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प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ में विकास कार्यों का उद्घाटन किया
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 33,700 करोड़ रुपए से अधिक लागत की कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी, निर्माण कार्य का शुभारंभ किया और लोकार्पण किया।
मुख्य बिंदु
- विकास पहल:
- प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ की प्रगति में तेज़ी लाने के उद्देश्य से कई विकास परियोजनाओं की घोषणा की।
- इन पहलों में वंचितों के लिये आवास, शिक्षा, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों में बेहतर बुनियादी ढाँचे और बेहतर कनेक्टिविटी शामिल हैं।
- इन परियोजनाओं से न केवल जन सुविधाएँ बढ़ेंगी बल्कि रोज़गार के अवसर भी सृजित होंगे।
- उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के तहत तीन लाख गरीब परिवारों के मकान के सपने पूरे होने पर प्रकाश डाला।
- किसानों को समर्थन देना और पारदर्शी शासन सुनिश्चित करना:
- उन्होंने छत्तीसगढ़ के किसानों और महिलाओं के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई तथा पिछले वादों को पूरा करना सुनिश्चित किया।
- उन्होंने धान किसानों को दो वर्षों के लंबित बोनस के भुगतान तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि के साथ धान की खरीद की घोषणा की।
- छत्तीसगढ़ की 25वीं वर्षगाँठ: "अटल निर्माण वर्ष"
- छत्तीसगढ़ के रजत जयंती वर्ष में प्रवेश करते ही प्रधानमंत्री ने 2025 को "अटल निर्माण वर्ष" के रूप में घोषित किया, जो अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को समर्पित होगा।
- उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि नव-प्रवर्तित बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ राज्य की समृद्धि के दीर्घकालिक दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।
- जनजातीय क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विस्तार:
- उन्होंने दूरदराज़ के आदिवासी क्षेत्रों में संपर्क, परिवहन और सार्वजनिक सेवाओं को बढ़ाने में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला।
- उन्होंने नई रेल परियोजनाओं का उद्घाटन किया और छत्तीसगढ़ के रेल नेटवर्क के पूर्ण विद्युतीकरण का शुभारंभ किया।
- उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसी आवश्यक सेवाओं को वंचित समुदायों तक पहुँचाने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया।
- छत्तीसगढ़ के ऊर्जा क्षेत्र को मज़बूत बनाना:
- प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड की सीपत सुपर थर्मल पावर परियोजना चरण-III (9,790 करोड़ रुपए) और छत्तीसगढ़ की पहली सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर परियोजना (15,800 करोड़ रुपए) की आधारशिला रखी।
- उन्होंने पावरग्रिड (560 करोड़ रुपए) के तहत तीन विद्युत पारेषण परियोजनाएँ राष्ट्र को समर्पित कीं।
- इन पहलों का उद्देश्य छत्तीसगढ़ को बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना और बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करना है।
- नवीकरणीय ऊर्जा और स्वच्छ ईंधन पहल को आगे बढ़ाना:
- प्रधानमंत्री ने कई ज़िलों में भारत पेट्रोलियम की सिटी गैस वितरण परियोजना (1,285 करोड़ रुपए) का शुभारंभ किया।
- उन्होंने ईंधन आपूर्ति दक्षता में सुधार के लिये हिंदुस्तान पेट्रोलियम की विशाख-रायपुर पाइपलाइन परियोजना (2,210 करोड़ रुपए) का भी उद्घाटन किया।
- उन्होंने 'प्रधानमंत्री सौर ऊर्जा मुफ्त बिजली योजना' की शुरुआत की, जिससे घरों में सौर ऊर्जा उत्पन्न करने और बिजली की लागत को खत्म करने की सुविधा मिली।
- सड़क और रेलवे संपर्क बढ़ाना:
- प्रधानमंत्री ने सात रेलवे परियोजनाओं (108 किमी) की आधारशिला रखी और तीन पूर्ण हो चुकी रेलवे परियोजनाओं (111 किमी) का उद्घाटन किया, जिनकी कुल लागत 2,690 करोड़ रुपए है।
- उन्होंने जनजातीय और औद्योगिक क्षेत्रों में सम्पर्क सुधारने तथा आर्थिक और सामाजिक एकीकरण को मज़बूत करने के लिये कई राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शुभारंभ किया।
- शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देना:
- प्रधानमंत्री ने 29 ज़िलों में 130 पीएम श्री स्कूलों का उद्घाटन किया, जिससे शिक्षा के बुनियादी ढाँचे में वृद्धि हुई।
- उन्होंने शिक्षा कार्यक्रमों की वास्तविक समय पर निगरानी के लिये रायपुर में विद्या समीक्षा केंद्र (VSK) का शुभारंभ किया।
- ऐतिहासिक उपेक्षा को संबोधित करना और नक्सलवाद का सामना करना:
- उन्होंने आदिवासी समुदायों को समर्थन देने के लिये स्वच्छ भारत अभियान, आयुष्मान भारत और पीएम जन औषधि केंद्र जैसी पहल पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने 7,000 आदिवासी गाँवों के उत्थान के लिये 80,000 करोड़ रुपए आवंटित करते हुए "धरती आबा जनजाति उत्कर्ष अभियान" की घोषणा की।
- उन्होंने "प्रधानमंत्री जनमन योजना" की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य 2,000 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह बस्तियों में बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करना था।
प्रधानमंत्री जनमन योजना
- परिचय:
- लॉन्च: प्रधानमंत्री जनमन योजना को 15 नवंबर, 2023 को लॉन्च किया गया था, इस दिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
- यह पहल भारत के वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में घोषित प्रधानमंत्री-PVTG विकास मिशन को आगे बढ़ाती है।
- उद्देश्य: इस योजना का उद्देश्य व्यापक विकास हस्तक्षेप प्रदान करके विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है।
- लाभार्थी: इस योजना का लक्ष्य 18 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह) के 75 PVTG समुदायों को लाभार्थी बनाना है।
- नोडल मंत्रालय: जनजातीय कार्य मंत्रालय नोडल मंत्रालय है जो 9 मंत्रालयों/विभागों और संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से योजना के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार है।
पीएम सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना
- यह पर्याप्त वित्तीय सब्सिडी प्रदान करके और इनस्टॉलेशन में सुविधा सुनिश्चित करके सोलर रूफटॉप सिस्टम को अपनाने को बढ़ावा देने के लिये एक केंद्रीय योजना है।
- उद्देश्य: इसका लक्ष्य भारत में एक करोड़ परिवारों को मुफ्त विद्युत ऊर्जा उपलब्ध कराना है, जो रूफटॉप सोलर पैनल वाली बिजली इकाइयाँ स्थापित करना चाहते हैं।
- परिवारों को प्रत्येक महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त मिल सकेगी।
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ: योजना का क्रियान्वयन दो स्तरों पर किया जाएगा।
- राष्ट्रीय स्तर: राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी (NPIA) द्वारा प्रबंधित।
- राज्य स्तर: राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (SIA) द्वारा प्रबंधित, जो संबंधित राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों की वितरण उपयोगिताएँ (डिस्कॉम) या विद्युत/ऊर्जा विभाग हैं।
धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान
- मूल रूप से PM जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (PM-JUGA) नाम से आरंभ हुई यह योजना 63,000 अनुसूचित जनजाति बहुल गाँवों में मौज़ूदा योजनाओं को लागू करने के लिये एक व्यापक योजना है।
- धरती आबा का तात्पर्य झारखंड के 19वीं सदी के आदिवासी नेता और उपनिवेशवाद विरोधी प्रतीक बिरसा मुंडा से है।
- इस पहल का उद्देश्य भारत सरकार के विभिन्न 17 मंत्रालयों और विभागों द्वारा कार्यान्वित 25 हस्तक्षेपों के माध्यम से सामाजिक बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका में महत्त्वपूर्ण अंतराल को दूर करना है।
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G)
- वर्ष 2016 में शुरू की गई PMAY-G का उद्देश्य समाज के सबसे गरीब लोगों को आवास उपलब्ध कराना है।
- यह सुनिश्चित करने के लिये कि सहायता सबसे अधिक पात्र लोगों तक पहुँचे, प्राप्तकर्त्ताओं का चयन एक कठोर तीन-चरणीय सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है, जिसमें सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा की मंजूरी और जियो-टैगिंग शामिल है।
- PMAY-G के अंतर्गत लाभार्थियों को प्राप्त होगा:
- वित्तीय सहायता: मैदानी क्षेत्रों में 1.20 लाख रुपए तथा पूर्वोत्तर राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों सहित पहाड़ी राज्यों में 1.30 लाख रुपए।
- शौचालयों हेतु अतिरिक्त सहायता: स्वच्छ भारत मिशन - ग्रामीण (SBM-G) या महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना या किसी अन्य समर्पित वित्त पोषण स्रोत जैसी योजनाओं के साथ अभिसरण के माध्यम से शौचालयों के निर्माण के लिये 12,000 रुपए।
- रोज़गार सहायता: आवास निर्माण के लिये महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के माध्यम से लाभार्थियों के लिये 90/95 व्यक्ति-दिवस अकुशल मज़दूरी रोज़गार का अनिवार्य प्रावधान।
- बुनियादी सुविधाएँ: प्रासंगिक योजनाओं के साथ अभिसरण के माध्यम से पानी, तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) और बिजली कनेक्शन तक पहुँच।


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वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित ज़िले
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय गृह मंत्री ने घोषणा की कि वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों की संख्या 12 से घटकर छह हो गई है, जो माओवाद मुक्त राष्ट्र की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। उन्होंने 31 मार्च 2026 तक देश से माओवाद को खत्म करने की सरकार की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।
मुख्य बिंदु
- वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों में कमी:
- वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित ज़िलों की संख्या 12 से घटकर मात्र 6 रह गई है।
- केंद्र सरकार नक्सलवाद के खिलाफ सख्त रुख और केंद्रित विकास के माध्यम से भारत को सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिये प्रतिबद्ध है।
- तीव्र माओवादी विरोधी अभियान:
- छत्तीसगढ़ में उग्रवाद विरोधी अभियानों में तेज़ी देखी गई है।
- वर्ष 2024 में 219 माओवादियों का सफाया किया गया, जबकि 2023 में 22 और 2022 में 30 माओवादियों का सफाया किया गया, जो आतंकवाद विरोधी प्रयासों में तीव्र वृद्धि को दर्शाता है।
- बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर, कोंडागाँव और सुकमा सहित प्रमुख माओवादी गढ़ उग्रवाद का केंद्र बने हुए हैं।
- माओवादियों के ठिकानों और किलेबंदी को ध्वस्त करने के लिये "लाल गलियारे" में हज़ारों सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।
- सरकार की बहुआयामी रणनीति:
- केंद्र सरकार का लक्ष्य निरंतर सैन्य कार्रवाई और सामाजिक-आर्थिक विकास के माध्यम से 31 मार्च 2026 तक माओवाद का उन्मूलन करना है।
- उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों और अन्य विकासात्मक पहलों सहित बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ क्रियान्वित की जा रही हैं।

