हरियाणा Switch to English
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
चर्चा में क्यों
हाल ही में हरियाणा के मुख्य सचिव ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) को प्रदूषण रिपोर्टिंग और अंतर-विभागीय समन्वय बढ़ाने का निर्देश दिया।
मुख्य बिंदु:
- मासिक प्रदूषण रिपोर्ट: हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) के क्षेत्रीय अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों के लिये मासिक पर्यावरण रिपोर्ट संकलित करने के निर्देश दिये गए हैं।
- बोर्ड की विस्तारित भूमिका: HSPCB, जिसकी स्थापना मूल रूप से जल प्रदूषण से निपटने के लिये की गई थी , ने वर्ष 1974 में अपनी स्थापना के बाद से पर्यावरणीय मुद्दों की एक व्यापक शृंखला से निपटने के लिये अपने दायरे का विस्तार किया है ।
- जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन : स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने जैव-चिकित्सा अपशिष्ट संग्रहण और निपटान का कार्य विभिन्न एजेंसियों को सौंपने का सुझाव दिया तथा कार्यकुशलता के लिये उनके परिचालन क्षेत्र को 75 किलोमीटर से कम रखने का प्रस्ताव रखा
- वायु गुणवत्ता निगरानी: सर्दियों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिये, विशेष रूप से NCR में, हरियाणा में:
- 29 सतत् परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (CAAQMS) स्थापित किये गए (NCR में 21 )।
- व्यापक वायु गुणवत्ता निगरानी के लिये राज्य भर में 46 मैनुअल स्टेशन स्थापित किये गए।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- भारत सरकार के जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के पारित होने के बाद जल की स्वच्छता बनाए रखने तथा जल प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये वर्ष 1974 में हरियाणा सरकार द्वारा एक वैधानिक संगठन के रूप में इसकी स्थापना की गई थी।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)
- CPCB एक वैधानिक संगठन है जिसका गठन सितंबर, 1974 में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत किया गया था।
- इसे वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत शक्तियाँ प्रदान की गईं एवं कार्य निर्दिष्ट किये गए।
- यह एक क्षेत्रीय इकाई के रूप में कार्य करता है तथा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी प्रदान करता है ।
उत्तर प्रदेश Switch to English
सरयू नदी में बाढ़
चर्चा में क्यों
हाल ही में सरयू नदी में आई बाढ़ के कारण उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में गंभीर आपदा की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे परिवहन और स्थानीय समुदाय प्रभावित हुए।
मुख्य बिंदु
- सरयू नदी
- बलिया ज़िला
- बलिया उत्तर प्रदेश के सुदूर उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है, जिसकी सीमा मऊ, देवरिया, बिहार और गाज़ीपुर से लगती है, तथा यह गंगा और घाघरा नदियों के संगम पर स्थित है ।
- यह शहर वाराणसी से 135 किलोमीटर दूर है, गंगा नदी बलिया को बिहार से अलग करती है, और घाघरा नदी इसे देवरिया से अलग करती है।
- एक मान्यता यह है कि शहर का नाम ऋषि वाल्मीकि के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे यहीं रहते थे, हालाँकि उनका मंदिर अब मौजूद नहीं है।
- एक अन्य मान्यता के अनुसार इसका नाम स्थानीय मिट्टी ‘बलुआ’ (रेतीली मिट्टी) से जुड़ा है, शहर का मूल नाम ‘बालियान’ था, जो बाद में बदलकर ‘बलिया’ हो गया।
मध्य प्रदेश Switch to English
इंदौर - उज्जैन राजमार्ग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति ने मध्य प्रदेश में एक प्रमुख अवसंरचना परियोजना, इंदौर-उज्जैन राजमार्ग का उद्घाटन किया, जो परिवहन और बुनियादी ढाँचे पर केंद्रित है।
मुख्य बिंदु:
- इंदौर-उज्जैन राजमार्ग फाउंडेशन:
- राष्ट्रपति ने इंदौर और उज्जैन के बीच छह लेन वाले राजमार्ग की आधारशिला रखी, जिसकी अनुमानित लागत 1,692 करोड़ रुपए है।
- फरवरी 2024 में स्वीकृत इस राजमार्ग का उद्देश्य दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय 60 मिनट से घटाकर 35-40 मिनट करना है।
- इस परियोजना को 2.5 वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2028 के सिंहस्थ कुंभ से पहले यातायात की भीड़भाड़ को कम करना है।
- सिंहस्थ कुंभ
- सिंहस्थ कुंभ मेला एक हिंदू धार्मिक उत्सव है जो प्रत्येक 12 वर्ष में भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन में आयोजित किया जाता है
- इस त्यौहार का नाम राशि चक्र के सिंह नक्षत्र के नाम पर रखा गया है, क्योंकि यह तब मनाया जाता है जब बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करता है।
महाकुंभ
- कुंभ मेला संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
- यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान प्रतिभागी पवित्र नदी में स्नान या डुबकी लगाते हैं।
- यह नासिक में गोदावरी नदी , उज्जैन में शिप्रा नदी, हरिद्वार में गंगा नदी और प्रयागराज में गंगा, यमुना व पौराणिक सरस्वती नदी के संगम पर होता है । इस संगम को 'संगम' कहा जाता है।
- चूँकि यह भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता है, इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जिससे यह सांस्कृतिक रूप से विविधतापूर्ण त्योहार बन जाता है।
- एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले इस मेले में एक विशाल तम्बूनुमा बस्ती का निर्माण किया जाता है, जिसमें झोपड़ियाँ, मंच, नागरिक सुविधाएँ, प्रशासनिक और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं।
- इसका आयोजन सरकार, स्थानीय प्राधिकारियों और पुलिस द्वारा अत्यंत कुशलतापूर्वक किया जाता है।
- यह मेला विशेष रूप से वनों, पहाड़ों और गुफाओं के सुदूर स्थानों से आये धार्मिक तपस्वियों की असाधारण उपस्थिति के लिये प्रसिद्ध है।
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