उत्तराखंड
तड़ितझंझा
- 09 May 2024
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, एक पश्चिमी विक्षोभ से उत्तर पश्चिम भारत के प्रभावित होने का पूर्वानुमान लगाया गया है, जिसके प्रभाव से क्षेत्र में कई मौसमी बदलाव और वृद्धि होगी।
मुख्य बिंदु:
- 9 से 12 मई 2024 तक जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अधिकांश हिस्सों में आँधी, आकाशी बिजली/तड़ित तथा तड़ितझंझा (तेज़ हवाओं के साथ बारिश) का अनुमान लगाया गया है।
- पश्चिमी विक्षोभ ऐसे चक्रवात हैं जो कैस्पियन या भूमध्य सागर में उत्पन्न होते हैं और उत्तर पश्चिम भारत में गैर-मानसूनी वर्षा लाते हैं।
- इन्हें भूमध्य सागर में उत्पन्न होने वाले एक अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात के रूप में जाना जाता है, यह कम दाब का क्षेत्र होता है जो उत्तर पश्चिम भारत में आकस्मिक वर्षा, ओला और तुषार/धुँध लाता है।
- यह सर्दी और मानसून-पूर्व वर्षा का कारण बनता है तथा उत्तरी उपमहाद्वीप में रबी फसल के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- यह हमेशा अच्छे मौसम का अग्रदूत नहीं होता है। कभी-कभी यह बाढ़, आकस्मिक बाढ़, भू-स्खलन, धूल भरी आँधियाँ, ओलावृष्टि एवं शीत लहर जैसी चरम मौसमी घटनाओं का कारण बन सकता है, जिससे जान-माल की क्षति हो सकती है, बुनियादी ढाँचे नष्ट हो सकते हैं और आजीविका प्रभावित हो सकती है।
रबी फसलें
- ये फसलें रिट्रीटिंग/निवर्तनी मानसून एवं पूर्वोत्तर मानसून के मौसम के दौरान बोई जाती हैं, जिनकी बुआई अक्तूबर में शुरू होती है और इस कारण ये रबी या शीतकालीन फसल कहलाती हैं।
- इन फसलों की कटाई आमतौर पर गर्मी के मौसम में अप्रैल और मई के दौरान होती है।
- इन फसलों पर निवर्तनी मानसून वर्षा का ज़्यादा असर नहीं होता है।
- प्रमुख रबी फसलें गेहूँ, चना, मटर, जौ आदि हैं।
- इन फसली बीज के अंकुरण के लिये गर्म जलवायु और फसलों की वृद्धि के लिये ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है।