इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 Sep 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
बिहार Switch to English

हरतालिका तीज, 2024

चर्चा में क्यों? 

हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। वर्ष 2024 में यह दिवस 6 सितंबर को मनाया जाएगा।

प्रमुख बिंदु: 

  • "हरतालिका" का अर्थ: दो संस्कृत शब्दों से व्युत्पन्न: "हरत" (अपहरण) और "आलिका" (स्त्री मित्र)।
  • पृष्ठभूमि: भगवान शिव की भक्त देवी पार्वती को उनके पिता की इच्छा के अनुसार भगवान विष्णु से उनके विवाह से बचाने के लिये उनकी सहेलियों ने उनका अपहरण कर लिया था।
    • पार्वती ने भगवान शिव की मिट्टी की मूर्ति की पूजा की, जिससे वे प्रसन्न हुए और अंततः उनका विवाह हो गया।
    • महिलाएँ सुखी वैवाहिक जीवन के लिये देवी गौरी से आशीर्वाद लेने के लिये स्वर्ण गौरी व्रत रखती हैं।
  • उत्तर भारतीय राज्यों में प्रमुख: राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड।
    • दक्षिण भारतीय राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में इसे गौरी हब्बा के नाम से भी जाना जाता है।
  • तीज त्योहार: तीन मुख्य तीज त्योहारों में से एक, हरियाली तीज और कजरी तीज के साथ, सावन एवं भाद्रपद के महीनों में मनाया जाता है।


हरियाणा Switch to English

हरियाणा-पंजाब कृषि विचलन

चर्चा में क्यों?

हरियाणा की कृषि अपनी फसल विविधीकरण के कारण पंजाब से अलग है, जबकि पंजाब में चावल-गेहूँ की एकल कृषि पर्यावरणीय और वित्तीय दृष्टि से सतत् नहीं है।

प्रमुख बिंदु:

  • पंजाब: 
    • एकल कृषि फसल: पंजाब की कृषि की विशेषता चावल-गेहूँ की एकरूपता है, जहाँ किसान क्रमशः खरीफ (मानसून) तथा रबी (सर्दी-वसंत) मौसम के दौरान केवल इन दो फसलों को उगाते हैं।
      • चावल की कृषि का क्षेत्रफल 2014-15 में 28.9 लाख हेक्टेयर (एलएच) से बढ़कर 2023-24 में 31.9 लाख हेक्टेयर हो गया।
    • उत्पादन रैंकिंग: पंजाब भारत में गेहूँ और चावल दोनों के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है।
      • भारत में गेहूँ उत्पादन में आठ प्रमुख राज्य शामिल हैं, जबकि चावल उत्पादन में 16 राज्य शामिल हैं।
    • जल एवं पर्यावरण संबंधी मुद्दे: चावल एक जल-गहन फसल है और इसे लगभग 25 बार सिंचाईयों की आवश्यकता होती है, जबकि गेहूँ को केवल 4-5 बार की सिंचाईयों की आवश्यकता होती है।
  • हरियाणा: 
    • न्यूनतम एकल कृषि: हरियाणा में पंजाब की तुलना में अधिक विविध फसल पद्धति है, जिसमें चावल-गेहूँ की एकल कृषि से परहेज़ किया जाता है।
      • खरीफ मौसम: इसमें चावल, कपास, बाजरा और ग्वार शामिल हैं।
      • रबी मौसम: इसमें गेहूँ, सरसों, चना और सूरजमुखी शामिल हैं।
    • चावल की किस्में: हरियाणा में बासमती चावल क्षेत्र का 56.2% हिस्सा है (2019-20 से 2023-24)।
      • बासमती चावल गैर-बासमती किस्मों की तुलना में कम जल की खपत करता है।
      • बासमती की कृषि जुलाई में की जाती है, जिससे मानसून और ठंडे तापमान का लाभ मिलता है तथा इसकी खुशबू बढ़ जाती है।
    • नहर नेटवर्क: 1,594 चैनलों का विस्तृत नहर नेटवर्क, 14,814 किमी. लंबा है।
      • यह हरियाणा के पूर्वोत्तर, मध्य और उत्तर-पश्चिमी ज़िलों को सिंचित करता है।
      • दक्षिणी ज़िलों (चरखी दादरी, झज्जर आदि) में सिंचाई की सुविधा सीमित है।
    • फसल वितरण:
      • दक्षिणी हरियाणा: किसान आमतौर पर खरीफ में बाजरा, ग्वार और ज्वार तथा रबी में गेहूँ, सरसों, चना एवं जौ उगाते हैं।
    • चुनौतियाँ:
      • चावल का क्षेत्रफल बढ़ा: वर्ष 2024 में चावल की कृषि का रिकॉर्ड स्तर, 16.4 लाख हेक्टेयर में रोपण।
      • इस वृद्धि के कारण कपास की कृषि के क्षेत्रफल में कमी आई है (4.8 लाख हेक्टेयर)।
    • विविधीकरण प्रयास: फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिये भावांतर भरपाई योजना (BBY) के तहत प्रयास।
      • बाजरा, सरसों, सूरजमुखी और अन्य फसलों के लिये MSP खरीद एवं मूल्य कमी भुगतान।


छत्तीसगढ़ Switch to English

केंद्र ने 8 लाख PMAY आवासों को मंज़ूरी दी

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्र ने छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 8 लाख से अधिक घरों के निर्माण को मंज़ूरी दी है।

मुख्य बिंदु 

  • केंद्र ने छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत निर्माण के लिये 8,46,931 आवासों को मंज़ूरी दी।
  • 'नियद नेल्लनार' योजना: नक्सल प्रभावित गाँवों तक बुनियादी सुविधाएँ और कल्याणकारी परियोजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने के लिये वर्ष 2024 की शुरुआत में शुरू की गई।
    • इस योजना के तहत सुरक्षा शिविरों के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले अंदरूनी गाँवों में विकास कार्य किया जा रहा है।
  • प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान: इसका उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। इसके तहत राज्य में 24,064 आवास स्वीकृत किये गए और उनमें से अधिकांश पूरे हो चुके हैं।

PMAY-G

  • लॉन्च: 1 अप्रैल, 2016 ग्रामीण परिवारों को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के आवास उपलब्ध कराने के लिये इंदिरा आवास योजना से पुनर्गठित।
  • लाभार्थियों का चयन: सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा और जियो-टैगिंग के आधार पर।

PMAY-U

  • लॉन्च: 25 जून, 2015 वर्ष 2022 तक सभी शहरी गरीबों को आवास उपलब्ध कराने के लिये।
  • विशेषताएँ: इसमें शौचालय, जलापूर्ति, विद्युत जैसी बुनियादी सुविधाएँ शामिल हैं तथा महिला सदस्यों या संयुक्त नामों के नाम पर घर का स्वामित्व प्रदान करके महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया गया है।

PM जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM JANMAN)

  • उद्देश्य: जनजातीय समूहों, विशेष रूप से विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चुके जनजातीय समूहों को आवश्यक सहायता, विकास और मुख्यधारा की सेवाओं एवं अवसरों से जोड़ना तथा उनकी रक्षा करना।
  • कवरेज: 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 22,544 गाँवों तथा 220 ज़िलों में 75 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) को शामिल किया गया है।
  • जनसंख्या: लगभग 28 लाख लोग इन पहचाने गए जनजातीय समूहों से संबंधित हैं।
  • महत्त्व: जनजातीय समुदायों के उत्थान और सुरक्षा, सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने तथा आवश्यक सेवाओं एवं सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण में अंतर को पाटते हुए उन्हें मुख्यधारा के विकास में एकीकृत करने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालता है।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG)

  • जनजातीय जनसंख्या: भारत की कुल जनसंख्या का 8.6% हिस्सा है।
  • भेद्यता: अन्य जनजातीय समूहों की तुलना में PVTG अधिक असुरक्षित हैं और उनके विकास के लिये अधिक निर्देशित निधियों की आवश्यकता होती है।
  • ऐतिहासिक संदर्भ:
    • वर्ष 1973: ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूहों (PTG) को कम विकसित के रूप में वर्गीकृत किया।
    • वर्ष 2006: भारत सरकार द्वारा PTG का नाम बदलकर PVTG कर दिया गया।
    • वर्ष 1975: सरकार ने 52 PVTG की पहचान की और उन्हें अनुसूचित जनजाति घोषित किया।
    • वर्ष 1993: अतिरिक्त 23 PVTG जोड़े गए, कुल मिलाकर 705 अनुसूचित जनजातियों में से 75 हो गए।
  • PVTG की विशेषताएँ:
    • अधिकतर समरूप तथा कम जनसंख्या।
    • भौगोलिक दृष्टि से अपेक्षाकृत पृथक।
    • लिखित भाषा का अभाव।
    • सरल प्रौद्योगिकी का उपयोग तथा परिवर्तन की धीमी दर।
  • भौगोलिक वितरण: PVTG की सबसे अधिक संख्या ओडिशा में पाई जाती है।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2