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हिमालय में हिमानी झीलों का विस्तार

  • 04 May 2024
  • 12 min read

प्रीलिम्स के लिये:

हिमनद झील के फटने से बाढ़, सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र नदी, भारतीय हिमालयी क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, हिमस्खलन

मेन्स के लिये:

हिमालय में हिमानी झीलों के विस्तार के लिये ज़िम्मेदार कारक, GLOF और जोखिम को कम करने के उपाय, महत्त्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएँ।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा उपग्रह निगरानी डेटा ने हिमालयी क्षेत्र में वर्ष 1984 और 2023 के बीच हिमनद झीलों में एक बड़ा विस्तार दिखाया है, जिसने निचले क्षेत्रों के लिये एक संकट जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी है।

हिमालय के ग्लेशियरों के विस्तार पर ISRO की क्या राय है?

  • मुख्य निष्कर्ष:
    • 2016-17 के दौरान चिह्नित की गई 10 हेक्टेयर से बड़ी 2,431 झीलों में से 676 हिमनद झीलों का 1984 से उल्लेखनीय रूप से विस्तार हुआ है।
      • इनमें से 130 झीलें भारत में स्थित हैं, जिनमें क्रमशः 65, 7 और 58 झीलें सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटियों में स्थित हैं।
      • इन झीलों में से 601 झीलें (89%) दोगुने से अधिक तक विस्तारित हुई हैं, जिनमे से 10 झीलें 1.5 से 2 गुना और 65 झीलें 1.5 गुना तक बढ़ी हैं।
    • उन्नयन-आधारित विश्लेषण से पता चलता है कि 314 झीलें 4,000 से 5,000 मीटर की सीमा में स्थित हैं और 296 झीलें 5,000 मीटर की ऊँचाई से ऊपर हैं। 
    • भारत के हिमाचल प्रदेश में 4,068 मीटर की ऊँचाई पर स्थित घेपांग घाटी ग्लेशियर झील (सिंधु नदी बेसिन) में दीर्घकालिक परिवर्तन से पता चलता है कि 1989 और 2022 के बीच इसके आकार में 178% की वृद्धि, 36.49 से 101.30 हेक्टेयर, हुई है।
  • हिमालय में हिमानी झीलों के प्रकार और संख्या:
    • हिमोढ़ -निर्मित (307): इनका निर्माण तब होता है जब पिघले हुए ग्लेशियरों द्वारा छोड़े गये चट्टानों और मलबे (moraine) के ढेर घाटियों को अवरुद्ध कर देते हैं तथा पिघली हुई बर्फ के मार्ग को अवरुद्ध कर  प्राकृतिक बाँध का निर्माण करते हैं।
    • हिम-निर्मित (8): इनका निर्माण तब होता है जब ग्लेशियर स्वयं एक बाँध के रूप में कार्य करता है, जिससे पिघले जल का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है।
    • क्षरण निर्मित (265): ऐसी हिमानी झीलें ग्लेशियरों द्वारा बनाये गये गड्ढों मेंअवस्थित होती हैं।
    • अन्य ग्लेशियर झीलें: (96)

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हिमालय में हिमानी झीलों के विस्तार के क्या कारण हैं?

  • ग्लोबल वार्मिंग: हिमालय में तापमान वृद्धि के कारण ग्लेशियरों का पिघलन बढ़ रहा है। यह पिघला हुआ जल मौज़ूदा हिमनद झीलों में समा जाता है, जिससे झीलों का आकार बढ़ जाता है।
  • ग्लेशियरों का पिघलना: ग्लेशियर पिघलने से न केवल झीलों का जलस्तर बढ़ता है बल्कि भूमि सतहें भी रिक्त हो जाती हैं। इन रिक्त स्थानों में नई हिमनदी झीलों के निर्माण होता है।
  • कमज़ोर हिमोढ़: ग्लेशियर, चट्टान और मलबे से प्राकृतिक बाँध का निर्माण करते हैं, जिन्हें हिमोढ़ (मोरेन) कहा जाता है।
  • जैसे-जैसे ग्लेशियर सिकुड़ते हैं, ये हिमोढ़ कमज़ोर हो जाते हैं तथा इनके ढहने की आशंका अधिक हो जाती है। हिमोढ़ के अचानक ढहने से ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GOLF) शुरू हो सकता है, जो एक विनाशकारी घटना है जहाँ बड़ी मात्रा में जल नीचे की ओर प्रवाहित होता है।
  • वर्षा में वृद्धि: क्षेत्र में वर्षा में वृद्धि तथा हिमपात के कारण वर्षा के पैटर्न में परिवर्तन, हिमानी झीलों में अधिक जल आपूर्ति करके उनके विस्तार में वृद्धि कर सकता है।
  • तुषार भूमि (पर्माफ्रॉस्ट) पिघलना: पर्माफ्रॉस्ट, वह मृदा है जो साल भर जमी रहती है, तथा जल निकासी में प्राकृतिक बाधा के रूप में कार्य करती है।
    • बढ़ते तापमान के कारण पर्माफ्रॉस्ट पिघल कर गड्ढे में परिवर्तित हो जाता है, जिसमें पिघला हुआ जल एकत्रित होकर हिमनद झीलों के विस्तार में वृद्धि करता है।
  • मानवीय गतिविधियाँ: बुनियादी ढाँचे का विकास, जैसे कि सड़कें और जलविद्युत परियोजनाएँ, हिमानी झीलों के प्राकृतिक जल निकासी पैटर्न को परिवर्तित कर सकते हैं, जिससे उनका विस्तार हो सकता है।
    • इसके अतिरिक्त, खनन और वनों की कटाई जैसी गतिविधियाँ अप्रत्यक्ष रूप से जलवायु परिवर्तन को तीव्र करके हिमनद झील के विस्तार में योगदान कर सकती हैं।

भारत में GLOF के हालिया मामले:

  • जून 2013 में उत्तराखंड में असामान्य मात्रा में वर्षा हुई थी, जिससे चोराबाड़ी ग्लेशियर पिघल गया और मंदाकिनी नदी में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई।
  • अगस्त 2014 में लद्दाख के ‘ग्या’ गाँव में हिमानी झील के फटने से आई बाढ़ ने तबाही मचाई।
  • फरवरी 2021 में उत्तराखंड के चमोली ज़िले में तीव्र वर्षा के कारण अचानक बाढ़ जैसी स्थिति देखी गई, जिसके बारे में अनुमान है कि यह GLOFs के कारण हुई थी।
  • अक्तूबर 2023 में राज्य के उत्तर-पश्चिम में 17,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित एक हिमनद झील, साउथ लोनाक झील, लगातार वर्षा के परिणामस्वरूप टूट गई

glacial_landforms

आगे की राह

  • जलवायु परिवर्तन शमन: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके हिमनद के पिघलने और हिम के खिसकने के मूल कारण को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • इसमें नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और विभिन्न क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये नीतियों को लागू करने जैसे उपायों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को कम करने के वैश्विक प्रयास शामिल हैं।
  • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: जोखिमपूर्ण स्थिति में निवास करने वाले समुदायों को समय पर अलर्ट करने के लिये हिमनद झीलों, मौसम पूर्वानुमान और संचार नेटवर्क की निगरानी के लिये प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करना एवं उसे कार्यान्वित करना।
  • इंजीनियरिंग उपाय: हिमनद झीलों को स्थिर और प्रबंधित करने के लिये इंजीनियरिंग उपायों को लागू करने से GLOFs के जोखिम को कम करने में सहायता मिल सकती है।
    • इसमें जलस्तर को नियंत्रित करने और जल के अनियंत्रित बहाव को रोकने के लिये स्पिलवे, जल निकासी चैनल तथा बाँध जैसे बुनियादी ढाँचे का निर्माण शामिल हो सकता है।
  • प्राकृतिक बुनियादी ढाँचा: आर्द्रभूमि और जंगलों जैसे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल एवं संरक्षित करने से जल प्रवाह को विनियमित करने में सहयता मिल सकती है। ये प्राकृतिक बुनियादी ढाँचे के समाधान आवास संरक्षण तथा कार्बन पृथक्करण जैसे अतिरिक्त लाभ भी प्रदान कर सकते हैं।
  • सामुदायिक सहभागिता और क्षमता निर्माण: प्रभावी हिमनदी झील प्रबंधन के लिये जोखिम मूल्यांकन, योजना और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में स्थानीय समुदायों को शामिल करना आवश्यक है।
    • आपातकालीन प्रतिक्रिया एवं निकासी प्रक्रियाओं में प्रशिक्षण सहित आपदा संबंधी तैयारियों के लिये क्षमताएँ विकसित करना, समुदायों को GLOF और अन्य खतरों से बेहतर ढंग से निपटने में सहायता कर सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: हिमालय में कई हिमनद झीलों की सीमा पार प्रकृति को देखते हुए, प्रभावी प्रबंधन और जोखिम में कमी के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।
    • ग्लेशियर से पोषित नदी घाटियों को साझा करने वाले देशों के बीच सहयोगात्मक प्रयास सामान्य चुनौतियों से निपटने के लिये सूचना साझा करने, संयुक्त रूप से निगरानी करने और समन्वित कार्रवाई करने की सुविधा प्रदान कर सकते हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. हिमालय क्षेत्र में हिमानी झीलों के विस्तार के क्या कारण हैं और इसके निहितार्थ तथा शमन रणनीतियाँ क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. जब आप हिमालय की यात्रा करेंगे, तो आप निम्नलिखित को देखेंगे: (2012)

  1. गहरे खड्ट
  2. U धुमाव वाले नदी-मार्ग
  3. समानांतर पर्वत श्रेणियाँ
  4. भूस्खलन के लिये उत्तरदायी तीव्र ढ़ाल प्रवणता

उपर्युक्त में से कौन-से हिमालय के तरुण वलित पर्वत (नवीन मोड़दार पर्वत) के साक्ष्य कहे जा सकते हैं?

(a) केवल 1 और 2.
(b) केवल 1, 2 और. 4
(c) केवल 3 और 4.
(d) 1,2, 3 और 4

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. बाँधों की विफलता हमेशा प्रलयकारी होती है, विशेष रूप से नीचे की ओर, जिसके परिणामस्वरूप जीवन और संपत्ति का भारी नुकसान होता है। बाँधों की विफलता के विभिन्न कारणों का विश्लेषण कीजिये। बड़े बाँधों की विफलताओं के दो उदाहरण दीजिये। (2023)

प्रश्न. पश्चिमी घाट की तुलना में हिमालय में भूस्खलन की घटनाओं के प्रायः होते रहने के कारण बताइए। (2013)

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