संसद टीवी विशेष: प्रधानमंत्री का अमेरिका दौरा | 30 Sep 2024

प्रिलिम्स के लिये:

सर्वाइकल कैंसर, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन की डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल, एचपीवी वैक्सीन, इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA), क्वाडसंयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, जैव प्रौद्योगिकी, क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक, MQ-9B, रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप, साइबर सुरक्षा वस्तु और सेवा कर, बौद्धिक संपदा अधिकार, रूस-यूक्रेन युद्ध, कोविड-19 महामारी, मालाबार

मेन्स के लिये:

भारत के लिये क्वाड और अमेरिका का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा किया और विलमिंगटन में छठे क्वाड लीडर्स शिखर सम्मेलन 2024 में भाग लिया, जो ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान तथा अमेरिका के बीच सहयोग के लिये एक महत्वपूर्ण क्षण था।

भविष्य का शिखर सम्मेलन क्या है?

  • परिचय: यह शिखर सम्मेलन वैश्विक नेताओं का एक उच्च स्तरीय सम्मेलन है जिसका उद्देश्य वर्तमान को बेहतर बनाने और बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिये एक नई अंतर्राष्ट्रीय आम सहमति स्थापित करना है।
  • भविष्य के लिये समझौता: सितंबर 2024 में हस्ताक्षरित इस समझौते का उद्देश्य 21वीं सदी के लिये वैश्विक शासन को नया आकार देना है।
    • इसमें वैश्विक डिजिटल समझौता और भावी पीढ़ियों (Future Generations) पर घोषणा शामिल है, जो शांति, सतत् विकास, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकारों पर केंद्रित है।
    • नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार, परमाणु निरस्त्रीकरण को आगे बढ़ाने, जलवायु वित्त को बढ़ाने और ज़िम्मेदार AI शासन स्थापित करने के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की
    • यह समझौता भावी पीढ़ियों के लिये समावेशिता पर बल देता है तथा लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है तथा वैश्विक शासन में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करता है।
  • शिखर सम्मेलन में भारत:
    • भारत ने इस बात पर बल दिया कि वैश्विक शांति अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार तथा यूक्रेन और इज़राइल-हमास जैसे संघर्षों पर निर्भर है।
    • भारत ने आतंकवाद और साइबर तथा अंतरिक्ष में नए संघर्षों पर प्रकाश डाला, वैश्विक डिजिटल शासन को बढ़ावा दिया तथा भारत ने अपने डिजिटल बुनियादी ढाँचे को साझा करने की इच्छा व्यक्त की।

क्वाड शिखर सम्मेलन के परिणाम क्या हैं?

  • क्वाड कैंसर मूनशॉट: नेताओं ने क्वाड कैंसर मूनशॉट लॉन्च किया, जो विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सर्वाइकल कैंसर से निपटने के उद्देश्य से एक अभूतपूर्व साझेदारी है।
  • समुद्री सुरक्षा संवर्द्धन: घोषित प्रमुख समुद्री पहलों में से एक क्वाड-एट-सी शिप ऑब्जर्वर मिशन है, जिसे वर्ष 2025 में लॉन्च किया जाना है। 
    • इस मिशन का उद्देश्य अमेरिकी तटरक्षक बल, जापान तटरक्षक बल, ऑस्ट्रेलियाई सीमा बल और भारतीय तटरक्षक बल के बीच अंतर-संचालन क्षमता में सुधार लाना तथा समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना है।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिये समुद्री पहल (मैत्री): नव-प्रवर्तित मैत्री पहल का उद्देश्य क्षेत्रीय साझेदारों को इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (Indo-Pacific Maritime Domain Awareness- IPMDA) के माध्यम से उपलब्ध कराए गए उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में सक्षम बनाना है। 
    • इस पहल से क्षेत्रीय साझेदारों की जलक्षेत्र की निगरानी करने, कानूनों को लागू करने तथा अवैध गतिविधियों को रोकने की क्षमता बढ़ेगी।
    • भारत वर्ष 2025 में मैत्री कार्यशाला की पहली बैठक की मेजबानी करेगा, जिससे क्वाड के समुद्री सुरक्षा फोकस को मज़बूती मिलेगी।
  • रसद और बुनियादी ढाँचे का विकास: इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क पायलट प्रोजेक्ट का उद्देश्य क्वाड राष्ट्रों के बीच साझा एयरलिफ्ट क्षमता स्थापित करना है, जिससे नागरिक आपदा प्रतिक्रिया प्रयासों की गति और दक्षता में वृद्धि होगी । 
    • यह पहल क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में रसद समन्वय में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • भविष्य में बंदरगाहों के लिये साझेदारी: भविष्य में बंदरगाहों हेतु साझेदारी के माध्यम से, क्वाड राष्ट्र भारत-प्रशांत क्षेत्र में सतत् और लचीले बंदरगाह बुनियादी ढाँचे को विकसित करने के लिये सहयोग करेंगे।
    • इस साझेदारी का उद्देश्य महामारी, आपदाओं या सुरक्षा खतरों से उत्पन्न व्यवधानों के दौरान बंदरगाहों को चालू रखने के लिये क्वाड विशेषज्ञता का लाभ उठाना है।
  • उभरती प्रौद्योगिकियों में संयुक्त उद्यम: शिखर सम्मेलन में उभरती प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से जैव प्रौद्योगिकी और क्वांटम कंप्यूटिंग में सहयोग के महत्त्व पर जोर दिया गया। 
  • इन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में संयुक्त उद्यमों के लिये आधार तैयार करके, क्वाड का उद्देश्य अपने सदस्य देशों के बीच नवाचार को बढ़ावा देना और अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ाना है।
  • भावी सहभागिताएँ: अगली क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक वर्ष 2025 में अमेरिका में निर्धारित है, जबकि भारत इसके बाद होने वाले क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा।
  • वर्ष 2025 में मुंबई में एक क्षेत्रीय बंदरगाह और परिवहन सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें निरंतर सहयोग के लिये क्वाड की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला जाएगा।

भारत-अमेरिका द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के परिणाम क्या हैं?

  • उन्नत सैन्य सहयोग: सैन्य सहयोग बढ़ाने में प्रगति हुई, विशेष रूप से भारत द्वारा 31 MQ-9B रिमोट संचालित विमानों की खरीद के संबंध में।
    • इस खरीद का उद्देश्य भारत की खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताओं को बढ़ाना है। 
    • महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों के सह-उत्पादन को आगे बढ़ाने तथा दोनों देशों के बीच संबंधों को मज़बूत करने के लिये रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप पर भी चर्चा की गई।
    • दोनों देशों ने मानवरहित सतह वाहन प्रणालियों के सह-विकास और समुद्र के अंदर तथा समुद्री क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने के लिये लिक्विड रोबोटिक्स एवं सागर डिफेंस इंजीनियरिंग के बीच सहयोग का अभिवादन किया।
    • संपर्क अधिकारी की तैनाती: संपर्क अधिकारियों की तैनाती के संबंध में हाल ही में हुआ समझौता रक्षा सहयोग में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है। 
      • संयुक्त अभियान और सैन्य समन्वय को बढ़ाने के लिये पहले भारतीय संपर्क अधिकारी को अमेरिकी विशेष अभियान कमान में तैनात किया जाएगा।
  • साइबर सुरक्षा पहल: नवंबर 2024 के लिये निर्धारित द्विपक्षीय साइबर जुड़ाव का उद्देश्य संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच साइबर सुरक्षा सहयोग के ढाँचे को मज़बूत करना है।
  • आपूर्ति शृंखला लचीलापन: नए समझौते का उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच रक्षा आपूर्ति शृंखला की विश्वसनीयता तथा दक्षता में सुधार करना है
  • यह पहल यह सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है कि दोनों देश उभरती सुरक्षा चुनौतियों का शीघ्रतापूर्वक और प्रभावी ढंग से जवाब दे सकें।
  • आर्थिक सहयोग: भारत में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (Maintenance, Repair, and Overhaul- MRO) पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के प्रयास में, सरकार ने विमानों के लिये MRO सेवाओं पर एक समान 5% वस्तु एवं सेवा कर लागू किया है।
  • यह सुधार कर संरचना को सुव्यवस्थित करता है और MRO क्षेत्र को मज़बूत करता है, जिससे रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा मिलता है।

भारत-अमेरिका संबंधों और क्वाड से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

भारत-अमेरिका संबंधों के लिये प्रमुख चुनौतियाँ:

  • व्यापार तनाव: बढ़ते द्विपक्षीय व्यापार के बावजूद आर्थिक तनाव जारी है इन मुद्दों में भारत का 36.74 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष, बाज़ार पहुँच बाधाएँ और बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधी चिंताएँ शामिल हैं।
  • सामरिक स्वायत्तता बनाम गठबंधन की अपेक्षाएँ: सामरिक स्वायत्तता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता अक्सर अमेरिकी अपेक्षाओं से टकराती है, विशेष रूप से रूस-यूक्रेन संघर्ष और रूसी हथियारों की निरंतर खरीद के संबंध में।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और रक्षा सहयोग: प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा संयुक्त उत्पादन में चुनौतियाँ बनी हुई हैं एवं अमेरिकी निर्यात नियंत्रण नियम उन्नत प्रौद्योगिकी साझाकरण को सीमित कर रहे हैं।
  • मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ: धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार से संबंधित मुद्दों सहित भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड की अमेरिकी आलोचनाओं से संबंधों में तनाव पैदा होता है तथा इसे हस्तक्षेप के रूप में देखा जाता है।
  • जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा: उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों और वित्तीय सहायता पर मतभेद जलवायु परिवर्तन को सहयोगात्मक रूप से संबोधित करने में चुनौतियों को उजागर करते हैं।
  • संबंधों में संतुलन: भारत को अमेरिका के साथ संबंधों को आगे बढ़ाना होगा साथ ही ऐतिहासिक संबंधों, विशेषकर रूस के साथ, को भी बनाए रखना होगा।

क्वाड के लिये चुनौतियाँ:

  • भिन्न राष्ट्रीय हित: क्वाड के प्रत्येक सदस्य के अलग-अलग राष्ट्रीय हित हैं, जिनके कारण व्यापार, सुरक्षा और जलवायु कार्रवाई से संबंधित रणनीतियों के संबंध में संभावित असहमति हो सकती है। 
    • इन विभिन्न प्राथमिकताओं के बीच साझा आधार तलाशना क्वाड की एकजुटता और प्रभावशीलता के लिये आवश्यक होगा।
  • भू-राजनीतिक तनाव: हिंद-प्रशांत क्षेत्र, विशेषकर दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता, कूटनीतिक प्रयासों के लिये महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ उत्पन्न कर रही है। 
    • क्वाड राष्ट्रों को इस जटिल परिदृश्य में आगे बढ़ना होगा, साथ ही क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने और चीन द्वारा उत्पन्न रणनीतिक खतरे का समाधान करने का प्रयास करना होगा।
  • आर्थिक एकीकरण: क्वाड सदस्यों के बीच आर्थिक एकीकरण गठबंधन की मज़बूती के लिये महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि भारत की संरक्षणवादी नीतियाँ, अलग-अलग नियम और अमेरिका के साथ व्यापार तनाव चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं। 
  • आपूर्ति शृंखला की कमजोरियाँ: कोविड-19 महामारी ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की कमज़ोरियों को उजागर कर दिया है, जिससे लचीलापन सुनिश्चित करने के लिये क्वाड देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया गया है। 
  • रक्षा सहयोग: मालाबार जैसे अभ्यासों से रक्षा सहयोग में सुधार हुआ है, लेकिन अंतर-संचालन, खुफिया जानकारी साझा करने और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। 
    • सैन्य क्षमताओं में अंतर, रक्षा निर्यात कानून और विश्वास के अलग-अलग स्तर गहन एकीकरण में बाधा डालते हैं।
  • साइबर सुरक्षा खतरे: भारत और अमेरिका दोनों के सामने बढ़ते साइबर खतरों के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिये समन्वित साइबर सुरक्षा रणनीतियों की आवश्यकता है।

आगे की राह

  • व्यापार तनावों को संबोधित करना: व्यापार घर्षणों को हल करने के लिये बातचीत में शामिल हों, बाज़ार पहुँच, बौद्धिक संपदा अधिकारों और न्यायसंगत व्यापार प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करना
    •  व्यापार अधिशेष को संतुलित करने की पहल से आर्थिक संबंध बढ़ सकते हैं।
  • रणनीतिक स्वायत्तता को स्पष्ट करना: भारत की स्वायत्तता का सम्मान करते हुए रणनीतिक प्राथमिकताओं को संरेखित करना। रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे संवेदनशील विषयों पर खुली चर्चा से आपसी समझ विकसित हो सकती है और साझेदारी मज़बूत हो सकती है।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देना: अधिक प्रौद्योगिकी साझाकरण और संयुक्त रक्षा उत्पादन को सुविधाजनक बनाने के लिये अमेरिकी निर्यात नियंत्रण विनियमों को सुव्यवस्थित करना तथा गहन रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना।
  • जलवायु परिवर्तन पर सहयोग: जलवायु परिवर्तन पर सहयोग बढ़ाने के लिये उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों और वित्तीय सहायता पर साझा आधार स्थापित करना, जिससे साझेदारी के वैश्विक नेतृत्व को मज़बूती मिलेगी।
  • विविध क्वाड हितों को आगे बढ़ाना: सदस्य देशों के विशिष्ट हितों के बीच साझा आधार खोजने को प्राथमिकता देना। 
    • नियमित परामर्श और संयुक्त पहल से व्यापार, सुरक्षा तथा जलवायु कार्रवाई में सामंजस्य एवं प्रभावी रणनीति को बढ़ावा मिल सकता है।
  • भू-राजनीतिक तनावों का मुकाबला: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता से निपटने के लिये एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना, क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने हेतु कूटनीतिक प्रयासों और सामूहिक सुरक्षा उपायों को बढ़ाना।
  • आर्थिक एकीकरण को मज़बूत करना: भारत की संरक्षणवादी नीतियों पर ध्यान देना और क्वाड के भीतर आर्थिक एकीकरण में सुधार करने, आपूर्ति शृंखलाओं में लचीलापन बढ़ाने तथा पारस्परिक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये विनियमों में सामंजस्य स्थापित करना।
  • रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाना: सैन्य अभ्यास जारी रखना और सदस्यों के बीच अंतर-संचालनीयता, खुफिया जानकारी साझा करना तथा विश्वास बढ़ाना, ताकि रक्षा एकीकरण को एवं अधिक गहन बनाया जा सके।
  • सांस्कृतिक एवं लोगों के बीच आदान-प्रदान: क्वाड राष्ट्रों के बीच सांस्कृतिक कूटनीति और आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने से अधिक समझ तथा सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है।
    • लोगों के बीच आपसी संपर्क स्थापित करने से आधिकारिक कूटनीतिक प्रयासों को बल मिल सकता है तथा दीर्घकालिक स्थिरता में योगदान मिल सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: 'ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (Trans-Pacific Partnership)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) 

  1. यह चीन और रूस को छोड़कर प्रशांत महासागर तटीय सभी देशों के मध्य एक समझौता है। 
  2. यह केवल तटवर्ती सुरक्षा के प्रयोजन से किया गया सामरिक गठबंधन है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तरः d


मेन्स:

प्रश्न: चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (क्वाड) वर्तमान समय को सैनिक गठबंधन से एक व्यापारिक गुट में रूपांतरित कर रहा है- विवेचना कीजिये। (2020)