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उत्तर प्रदेश

महाकुंभ

  • 11 Jun 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

एक आधिकारिक बैठक के बाद जारी एक बयान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 में प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ का राज्य की अर्थव्यवस्था पर "बड़ा प्रभाव" पड़ेगा क्योंकि इस आयोजन में करोड़ों लोग शामिल होंगे।

  • घरेलू और वैश्विक दोनों पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये अनुसंधान किया जाना चाहिये तथा एक व्यावहारिक कार्य योजना बनाई जानी चाहिये।

मुख्य बिंदु:

  • आधिकारिक बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य को एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प को पूरा करने की दिशा में चल रहे प्रयासों, वर्तमान परिणामों और भविष्य की नीति पर चर्चा की।
    • इस बात पर ज़ोर दिया गया कि सभी मंत्रीगण और वरिष्ठ अधिकारी जीवन को आसान बनाने तथा अधिकतम रोज़गार सृजन की दिशा में विशेष प्रयास करें।
  • राज्य का कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वर्ष 2021-22 में 16.45 लाख करोड़ था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 25.48 लाख करोड़ से अधिक हो जाएगा।
    • उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय आय में 9.2% का योगदान दे रहा है तथा देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देश के विकास का इंजन बनकर उभर रहा है।
    • राज्य की बेरोज़गारी दर जो वर्ष 2017-18 में 6.2% थी वर्ष 2024 में घटकर 2.4% हो गई है।

महाकुंभ

  • कुंभ मेला संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
  • यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान तीर्थयात्री पवित्र नदी में स्नान या डुबकी लगाते हैं।
    • यह नासिक में गोदावरी नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, हरिद्वार में गंगा व प्रयागराज में गंगा, यमुना एवं पौराणिक नदी सरस्वती के संगम पर आयोजित होता है
  • चूँकि यह भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता है, इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जिससे यह सांस्कृतिक रूप से विविध त्योहार बन जाता है।
  • एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले इस मेले में एक विशाल तंबूनुमा बस्ती का निर्माण किया जाता है, जिसमें झोपड़ियाँ, मंच, नागरिक सुविधाएँ, प्रशासनिक और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं।
    •  इसका आयोजन सरकार, स्थानीय प्राधिकारियों और पुलिस द्वारा अत्यंत कुशलतापूर्वक किया जाता है।
  • यह मेला विशेष रूप से जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं के सुदूर स्थानों से आये धार्मिक तपस्वियों की असाधारण उपस्थिति के लिये प्रसिद्ध है।

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