हरियाणा Switch to English
राज्य विशिष्ट योजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, हरियाणा ने पराली दहन की समस्या से निपटने के लिये राज्य विशिष्ट योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य फसल कटाई के मौसम के दौरान वायु गुणवत्ता को बनाए रखना है।
प्रमुख बिंदु
- राज्य विशिष्ट योजना:
- हरियाणा की राज्य विशिष्ट योजना किसानों के लिये प्रोत्साहन और संसाधनों के माध्यम से पराली दहन में कमी लाने पर केंद्रित है, तथा मुख्य रूप से उन क्षेत्रों को लक्षित किया गया है जहाँ धान की कटाई के बाद पराली अवशेष के रूप में बचती है।
- सब्सिडी और संसाधन:
- सरकार पर्यावरण अनुकूल निपटान विधियों को बढ़ावा देने के लिये फसल अवशेष प्रबंधन के लिये हैप्पी सीडर्स और सुपर SMS सिस्टम जैसे उपकरणों पर सब्सिडी प्रदान करती है।
- दंड और पुरस्कार:
- पराली दहन के नियमों का उल्लंघन करने पर कठोर ज़ुर्माना लगाया जाता है, साथ ही नियमों का पालन करने वाले किसानों को प्रोत्साहन भी दिया जाता है, जिसका उद्देश्य दंडात्मक और सहायक उपायों के बीच संतुलन स्थापित करना है।
- पर्यावरणीय लक्ष्य:
- यह पहल सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने, वायु प्रदूषण को कम करने और श्वसन संबंधी स्वास्थ्य ज़ोखिमों को कम करने के माध्यम से राष्ट्रीय पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप है।
पराली दहन के विकल्प
- पूसा डीकंपोजर: ये डीकंपोजर कवकों के उपभेदों को निकालकर बनाए गए कैप्सूल के रूप में होते हैं जो धान की पराली को बहुत तेज़ी से विघटित करने में मदद करते हैं।
- हैप्पी सीडर: यह ट्रैक्टर पर लगाया जाने वाला उपकरण है जो पराली दहन का पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करता है।
- यह चावल के भूसे को काटकर और उठाकर, साथ ही साथ खुली मृदा में गेहूँ की बुवाई करके, तथा भूसे को बोए गए क्षेत्र पर सुरक्षात्मक मल्च के रूप में जमा करके काम करता है।
- पैलेटाइजेशन: धान की पराली को जब सुखाकर पैलेट में परिवर्तित कर दिया जाता है, तो यह एक व्यवहार्य वैकल्पिक ईंधन स्रोत बन जाता है।
- कोयले के साथ मिश्रित करने पर इन पैलेट का उपयोग ताप विद्युत संयंत्रों और उद्योगों में किया जा सकता है, जिससे कोयले के उपयोग में बचत होगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
हरियाणा Switch to English
वैदिक शिक्षा के लिये भव्य आचार्यकुलम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, हरियाणा के मुख्यमंत्री ने वैदिक संस्कृति और प्राचीन भारतीय शिक्षा को संरक्षित करने के लिये एक प्रतिष्ठित आचार्यकुलम या पारंपरिक स्कूल बनाने की योजना की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- संस्था का फोकस:
- आचार्यकुलम का उद्देश्य वैदिक शिक्षाओं, संस्कृत और भारतीय परंपराओं को पुनर्जीवित करना तथा छात्रों के बीच सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना है।
- सुविधाएँ एवं बुनियादी ढाँचा:
- इसमें उन्नत शैक्षणिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी तथा पारंपरिक गुरुकुल मूल्यों का पालन करते हुए छात्रों को समग्र शिक्षण वातावरण प्रदान किया जाएगा।
- सरकारी सहायता:
- राज्य सरकार आधुनिक शिक्षा को प्राचीन ज्ञान के साथ एकीकृत करने तथा भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने की व्यापक पहल के साथ तालमेल बिठाने के महत्त्व पर बल देती है।
वैदिक काल (1500-600 ईसा पूर्व)
- साहित्य के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के संदर्भ में, वैदिक ग्रंथ विकास के दो चरणों को दर्शाते हैं।
- ऋग्वैदिक काल, जिसे प्रारंभिक वैदिक काल के नाम से भी जाना जाता है, वह समय है जब ऋग्वैदिक भजनों की रचना की गई थी, जो 1500 ईसा पूर्व और 1000 ईसा पूर्व के बीच था।
- बाद का चरण, जिसे उत्तर वैदिक काल के रूप में जाना जाता है, 1000 ईसा पूर्व और 600 ईसा पूर्व के बीच माना जाता है।
बिहार Switch to English
बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, बिहार सरकार ने राज्य की बढ़ती आर्थिक और व्यावसायिक क्षमता को प्रदर्शित करने के लिये बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन की मेजबानी की।
प्रमुख बिंदु
- उद्देश्य:
- शिखर सम्मेलन का उद्देश्य विनिर्माण, बुनियादी ढाँचे, कृषि और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करना तथा व्यापार वृद्धि के लिये बिहार के अनुकूल वातावरण को प्रदर्शित करना था।
- सरकारी पहल:
- प्रमुख नीतियाँ और सुधार, निवेशकों के लिये अनुकूल माहौल बनाने के लिये कर प्रोत्साहन, बुनियादी ढाँचे के उन्नयन और कौशल विकास कार्यक्रमों के साथ-साथ व्यापार करने में सुगमता को बेहतर बनाने पर केंद्रित हैं।
- नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म:
- इस आयोजन ने उद्योग जगत के नेताओं, सरकारी अधिकारियों और वैश्विक निवेशकों के बीच नेटवर्किंग के लिये एक मंच प्रदान किया, जिससे बिहार की अर्थव्यवस्था में सहयोग के अवसर बढ़े।
- क्षेत्रीय फोकस:
- नवीकरणीय ऊर्जा, IT, पर्यटन और कृषि-व्यवसाय जैसे क्षेत्रों पर ज़ोर राज्य की आर्थिक परिदृश्य में विविधता लाने की योजना के अनुरूप है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
कैबिनेट ने स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण दोगुना किया
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य भर में प्रतिनिधित्व बढ़ाने के उद्देश्य से OBC आरक्षण में वृद्धि की है।
- प्रमुख OBC आरक्षण में वृद्धि:
- सरकार ने पंचायत और शहरी निकायों में OBC आरक्षण को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है, जिसमें ज़िला पंचायत अध्यक्ष और नगर निगम महापौर जैसी भूमिकाएँ शामिल हैं, जबकि यह सुनिश्चित किया गया है कि आरक्षण जनसंख्या अनुपात के अनुरूप हो।
- बहिष्करण की शर्त:
- यह आरक्षण 50% या उससे अधिक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आरक्षण वाले निकायों पर लागू नहीं होता है।
भारत में आरक्षण को नियंत्रित करने वाले संवैधानिक प्रावधान
- भाग XVI केन्द्रीय एवं राज्य विधानमंडलों में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण से संबंधित है ।
- संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) राज्य और केंद्र सरकारों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिये सरकारी सेवाओं में सीटें आरक्षित करने का अधिकार देते हैं।
- संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम, 1995 द्वारा संविधान में संशोधन किया गया तथा अनुच्छेद 16 में एक नया खंड (4A) जोड़ा गया, ताकि सरकार पदोन्नति में आरक्षण प्रदान कर सके।
- बाद में, आरक्षण देकर पदोन्नत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को परिणामी वरिष्ठता प्रदान करने के लिये संविधान (85वें संशोधन) अधिनियम, 2001 द्वारा खंड (4A) को संशोधित किया गया।
- संविधान के 81वें संशोधन अधिनियम, 2000 द्वारा अनुच्छेद 16 (4B) को शामिल किया गया, जो राज्य को किसी वर्ष में अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित रिक्तियों को अगले वर्ष भरने का अधिकार देता है, जिससे उस वर्ष की कुल रिक्तियों पर पचास प्रतिशत आरक्षण की अधिकतम सीमा समाप्त हो जाती है।
- अनुच्छेद 330 और 332 क्रमशः संसद और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों के आरक्षण के माध्यम से विशिष्ट प्रतिनिधित्व का प्रावधान करते हैं।
- अनुच्छेद 243D प्रत्येक पंचायत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों का आरक्षण प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 233T प्रत्येक नगर पालिका में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 335 में कहा गया है कि प्रशासन की प्रभावकारिता बनाए रखने के लिये अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जनजातियों के दावों पर विचार किया जाएग
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