पर प्रकाश पड़ता है

  • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की रेड लिस्ट:
    • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) ने 44 देशों के 250 से अधिक वैज्ञानिकों को शामिल करते हुए एक वैश्विक अध्ययन का नेतृत्व किया है, जिसे मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की वैश्विक रेड लिस्ट नाम दिया गया है।
    • अध्ययन की शुरुआत 36 प्रांतों में विश्व के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्रों को वर्गीकृत करके की गई और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में पारिस्थितिकी तंत्रों की लाल सूची (Red List of Ecosystems- RLE) पद्धति का परीक्षण किया गया। फिर इसी दृष्टिकोण को आरएलई पद्धति का उपयोग करके मैंग्रोव के पहले वैश्विक मूल्यांकन में लागू किया गया।
      • 18 मैंग्रोव प्रांत, जो विश्व के मैंग्रोव क्षेत्र का लगभग 50% प्रतिनिधित्व करते हैं, खतरे में हैं, जिनमें से आठ प्रांतों को लुप्तप्राय (EN) या गंभीर संकटग्रस्त  (Critically Endangered) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
      • जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से भयंकर चक्रवाती तूफान और समुद्र-स्तर में वृद्धि, मूल्यांकन किये गए मैंग्रोव प्रांतों के एक-तिहाई (30%) को खतरे में डालते हैं, जिससे वैश्विक मैंग्रोव क्षेत्र का 37% प्रभावित होता है।
      • पिछले नुकसानों ने 28% मैंग्रोव प्रांतों (वैश्विक क्षेत्र का 38%) को खतरे में डाल दिया है। जबकि दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में मैंग्रोव रूपांतरण धीमा हो रहा है, यह गिनी दक्षिण प्रांत की खाड़ी जैसे क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है।
    • RLE वैश्विक अध्ययन मैंग्रोव के नुकसान को कम करने के लिये राष्ट्रीय आकलन और कार्रवाई का मार्गदर्शन करने में सहायक हो सकता है, लेकिन देशों को निर्णय लेने के लिये विश्वसनीय राष्ट्रीय या निम्न-स्तरीय आकलन को प्राथमिकता देनी चाहिये।
    • वैश्विक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये प्रबंधन रणनीतियों, जैसे कि 1,50,000 वर्ग किमी. मैंग्रोव को सुरक्षित करने हेतु मैंग्रोव ब्रेकथ्रू, को जलवायु परिवर्तन के कारण पतन के जोखिम पर विचार करना चाहिये, इन वैश्विक लक्ष्यों में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की वैश्विक रेड लिस्ट का योगदान है।

  • पोषक प्रदूषण:
    • मानवजनित प्रदूषक, विशेष रूप से नाइट्रोजन, मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को तेज़ी से खतरे में डाल रहे हैं। 
    • अलवण जल के उच्च प्रवाह वाले नदमुख के मैंग्रोव पोषक प्रदूषण के प्रति संवेदनशील हैं, जिससे यूट्रोफिकेशन होता है। कृषि और जलीय कृषि गतिविधियों से इन क्षेत्रों में नाइट्रोजन युक्त जल उत्सर्जित होता है।
    • भारतीय सुंदरबन में नाइट्रोजन का उच्च स्तर है, जो माइक्रोबियल उत्पादकता को प्रभावित करता है। गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना डेल्टा से निकलने वाले प्रदूषकों, जिसमें गंगा नदी के कई स्रोतों से निकलने वाले नाइट्रोजन के कारण यह समस्या और भी बदतर हो जाती है।
  • प्रदूषण और सूक्ष्मजीव:
    • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में अलवण जल-धारा के माध्यम से एंटीबायोटिक्स, भारी धातुएँ और कृषि एवं मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्सर्जित रसायन का प्रवाह होता है, जिससे सूक्ष्मजैविक आबादी पर दबाव पड़ता है जो संभावित रूप से रोगाणुरोधी प्रतिरोध और नए रोग का कारण बनता है।

मैंग्रोव के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की क्या भूमिका है?

  • अनुसंधान और अभ्यास में स्थानीय पारिस्थितिक ज्ञान (LEK) को सम्मलित करना:
    • स्थानीय पारिस्थितिक ज्ञान (LEK) दीर्घकालिक परिणामों की अधिक संभावना के साथ मैंग्रोव संरक्षण और पुनःस्थापन प्रयासों को विकसित करने के लिये महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है।
    • ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस की LEK बेस्ट-प्रैक्टिस गाइड मैंग्रोव अनुसंधान और संरक्षण परियोजनाओं में स्थानीय पारिस्थितिक ज्ञान (LEK) को नैतिक एवं प्रभावी रूप से शामिल करने के लिये व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करती है, जो हैं –
      • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के संदर्भ में LEK की विविधता और दायरे के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
      • LEK द्वारा मैंग्रोव संरक्षण और इसके पुनर्नवीकरण में लाए जा सकने वाले मूल्य पर प्रकाश डालना।
      • परियोजनाओं में LEK की बढ़ती भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
      • समान सहयोग के महत्त्व पर ज़ोर देना।

  • आक्रामक सीप: इंडो-पैसिफिक से ओयस्टर सैकोस्ट्रिया क्यूकुलाटा को पहली बार वर्ष 2014 में ब्राज़ील में दर्ज़  किया गया था।
    • देशी मैंग्रोव ओयस्टर क्रैसोस्ट्रिया ब्रासिलियाना को इस आक्रामक विदेशी प्रजाति (IAS), जो अपने क्षेत्र का विस्तार कर पर्यावरण और समाज पर प्रभाव डाल रही है, से संघर्ष करना पड़ रहा है।

  • मैंग्रोव समुदायों के लिये विविध आजीविका:
    • यह सुनिश्चित करना कि स्थानीय समुदाय मैंग्रोव के साथ स्थायी तरीके से जुड़ सकें और इनका लाभ उठा सकें, मैंग्रोव प्रबंधन को जारी रखने का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। 
    • उन क्षेत्रों में पारंपरिक या आधुनिक तकनीकों की स्थिरता बढ़ाने के अवसरों की आवश्यकता हो सकती है जहाँ मैंग्रोव की घटती संख्या और बढ़ती आबादी एक साथ मौजूद हैं, साथ ही मैंग्रोव के भीतर या बाहर नए अवसरों की भी आवश्यकता हो सकती है। 
      • मत्स्य पालन: मैंग्रोव को 'मत्स्य भंडार' के रूप में माना जा सकता है, जो वाणिज्यिक रूप से महत्त्वपूर्ण मीन प्रजातियों की बहुत बड़ी मात्रा में उत्पादन करते हैं।
      • नमक उत्पादन: नमक को क्रिस्टलीकृत करने के लिये जलावन लकड़ी हेतु मैंग्रोव को काटने की असंवहनीय प्रथा के अलावा, नमक उत्पादन प्रायः मैंग्रोव वनों के समीप किया जाता है और इसके अत्यंत हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं।
        •  नमक उत्पादन को गैर-मैंग्रोव क्षेत्रों तक सीमित करके और मैंग्रोव के जलावन लकड़ी के उपयोग को रोककर इन दोनों प्रभावों को कम किया जा सकता है।
        • ऐसा ही एक उदाहरण गिनी में है, जहाँ लवण जल को प्राकृतिक रूप से वाष्पित करके 30% मैंग्रोव नमक का उत्पादन किया जाता है।  
      • लकड़ी की संधारणीय कटाई: मैंग्रोव लकड़ी के निर्यात का दस्तावेज़ीकरण 1,200 वर्ष पूर्व से होता आ रहा है। मैंग्रोव की लकड़ी टिकाऊ होती है, और दीमक के प्रति इसका प्रतिरोध इसे एक आकर्षक निर्माण सामग्री बनाता है।
        • जो समुदाय अभी भी मैंग्रोव की लकड़ी पर निर्भर हैं, उन्होंने कटाई की ऐसी तकनीकें विकसित की हैं जो वनों की मूल्यवान पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखती हैं।
      • मधुमक्खी पालन: मेक्सिको और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में  मधुमक्खी पालन की पारंपरिक प्रथा समुदायों के लिये पूरक आय प्राप्त करने के तरीके के रूप में लोकप्रियता हासिल कर रही है और बदले में  वे देशी/स्थानीय मधुमक्खियों (डंक रहित) के अस्तित्व को बचाने में सहायता कर रहे हैं जो आक्रामक अफ्रीकी मधुमक्खियों द्वारा गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं।
      • प्रबंधन, पुनर्भरण, अनुसंधान: इक्वाडोर में  सबाना ग्रांड एसोसिएशन (Sabana Grande Association) समुदाय के सदस्यों ने एक संकटग्रस्त झींगा प्रजाति के तालाब का पुनर्भरण करने के लिये मैंग्रोव नर्सरी में पौधे उगाए। 
        • अपनी नर्सरी की सफलता के कारण, उन्होंने मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस के सम्मान में पड़ोसी समुदायों को पौधे बेचकर अपने अतिरिक्त आय का मार्ग प्रशस्त किया।
      • पर्यटन और मनोरंजन: स्थानीय समुदायों एवं आगंतुकों दोनों द्वारा मैंग्रोव के भीतर पर्यटन और मनोरंजन गतिविधियाँ व्यापक रूप से की जाती हैं।
        • मैंग्रोव से सटे उथले ‘फ्लैट्स’ में फ्लाई-फिशिंग सहित मनोरंजक मत्स्यन (Recreational fishing) विशेष रूप से लोकप्रिय हो सकता है। बहामास, क्यूबा और बेलीज़ जैसे देशों में  सर्वश्रेष्ठ स्थानीय मत्स्यन वाले गाइड की अंतर्राष्ट्रीय मछुआरों में अत्यधिक मांग है।
  • विभिन्न पैमानों पर जुड़ना:
    • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की गतिशीलता को समझने में मैंग्रोव कवर एवं मत्स्य उत्पादन से लेकर कार्बन स्टॉक तक, वैश्विक मॉडल और डेटासेट महत्त्वपूर्ण रहे हैं।
    • बदले में  ये वैश्विक उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय नीतियों, रणनीतियों और लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण टूलसेट प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिये सतत् विकास लक्ष्यों, पेरिस समझौते, जैविक विविधता पर कन्वेंशन, साथ ही GMA की सुरक्षा और पुनर्स्थापना रणनीतियों के तहत।
    • क्षेत्र-आधारित इनपुट के साथ वैश्विक विश्लेषण को बढ़ाने से मॉडल की सटीकता में सुधार होता है, मानकीकरण का समर्थन होता है, और मैंग्रोव संरक्षण एवं पुनर्भरण के लिये राष्ट्रीय रणनीतियों में सहायता मिलती है, जिससे स्थानीय शोधकर्त्ताओं व हितधारकों के बीच जुड़ाव तथा सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
      • नागरिक विज्ञान पहल की क्षमता जैव विविधता निगरानी (जैसे iNaturalist) के क्षेत्रों में क्रांतिकारी साबित हुई है।
  • तटीय कार्बन नेटवर्क (CCN):
    • तटीय कार्बन नेटवर्क (CCN) तटीय आर्द्रभूमि वैज्ञानिकों और चिकित्सकों का एक संघ है, जो स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन द्वारा निर्देशित है।
    • CCN का उद्देश्य वैज्ञानिक खोज़/अन्वेषण को बढ़ावा देना, विज्ञान-आधारित नीति को आगे बढ़ाना और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन में सुधार करना है।
  • ब्लू कार्बन एक्सप्लोरर: नेचर कंज़रवेंसी (TNC) ने अप्रैल 2023 में प्लैनेट लैब्स और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के सहयोग से ब्लू कार्बन एक्सप्लोरर लॉन्च किया।
    • कैरिबियन में  TNC उपग्रह इमेजरी और व्यापक क्षेत्र डेटा संग्रह का उपयोग करके मैंग्रोव एवं समुद्री घास (Seagrass ) के परिष्कृत मानचित्र विकसित कर रहा है।

मैंग्रोव के क्या लाभ हैं?

  • मैंग्रोव ब्लू कार्बन:
    • ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस द्वारा समर्थित नया वैश्विक मॉडल- 2023 दर्शाता है कि मैंग्रोव की मृदा और बायोमास में बहुत बड़ी मात्रा में कार्बन संग्रहित होता है, जिसमें से अधिकांश मृदा के ऊपरी परत में होता है, जो कार्बन पृथक्करण एवं उत्सर्जन शमन में इसकी भूमिका को उजागर करता है।
    • मैंग्रोव प्रति हेक्टेयर औसतन 394 टन कार्बन संग्रहित करते हैं। इस आँकड़े में से, 319 टन मृदा में  54 टन भू-पर्पटी पर बायोमास में और 21 टन जमीन के नीचे बायोमास में होता है।
    • दक्षिण-पूर्व एशिया (जैसे, सुमात्रा एवं बोर्नियो, इंडोनेशिया, मलेशिया एवं म्याँमार) में मैंग्रोव में ब्लू कार्बन का सबसे बड़ा भंडार है।
      • हालाँकि पश्चिम अफ्रीका (जैसे, नाइजीरिया और गिनी-बिसाऊ में), मध्य और दक्षिण अमेरिका (जैसे, मैक्सिको, वेनेज़ुएला और कोलंबिया में) और कैरिबियन (जैसे, क्यूबा में) में भी महत्त्वपूर्ण भंडार पाए गए।
  • वैश्विक मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता:
    • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र जैविक रूप से विविध हैं, क्योंकि उनमें मौजूद स्थितियों एवं स्थानों की विविधता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के वातावरण और स्थान होते हैं, जैसे पंकयुक्त भूमि, जल निकाय, वन संरचनाएँ, तथा समृद्ध वन तल,  शामिल हैं।
    • भूमि और समुद्र के बीच स्थित, मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र स्थलीय एवं जलीय दोनों जीवों का संभरण करते हैं।
      • ये केकड़ों, झींगा, मोलस्क, फिनफिश, पक्षियों, सरीसृपों और स्तनधारियों के लिये नर्सरी, भोजन एवं प्रजनन स्थल के रूप में कार्य करते हैं।
      • मैंग्रोव में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव भी होते हैं, जो आवास को पोषक तत्त्वों से समृद्ध और उत्पादक बनाते हैं।
      • मैंग्रोव में कीट-विविधता विशेष रूप से पौधों की विविधता से भी अधिक होती है। अकेले सिंगापुर के मैंग्रोव में 3,000 से अधिक कीट प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं।
    • भारत और बांग्लादेश में सुंदरबन बाघों, फिशिंग कैट्स, गंगा-डॉल्फिन, मगरमच्छ, हॉर्स-शू क्रैब्स, वाॅटर मॉनिटर लिज़ार्ड्स और नदी क्षेत्रों सहित वैश्विक रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों के लिये एक ‘आवास’ प्रदान करते हैं।
      • भारत के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में संभवतः किसी भी देश की तुलना में जैव विविधता का उच्चतम रिकॉर्ड है, जिसमें कुल 5,746 प्रजातियाँ हैं। इनमें से 4,822 प्रजातियों के (84%) जीव-जंतु हैं। इनमें जानवरों के अधिकांश प्रमुख वर्गीकरण समूह शामिल हैं, जिनमें दर्ज़ किये गए फाइला की संख्या 21 हैं जो भारतीय जीवों का 4.76% हिस्सा हैं।
      • इस पारिस्थितिकी तंत्र में 12 प्रजाति समूह का प्रभावी अस्तित्व है। इनमें मैंग्रोव पादप वर्ग और इनके सह-अस्तित्व की प्रजाति यथा: सी-वीड (फाइटोप्लांकटन और समुद्री शैवाल), कवक, प्रोटोज़ोआ, नेमाटोड, पॉलीशेट, ऐरेक्निड, क्रस्टेशियन, मोलस्क, कीट, पक्षी व फिनफिश इत्यादि शामिल हैं।
      • हालाँकि, बहुत अधिक व्यवस्थित और व्यापक क्षेत्र सर्वेक्षणों की कमी के कारण विश्व भर के कई मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्रों की वास्तविक प्रजाति समृद्धि, उनके महत्त्व के बावजूद, अभी भी पर्याप्त रूप से प्रलेखित नहीं हैं।
    • स्थानीय या क्षेत्रीय पैमाने पर जैव-विविधता पर मैंग्रोव के ह्रास के प्रभावों के बारे में बहुत कम जानकारी है।
      • संकटग्रस्त पारिस्थितिकी तंत्रों की वर्तमान IUCN रेड लिस्ट में 70 मैंग्रोव प्रजातियों में से 11 प्रजातियों (16%) (विशेष रूप से मध्य अमेरिका के अटलांटिक और प्रशांत तटों पर) को विलुप्त होने के उच्च खतरे में दर्ज किया गया है।
      • विश्व भर में  मैंग्रोव की कई प्रजातियाँ स्थानिक हैं, जिनमें 48 पक्षी, 14 सरीसृप, एक उभयचर और छह स्तनधारी शामिल हैं, जो अधिकतर एशिया व ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं। इनमें से लगभग 40% विलुप्त होने की कगार पर हैं।
  • गैलापागोस द्वीप समूह में मैंग्रोव:
    • गैलापागोस द्वीप समूह विकास के सिद्धांत को प्रेरित करने और अपने विश्व-प्रसिद्ध संरक्षण स्थिति एवं अनोखी/विशिष्ट प्रजातियों के लिये प्रसिद्ध हैं।
    • बहुत कम लोग जानते हैं कि गैलापागोस में मैंग्रोव वन हैं, जो नतोन्नत ज्वालामुखी तटरेखा के साथ विकसित हुए हैं।
    • यहाँ के मैंग्रोव पेंगुइन को पर्यावरण सेवाएँ प्रदान करते हैं।
    • यह विश्व का एकमात्र स्थान है जहाँ पेंगुइन मैंग्रोव खाड़ी से पोषण प्राप्त करते हैं। 
  • संभावित तटीय सुनामी के साथ मैंग्रोव का सामना: 
    • बाढ़ सर्वाधिक आवृत्ति वाली एक प्राकृतिक आपदा है। वैश्विक अध्ययनों के अनुसार, वैश्विक आबादी का लगभग 1.3% ऐसे क्षेत्रों में रहता है, जिसे 100 वर्षों में एक बार तटीय बाढ़ की घटनाओं का सामना करना पड़ता है।
    • मैंग्रोव सुनामी को धीमा करके, पुन:प्रेषित करके, तीव्र और प्रबल तरंगों को कम करके तटीय बाढ़ के पैटर्न को नियंत्रित करते हैं।
    • मैंग्रोव तूफानी लहरों के दौरान उत्पन्न होने वाले उच्च जल स्तर को पुर्णतः तो रोक नहीं सकते हैं, लेकिन ये प्रसार की गति, जलप्लावन की गहनता और समग्र बाढ़ के विस्तार को कम करते हैं।
      • मैंग्रोव आम तौर पर बाढ़ की गहनता को 15-20% तक कम करते हैं, जिनकी वर्तमान जलवायु में 100 वर्षों की निवर्तनी अवधि वाले तूफानों के लिये अधिकतम क्षमता 70% से भी अधिक है।
      • वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि जहाँ बड़े मैंग्रोव ग्रीन बेल्ट तटीय बाढ़ को बहुत हद तक कम करते हैं, वहीं छोटे पैच भी बाढ़ की गहनता को कम कर सकते हैं और आस-पास के क्षेत्रों में लहरों के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
    • तटीय बाढ़ को कम करने की मैंग्रोव की क्षमता की प्रभावशीलता वन की विशेषताओं (विस्तार और वनस्पति घनत्व), तटीय स्थलाकृति और तूफान की स्थिति (जैसे तूफान की ऊँचाई, तूफान की अवधि) जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है।
  • मैंग्रोव के वैश्विक बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण मूल्य की मैपिंग: कंप्यूटर मॉडल में मैंग्रोव को ऊबड़-खाबड़, विकृत सतहों के रूप में मानते हुए उनपर तूफानी लहरों का प्रभाव का अनुकरण किया जाता है, लेकिन यह वैश्विक अध्ययनों में प्रयुक्त ट्रांज़ेक्ट दृष्टिकोण, ज्वारनदमुख, डेल्टा और लैगून जैसी जटिल तटीय स्थितियों के लिये कम प्रभावी है।

मैंग्रोव खाद्य सुरक्षा से कैसे संबंधित हैं?

  • खाद्य सुरक्षा और मैंग्रोव:
    • मैंग्रोव विश्व के सबसे अधिक उत्पादक पारिस्थितिकी तंत्रों में से हैं, उनकी उच्च उत्पादकता एक समृद्ध खाद्य जाल को बनाए रखती है, भोजन, फाइबर और ईंधन के साथ-साथ सांस्कृतिक सेवाएँ प्रदान करती है, जो मानव कल्याण को बनाए रखने में मदद करती हैं। वे सभी चार आयामों में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं।

  • मैंग्रोव मत्स्य पालन: मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र से प्राप्त मछली और समुद्री भोजन अक्सर आवश्यक पोषक तत्त्वों से भरपूर होते हैं, जैसे प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन (जैसे, विटामिन डी और बी12), और खनिज (जैसे, आयरन, जिंक)।
    • लगभग 50 मैंग्रोव मत्स्य पालन वैज्ञानिकों के एक वैश्विक समूह ने व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण मछली और अकशेरुकी जीवों के घनत्व और प्रचुरता का अनुमान लगाने हेतु एक मॉडल विकसित किया है, जो मैंग्रोव का बड़े पैमाने पर उपयोग करने के लिये जाने जाते हैं। 
    • विश्व भर के स्थानों से 37 प्रजातियों के घनत्व पर फील्ड डेटा पाया गया, जिसमें मछली, झींगा, केकड़े और एक कॉकल की प्रजातियाँ शामिल हैं।
    • यह अनुमान लगाया गया है कि 37 प्रजातियों में मैंग्रोव की उपस्थिति प्रतिवर्ष लगभग 800 बिलियन युवा मछलियों, झींगों और द्विकपाटी तथा वयस्क केकड़ों का पोषण करती है।
  • गैर-जलीय खाद्य पदार्थ: मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र कई तरह के गैर-जलीय खाद्य संसाधन भी प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिये, मैंग्रोव के आवासों में पाए जाने वाले कुछ मैंग्रोव और जड़ी-बूटियों की पत्तियों को इकट्ठा किया जाता है और उन्हें सब्ज़ियों के रूप में खाया जाता है। 
  • पशुओं के चारे के रूप में मैंग्रोव: मैंग्रोव का सेवन न केवल मनुष्यों द्वारा बल्कि पशुओं द्वारा भी सीधे तौर पर किया जाता है। मैंग्रोव की पत्तियाँ बकरियों, भेड़ों, गायों और ऊँटों जैसे पशुओं के लिये चारे के रूप में काम आती हैं, खास तौर पर शुष्क क्षेत्रों में। 
  • ईंधन की लकड़ी और चारकोल: मैंग्रोव ईंधन की लकड़ी का एक स्रोत है जिसका उपयोग तटीय समुदायों द्वारा खाना पकाने, पानी को साफ करने और मछली को धूम्रपान करने के लिये किया जाता है। 
  • आय का स्रोत: मछली और अन्य जलीय प्रजातियों, लकड़ी, लकड़ी का कोयला, शहद, फल, सब्जियाँ और अन्य गैर-लकड़ी वन उत्पादों सहित मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र से प्राप्त उत्पादों की बिक्री भी तटीय समुदायों के लिये आर्थिक स्थिरता प्रदान करने में मदद करती है। 
  • स्थिरता और लचीलापन: अंत में मैंग्रोव अन्य महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करते हैं, जो खाद्य उत्पादन को आधार प्रदान करती हैं और समय के साथ स्थिरता प्रदान करती हैं।
  • अमेरिका के सबसे ऊँचे मैंग्रोव में मछली नर्सरी:
    • कोलम्बिया के दक्षिणी प्रशांत तट पर स्थित एस्फुएर्ज़ो पेस्काडोर सामुदायिक परिषद, विश्व  के सबसे ऊँचे मैंग्रोव वनों में से एक है।
    • यहाँ मछलियों की विविधता बहुत अधिक है और एक सहभागी मछली पकड़ने की निगरानी कार्यक्रम लागू किया गया है, जिसमें बॉटम ट्रॉलिंग जैसी गैर-टिकाऊ प्रथाओं की पहचान की गई है।
  • जलीय कृषि और मैंग्रोव:
    • मैंग्रोव के लिये जलीय कृषि से जुड़ी समस्याएँ:
      • जलीय कृषि के प्राचीन रूप 2,000 से अधिक वर्षों से प्रचलित हैं। हांगकांग के गेई वाइस और इंडोनेशिया के तंबक जलीय कृषि के पारंपरिक रूप हैं, जो आज भी मौज़ूद हैं। हालाँकि इनकी आधुनिक औद्योगिक जलीय कृषि से बहुत कम समानता है।
      • विश्व स्तर पर झींगा जलीय कृषि का वर्तमान सर्वोत्तम अनुमान लगभग 3.49 मिलियन हेक्टेयर है।
    • समाधान के प्रयास:
      • कम प्रभाव या मैंग्रोव-अनुकूल जलीय कृषि से झींगा का प्रमाणन और इकोलेबलिंग अप्रभावी साबित हुआ है और महत्त्वपूर्ण मुद्दे अभी भी बने हुए हैं, जैसा कि होंडुरास और बांग्लादेश में स्वतंत्र अध्ययनों से पता चलता है।
      • सुरक्षा गार्ड या झींगा प्रोसेसर जैसी कई नई सृजित नौकरियाँ कम वेतन वाली और कम कुशल हैं।
      • स्थानीय समुदायों के साथ विकसित किये गए मैंग्रोव संरक्षण और पुनर्स्थापना के अवसर, झींगा प्रमाणन या "मैंग्रोव-अनुकूल" जलीय कृषि के लिए एक बेहतर विकल्प प्रदान करते हैं।
  • खाद्य उत्पादन द्वारा मैंग्रोव को पुनःस्थापित करना:
    • जलीय कृषि के विस्तार के कारण मैंग्रोव नष्ट हो गए हैं, लेकिन मैंग्रोव आवासों में गहन खेती अक्सर असफल हो जाती है, जिससे क्षरित क्षेत्र रह जाते हैं, जिन्हें टिकाऊ, इनपुट-मुक्त समुद्री खाद्य उत्पादन के लिये पुनःस्थापित किया जा सकता है।
    • एकीकृत मैंग्रोव जलीय कृषि (IMA) में खेतों के तालाबों और तटबंधों के भीतर मैंग्रोव को पुनःस्थापित करना शामिल है।
      • एक बार स्थापित होने के बाद, मैंग्रोव जलीय प्रजातियों को प्राकृतिक खाद्य जाल के हिस्से के रूप में बढ़ने और पनपने के लिये भोजन और आश्रय दोनों प्रदान करते हैं।
      • IMA में आमतौर पर एक बहुसंस्कृति दृष्टिकोण शामिल होता है, जहाँ किसान झींगा, केकड़ा, फिल्टर-फीडिंग मछली और बाइवल्व मोलस्क की कई प्रजातियाँ उगाते हैं।
      • IMA भूमि पर कृषि वानिकी का जलीय संस्करण है, जहाँ एक कार्यात्मक पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर भोजन उगाया और काटा जाता है। 
      • IMA में आदर्श रूप से मैंग्रोव के साथ किसी दिये गए खेत की कुल सतह के कम से कम 50% की पुनर्स्थापना शामिल है।
      • IMA स्थानीय समुदायों के लिये मज़बूत आय के अवसर प्रदान करता है। हैचरी में पाले गए किशोरों की लागत के बाद, कोई और खर्च नहीं है। इस प्रकार, कई छोटे पैमाने के गहन झींगा किसानों के लिये आम तौर पर ऋण जाल, जो फीड, उर्वरकों या अन्य रसायनों की लागत से जुड़ा होता है, से बचा जा सकता है।
  • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में संधारणीय जलीय कृषि (SAIME):
    • भारतीय सुंदरबन में नेचर एनवायरनमेंट एंड वाइल्डलाइफ सोसाइटी (NEWS) द्वारा कार्यान्वित SAIME, समुदाय, संरक्षण, आजीविका और जलवायु परिवर्तन शमन को बहु-हितधारक भागीदारी के माध्यम से एक सार्थक कार्यक्रम में साथ लाता है, जो जलवायु परिवर्तन से प्रेरित समुद्र-स्तर की वृद्धि के संदर्भ में तटीय लचीलापन उत्पन्न करता है।
    • इस पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित और जलवायु-अनुकूली दृष्टिकोण का उद्देश्य सुंदरबन में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना को बढ़ावा देना है, साथ ही बहु-कृषि पद्धति का उपयोग करके संधारणीय जलीय कृषि का विकास करना है।
    • ब्लैक टाइगर झींगा को एक उम्मीदवार प्रजाति के रूप में एकीकृत किया गया है, जिसमें “बाहरी फीड का कोई उपयोग नहीं है।

मैंग्रोव को बचाने की दिशा में क्या ज़रूरतें और कदम हैं?

  • संरक्षण की ज़रूरत: 
    • जैव विविधता और लोगों दोनों के लिये मैंग्रोव के अपार महत्त्व को देखते हुए, मैंग्रोव को बचाने का तर्क लगभग अपरिहार्य है अतः ग्लोबल मैंग्रोव अलायंस (GMA) ने वर्ष 2030 तक सुरक्षा को दोगुना करने का आह्वान किया है। 
    • साथ ही, यह कोई छोटी चुनौती नहीं है। विश्व  के बचे हुए मैंग्रोव वनों में से लगभग 40% पहले से ही संरक्षित क्षेत्रों में हैं। इसे दोगुना करके 80% करना, खासकर जब इतने सारे खतरे बने हुए हैं, इसके लिये बहुत प्रयास करने होंगे।
      • मौजूदा मैंग्रोव-संरक्षित क्षेत्रों में यू.एस.ए. में फ्लोरिडा एवरग्लेड्स नेशनल पार्क और ऑस्ट्रेलिया में डेनट्री नेशनल पार्क जैसे प्रतिष्ठित स्थान शामिल हैं। 
      • शहरी संरक्षित क्षेत्र कस्बों और शहरों में मैंग्रोव तक लोकप्रिय पहुँच प्रदान करते हैं, उदाहरण के लिये संयुक्त अरब अमीरात, दुबई, सिंगापुर और चीन में। 
      • सुंदरबन विश्व धरोहर स्थल में बंगाल के बाघों और लॉस पेटेनेस और रिया सेलेस्टुन के मैक्सिकन बायोस्फीयर रिज़र्व में रहने वाले 20,000 से अधिक फ्लेमिंगो सहित महत्त्वपूर्ण और शानदार जैव विविधता सुरक्षित है।
    • ब्राज़ील, मैक्सिको और बांग्लादेश जैसे कुछ प्रमुख मैंग्रोव राष्ट्रों ने पहले ही अपने तीन-चौथाई से अधिक मैंग्रोव को संरक्षित घोषित कर दिया है। 
      • इन देशों के लिये संरक्षित क्षेत्रों के कवरेज़ को दोगुना करना संभव नहीं है, हालाँकि संरक्षण की प्रभावशीलता की निगरानी करना हमेशा महत्त्वपूर्ण होता है। 
    • स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर कई देश अभी भी 5% संरक्षण से नीचे हैं, जिनमें मलेशिया, पापुआ न्यू गिनी और म्याँमार शामिल हैं। 
      • यहाँ तक ​​कि इंडोनेशिया, जो अभी भी व्यापक क्षति के बावजूद विश्व के पाँचवें हिस्से के मैंग्रोव की मेज़बानी करता है, ने केवल 15% को संरक्षित क्षेत्रों में रखा है।
  • अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपाय (OECM):
    • संरक्षित क्षेत्रों के साथ-साथ, अब यह व्यापक मान्यता है कि संरक्षण अन्य तरीकों से भी प्राप्त किया जा सकता है।
      • OECM में संरक्षित क्षेत्रों के बाहर कई संभावित स्थान और स्थितियाँ शामिल हैं, जहाँ मानवीय प्रभाव या गतिविधियाँ प्रतिबंधित हो सकती हैं या जहाँ दीर्घकालिक रूप से स्थायी उपयोगों को पहचाना एवं  सुरक्षित किया जा सकता है।
      • वे औपचारिक रूप से नामित संरक्षित क्षेत्रों के बराबर और अक्सर उनके पूरक प्रभावी एवं सुरक्षित संरक्षण परिणाम उत्पन्न करते हैं।
      • मौजूदा दिशा-निर्देश बताते हैं कि OECM की स्पष्ट भौगोलिक परिभाषा होनी चाहिये  और इसमें जैव विविधता के हित वाले क्षेत्र शामिल होने चाहिये।
      • वे सार्वजनिक, निजी या पारंपरिक स्वामित्व या इनके संयोजन के अंतर्गत आ सकते हैं। संरक्षित क्षेत्रों की तरह, उनका शासन न्यायसंगत और प्रभावी होना चाहिये।
  • कार्रवाई के लिये अलर्ट:
    • मैंग्रोव का नुकसान आम तौर पर कम समय अवधि में होता है। फिर भी ग्लोबल मैंग्रोव वॉच (GMW) विस्तार परतों जैसे वार्षिक मैंग्रोव विस्तार मानचित्रों में नुकसान होने के एक वर्ष  या उससे अधिक समय बाद ही जानकारी बदलती है।
    • यह मान्यता कि मैंग्रोव के क्षति की पहचान करने का एक तेज़ तरीका ज़रूरी है, ने GMW मैंग्रोव नुकसान अलर्ट उत्पाद के विकास को उत्पन्न किया है।
      • GMW मैंग्रोव क्षति अलर्ट सिस्टम को माइक्रोसॉफ्ट प्लैनेटरी कंप्यूटर का उपयोग करके लागू किया गया था, जो उपग्रह इमेजरी(imagery) के विश्लेषण के लिये  क्लाउड कंप्यूटिंग वातावरण प्रदान करता है।
  • पुनर्स्थापना:
    • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों के कारण मैंग्रोव पुनर्स्थापना पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। बॉन चैलेंज से लेकर वर्ष 2030 तक 4,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को बहाल करने के GMA के लक्ष्य तक, महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य विज्ञान, नीति और अभ्यास में सामूहिक कार्रवाई को उत्प्रेरित कर रहे हैं।
    • नए उपकरण, संसाधन और प्रशिक्षण कार्यक्रम मैंग्रोव पुनर्स्थापना एवं संरक्षण को बेहतर बनाने में मदद कर रहे हैं तथा विश्व भर में ज़मीनी स्तर पर प्रयास बढ़ रहे हैं।
    • पुनर्स्थापना के लिये क्षमता निर्माण और वित्तपोषण एवं निवेशकों के साथ पुनर्स्थापना के अवसरों का मिलान करने के लिये समर्पित प्रयासों की आवश्यकता होती है।
    • पर्याप्त रिपोर्टिंग और निगरानी को प्रोत्साहित करने एवं वैश्विक स्तर पर अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सुविधा के लिये मैंग्रोव पुनर्स्थापना ट्रैकर टूल जैसे वैश्विक उपकरण विकसित किये गए हैं।
  • अक्तूबर 2023 में पुनर्स्थापना संबंधी मार्गदर्शन:
    • GMA और ब्लू कार्बन इनिशिएटिव ने मैंग्रोव पुनर्स्थापना के लिये सर्वोत्तम अभ्यास दिशानिर्देश विकसित किये हैं। ये दिशानिर्देश परियोजना प्रबंधकों, निवेशकों और नीति निर्माताओं को परियोजना चक्र के हर चरण के लिये चरण-दर-चरण दृष्टिकोण प्रदान करने हेतु विकसित किये गए थे, जिसमें परियोजना डिज़ाइन व  वित्तपोषण से लेकर कार्यान्वयन तक शामिल है।
    • यह समावेशी, समुदाय-आधारित दृष्टिकोणों पर ध्यान केंद्रित करता है, जो पुनर्स्थापन की सफलता और दीर्घायु को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुए हैं।
    • इन्हें चार मुख्य भागों/चरणों में विभाजित किया गया है:
      • चरण 1 में लक्ष्य निर्धारित करने और परियोजना की उपयुक्तता का आकलन करने के विषय में मार्गदर्शन दिया जाता है। 
      • चरण 2 में परियोजना डिज़ाइन के विषय में मार्गदर्शन दिया जाता है, विशेष रूप से सामाजिक-आर्थिक और जैव-भौतिक कारकों को समझने के संदर्भ में। 
      • चरण 3 में परियोजना कार्यान्वयन और वित्त पोषण की व्यावहारिकता व  हितधारकों को शामिल करने तथा प्रगति को मापने की पद्धति पर चर्चा की जाती है। 
      • चरण 4 में निगरानी, ​​मूल्यांकन और अनुकूली प्रबंधन पर मार्गदर्शन दिया जाता है।
  • सफल मैंग्रोव पुनर्स्थापना हेतु छह मार्गदर्शक सिद्धांत: मैंग्रोव पुनर्स्थापना के समग्र दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने के लिये, GMA भागीदारों, वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने छह मार्गदर्शक सिद्धांत विकसित किये हैं, जो सफल मैंग्रोव पुनर्स्थापना हेतु सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करते हैं तथा परियोजना चक्र के प्रत्येक चरण में लागू कियेजा सकते हैं।
    • सिद्धांत 1- प्रकृति की सुरक्षा करना और जैव विविधता को अधिकतम करना:
      • शेष अक्षुण्ण मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा करना, उनकी लचीलापन क्षमता को बढ़ाना तथा विज्ञान आधारित पारिस्थितिकी पुनर्स्थापना प्रोटोकॉल को लागू करना।
    • सिद्धांत 2- सर्वोत्तम जानकारी और प्रथाओं को अपनाना:
      • मैंग्रोव हस्तक्षेप के लिये स्वदेशी, पारंपरिक और स्थानीय ज्ञान सहित सर्वोत्तम उपलब्ध विज्ञान-आधारित ज्ञान का उपयोग करना।
    • सिद्धांत 3- लोगों को सशक्त बनाना और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना:
      • परियोजना डिज़ाइन के सभी पहलुओं में  सामाजिक सुरक्षा उपायों को लागू करना जो स्थानीय और प्रासंगिक रूप से संचालित होते हैं, ताकि समुदाय के सदस्यों के अधिकारों, ज्ञान एवं नेतृत्व की रक्षा व वृद्धि की जा सके, ताकि निष्पक्ष तथा न्यायसंगत लाभ प्राप्त किया जा सके।
    • सिद्धांत 4- व्यापक संदर्भ से जुड़ना:
      • सांस्कृतिक रीति-रिवाजों, संसाधनों के उपयोग, प्रबंधन और स्वामित्व व्यवस्थाओं सहित स्थानीय संदर्भ में कार्य करना, भूमि व समुद्री परिदृश्य दृष्टिकोण अपनाना तथा अंतर्राष्ट्रीय रुझानों एवं उनके स्थानीय निहितार्थों के साथ तालमेल बिठाना।
    • सिद्धांत 5-स्थायित्व हेतु डिज़ाइन:
      • दीर्घकालिक मैंग्रोव परियोजनाएँ और कार्यक्रम बनाना जो वित्तपोषण, खतरे में कमी, सामुदायिक प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखना।
    • सिद्धांत 6-उच्च निष्ठा पूंजी जुटाना:
      • आवश्यक पैमाने पर पूंजी प्रवाह सुनिश्चित करना और तैयार परियोजनाओं को वित्त पोषण वितरित करने की अनुमति देना।
  • समुदाय-आधारित पारिस्थितिक मैंग्रोव पुनर्स्थापना (CBEMR) विधि: मैंग्रोव एक्शन प्रोजेक्ट (MAP) द्वारा अग्रणी समुदाय-आधारित पारिस्थितिक मैंग्रोव पुनर्स्थापना (CBEMR) विधि मैंग्रोव पुनर्स्थापना हेतु एक अभिनव दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है, जिसने अपनी प्रभावकारिता और स्थिरता के लिये वैश्विक मान्यता प्राप्त की है।
    • सर्वोत्तम जानकारी और प्रथाओं का उपयोग करना 
    • लोगों को सशक्त बनाना और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना 
    • प्रकृति की रक्षा करना 
    • व्यापक संदर्भ के साथ तालमेल बिठाएँ - स्थानीय और प्रासंगिक रूप से कार्य करना 
    • स्थायित्व हेतु डिज़ाइन करना 
    • उच्च-अखंडता पूंजी जुटाना 
  • वैश्विक नीति प्रतिबद्धताओं को सूचित करने हेतु उपकरण:

              उपकरण

                विवरण 

            फोकस 

ग्लोबल मैंग्रोव वॉच (GMW)

राष्ट्रीय जलवायु और जैवविविधता योजनाओं में मैंग्रोव प्रतिबद्धताओं के एकीकरण का समर्थन करने के लिये मैंग्रोव डेटा प्रदान करता है।

मैंग्रोव डेटा, राष्ट्रीय-स्तरीय कार्रवाई

मैंग्रोव पुनर्स्थापना के लिये  सर्वोत्तम व्यवसाय  दिशानिर्देश

मैंग्रोव पुनर्स्थापना के लिये लक्ष्य निर्धारित करने, निगरानी करने और कार्रवाई की पहचान करने में सरकारों का समर्थन करता है।

मैंग्रोव पुनर्स्थापना, समुदाय-आधारित हस्तक्षेप

ब्लू कार्बन और NDC: बढ़ी हुई कार्रवाई पर दिशानिर्देश

राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) में तटीय ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्रों को शामिल करने के लिये एक स्तरीय दृष्टिकोण की अनुशंसा करता है।

ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र, NDC

NDC में तटीय ग्रीन-ग्रे बुनियादी अवसरंचना को शामिल करने के लिये मार्गदर्शन

इसमें बताया गया है कि तटीय ग्रीन-ग्रे अवसंरचना राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों में कैसे योगदान दे सकती है और उन्हें NDC में कैसे शामिल किया जा सकता है।

तटीय अवसंरचना, NDC, राष्ट्रीय अनुकूलन योजना

ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र के लिये अंतर्राष्ट्रीय नीति प्रक्रियाओं

अंतर्राष्ट्रीय नीति प्रक्रियाओं में ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और पुनर्स्थापन हेतु अंतर-सम्बन्धों और अवसरों का अवलोकन प्रदान करता है।

ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र, अंतर्राष्ट्रीय नीति संरेखण

मैंग्रोव कानून और नीति

मैंग्रोव संरक्षण, पुनर्स्थापन और सतत् उपयोग के लिये राष्ट्रीय स्तर पर कानूनी तथा नीतिगत विकल्पों की खोज करता है।

मैंग्रोव कानून और नीति, केस स्टडी, अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्य संरेखण

  • नीतियाँ:
    • वर्तमान स्थिति: वर्ष 2023 तक 61 देशों ने अपने राष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं में मैंग्रोव कार्रवाई को शामिल किया है, जैसा कि महासागर और जलवायु मंच, कंजर्वेशन इंटरनेशनल, IUCN, रेयर, द नेचर कंजर्वेंसी, वेटलैंड्स इंटरनेशनल और WWF द्वारा 2023 के विश्लेषण से संकेत मिलता है।
      • इसी प्रकार, 50 सरकारों ने भी मैंग्रोव ब्रेकथ्रू (जलवायु के लिये मैंग्रोव गठबंधन के देशों सहित) का समर्थन किया है, जो 15 मिलियन हेक्टेयर मैंग्रोव के भविष्य को सुरक्षित करने और वर्ष 2030 तक भूमि पर मैंग्रोव कार्रवाई के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में तेज़ी लाने हेतु प्रतिबद्ध हैं।
    • वर्ष 2030 के लक्ष्य: पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापना पर संयुक्त राष्ट्र दशक और कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क (GBF) (2022) के तहत देश यह सुनिश्चित करने की प्रतिज्ञा करते हैं कि वर्ष 2030 तक कम से कम 30% क्षीण स्थलीय, अंतर्देशीय जल और समुद्री एवं तटीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावी पुनर्स्थापना के अंतर्गत हों।
    • मैंग्रोव कार्रवाई हेतु अंतर्राष्ट्रीय विकास:
      • UAE की सहमति: दुबई में वर्ष 2023 के UNFCCC के COP28 में देशों ने जीवाश्म ईंधन से दूर जाने हेतु एक ऐतिहासिक समझौते को अपनाया, जो UNFCCC के 28 वर्ष के आयोजन और पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर के आठ वर्ष बाद एक ऐतिहासिक (और लंबे समय से प्रतीक्षित) उपलब्धि है। देशों ने प्रकृति, महासागरों और खाद्य प्रणालियों पर पूरक जलवायु कार्रवाई का भी आह्वान किया।
      • कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क: वर्ष 2022 में  CBD ने ऐतिहासिक कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क (GBF) को अपनाया, जो जैव विविधता के लिये एक वैश्विक कार्य योजना के रूप में कार्य करता है और देशों को वर्ष 2030 तक जैव विविधता हानि को रोकने तथा जैव विविधता संवर्द्धन का अधिदेश प्रदान करता है।
      • वैश्विक जलवायु कार्रवाई हेतु माराकेच भागीदारी (MPGCA) के नेतृत्व में महासागर ब्रेकथ्रू ने जलीय खाद्य प्रणालियों को समर्थन देने के लिये वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराने का जलीय खाद्य लक्ष्य निर्धारित किया है।
      • लघु-स्तरीय मत्स्य पालन मार्गदर्शन हेतु FAO के वर्ष 2024 के अद्यतन में तटीय मत्स्य पालन और आजीविका के लिये स्थानीय पारिस्थितिकी प्रणालियों, विशेष रूप से मैंग्रोव के संरक्षण, पुनर्स्थापन तथा सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।
      • COP28 में 159 देशों ने संधारणीय कृषि, लचीली खाद्य प्रणालियों और जलवायु कार्रवाई पर अमीरात घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये, जिसमें उत्पादकता बढ़ाने, भूमि एवं प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों की रक्षा करने तथा सतत् जलीय नीले खाद्य पदार्थों का समर्थन करने वाली सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देकर किसानों, मछुआरों व खाद्य उत्पादकों हेतु अनुकूलन व लचीलापन बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई गई।
    • भावी दृष्टिकोण: वर्ष 2025 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में मैंग्रोव: वर्ष 2025 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (UNFCCC COP30) नवंबर 2025 में ब्राज़ील में आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रकृति और IPLC (स्वदेशी लोग एवं स्थानीय समुदाय) एजेंडे में उच्च स्थान पर होंगे।
      • GMA मैंग्रोव ब्रेकथ्रू के साझेदारों के साथ मिलकर, मैंग्रोव संरक्षण और पुनरुद्धार का समर्थन करने तथा जलवायु संबंधी अधिक प्रतिबद्धताएँ प्राप्त करने में अपने व्यापक नेटवर्क एवं विशेषज्ञता का लाभ उठाकर COP30 में जलवायु कार्रवाई हेतु मैंग्रोव की प्रमुख भूमिका को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है।

  • अन्य पहल:
    • मैंग्रोव ब्रेकथ्रू:
      • संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय जलवायु चैंपियंस (HLC) और GMA द्वारा प्रायोजित मैंग्रोव ब्रेकथ्रू, सतत् वित्तपोषण में 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता से त्वरित कार्रवाई एवं निवेश हेतु एक आह्वान के रूप में कार्य करता है।
      • ब्रेकथ्रू के लक्ष्य GMA के लक्ष्यों के समान हैं साथ ही इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर 15 मिलियन हेक्टेयर मैंग्रोव के सतत् प्रबंधन के लिये दीर्घकालिक वित्त पोषण सुनिश्चित करना है।
    • जलवायु के लिये मैंग्रोव गठबंधन:
      • जैव विविधता को बढ़ावा देने और प्रकृति-आधारित समाधानों पर प्रकाश डालने के वैश्विक प्रयासों के आधार पर, मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट (MAC) एक सरकारी पहल है, जिसकी अध्यक्षता यूएई और इंडोनेशिया करते हैं, जो जलवायु परिवर्तन के लिये प्रकृति-आधारित समाधान के रूप में मैंग्रोव को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय सरकारों को एक साथ लाता है।

आगे की राह

  • मैंग्रोव ब्रेकथ्रू: मैंग्रोव ब्रेकथ्रू वित्तीय रोडमैप मैंग्रोव के लिये वित्त को उत्प्रेरित करने हेतु एक रणनीतिक योजना की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
    • हालाँकि वर्ष 2030 तक 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश से ब्लू कार्बन, संधारणीय मत्स्य पालन, जलीय कृषि एवं इकोटूरिज़्म जैसे पुनर्योजी मॉडलों में दीर्घकालिक पूंजी प्रवाह उत्पन्न हो सकता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि मैंग्रोव नष्ट होने की बजाय अधिक मूल्यवान बने रहेंगे।
    • आवश्यक परिवर्तन लाने के लिये वित्तीय रोडमैप में सात पूरक वित्तीय तंत्रों के एक “टूलबॉक्स” की सिफारिश की गई है, जिसमें नई परियोजनाएँ बनाने और उन्हें बढ़ाने हेतु इनक्यूबेटर, लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमों के लिये ऋण, माइक्रोफाइनेंस, ब्लू बॉण्ड तथा इनोवेटिव मैंग्रोव-लिंक्ड बीमा शामिल हैं।
    • कोई भी एक संगठन अकेले यह कार्य नहीं कर सकता। विभिन्न अधिदेशों और जोखिम-वापसी विशेषताओं वाली निजी, सार्वजनिक एवं परोपकारी पूंजी को इसमें योगदान देना होगा।
  • ब्लू कार्बन पॉज़िटिव बिज़नेस मॉडल एक्टिवेटर (BC+): CI और TNC के नेतृत्व में मैंग्रोव ब्रेकथ्रू एवं GMA सहित भागीदारों के समर्थन से BC+, कार्बन बाज़ारों से आगे जाकर रचनात्मक व्यवसाय मॉडल का प्रदर्शन कर रहा है तथा सरकारों, स्थानीय हितधारकों एवं वित्तीय संस्थानों के साथ सहभागिता के माध्यम से तटीय संरक्षण हेतु वित्त प्राप्त कर रहा है।
    • वर्ष 2050 तक इस कार्यक्रम के लक्ष्य:
      • 16.9 मिलियन हेक्टेयर तक मैंग्रोव, समुद्री घास, ज्वारीय दलदल और समुद्री घास को संरक्षित तथा पुनर्स्थापित करना।
      • 2.2 गीगाटन (Gt) CO2e तक जलवायु लाभ प्राप्त करना।
      • 50 मिलियन से अधिक लोगों की आय में वृद्धि करना।
  • दूरदर्शी परोपकार:
    • परोपकारी संस्थाएँ मैंग्रोव संरक्षण में अपरिहार्य भूमिका निभाती हैं, विशेष रूप से लचीली पूंजी उपलब्ध कराकर, जो प्रारंभिक चरण की परियोजनाओं को आगे बढ़ाने, नए व्यापार मॉडलों को आगे बढ़ाने, स्थानीय क्षमताओं को बढ़ाने और बड़े पैमाने पर प्रभाव बढ़ाने हेतु उद्यमों को जोखिम मुक्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • मैंग्रोव संरक्षण के लिये परोपकारी समर्थन निरंतर बढ़ रहा है और पिछले वर्ष अमेरिकी व यूरोपीय संस्थाओं के एक समूह ने मैंग्रोव तथा अन्य ब्लू कार्बन प्रणालियों के लिये नई पूंजी प्रतिबद्धताओं को प्रेरित करने हेतु  महासागर लचीलापन और जलवायु गठबंधन (ORCA) की शुरुआत की।
  • कार्बन बाज़ारों की क्षमता में वृद्धि करना:
    • कार्बन बाज़ारों में मैंग्रोव संरक्षण और पुनरुद्धार प्रयासों के लिये वित्तपोषण में उल्लेखनीय वृद्धि करने की क्षमता है।
      • 1 मिलियन हेक्टेयर से अधिक मैंग्रोव को कार्बन वित्त के लिये वित्तीय रूप से व्यवहार्य माना जाता है, जो वार्षिक जलवायु शमन में 30 मिलियन टन से अधिक CO2 प्रदान करता है।
      • उच्च गुणवत्ता वाले ब्लू कार्बन क्रेडिट की मांग संभावित रूप से 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर की है, लेकिन बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये उच्च गुणवत्ता वाली परियोजनाओं तथा निवेश जुटाने हेतु समाधान की अधिक आवश्यकता है।
  • आघात सहनीयता की प्राप्ति: 
    • प्राकृतिक आपदाओं से समुदायों को सुरक्षा प्रदान करके मैंग्रोव बीमा उद्योग के लिये अत्यधिक प्रासंगिक हैं। वे निम्नलिखित तरीके से योगदान दे सकते हैं:
      • लागत प्रभावी सुरक्षा
      • डेटा और अनुसंधान सहयोग
      • सामुदायिक लाभ
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