बिहार Switch to English
पुस्तक: स्ट्रीट वेंडर से ब्यूरोक्रेट
चर्चा में क्यों?
बिहार के राज्यपाल ने 5 फरवरी 2025 को राजभवन में मनोज कुमार द्वारा लिखित पुस्तक “स्ट्रीट वेंडर से ब्यूरोक्रेट” का विमोचन किया। मुख्य बिंदु
- पुस्तक के बारे में:
- इसमें लेखक ने बिहार के कोशी क्षेत्र से दिल्ली तक की यात्रा का संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक वर्णन किया।
- गरीबी और कठिनाईयों के बावजूद, वह अपनी मेहनत और लगन से सिविल सर्विस परीक्षा में सफल हुए और उच्च पद पर पहुँचे।
- पुस्तक का संपादन डॉ. हर्षवर्धन कुमार ने किया है।
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उत्तर प्रदेश Switch to English
रडार फैक्टरी
चर्चा में क्यों?
आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे के निकट बिझामई गाँव में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में 400 करोड़ रुपए की लागत से रडार बनाने की फैक्टरी स्थापित की जाएगी।
मुख्य बिंदु
- कारखाने के बारे में
- निर्माणकर्त्ता: 60 हेक्टेयर में विस्तृत यह फक्ट्री भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड द्वारा स्थापित की जाएगी।
- रडार निर्माण की सुविधा से देश की रक्षा प्रणाली में सुधार होगा, क्योंकि रडार की उच्च गुणवत्ता वाले निर्माण से सेना को बेहतर सुरक्षा और निगरानी प्रदान करने में मदद मिलेगी।
- इस फैक्टरी के माध्यम से भारत को रडार और अन्य रक्षा उपकरणों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी, जिससे बाहरी देशों पर निर्भरता कम होगी।
डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DIC)
- यह केंद्र सरकार की एक प्रमुख सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य भारत के रक्षा उद्योग को मज़बूती प्रदान करना और आत्मनिर्भर बनाना है।
- डिफेंस कॉरिडोर एक रूट होता है, जिसमें कई शहर शामिल होते हैं। इन शहरों में सैन्य उपकरणों के निर्माण के लिये इंडस्ट्री स्थापित की जाती हैं।
-
महत्त्व:
- इससे देश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, जिससे हमारा आयात कम होगा और अन्य देशों को इन वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा ।
- यह प्रौद्योगिकियों के समन्वित विकास के माध्यम से रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगा , एमएसएमई और स्टार्ट-अप सहित निजी घरेलू निर्माताओं के विकास को बढ़ावा देगा ।
- वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में देश में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (Defence Industrial Corridor) बनाए जाने की घोषणा की गई थी। इनमें से पहला तमिलनाडु के पाँच शहरों (चेन्नई , कोयंबटूर , होसुर , सलेम और तिरुचिरापल्ली) और दूसरा उत्तर प्रदेश के छह शहरों (अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर और लखनऊ) में बन रहा है।
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राजस्थान Switch to English
भगवान श्रीदेवनारायण की जयंती
चर्चा में क्यों
भगवान विष्णु के अवतार और गुर्जर समाज के परम आराध्य भगवान देवनारायण की 1113 वीं जयंती प्रदेश में धूमधाम के साथ मनाई गई।
मुख्य बिंदु
- लोक देवता: विष्णु का अवतार माने जाने वाले भगवान् देवनारायण राजस्थान के प्रमुख लोक देवता हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन लोक कल्याण के लिये समर्पित कर दिया था।
- वह गुर्जर समाज के परम आराध्य हैं। भगवान देवनारायण का दूसरा नाम उदयसिंह देव भी था।
- मुख्य धाम: मालासेरी। भगवान देवनारायण का जन्म राजस्थान के मालासेरी में हुआ था। इसलिये मालासेरी गुर्जरों का मुख्य धाम कहा जाता हैं। भगवान देवनारायण बगड़ावत वंश के बताए जाते हैं।
- बताया जाता है कि देवनारायण राजस्थान के अलावा में मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भी रहे हैं।
- जन्म: उनका जन्म माघ माह के शुक्ल पक्ष को षष्ठी के दिन आता है। इस दौरान गुर्जर समाज की ओर से मकर संक्रांति और देव एकादशी पर उनकी पूजा की जाती है।
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मध्य प्रदेश Switch to English
माधव राष्ट्रीय उद्यान
चर्चा में क्यों?
माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का 9वाँ टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया है, जिससे चंबल अंचल में वन्यजीवों की समृद्धि बढ़ेगी।
मुख्य बिंदु
- बाघों के संरक्षण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम:
- विस्तार: माधव टाइगर रिज़र्व पाँच वर्षों के भीतर 1,600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तार करने की दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है।
- 100 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले बाघ सफारी की भी योजना बनाई गई है, जिसमें 20 करोड़ रुपए का बुनियादी ढाँचा निवेश होगा, जिससे पारिस्थितिकी पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की आशा है।
- वर्तमान में प्रदेश में 8 प्रमुख टाइगर रिज़र्व (कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, सतपुड़ा, संजय दुबरी, रातापानी और नौरादेही टाइगर रिज़र्व) हैं। अब माधव नेशनल पार्क के टाइगर रिज़र्व बनने से यह संख्या बढ़कर 9 हो जाएगी, जो प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या और संरक्षण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- इससे पहले सरकार ने रातापानी को आठवाँ टाइगर रिज़र्व घोषित किया था।
- ज्ञातव्य है कि हाल ही में कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता वीरा ने दो शावकों को जन्म दिया है।
- भारत में बाघों की सबसे ज़्यादा संख्या मध्य प्रदेश में (वर्ष 2022 की जनगणना के अनुसार 785) है।
माधव राष्ट्रीय उद्यान
- परिचय:
- माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के शिवपुरी ज़िले में स्थित ऊपरी विंध्य पहाड़ियों का एक हिस्सा है।
- यह पार्क मुगल बादशाहों और ग्वालियर के महाराजाओं का शिकारगाह था। इसे वर्ष 1959 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला।
- पारिस्थितिकी तंत्र: यह क्षेत्र विविध पारिस्थितिकी तंत्र से परिपूर्ण है, जिसमें झीलें, शुष्क पर्णपाती वन और काँटेदार वन शामिल हैं। यहाँ बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंघा और विभिन्न प्रकार के हिरणों का आवास है।
- बाघ गलियारा:
- यह पार्क देश के 32 प्रमुख बाघ गलियारों में से एक के अंतर्गत आता है, जो बाघ संरक्षण योजना के माध्यम से संचालित होते हैं। बाघ संरक्षण योजना वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत कार्यान्वित की जाती है।
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हरियाणा Switch to English
हरियाणा IMA ने निलंबन वापस लिया
चर्चा में क्यों?
भारतीय चिकित्सा संघ (Indian Medical Association- IMA) की हरियाणा शाखा ने आयुष्मान भारत और चिरयु (CHIRYU) योजनाओं के तहत उपचार बंद करने का अपना आह्वान वापस ले लिया।
मुख्य बिंदु
- सरकारी आश्वासन:
- IMA हरियाणा के पूर्व अध्यक्ष ने पुष्टि की कि राज्य सरकार ने 31 मार्च, 2025 से पहले 200 करोड़ रुपए की बकाया राशि का भुगतान करने का आश्वासन दिया है।
- सरकार ने आगामी बजट में आयुष्मान भारत और चिरयु योजनाओं के लिये बजट आवंटन बढ़ाकर लगभग 2,500 करोड़ रुपए करने का भी वादा किया।
- उपचार स्थगित करने के आह्वान को वापस लेना:
- IMA ने पहले ही धमकी दी थी कि यदि भुगतान नहीं किया गया तो 3 फरवरी, 2025 से दोनों योजनाओं के तहत उपचार निलंबित कर दिया गया।
- सरकार के आश्वासन के बाद एसोसिएशन ने उपचार उपलब्ध कराना जारी रखने का निर्णय लिया।
भारतीय चिकित्सा संघ
- भारतीय चिकित्सा संघ आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति के डॉक्टरों का एकमात्र प्रतिनिधि, राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन है, जो डॉक्टरों के हितों के साथ-साथ समुदाय के कल्याण का भी ध्यान रखता है।
- भारतीय चिकित्सा संघ विश्व चिकित्सा संघ का संस्थापक सदस्य है।
- IMA ने 1966 में नई दिल्ली में डब्ल्यूएमए और IMA के संयुक्त तत्वावधान में चिकित्सा शिक्षा पर तृतीय विश्व सम्मेलन की मेज़बानी की।
आयुष्मान भारत
- वर्ष 2018 में शुरू किया गया आयुष्मान भारत भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) के दृष्टिकोण को साकार करने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की सिफारिशों के अनुरूप है।
- यह पहल सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य व्यापक सतत देखभाल दृष्टिकोण के माध्यम से प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तरों पर स्वास्थ्य सेवा पहुंच में सुधार करना है।
- आयुष्मान भारत में दो परस्पर संबंधित घटक शामिल हैं:
- आयुष्मान आरोग्य मंदिर (पूर्व में स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र या AB-HWCs) और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY)।
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उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में ग्रीन गेम्स को प्रोत्साहन
चर्चा में क्यों?
राज्य में चल रहे 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड ने ग्रीन गेम्स थीम के अनुरूप अभिनव पहल की शुरुआत की।
- राज्य ने दीर्घकालिक प्रथाओं को अपनाया है, स्थानीय संस्कृति को प्रोत्साहित किया है और महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता प्रदान की।
मुख्य बिंदु
- ग्रीन गेम्स पहल:
- राज्य ने संरक्षण प्रयासों को उजागर करने के लिये हिमालयी राज्य पक्षी मोनाल को आधिकारिक शुभंकर चुना गया।
- एक विशिष्ट पहल के तहत विजेताओं को दिये जाने वाले पदक ई-अपशिष्ट से बनाए गए।
- उत्तराखंड सरकार विजयी खिलाड़ियों के सम्मान में खेल वन का निर्माण कर रही है।
- परियोजना के लिये 2.77 हेक्टेयर क्षेत्र निर्धारित किया गया है, जहाँ 1,600 रुद्राक्ष के वृक्ष लगाए जाएँगे।
- इस कार्यक्रम में दीर्घकालिक प्रथाओं को शामिल किया गया है, जैसे कि पुनर्नवीनीकृत सामग्रियों से बने निमंत्रण कार्ड, प्रदूषण को रोकने के लिये इलेक्ट्रिक रिक्शा, सौर पैनलों का उपयोग और पुन: प्रयोज्य पानी की बोतलें।
- खेल अपशिष्ट का पुन: उपयोग:
- दौड़ते हुए खिलाड़ी और मोनाल पक्षी सहित विभिन्न प्रतीकों को पुन:प्रयोजनित खेल सामग्रियों से तैयार किया गया है।
- पूर्णतः ई-कचरे से बनी एक विशाल बाघ की मूर्ति खेलों में मुख्य आकर्षण बन गई है।
- फिटनेस और स्थिरता को बढ़ावा देना:
- पर्यावरण संरक्षण और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने के लिये, कार्यक्रम स्थलों पर साइकिलें उपलब्ध कराई गई हैं।
- महिला स्वास्थ्य को प्राथमिकता:
- उत्तराखंड महिला एथलीटों के लिये एक विचारशील पहल के माध्यम से मासिक धर्म स्वास्थ्य जागरूकता को संबोधित कर रहा है।
- राज्य ने सैनिटरी पैड और अन्य आवश्यक वस्तुओं से युक्त किट पेश किये हैं, जिससे खेलों में महिलाओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये प्रशंसा प्राप्त हुई है।
- योग और मलखंब:
- पहली बार पारंपरिक भारतीय खेलों को राष्ट्रीय खेलों की पदक तालिका में शामिल किया गया है।
- स्थानीय संस्कृति और पर्यटन का उत्सव:
- उत्तराखंड ने यह सुनिश्चित किया है कि राष्ट्रीय खेलों में स्थानीय संस्कृति उजागर हो तथा इनका विस्तार महानगरीय केंद्रों से अधिक हो।
- टिहरी और अल्मोड़ा जैसे दर्शनीय स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, जिससे कम ज्ञात क्षेत्रों को बढ़ावा मिल रहा है।
- पहाड़ी विरासत को प्रदर्शित करना:
- झंगोरा और गहत दाल सहित पारंपरिक व्यंजन प्रस्तुत किये गए, जबकि ऐपण लोक कला को पोस्टर, बैनर और कार्यक्रम की सजावट में प्रदर्शित किया गया।
ऐपण कला
- ऐपण उत्तराखंड में महिलाओं द्वारा विशेष रूप से बनाई जाने वाली एक पारंपरिक लोक कला है।
- यह कलाकृति चावल के आटे से बने सफेद लेप (पेस्ट) का उपयोग करके ईंट-लाल पृष्ठभूमि पर फर्श पर बनाई जाती है।
- धार्मिक रूपांकनों, दोहरावदार ज्यामितीय पैटर्न और प्रकृति से प्रेरित तत्वों को तैयार करने के लिये केवल लाल और सफेद रंगों का उपयोग किया जाता है, जो इस क्षेत्र की विशिष्ट कलात्मक शैली को दर्शाता है।
- ऐपण घरेलू समारोहों, अनुष्ठानों और विशेष अवसरों का एक अभिन्न अंग है।
- ऐसा माना जाता है कि ये आकृतियाँ दैवीय शक्ति का आह्वान करती हैं, सौभाग्य लाती हैं और बुराई से रक्षा करती हैं।
मलखंब
- मलखंब एक पारंपरिक खेल है, जिसकी उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप में हुई है, इस खेल में एक जिमनास्ट एक ऊर्ध्वाधर स्थिर या लटकी हुई लकड़ी के खंभे, बेंत या रस्सी के साथ हवाई योग या जिमनास्टिक आसन और कुश्ती की तकनीकों का प्रदर्शन करते हैं।
- मलखंब नाम दो शब्दों से मिलकर बना है, मल्ला, जिसका अर्थ है पहलवान और खंब, जिसका अर्थ है खंभा। शाब्दिक अर्थ है "कुश्ती का खंभा", यह शब्द पहलवानों द्वारा उपयोग किये जाने वाले पारंपरिक प्रशिक्षण उपकरण को संदर्भित करता है।
- इस खेल में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र मुख्य केंद्र बने हुए हैं।
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