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उत्तराखंड

प्रधानमंत्री 38वें राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन करेंगे

  • 11 Jan 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री उत्तराखंड में 28 जनवरी से 14 फरवरी 2025 तक होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन करने जा रहे हैं।

मुख्य बिंदु

  • खेलों का परिचय:
    • भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने उत्तराखंड को 2025 राष्ट्रीय खेलों की मेज़बानी के लिये घोषित किया है।
    • राज्य के कई शहरों में 38 खेलों में प्रतिस्पर्द्धा करते हुए 10,000 से अधिक एथलीट, अधिकारी और कोच भाग लेंगे।
  • भारतीय खेलों के लिये ऐतिहासिक घटना:
    • IOA अध्यक्ष पीटी उषा ने 38वें राष्ट्रीय खेलों को भारत में पारंपरिक और आधुनिक खेलों को बढ़ावा देने के लिये एक महत्त्वपूर्ण आयोजन बताया।
    • कलरीपयट्टू, योगासन, मल्लखंब और राफ्टिंग जैसे प्रदर्शनकारी खेलों को शामिल करना भारत की समृद्ध विरासत के प्रति श्रद्धांजलि है तथा उभरते हुए एथलीटों के लिये एक अवसर है।
  • राष्ट्रीय खेलों का परिचय:
    • राष्ट्रीय खेल एक ओलंपिक शैली का आयोजन है जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एथलीट पदक के लिये प्रतिस्पर्द्धा करते हैं।
    • वर्ष 2025 के संस्करण में 32 मुख्य खेल विधाएँ और चार प्रदर्शन कार्यक्रम शामिल होंगे।
  • पिछले संस्करण:
    • वर्ष 2023 के राष्ट्रीय खेल गोवा में आयोजित किये जायेंगे और पाँच शहरों - मापुसा, मडगांव, पंजिम, पोंडा, वास्को में आयोजित किये जायेंगे।
    • महाराष्ट्र 80 स्वर्ण सहित 228 पदकों के साथ पदक तालिका में शीर्ष पर रहा।
    • गुजरात में वर्ष 2022 का आयोजन 2015 के बाद सात वर्ष के अंतराल के बाद इस आयोजन का पुनरुद्धार होगा।

कलरीपयट्टू

  • यह मानव शरीर के प्राचीन ज्ञान पर आधारित एक मार्शल आर्ट है।
  • इसकी उत्पत्ति तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईस्वी के दौरान केरल में हुई थी। अब यह केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में प्रचलित है।
  • जिस स्थान पर इस मार्शल आर्ट का अभ्यास किया जाता है उसे 'कलारी' कहा जाता है। यह एक मलयालम शब्द है जिसका अर्थ है एक तरह का व्यायामशाला। कलारी का शाब्दिक अर्थ है 'खलिहान' या 'युद्ध का मैदान'। कलारी शब्द पहली बार तमिल संगम साहित्य में युद्ध के मैदान और युद्ध क्षेत्र दोनों का वर्णन करने के लिये आया है।
  • इसे अस्तित्व में सबसे पुरानी युद्ध प्रणालियों में से एक माना जाता है।
  • इन्हें आधुनिक कुंग-फू का जनक भी माना जाता है।

मल्लखंब

  • मल्लखंब एक पारंपरिक खेल है, जिसकी उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप में हुई है, जिसमें एक जिमनास्ट एक ऊर्ध्वाधर स्थिर या लटकी हुई लकड़ी के खंभे, बेंत या रस्सी के साथ हवाई योग या जिमनास्टिक आसन और कुश्ती की पकड़ का प्रदर्शन करता है।
  • मल्लखंब नाम मल्ला, जिसका अर्थ है पहलवान और खंब, जिसका अर्थ है खंभा से लिया गया है। शाब्दिक अर्थ "कुश्ती का खंभा" है, यह शब्द पहलवानों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले पारंपरिक प्रशिक्षण उपकरण को संदर्भित करता है।
  • मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र इस खेल के केंद्र रहे हैं।

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