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स्टेट पी.सी.एस.

  • 15 Oct 2024
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उत्तराखंड Switch to English

रूपकुंड झील: जलवायु परिवर्तन के कारण संकट में

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में उत्तराखंड में प्रसिद्ध रूपकुंड झील, जो अपने सदियों पुराने मानव कंकालों के लिये जानी जाती है, सिकुड़ रही है क्योंकि जलवायु परिवर्तन इसके आकार और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहा है। 

मुख्य बिंदु 

  • रूपकुंड झील: 
    • माना जाता है कि रूपकुंड में पाए गए कंकाल 9वीं शताब्दी के हैं।
    • आनुवंशिक अध्ययनों द्वारा स्पष्ट होता है कि ये व्यक्ति विविध समूहों से आये थे, जिनमें भूमध्यसागरीय वंश भी शामिल था।
    • मत बताते हैं कि वे या तो तीर्थयात्री या व्यापारी थे, जो अचानक ओलावृष्टि के कारण मारे गए और संभवतः उनकी मृत्यु का कारण भारी ओलावृष्टि थी।
  • रूपकुंड के कंकालों पर वैज्ञानिक अध्ययन:
    • आधुनिक शोध से अनेक जातियों के DNA के निशान मिले हैं, जिनमें से कुछ 19 वीं शताब्दी के भी हैं, जिससे पता चलता है कि रूपकुंड पर लंबे समय से लोग आते रहे होंगे।
    • शोधकर्त्ताओं का मानना है कि रूपकुंड कभी एक पवित्र स्थल था और तीर्थयात्री संभवतः लंबी दूरी की यात्रा करके इस एकांत, ऊँचाई पर स्थित झील में अपनी मृत्यु का सामना करते थे।
  • जलवायु परिवर्तन का पर्यावरणीय प्रभाव:
    • ग्लेशियर के आकार में कमी, मानसून के पैटर्न में परिवर्तन और अनियमित बर्फबारी के कारण रूपकुंड में जल स्तर में कमी आई है।
    • तापमान और मौसम में परिवर्तन क्षेत्र के वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे झील के आसपास पारिस्थितिक असंतुलन उत्पन्न हो रहा है।
  • पर्यटन एवं संरक्षण चुनौतियाँ:
    • रूपकुंड का छोटा होता आकार और पर्यावरणीय क्षरण, झील के अद्वितीय इतिहास तथा पारिस्थितिक महत्त्व को संरक्षित करना कठिन बना रहे हैं।
    • इस बात को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं कि अनियंत्रित पर्यटन व अपर्याप्त संरक्षण प्रयासों के कारण जलवायु परिवर्तन से होने वाली क्षति और बढ़ सकती है।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में चारधाम परियोजना

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि उत्तराखंड में चार प्रमुख तीर्थ स्थलों तक संपर्क सुधारने के लिये बनाई गई चारधाम परियोजना का 75% कार्य पूरा हो चुका है।

मुख्य बिंदु  

  • चारधाम परियोजना:
    • इस परियोजना में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को बेहतर संपर्क प्रदान करने के लिये 900 किलोमीटर लंबी बारहमासी सड़क का निर्माण शामिल है।
    • यह परियोजना रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह चीन सीमा के निकटवर्ती क्षेत्रों तक विस्तृत है।
    • नए राजमार्गों से यात्रा आसान और सुरक्षित हो जाएगी, विशेषकर मानसून और सर्दियों के दौरान, जब मौजूदा सड़कें भूस्खलन और अवरोधों के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं।
  • निरीक्षण समिति:
    • सर्वोच्च न्यायालय ने इससे पहले पर्यावरण संबंधी चिंताओं के समाधान के लिये सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी की अध्यक्षता में एक निरीक्षण समिति गठित की थी।
    • समिति ने परियोजना की प्रगति और दिशानिर्देशों के अनुपालन का आकलन करते हुए, अप्रैल 2024 में और 27 अगस्त, 2024 को दो रिपोर्टें सर्वोच्च न्यायालय को सौंपी हैं।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ और न्यायालय के आदेश:
    • संवेदनशील हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित पर्यावरणीय चिंताओं के कारण इस परियोजना को विरोध का सामना करना पड़ा।
    • दिसंबर 2021 में, सर्वोच्च न्यायलय ने चारधाम राजमार्ग को डबल-लेन चौड़ा करने की अनुमति दी, लेकिन पर्यावरणीय क्षति को कम करने के लिये सीकरी के नेतृत्व वाली समिति पर निगरानी की ज़िम्मेदारी सौंप दी।
    • निरीक्षण समिति को नए सिरे से पर्यावरणीय प्रभाव आकलन करने का अधिकार नहीं है, लेकिन वह परियोजना के क्रियान्वयन की निगरानी करती है।
  • सरकारी मंत्रालयों से सहायता:
    • समिति को रक्षा, सड़क परिवहन और पर्यावरण मंत्रालयों का पूर्ण समर्थन प्राप्त है .
    • उत्तराखंड सरकार और स्थानीय ज़िला मजिस्ट्रेट भी समिति के साथ सहयोग कर रहे हैं।
    • राष्ट्रीय पर्यावरण अनुसंधान संस्थान और वन अनुसंधान संस्थान (देहरादून) के प्रतिनिधि पर्यावरण निगरानी तंत्र का हिस्सा हैं।


हरियाणा Switch to English

हरियाणा में पराली जलाने का संकट

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हरियाणा में पराली जलाने के 84% मामले सिर्फ सात ज़िलों में केंद्रित हैं, जिससे वायु प्रदूषण और पर्यावरण संबंधी चिंताएँ बढ़ रही हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • पराली जलाना:
    • हरियाणा में पराली जलाने की 84 प्रतिशत घटनाएँ सात ज़िलों से आती हैं।
    • सर्वाधिक योगदानकर्त्ता फतेहाबाद, कैथल, करनाल, जींद, कुरूक्षेत्र, अंबाला और यमुनानगर हैं।
    • चालू सीज़न में दर्ज कुल 1,595 खेतों में आग लगने की घटनाओं में से 1,343 घटनाएँ इन सात ज़िलों में हुई हैं।
  • पर्यावरणीय प्रभाव:
    • हरियाणा और दिल्ली-NCR क्षेत्र में वायु प्रदूषण में पराली जलाने का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
    • इन आग से निकलने वाला धुआँ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को बढ़ा देता है तथा सर्दियों के महीनों के दौरान पहले से ही खराब हो रही वायु गुणवत्ता को और खराब कर देता है।
  • सरकारी प्रयास:
    • हरियाणा सरकार ने पराली जलाने को हतोत्साहित करने के लिये विभिन्न पहल की हैं, जिनमें फसल अवशेष प्रबंधन उपकरण जैसे विकल्पों को बढ़ावा देना भी शामिल है।
    • किसानों को फसल अवशेष के निपटान के लिये पर्यावरण अनुकूल तरीके अपनाने हेतु प्रेरित करने हेतु जुर्माना और प्रोत्साहन लागू किये गए हैं।
  • किसानों के समक्ष चुनौतियाँ:
    • वैकल्पिक तरीकों की उच्च लागत और मशीनरी की सीमित उपलब्धता के कारण कई किसान पराली जलाना जारी रखते हैं।
    • कटाई और अगली फसल की बुवाई के बीच का छोटा समय किसानों पर दबाव डालता है, जिससे वे त्वरित समाधान, अर्थात पराली जलाने का विकल्प चुनते हैं।
  • नीति और प्रवर्तन:
    • उल्लंघनकर्त्ताओं के लिये दंड का प्रावधान होने के बावजूद, पराली विरोधी कानूनों का प्रवर्तन एक चुनौती बना हुआ है।
    • सरकार ने हैप्पी सीडर मशीनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया है, लेकिन उनका उपयोग धीमी गति से हो रहा है।



हरियाणा Switch to English

सरस आजीविका मेला 2024

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में गुरुग्राम में सरस आजीविका मेला 2024 शुरू हुआ, जिसमें ग्रामीण उत्पादों का प्रदर्शन किया गया और संपूर्ण भारत के स्वयं सहायता समूहों (Self-Help Groups- SHG) के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया गया। 

प्रमुख बिंदु 

  • सरस आजीविका मेला:
    • इसका उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को हस्तशिल्प, हथकरघा, जैविक उत्पादों और पारंपरिक खाद्य पदार्थों सहित अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने एवं विक्रय के लिये एक मंच प्रदान करना है
    • इस मेले का आयोजन राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान द्वारा किया जाता है।
    • यह मेला एक विपणन चैनल के रूप में कार्य करता है, जहाँ ग्रामीण उत्पादक प्रत्यक्षतः शहरी उपभोक्ताओं से जुड़ सकते हैं, जिससे उनकी आय बढ़ाने और बाज़ार पहुँच का विस्तार करने में मदद मिलती है।
    • यह आयोजन ग्रामीण महिला उद्यमियों को व्यापक स्तर पर अपनी शिल्पकला प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करके महिला सशक्तिकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
    • सरस मेला जैसी पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के तहत वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के सरकार के व्यापक उद्देश्यों के अनुरूप हैं।
    • यह पहल दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (Deendayal Antyodaya Yojana-National Rural Livelihood Mission- DAY-NRLM) का हिस्सा है।

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM)

  • परिचय:
  • यह एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है, जिसे वर्ष 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।
  • इसका उद्देश्य देश भर में ग्रामीण गरीब परिवारों के लिये विविध आजीविका को बढ़ावा देने और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुँच के माध्यम से ग्रामीण गरीबी को समाप्त करना है।
  • कार्य:
    • इसमें सामुदायिक पेशेवरों के माध्यम से सामुदायिक संस्थाओं के साथ स्व-सहायता की भावना से काम करना शामिल है, जो दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) का एक अनूठा प्रस्ताव है।
    • इससे आजीविका पर प्रभाव पड़ता है
      • ग्रामीण परिवारों को स्वयं सहायता समूहों में संगठित करना।
      • प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार से एक महिला सदस्य को स्वयं सहायता समूह में संगठित करना।
      • स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण प्रदान करना।
      • अपने स्वयं के संस्थानों और बैंकों से वित्तीय संसाधनों तक पहुँच प्रदान करना।
  • उप कार्यक्रम:
    • महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (Mahila Kisan Shashaktikaran Pariyojana- MKSP): इसका उद्देश्य कृषि-पारिस्थितिक प्रथाओं को बढ़ावा देना है जिससे महिला किसानों की आय में वृद्धि हो और उनकी इनपुट लागत और ज़ोखिम कम हो।
    • स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (Start-Up Village Entrepreneurship Programme- SVEP): इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमियों को स्थानीय उद्यम स्थापित करने में सहायता प्रदान करना है।
    • आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (Aajeevika Grameen Express Yojana- AGEY): इसे अगस्त 2017 में दूरदराज के ग्रामीण गाँवों को जोड़ने के लिये सुरक्षित, किफायती और सामुदायिक निगरानी वाली ग्रामीण परिवहन सेवाएँ प्रदान करने के लिये शुरू किया गया था।
    • दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (Deendayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana- DDUGKY): इसका उद्देश्य ग्रामीण युवाओं में प्लेसमेंट से जुड़े कौशल का निर्माण करना और उन्हें अर्थव्यवस्था के अपेक्षाकृत उच्च वेतन वाले रोज़गार क्षेत्रों में रखना है।
    • ग्रामीण स्वरोज़गार संस्थान (Rural Self Employment Institutes- RSETI): दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM), 31 बैंकों और राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में, ग्रामीण युवाओं को लाभकारी स्वरोज़गार अपनाने के लिये कौशल प्रदान करने हेतु ग्रामीण स्वरोज़गार संस्थानों (RSETI) को समर्थन दे रहा है।




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