उत्तर प्रदेश Switch to English
ABHA ID के माध्यम से सर्वाधिक टोकन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश ने आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA) ID के माध्यम से एक करोड़ टोकन सृजित करके कीर्तिमान स्थापित किया है।
मुख्य बिंदु:
- उत्तर प्रदेश एकमात्र भारतीय राज्य है जिसने अब तक कुल 1,43,00,000 टोकन सृजित करने की उपलब्धि हासिल की है।
- उत्तर प्रदेश के बाद, आंध्र प्रदेश 60,33,104 टोकन के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि कर्नाटक 42,57,944 टोकन के साथ तीसरे स्थान पर है।
- वर्ष 2007 में शुरू किये गए और वर्ष 2022 में नवीनतम अद्यतन किये गए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (IPHS) दिशा-निर्देश प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु गुणवत्ता मानक निर्धारित करते हैं।
- ये मानक पूरे देश में सुसंगत, सुलभ और जवाबदेह स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करते हैं।
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्वास्थ्य संस्थानों को IPHS मानकों के अनुपालन की त्वरित निगरानी करने तथा आवश्यक कार्रवाई करने में सहायता करने के लिये एक डैशबोर्ड बनाया है।
आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट्स (ABHA)
- ABHA ID एक अद्वितीय 14-अंकीय संख्या है, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य रिकॉर्ड को जोड़ने के लिये किया जाता है। यहाँ ABHA से तात्पर्य एक डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने से है, इसका लक्ष्य स्वास्थ्य देखभाल के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना है।
- कोई भी व्यक्ति निशुल्क स्वास्थ्य ID या ABHA के लिये आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) में नामांकन कर सकता है।
- विशेषताएँ
- इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड (EHR): ABHA इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड को एकीकृत करता है, जिससे रोगी की जानकारी के संग्रह और पुनर्प्राप्ति की सुविधा मिलती है।
- इससे चिकित्सा इतिहास को बनाए रखने और स्वास्थ्य सेवा वितरण को सुव्यवस्थित करने में सहायता मिलती है।
- पोर्टेबिलिटी: एकाउंट्स को आयुष्मान भारत योजना के तहत सूचीबद्ध विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में परिवर्तित (पोर्टेबल) होने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिससे लाभार्थियों को स्थान की परवाह किये बिना सेवाओं तक निर्बाध पहुँच की अनुमति मिलती है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाए रखने से ABHA स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में पारदर्शिता एवं जवाबदेही में वृद्धि होती है।
- इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड (EHR): ABHA इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड को एकीकृत करता है, जिससे रोगी की जानकारी के संग्रह और पुनर्प्राप्ति की सुविधा मिलती है।
मध्य प्रदेश Switch to English
नदी जोड़ो परियोजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों ने भोपाल में 72,000 करोड़ रुपए की पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के कार्यान्वयन हेतु समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- इस परियोजना का उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान की नदियों जैसे चंबल और उसकी सहायक नदियों, जैसे- कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध में बरसात के मौसम में उपलब्ध अतिरिक्त जल का संचयन करना तथा इस जल का उपयोग राज्य के दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में करना है, जहाँ पीने व सिंचाई के लिये जल की कमी है।
मुख्य बिंदु:
- इस परियोजना से राजस्थान के 13 ज़िलों तथा मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्रों को जल मिलेगा।
- इससे दोनों राज्यों में कम-से-कम 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई में सहायता मिलेगी, जिसमें ग्रामीण तालाबों को भी सहायता मिलेगी।
- नदी जोड़ो परियोजना से दोनों राज्यों को लाभ मिलेगा, जिससे राज्यों के बीच संबंध भी मज़बूत होंगे।
- राजस्थान के खाटू श्याम मंदिर से मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल शिव मंदिर तक कॉरिडोर बनाने का भी प्रयास किया जाएगा।
चंबल नदी
- इसका उद्गम स्थल विंध्य पर्वत (इंदौर, मध्य प्रदेश) के उत्तरी ढलान पर स्थित सिंगार चौरी (Singar Chouri) चोटी है। यहाँ से यह लगभग 346 किमी. तक मध्य प्रदेश में उत्तर दिशा की ओर बहती हुई राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में इस नदी की कुल लंबाई 225 किमी. है जो इस राज्य के उत्तर-पूर्व दिशा में बहती है।
- उत्तर प्रदेश में इस नदी की कुल लंबाई लगभग 32 किमी. है जो इटावा में यमुना नदी में मिल जाती है।
- यह एक वर्षा आधारित नदी है, जिसका बेसिन विंध्य पर्वत शृंखलाओं और अरावली से घिरा हुआ है। चंबल तथा उसकी सहायक नदियाँ उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में बहती हैं।
- राजस्थान में हाडौती/हाड़ौती का पठार (Hadauti Plateau) चंबल नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र मेवाड़ मैदान के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
- सहायक नदियाँ: बनास, काली सिंध, क्षिप्रा, पार्वती आदि।
- चंबल नदी की मुख्य विद्युत परियोजनाएँ/बाँध: गांधी सागर बाँध, राणा प्रताप सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध और कोटा बैराज।
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रि-जंक्शन पर चंबल नदी के किनारे स्थित है।
- यह स्थान गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल, रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल और लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फिन के लिये जाना जाता है।
उत्तराखंड Switch to English
गांधी सरोवर पर हिमस्खलन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केदारनाथ धाम से चार किलोमीटर ऊपर स्थित गांधी सरोवर में भारी हिमस्खलन हुआ।
- हिमस्खलन की यह घटना चोराबाड़ी ग्लेशियर के पास हुई, लेकिन इसमें जान-माल की कोई हानि नहीं हुई।
मुख्य बिंदु:
- यह हिमस्खलन केदारनाथ घाटी के ऊपरी छोर पर स्थित बर्फ से ढकी मेरु-सुमेरु पर्वत शृंखला के नीचे चोराबाड़ी ग्लेशियर में गांधी सरोवर के ऊपरी क्षेत्र में हुआ।
- वर्ष 2022 में सितंबर और अक्तूबर के महीनों में इस क्षेत्र में तीन हिमस्खलन हुए।
- मई और जून 2023 में चोराबाड़ी ग्लेशियर में हिमस्खलन की पाँच ऐसी घटनाएँ दर्ज की गईं।
- इसके बाद भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान और वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों ने क्षेत्र का स्थलीय एवं हवाई सर्वेक्षण कर पूरी स्थिति का जायजा लिया।
- वैज्ञानिकों की टीम ने हिमालयी क्षेत्र में इन घटनाओं को ‘सामान्य’ बताया, लेकिन उन्होंने केदारनाथ धाम क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने पर ज़ोर दिया।
चोराबाड़ी ग्लेशियर
- चोराबाड़ी बामक ग्लेशियर के नाम से भी जाना जाने वाला यह ग्लेशियर उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में स्थित है।
- मंदाकिनी नदी चोराबाड़ी ग्लेशियर से निकलती है।
हिमस्खलन
- हिमस्खलन का आशय पर्वत या ढलान से नीचे अचानक हिम, बर्फ और मलबे के तीव्र प्रवाह से है।
- यह भारी बर्फबारी, तीव्र तापमान परिवर्तन या मानव गतिविधि जैसे विभिन्न कारकों के कारण हो सकता है।
- हिमस्खलन की संभावना वाले कई क्षेत्रों में विशेषज्ञ दल मौजूद होते हैं जो विभिन्न तरीकों जैसे- विस्फोटक, बर्फ अवरोधक और अन्य सुरक्षा उपायों का उपयोग करके हिमस्खलन के जोखिमों की निगरानी एवं नियंत्रण करते हैं।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG)
- वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है।
- जून, 1968 में दिल्ली विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के दो कमरों में एक छोटे केंद्र के रूप में स्थापित इस संस्थान को अप्रैल, 1976 के दौरान देहरादून में स्थानांतरित कर दिया गया था।
उत्तराखंड Switch to English
बद्रीनाथ मंदिर के लिये मास्टर प्लान
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार, राज्य में बद्रीनाथ मंदिर में सुविधाओं के उन्नयन के लिये 424 करोड़ रुपए का मास्टर प्लान तैयार किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- बद्रीनाथ मंदिर राज्य के बद्रीनाथ शहर में स्थित है और यह चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है।
- उत्तराखंड में कई धार्मिक स्थल हैं तथा हिमालयी क्षेत्र में उनका स्थान, जो पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील है। सरकार के लिये पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करना एवं देश भर से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिये बेहतर सुविधाओं की आवश्यकता को पूरा करना यहाँ एक बड़ी चुनौती है।
- बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि वे उधम सिंह नगर ज़िले में पंतनगर हवाई अड्डे के विस्तार की प्रक्रिया जल्द शुरू करें।
- साथ ही देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डे के विस्तार की अनुमति देने और हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा देने की प्रक्रिया में तेज़ी लाने का अनुरोध किया।
बद्रीनाथ मंदिर
- यह मंदिर वैष्णवों के लिये 108 दिव्य देसमों में से एक भगवान विष्णु का पवित्र तीर्थस्थल है, जिन्हें बद्रीनाथ के रूप में पूजा जाता है।
- यह उत्तराखंड के चमोली ज़िले में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
EWS छात्रों के लिये निशुल्क कोचिंग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन ने छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड के पंजीकृत लाभार्थियों को लक्षित करते हुए मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक के बच्चों हेतु निशुल्क कोचिंग सहायता योजना शुरू करने की घोषणा की।
- इसमें राज्य के 10 ज़िलों में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के बच्चों को निशुल्क कोचिंग प्रदान की जाएगी।
मुख्य बिंदु:
- इस योजना के तहत, पंजीकृत श्रमिक और उनके बच्चे अपनी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार 4 से 10 महीने की अवधि के लिये निशुल्क कोचिंग का लाभ उठा सकते हैं।
- इस कोचिंग में लोक सेवा आयोग (PSC), छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल, कर्मचारी चयन आयोग और बैंकिंग, रेलवे तथा पुलिस भर्ती सहित विभिन्न परीक्षाएँ शामिल हैं।
- पंजीकृत श्रमिकों (जिनकी मृत्यु 9 जून, 2020 से पहले हो चुकी है) के बच्चे पिछली अधिसूचनाओं के अनुसार इस योजना के लिये पात्र हैं।
- जबकि निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना से जुड़े लोग भी इस पहल का लाभ उठाने के लिये आवेदन कर सकते हैं।
- कोचिंग हाइब्रिड मोड में उपलब्ध कराई जाएगी, जो उन छात्रों के लिये आसान होगी जो दूरस्थ रूप से ऑनलाइन क्लास लेना चाहते हैं या अगर वे पारंपरिक अधिगम के इच्छुक हैं तो ऑफलाइन क्लास भी ले सकते हैं।
- दस ज़िले शामिल हैं- रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, धमतरी, राजनांदगाँव, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, महासमुंद।
निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना
- इसे छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2020 में शुरू किया गया था। इस योजना से निर्माण श्रमिक की मृत्यु या विकलांगता के बाद उनके परिवारों को वित्तीय लाभ मिल सकेगा।
- पात्रता:
- 18 से 60 वर्ष की आयु के निर्माण श्रमिक पात्र होंगे।
- निर्माण श्रमिक को भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक (रोज़गार एवं सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996 की धारा 12 के अंतर्गत लाभार्थी के रूप में पंजीकृत होना चाहिये।
- लाभ:
- सामान्य मृत्यु पर- ₹ 1,00,000
- कार्य स्थल पर मृत्यु- ₹ 5,00,000
- कार्य स्थल पर स्थायी विकलांगता- ₹ 2,50,000
हरियाणा Switch to English
मुख्यमंत्री द्वारा कल्याणकारी योजनाओं के तहत लाभ जारी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पानीपत की अनाज मंडी में तीन कल्याणकारी योजनाओं के तहत 83,633 लाभार्थियों को ₹100.68 करोड़ के लाभ जारी किये।
मुख्य बिंदु:
- सामाजिक सुरक्षा पेंशन, डॉ. भीम राव अंबेडकर आवास नवीनीकरण योजना और मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत राज्य स्तरीय कार्यक्रम में लाभ वितरित किये गए।
- सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के 75,330 नए लाभार्थियों को पेंशन के रूप में ₹22.59 करोड़ की राशि जारी की गई।
- डॉ. बी.आर. अंबेडकर आवास नवीनीकरण योजना के तहत 2,003 लाभार्थियों को घर की मरम्मत के लिये ₹15.09 करोड़ की सहायता राशि जारी की गई।
- मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 100 वर्ग गज भूमि के 6,300 लाभार्थियों को अधिकार पत्र और ₹1-1 लाख की वित्तीय सहायता के पत्र दिये गए।
डॉ. बी.आर. अंबेडकर आवास नवीनीकरण योजना
- इसकी शुरुआत हरियाणा राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2021 में की गई थी।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन सभी परिवारों को मकान की मरम्मत/नवीकरण के लिये अनुदान प्रदान करना है। जिनकी वार्षिक आय परिवार पहचान-पत्र में 1.80 लाख रुपए से कम या उसके बराबर है और मकान की मरम्मत की आवश्यकता है तो इस योजना के तहत उन्हें 80000 रुपए की राशि प्रदान की जाती है।
हरियाणा मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना
- वर्ष 2023 में शुरू की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के कमज़ोर और निम्न आय वर्ग के परिवारों को सस्ती दरों पर आवास उपलब्ध कराना है।
- योजना के तहत उन लोगों को प्लॉट आवंटित किये जाएंगे जिनके पास आवास बनाने के लिये ज़मीन नहीं है।
- इससे राज्य के गरीब परिवारों का सामाजिक और आर्थिक विकास होगा तथा उन्हें सुरक्षित एवं स्थायी जीवन जीने का मौका मिलेगा।
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