आम की बागवानी के लिये योजना | बिहार | 02 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्य सरकार ने आम की बागवानी के लिये विशेष रूप से डिज़ाइन की गई एक योजना शुरू की है, ताकि आम उत्पादन में लगे किसानों को लक्षित सहायता और समर्थन प्रदान किया जा सके।
- बिहार में 15.84 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन होता है और आम के उत्पादन में यह देश में तीसरे स्थान पर है।
मुख्य बिंदु:
- आम के क्षेत्र विस्तार के लिये 60,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की इकाई लागत पर 50% सब्सिडी के साथ आम विकास योजना शुरू की गई है।
- राज्य एक सूक्ष्म सिंचाई योजना को सुविधाजनक बना रहा है, जिसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को ड्रिप, मिनी तथा माइक्रो स्प्रिंकलर पर 80% सहायता (अन्य किसानों के लिये 70%) एवं सामुदायिक बोरवेल पर 80% सहायता दी जा रही है।
- बिहार में कई विशिष्ट स्वाद वाले आम उगाए जाते हैं, जिनमें दूधिया मालदा, जर्दालु और आम्रपाली शामिल हैं।
- उचित विपणन और ब्रांडिंग से बाज़ार में राज्य के फलों की धारणा तथा मूल्य निर्धारण में महत्त्वपूर्ण अंतर आ सकता है।
- कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के समर्थन से, बिहार ब्रिटेन, मध्य पूर्व और न्यूज़ीलैंड को लगभग 1200 मीट्रिक टन से अधिक ताज़े आम का निर्यात करता है।
जर्दालु आम
- जर्दालू भागलपुर की एक अनोखी आम की किस्म है।
- यह अपने हल्के पीले रंग और विशिष्ट सुगंध के लिये जाना जाता है।
- इसे वर्ष 2018 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग दिया गया था।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority- APEDA)
केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा राज्यवार वार्ता | छत्तीसगढ़ | 02 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि क्षेत्र पर राज्यों के साथ परामर्श शुरू किया तथा दो राज्यों छत्तीसगढ़ और असम के कृषि मंत्रियों के साथ बैठक की।
मुख्य बिंदु:
- चर्चा के दौरान कृषि एवं किसान कल्याण से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई, जिसमें दलहन, तिलहन, बागवानी आदि को बढ़ावा देना शामिल है
- केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ को हर संभव सहायता प्रदान करती रहेगी
- खरीफ सीज़न में खाद, बीज आदि की पर्याप्त उपलब्धता रहेगी।
खरीफ सीज़न
- फसलें जून से जुलाई तक बोई जाती हैं और उनकी कटाई सितंबर-अक्तूबर के बीच की जाती है
- फसल: चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूंँग, उड़द, कपास, जूट, मूँगफली, सोयाबीन आदि।
- राज्य: असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा के तटीय क्षेत्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र।
बकाया राशि को लेकर मरीज़ों के इलाज पर रोक | हरियाणा | 02 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के विभिन्न हिस्सों में निजी अस्पतालों ने राज्य सरकार द्वारा 200 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान न किये जाने के कारण केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत मुफ्त इलाज योजना और राज्य सरकार की चिरायु हरियाणा योजना के तहत मरीज़ों को भर्ती करना बंद कर दिया है।
मुख्य बिंदु:
- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अनुसार, राज्य में लगभग 600 निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत सूचीबद्ध हैं और उन्होंने राज्य सरकार से बिलों का भुगतान जारी करने का अनुरोध किया था।
- हरियाणा में 74.33 लाख लाभार्थी चिरायु योजना के अंतर्गत तथा 28.89 लाख लाभार्थी आयुष्मान योजना के अंतर्गत आते हैं।
- इन योजनाओं के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को द्वितीयक एवं तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती होने के लिये प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य कवरेज मिलता है।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री- जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY)
- परिचय:
- PM-JAY पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्तपोषित विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है।
- इसे 2018 में लॉन्च किया गया, यह द्वितीयक देखभाल और तृतीयक देखभाल के लिये प्रति परिवार 5 लाख रुपए की बीमा राशि प्रदान करती है।
- स्वास्थ्य लाभ पैकेज में सर्जरी, चिकित्सा और डे केयर उपचार, दवाओं व निदान की लागत शामिल है।
- लाभार्थी:
- यह एक पात्रता आधारित योजना है जो नवीनतम सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) डेटा द्वारा पहचाने गए लाभार्थियों को लक्षित करती है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को शेष (अप्रमाणित) SECC परिवारों की पहचान करने के लिये समान सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल वाले गैर-सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) लाभार्थी परिवार डेटाबेस का उपयोग करने हेतु लचीलापन प्रदान किया है।
चिरायु हरियाणा योजना
- इसका उद्देश्य राज्य के ज़रूरतमंदों को मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराना है।
- इन परिवारों का 5 लाख रुपए तक का व्यय राज्य सरकार वहन करेगी।
- इस योजना का लाभ राज्य के 28 लाख से अधिक परिवारों को मिलेगा। योजना के विस्तार के साथ ही इसमें 12 लाख से अधिक नए गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवारों को जोड़ा गया है।
अगले बजट तक सभी योजनाएँ स्थगित | मध्य प्रदेश | 02 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के अनुसार, आगामी बजट 3 जुलाई, 2024 में चल रही योजनाओं को जारी रखा जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- अधिकारियों के अनुसार सत्र में 14 बैठकें होंगी, जो 3 जुलाई से शुरू होंगी और 19 जुलाई, 2024 को समाप्त होंगी।
- कथित नर्सिंग कॉलेज घोटाले और फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) कई नर्सिंग कॉलेजों के कामकाज में घोर अनियमितताओं से संबंधित कथित नर्सिंग कॉलेज घोटाले की जाँच कर रहा है, जिनमें बुनियादी ढाँचे की कमी थी जबकि कुछ केवल कागज़ पर ही मौजूद थे।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP)
- MSP वह गारंटीकृत राशि है जो सरकार द्वारा किसानों की उपज खरीदने पर उन्हें दी जाती है।
- MSP कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की सिफारिशों पर आधारित है, जिसमें उत्पादन की लागत, मांग तथा आपूर्ति, बाज़ार मूल्य प्रवृत्तियों, अंतर-फसल मूल्य समता आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार किया जाता है।
- CACP कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्त्व में आया।
- भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक कार्य की कैबिनेट समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs- CCEA) MSP के स्तर पर अंतिम निर्णय (अनुमोदन) लेती है।
- MSP का उद्देश्य उत्पादकों को उनकी उपज के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI)
- यह भारत की प्रमुख अन्वेषण पुलिस एजेंसी है।
- यह भारत सरकार के कार्मिक, पेंशन और लोक शिकायत मंत्रालय के कार्मिक विभाग के अधीक्षण में कार्य करता है- जो प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत आता है।
- यह भारत में नोडल पुलिस एजेंसी भी है जो इंटरपोल सदस्य देशों की ओर से जाँच का समन्वय करती है।
- इसकी दोषसिद्धि दर 65 से 70% तक है और यह विश्व की सर्वश्रेष्ठ जाँच एजेंसियों के बराबर है।
मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना | राजस्थान | 02 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की। राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के पहले से ही लाभार्थी किसानों को 2,000 रुपए की अतिरिक्त वार्षिक वित्तीय सहायता देने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु:
- इस योजना के तहत, 1,000 रुपए की पहली किस्त वितरित की गई है, इसके बाद 500 रुपए की दो किस्तें वितरित की गई हैं।
- योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये सहकारिता विभाग को नोडल विभाग के रूप में नामित किया गया है।
- राजस्थान में लगभग 650 करोड़ रुपए की राशि 65 लाख से अधिक किसानों को इस पहली किस्त के हिस्से के रूप में सीधे उनके बैंक खातों में प्राप्त हुई।
- मुख्यमंत्री ने महिलाओं द्वारा संचालित 51 ग्राम सेवा सहकारी समितियों को 3-3 लाख रुपए भी वितरित किये।
- महिलाओं द्वारा विशेष रूप से प्रबंधित इन समितियों का उद्देश्य नेतृत्व कौशल विकसित करना और महिलाओं को अपने विकास एवं कल्याण हेतु निर्णय लेने के लिये सशक्त बनाना है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)
- यह भारत सरकार द्वारा 100% वित्तपोषित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
- इसका क्रियान्वयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
- इस योजना के तहत, केंद्र सरकार सभी भूमिधारक किसानों के बैंक खातों में तीन समान किस्तों में प्रतिवर्ष 6,000 रुपए की राशि सीधे हस्तांतरित करती है, चाहे उनकी भूमि कितनी भी बड़ी क्यों न हो।
- इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों (SMF) की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करना है, ताकि प्रत्येक फसल चक्र के अंत में अनुमानित कृषि आय के अनुरूप उचित फसल स्वास्थ्य एवं उचित उपज सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न इनपुट खरीदे जा सकें। लाभार्थी किसान परिवारों की पहचान की पूरी ज़िम्मेदारी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों की है।
सहकारी समिति (Cooperative Society)
- सहकारी संस्थाएँ ज़मीनी/प्राथमिक स्तर पर लोगों द्वारा बाज़ार में सामूहिक सौदाकारी क्षमता का उपयोग करने के लिये बनाई गई संस्थाएँ हैं।
- इसका अर्थ विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाएँ हो सकती हैं, जैसे कि एक साझा संसाधन का उपयोग करना या पूंजी साझा करना, एक साझा लाभ प्राप्त करना जो अन्यथा एक व्यक्तिगत उत्पादक के लिये प्राप्त करना मुश्किल होगा।
- कृषि में सहकारी डेयरियाँ, चीनी मिलें, कताई मिलें आदि उन किसानों के संयुक्त संसाधनों से बनाई जाती हैं जो अपनी उपज को संसाधित करना चाहते हैं।
- अमूल शायद भारत की सबसे प्रसिद्ध सहकारी समिति है।
राजस्थान की नई ड्राफ्ट टाउनशिप नीति | राजस्थान | 02 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान सरकार ने एक नई ड्राफ्ट टाउनशिप नीति और भवन उपनियमों के साथ लोगों एवं सभी हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किये हैं।
मुख्य बिंदु:
- नई ड्राफ्ट नीति के अनुसार, डेवलपर अपने टाउनशिप में बेची गई इकाइयों के रखरखाव के लिये सात वर्ष की अवधि तक उत्तरदायी होगा।
- ये टाउनशिप केवल अधिकारियों द्वारा निर्दिष्ट क्षेत्रों में निर्मित किये जाएंगे, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि उस क्षेत्र में सभी आवश्यक सुविधाएँ जैसे: जल और ऊर्जा सुविधाएँ सुलभ हों।
- नए भवन उपनियमों के अनुसार, शहरों की आवासीय योजनाओं और कॉलोनियों में छोटे भूखंड पर ऊँची इमारत बनाने की अनुमति नहीं होगी।
- 500 से 750 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र के भूखंडों पर केवल आठ मंजिला इमारतें ही बनाई जा सकेंगी।
- शहरों में 2500 वर्ग मीटर से अधिक के भूखंडों पर ग्रीन बिल्डिंग या पर्यावरण-अनुकूल इमारतों का निर्माण अनिवार्य किया जा रहा है।
- ग्रुप हाउसिंग, बहु-आवासीय इकाइयों में अब प्रत्येक इकाई के लिये एक कार पार्किंग की जगह छोड़नी होगी।