सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 | छत्तीसगढ़ | 03 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उद्योग स्थापित करने के लिये आवश्यक विभिन्न मंज़ूरियों के त्वरित अनुमोदन हेतु 'सिंगल विंडो सिस्टम' (SWS) के दूसरे संस्करण का शुभारंभ किया।
मुख्य बिंदु:
- सरकार निवेशकों और नए उद्योगपतियों की सुविधा के लिये त्वरित मंज़ूरी तथा अनुमोदन को प्राथमिकता देगी। सुशासन एवं भ्रष्टाचार के प्रति शून्य-सहिष्णुता की नीति सर्वोच्च प्राथमिकता है।
- ऑनलाइन सुविधा मंज़ूरी और अनुमोदन प्रदान करने में प्रशासनिक हस्तक्षेप को कम करके प्रक्रिया को सरल बनाने में सहायता करती है।
- सिंगल विंडो सिस्टम (SWS) 2.0 अपने पोर्टल पर 16 विभागों की 100 से अधिक सुविधाएँ प्रदान करता है।
- आवेदक को केवल एक बार लॉगइन करना होगा और उसे दोबारा आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी। यदि प्रक्रिया के दौरान किसी विभाग को जानकारी की आवश्यकता होती है, तो आवेदक लॉगइन करके पता कर सकता है।
- किसी भी कार्यालय से ऑफलाइन संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। ई-चालान के माध्यम द्वारा भुगतान किया जा सकता है। आवेदन-पत्रों के निस्तारण के लिये विभागीय अधिकारियों को ID और पासवर्ड दिये गए हैं।
अक्तूबर तक बंद रहेंगे टाइगर रिज़र्व | मध्य प्रदेश | 03 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश के छह टाइगर रिज़र्व ने अपने मुख्य क्षेत्रों को आम जनता और पर्यटकों के लिये बंद कर दिया है।
इस मौसमी बंद से प्रभावित रिज़र्व में बांधवगढ़, कान्हा, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना और संजय-दुबरी शामिल हैं।
मुख्य बिंदु:
- राष्ट्रीय उद्यानों के बंद होने का एक मुख्य कारण यह है कि मानसून का मौसम बाघों और बाघिनों के लिये एक महत्त्वपूर्ण समय होता है क्योंकि इस काल ये संसर्ग करते हैं तथा एकांत पसंद करते हैं
- इस अवधि के दौरान कोई भी व्यवधान इन शानदार जानवरों को आक्रामक बना सकता है।
- अबाधित परिवेश सुनिश्चित करना स्वस्थ बाघ की संख्या को बनाए रखने और इनके संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने के लिये आवश्यक है।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान:
- बंगाल टाइगर की उच्च जीवसंख्या घनत्व के लिये प्रसिद्ध बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भारत में सबसे लोकप्रिय बाघ अभयारण्यों में से एक है। इसमें तेंदुए, हिरण और कई पक्षी प्रजातियों जैसे कई अन्य वन्यजीव प्रजातियाँ भी निवास करती हैं।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान:
- अपने वन्यजीव विविधता और हरे-भरे परिदृश्यों के लिये प्रसिद्ध, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान ने रुडयार्ड किपलिंग की ‘द जंगल बुक’ को प्रेरित किया। यह बंगाल टाइगर्स की बहुत बड़ी आबादी के साथ-साथ बारहसिंगा (स्वाम्प हिरण) एवं हिरणों की अन्य प्रजातियों के लिये प्रसिद्ध है।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान:
- मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित पेंच राष्ट्रीय उद्यान अपने घने वनों तथा वन्यजीव विविधता के लिये प्रसिद्ध है। आगंतुक यहाँ बाघ, तेंदुए, स्लॉथ बियर्स एवं विभिन्न प्रकार के पक्षी की प्रजातियों को देख सकते हैं।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान:
- इसकी विशेषता इसकी ऊबड़-खाबड़ भूमि, गहरी घाटियाँ और घने वन हैं। यह जीप सफारी, नाव की सवारी तथा पैदल यात्रा के माध्यम से वन-भ्रमण करने का एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है, जिससे पर्यटकों को बाघ, तेंदुए एवं स्लॉथ बियर्स जैसे वन्यजीवों को देखने का मौका मिलता है।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान:
- यह बाघ संरक्षण में अपने प्रयासों के लिये प्रसिद्ध है और इन शानदार बिग कैट (बड़ी बिल्लियों) की एक बड़ी आबादी का आवास है। इस पार्क में समृद्ध जैवविविधता भी है, जिसमें हिरण, मृग एवं पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ शामिल हैं।
संजय राष्ट्रीय उद्यान:
- छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश सीमा क्षेत्र में स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान अपने प्राचीन वनों और विविध वनस्पतियों एवं जीवों के लिये जाना जाता है। यह संजय-दुबरी टाइगर रिज़र्व का एक हिस्सा है और बाघों, तेंदुओं तथा अन्य वन्यजीवों के लिये आवास प्रदान करता है।
AI-आधारित फायर डिटेक्शन सिस्टम | मध्य प्रदेश | 03 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पेंच टाइगर रिज़र्व (PTR) ने वनाग्नि का शीघ्र पता लगाने के लिये एक उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित प्रणाली शुरू की है।
मुख्य बिंदु:
- इस नई प्रणाली में 15 किलोमीटर की दृश्य सीमा वाला उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरा लगा है, जो प्रभावी रूप से रिज़र्व के 350 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करता है।
- AI-संचालित प्लेटफॉर्म, जिसे पैन्टेरा के नाम से जाना जाता है, कैमरा फीड और उपग्रह-आधारित डेटा दोनों का लाभ उठाकर तीन मिनट के भीतर वनाग्नि की वास्तविक समय चेतावनी प्रदान करता है।
- यह प्रणाली तापमान, वर्षा, वायु आदि से संबंधित मौसम संबंधी आँकड़े भी प्राप्त करती है तथा पिछली वनाग्नि के आँकड़ों का विश्लेषण करके, यह प्रणाली अल्पावधि में संभावित भविष्य की वनाग्नि का पूर्वानुमान लगाती है, जिससे वनाग्नि पर नियंत्रण की योजना बनाने में सहायता मिलती है।
पेंच टाइगर रिज़र्व (PTR)
- PTR मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दोनों का संयुक्त गौरव है।
- यह अभ्यारण्य मध्य प्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा ज़िलों में सतपुड़ा पहाड़ियों के दक्षिणी छोर पर स्थित है तथा महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले में एक अलग अभयारण्य के रूप में विस्तृत है।
- इसे वर्ष 1975 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया तथा वर्ष 1992 में इसे बाघ अभयारण्य का दर्जा दिया गया।
- हालाँकि वर्ष 1992-1993 में PTR मध्य प्रदेश को भी यही दर्जा दिया गया था। यह सेंट्रल हाइलैंड्स के सतपुड़ा-मैकल पर्वतमाला के प्रमुख संरक्षित क्षेत्रों में से एक है।
- यह भारत के महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों (IBA) के रूप में अधिसूचित स्थलों में से एक है।
- IBA बर्डलाइफ इंटरनेशनल का एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य विश्व के पक्षियों और उनसे संबंधित विविधता के संरक्षण हेतु IBA के वैश्विक नेटवर्क की पहचान, निगरानी एवं सुरक्षा करना है
बस्टर्ड संरक्षण का अगला चरण | राजस्थान | 03 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard- GIB) तथा लेसर फ्लोरिकन के संरक्षण के अगले चरण के लिये 56 करोड़ रुपए मंज़ूर किये हैं।
मुख्य बिंदु:
- इस योजना में आवास विकास, स्व-स्थाने संरक्षण, संरक्षण प्रजनन केंद्र का निर्माण कार्य पूरा करना, बंदी-प्रजनित पक्षियों को मुक्त करना तथा अन्य गतिविधियाँ शामिल हैं।
- राष्ट्रीय CAMPA (प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण) ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India’s- WII) के प्रस्ताव की सिफारिश शासी निकाय को की थी।
- इस प्रजाति को पुनर्जीवित करने की योजना सर्वप्रथम वर्ष 2013 में राष्ट्रीय बस्टर्ड रिकवरी योजना के तहत शुरू की गई थी, जिसने बाद में 2016 में बस्टर्ड रिकवरी प्रोजेक्ट को जन्म दिया।
- बाद में जुलाई 2018 में MoEFCC, राजस्थान वन विभाग और WII के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
- तीनों पक्षों द्वारा संचालित परियोजना के हिस्से के रूप में दो GIB संरक्षण प्रजनन केंद्र और एक लेसर फ्लोरिकन केंद्र क्रमशः राजस्थान के सैम, रामदेवरा तथा सोरसन में कार्य कर रहे हैं।
- सैम और रामदेवरा की टीम ने इस प्रजाति की मूल आबादी (Founder Population) के पुनः वन्यीकरण हेतु वनों से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड/गोडावण के अंडों को एकत्र करके प्रजनन केंद्र में उनका कृत्रिम रूप से ऊष्मायन एवं उद्भवन (Incubated and Hatched) कर संवर्द्धन किया गया
- वर्तमान में वनों में लगभग 140 GIB और 1,000 से भी कम लेसर फ्लोरिकन शेष हैं।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
लेसर फ्लोरिकन (Sypheotides indicus)
https://www.youtube.com/watch?v=ggavPiG5ccQ
संथाल विद्रोह की 169वीं वर्षगाँठ | झारखंड | 03 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संथाल विद्रोह की 169वीं वर्षगाँठ मनाई गई। प्रधानमंत्री ने संथाल जनजाति समुदाय के बलिदान और वीरता को नमन किया।
मुख्य बिंदु:
- ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह की सबसे प्रसिद्ध घटनाओं में से एक संथाल विद्रोह वर्ष 1855 और 1857 में हुआ था
- यह भारत का पहला बड़ा किसान विद्रोह था, जो वर्ष 1793 में स्थायी बंदोबस्त के कार्यान्वयन से प्रेरित था
- इसका नेतृत्व चार भाइयों सिद्धो, कान्हो, चाँद और भैरव मुर्मू ने बहनों फूलो एवं झानो के साथ मिलकर किया था तथा यह बिहार के क्षेत्रों में फैला था।
संथाल जनजाति
- संथाल भारत में गोंड और भील के बाद तीसरा सबसे बड़ा अनुसूचित जनजाति समुदाय है।
- उनकी सबसे बड़ी संख्या देश के पूर्वी भाग में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा राज्यों में है।
- भाषा:
- धर्म:
- वे प्रकृति पूजक हैं और उन्हें अपने गाँवों में जाहेर (पवित्र उपवन) में श्रद्धा अर्पित करते देखा जा सकता है।
- व्यवसाय:
- अधिकांश संथाल कृषक हैं, जो अपने खेतों या वनों पर निर्भर हैं।
- मौसमी वन संग्रह उनकी सहायक आय के महत्त्वपूर्ण स्रोतों में से एक है।
उत्तराखंड का पुराना लिपुलेख दर्रा | उत्तराखंड | 03 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले की व्यास घाटी में 18,300 फीट की ऊँचाई पर स्थित पुराना लिपुलेख दर्रा 15 सितंबर, 2024 से जनता के लिये सुलभ हो जाएगा।
इससे श्रद्धालु भारतीय भूभाग में तिब्बत स्थित पवित्र कैलाश शिखर के दर्शन कर सकेंगे।
मुख्य बिंदु:
- लिपुलेख दर्रे के माध्यम से कैलाश-मानसरोवर यात्रा को वर्ष 2019 में कोविड-19 प्रकोप के बाद निलंबित कर दिया गया था और मार्ग को चीन अधिकारियों द्वारा अभी तक नहीं खोला गया है।
- यह पवित्र ट्रेक भक्तों और साहसी लोगों को चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित कैलाश पर्वत तथा मानसरोवर झील तक ले जाता है।
- तीर्थयात्री धारचूला से लिपुलेख तक कार से जा सकेंगे। वहाँ से उन्हें कैलाश शिखर के दर्शन के लिये लगभग 800 मीटर पैदल चलना होगा
- तीर्थयात्री अब भारतीय भूभाग से ओम पर्वत के भी दर्शन कर सकेंगे।
कैलाश मानसरोवर
- कैलाश पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी चीन अधिकृत तिब्बत में 6,675 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है
- कैलाश और उसके दक्षिण में 30 किलोमीटर दूर स्थित पवित्र मानसरोवर झील की तीर्थयात्रा विशेष रूप से एक सरकारी संगठन, कुमाऊँ मंडल विकास निगम (KMVN) द्वारा संचालित की जाती है
- यह संगठन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और चीन सरकार के सहयोग से कार्य करता है।