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गंगा नदी डॉल्फिन

  • 10 Oct 2023
  • 6 min read

स्रोत: द हिंदू 

"उत्तर प्रदेश में सिंचाई नहरों से गंगा नदी डॉल्फिन का बचाव, 2013-2020" नामक एक हालिया वैज्ञानिक प्रकाशन ने गंगा-घाघरा बेसिन की सिंचाई नहरों के अंदर अनिश्चित स्थितियों से गंगा नदी डॉल्फिन के बचाव और पुनर्वास पर केंद्रित व्यापक प्रयासों को स्पष्ट किया है।

रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य:  

  • बाँधों और बैराजों ने डॉल्फिन के आवास को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे उन्हें सिंचाई नहरों में जाने के लिये बाध्य होना पड़ा है जहाँ उनको अघात पहुँचने या मृत्यु का खतरा है।
    • 70% से अधिक डॉल्फिनों के जाल में फँसने की सूचना या तो मानसून के बाद या अत्यधिक सर्दियों के दौरान दर्ज गई थी, जबकि शेष 30% डॉल्फिन को चरम ग्रीष्म ऋतु (जब जल स्तर गिरता है और जल प्रवाह न्यूनतम हो जाता है) के दौरान बचाया गया
  • वर्ष 2013-2020 के दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा-घाघरा बेसिन में सिंचाई नहरों से 19 गंगा नदी डॉल्फिन को बचाया गया।

गंगा नदी डॉल्फिन से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • गंगा नदी डॉल्फिन (Platanista gangetica), जिसे "टाइगर ऑफ द गंगा" के नाम से भी जाना जाता है, की खोज आधिकारिक तौर पर वर्ष 1801 में की गई थी।

  • पर्यावास: गंगा नदी डॉल्फिन मुख्य रूप से भारत, नेपाल और बांग्लादेश की प्रमुख नदी प्रणालियों (गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली-सांगु) में पाई जाती है।
    • हाल के अध्ययन के अनुसार, गंगा नदी बेसिन में इसकी विभिन्न प्रजातियाँ गंगा नदी की मुख्य धारा तत्पश्चात् सहायक नदियों- घाघरा, कोसी, गंडक, चंबल, रूपनारायण और यमुना से दर्ज की गई हैं।
  • विशेषताएँ:
    • गंगा नदी डॉल्फिन केवल मीठे जल स्रोतों में ही रह सकती है और मूलतः दृष्टिहीन होती है। ये अल्ट्रासोनिक ध्वनियाँ उत्सर्जित कर मछली एवं अन्य शिकार को उछालती हैं, जिससे उन्हें अपने दिमाग में एक छवि "देखने" में मदद मिलती है और इस प्रकार अपना शिकार करती हैं। 
    • वे प्रायः अकेले या छोटे समूहों में पाए जाते हैं और आमतौर पर मादा डॉल्फिन तथा शिशु डॉल्फिन एक साथ यात्रा करते हैं।
      • मादाएँ नर से आकार में बड़ी होती हैं और प्रत्येक दो से तीन वर्ष में केवल एक बार शिशु को जन्म देती हैं।
    • स्तनपायी होने के कारण गंगा नदी डॉल्फिन जल में साँस नहीं ले सकती है और उसे प्रत्येक 30-120 सेकंड में सतह पर आना पड़ता है।
      • साँस लेते समय निकलने वाली ध्वनि के कारण इस जीव को लोकप्रिय रूप से 'सोंस' अथवा सुसुक कहा जाता है।
  • महत्त्व:
    • इनका बहुत अधिक महत्त्व है क्योंकि यह संपूर्ण नदी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का एक विश्वसनीय संकेतक है।
      • भारत सरकार ने वर्ष 2009 में इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया।
      • यह असम का राज्य जलीय पशु भी है।
  • प्रमुख खतरे:
    • मत्स्यन के जाल में उलझने से अनजाने में हत्या होना।
    • डॉल्फिन के तेल के लिये अवैध शिकार, जिसका उपयोग मछलियों को आकर्षित करने तथा औषधीय प्रयोजनों के लिये किया जाता है।
    • विकास परियोजनाओं (उदाहरण के लिये जल निकासी और बैराज, ऊँचे बाँधों तथा तटबंधों का निर्माण), प्रदूषण (औद्योगिक अपशिष्ट एवं कीटनाशक, नगरपालिका सीवेज निर्वहन व जहाज़ यातायात से शोर) के कारण आवास विनाश।
  • सुरक्षा की स्थिति:
  • संबंधित सरकारी पहल:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक भारत का राष्ट्रीय जलीय प्राणी है? (2015)

(a) खारे पानी का मगरमच्छ
(b) ऑलिव रिड्ले टर्टल (कूर्म)
(c) गंगा नदी डॉल्फिन
(d) घड़ियाल

उत्तर: (C)

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