पिंक बॉलवार्म से निपटने के लिये महाराष्ट्र सरकार तैयार
चर्चा में क्यों?
महाराष्ट्र सरकार ने व्यापक रूप से प्रभावित राज्य के कुछ हिस्सों में पिंक बॉलवार्म (PBW) के हमलों से निपटने के लिये आपातकालीन उपायों की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- इन आपातकालीन उपायों के तहत राहत उपायों की निगरानी और किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करने के लिये प्रत्येक ज़िले में 16 सदस्यीय समितियों की स्थापना की जाएगी।
- ये समितियाँ जिला कलेक्टर के अंतर्गत कार्य करेंगी। विशेषज्ञ, किसान और बीज कंपनियों के प्रतिनिधि भी इनके बोर्ड में शामिल होंगे।
- अभियानों पर काम करने के लिये ये समितियाँ परिस्थितियों की जानकारी लेने और जागरूकता का प्रसार करने हेतु प्रत्येक 15 दिनों में बैठक आयोजित करेंगी और यदि आवश्यकता हो तो आपातकालीन उपायों को लागू करेंगी।
- कुल 42 लाख हेक्टेयर कपास की फसल में से पिंक बॉलवार्म के हमलों से 83% क्षेत्र की फसल को नुकसान पहुँचा है जिसने ज़िला स्तरीय उपायों को युद्ध स्तर पर लागू करने हेतु सरकार को बाध्य किया है।
- राज्य सरकार ने ऐसे 12 बीज फर्मों को नोटिस जारी किया जिनके उत्पादों को पिंक बॉलवार्म के हमलों से प्रभावित पाया गया था। ये कंपनियाँ औरंगाबाद, अकोला, जालना, बुलढाणा, परभानी, हिंगोली और उस्मानाबाद जिलों में अपने उत्पादों की आपूर्ति कर रही थीं।
- सरकार ने छोटे किसानों को मुआवज़ा देने के लिये योजनाओं का एक समूह जारी किया और एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें यह मांग की गई थी कि बीज कंपनियाँ मुआवज़ा देने की ज़िम्मेदारी लेंगी, अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई जा सकती है।
- किसान इस बात से चिंतित हैं कि पिंक बॉलवार्म के हमलों से कपास रोपित क्षेत्र में कम-से-कम 10% तक की कमी आएगी जिसके परिणामस्वरूप कम पैदावार और कीमतों में गिरावट की संभावना है।
- कपास के रेशे और बीजकोष पर पलने वाले कीड़ों के कारण अनुमानित 35 लाख हेक्टेयर कपास की फसल पहले ही खराब हो चुकी है। विदर्भ और यवतमाल में 3,414 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।