नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024

  • 13 Feb 2024
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981

मेन्स के लिये:

जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024 के प्रमुख उपबंध

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

संसद के दोनों सदनों द्वारा हाल ही में जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024 को मंज़ूरी दी गई।

जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024 से संबंधित प्रमुख उपबंध क्या हैं?

  • परिचय
    • जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 लंबे समय से जल संसाधनों के सतत् प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये भारत के पर्यावरण कानून की आधारशिला रहा है।
    • प्रस्तुत किये गए विधेयक का उद्देश्य उक्त अधिनियम कि कुछ कमियों को दूर करना और नियामक ढाँचे को समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना है।
      • वायु अधिनियम के अनुरूप जल अधिनियम में संशोधन करना भी आवश्यक है क्योंकि दोनों कानूनों में समान उपबंध हैं।
  • प्रमुख संशोधित उपबंध:
    • छोटे अपराधों का गैर-अपराधीकरण करना: इसका उद्देश्य तकनीकी अथवा प्रक्रियात्मक खामियों के लिये कारावास की आशंकाओं को समाप्त करते हुए जल प्रदूषण से संबंधित छोटे अपराधों का गैर-अपराधीकरण (Decriminalization) करना है।
      • यह सुनिश्चित करता है कि दंड अपराधों की गंभीरता के अनुरूप हों तथा हितधारकों को अत्यधिक प्रभावित किये बिना अनुपालन को बढ़ावा दिया जाए।
    • विशेष औद्योगिक संयंत्रों के लिये छूट: यह संशोधित विधेयक केंद्र सरकार को विशेष प्रकार के औद्योगिक संयंत्रों के लिये अतिरिक्त बिक्री केंद्र और निर्वहन के संबंध में धारा 25 में सूचीबद्ध कुछ वैधानिक प्रतिबंधों से छूट प्रदान करने का अधिकार देता है।
      • इस प्रावधान का उद्देश्य नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना और निगरानी प्रयासों के दोहराव को कम करना तथा दक्षता को बढ़ावा देते हुए नियामक एजेंसियों पर अनावश्यक बोझ को कम करना है।
    • उन्नत नियामक निरीक्षण: इसमें राज्यों में नियामक निरीक्षण तथा मानकीकरण को बढ़ाने के उपाय शामिल किये गए हैं।
      • यह केंद्र सरकार को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के अध्यक्षों के नामांकन के लिये दिशा-निर्देश निर्धारित करने और उद्योग से संबंधित सहमति देने, इनकार करने या रद्द करने के निर्देश जारी करने का अधिकार देता है।
      • यह अध्यक्षों की निष्पक्ष नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिये कुछ अनिवार्य योग्यताएँ, अनुभव और प्रक्रियाएँ प्रदान करता है।
  • समीक्षाएँ: 
    • आलोचकों का तर्क है कि यह विधेयक सभी शक्तियों को केंद्रीकृत करने का भी प्रयास करता है और संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ है। उनका यह भी तर्क है कि पर्यावरण जैसे विषय को कुछ हद तक कड़े भय के बिना निपटाना कठिन है।
    • कुछ आलोचक जल प्रदूषण के मुद्दों से निपटने में पारदर्शिता पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंता जताते हैं।
      • उनका तर्क है कि कुछ नियमों में ढील देने से उद्योगों और नियामक एजेंसियों की जवाबदेही से समझौता किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण प्रबंधन में पारदर्शिता कम हो जाएगी।

जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • परिचय: इसे जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण तथा पानी की संपूर्णता को बनाए रखने या बहाल करने के लिये अधिनियमित किया गया था।
    • अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत क्रमशः केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन किया गया है।
    • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), एक वैधानिक संगठन, का गठन सितंबर, 1974 में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत किया गया था।
      • इसके अलावा CPCB को वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत शक्तियाँ और कार्य सौंपे गए।
      • यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत कार्य करता है तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों एवं अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय करता है।
  • पिछले संशोधन: कुछ अस्पष्टताओं को स्पष्ट करने और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अधिक शक्तियाँ प्रदान करने के लिये अधिनियम में 1978 तथा 1988 में संशोधन किया गया था। उद्योगों तथा स्थानीय निकायों के प्रमुख दायित्व हैं:
    • किसी भी उद्योग या स्थानीय निकाय की स्थापना के लिये राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से पूर्व सहमति की आवश्यकता होती है जो घरेलू सीवेज़ या व्यापारिक अपशिष्ट को पानी, नालों, कुओं, सीवरों या भूमि में प्रवाहित करते हैं।
    • आवेदन प्राप्त होने पर, राज्य बोर्ड विशिष्ट शर्तों और वैधता तिथियों के साथ सहमति दे सकता है या लिखित में कारण बताते हुए सहमति देने से इनकार कर सकता है।
    • इसी तरह के प्रावधान अधिनियम लागू होने से पहले व्यापार/प्रवाह अपशिष्ट का निर्वहन करने वाले उद्योगों पर भी लागू होते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) से भिन्न है?

  1. एन.जी.टी. का गठन एक अधिनियम द्वारा किया गया है जबकि सी.पी.सी.बी. का गठन सरकार के कार्यपालक आदेश से किया गया है।
  2.  एन.जी.टी. पर्यावरणीय न्याय उपलब्ध कराता है और उच्चतर न्यायालयाें में मुकदमाें के भार को कम करने में सहायता करता है जबकि सी.पी.सी.बी. झरनाें तथा कुँओं की सफाई को प्रोत्साहित करता है एवं देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार लाने का लक्ष्य रखता है।

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1   
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों   
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (b)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow