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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस

  • 08 Nov 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA), हिंद महासागर क्षेत्र (IOR), गोवा समुद्री सम्मलेन (GMC), क्वाड समूह, हिंद महासागर क्षेत्र के लिये भारतीय नौसेना का सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR)

मेन्स के लिये:

नियम-आधारित विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने और मज़बूत करने में QUAD जैसी संस्थाओं का महत्त्व।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही मे नौसेना प्रमुख एडमिरल ने गोवा समुद्री सम्मलेन (GMC) के चौथे संस्करण को संबोधित किया, जहाँ उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA) जैसे नेटवर्क और साझेदारी का निर्माण हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की सुरक्षा एवं स्थिरता सुनिश्चित करने में सहायक होगा।

IPMDA क्या है? 

  • परिचय: 
    • यह हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में प्रशांत द्वीप, दक्षिण-पूर्व एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) को एकीकृत करने पर केंद्रित है।
    • टोक्यो शिखर सम्मेलन, 2022 में क्वाड समूह (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका से मिलकर बना) द्वारा पेश किये गए IPMDA का उद्देश्य "डार्क शिपिंग" की निगरानी करना तथा साझेदार देशों के जल का अधिक व्यापक एवं सटीक वास्तविक समय समुद्री अवलोकन तैयार करना है।

डार्क शिपिंग:

  • डार्क शिपिंग एक शब्द है जिसका उपयोग स्वचालित पहचान प्रणाली (AIS) के बंद होने पर परिचालन करने वाले जहाज़ का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
  • AIS ट्रांसपोंडर सिस्टम पहचान डेटा और अन्य उपयोगी जानकारी के साथ समुद्र में जहाज़ की स्थिति को प्रसारित करते हैं, जिसे जहाज़ तथा समुद्री अधिकारी संदर्भित कर सकते हैं।
  • उद्देश्य: 
    • यह पहल एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ाना है, जो वैश्विक भू-राजनीति में एक केंद्रीय स्थान रखता है।
      • इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री गतिविधियों की निगरानी और सुरक्षा के लिये एक व्यापक प्रणाली स्थापित करना, संचार के महत्त्वपूर्ण समुद्री गलियारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा संबद्ध क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • नौसेना का महत्त्व:
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र तथा IOR को सुरक्षित करने में नौसेना के महत्त्व को कम करके नहीं आंका जा सकता, क्योंकि सेना का आधुनिकीकरण अत्यंत आवश्यक है।
      • भारतीय नौसेना में वर्तमान में 140 से अधिक जहाज़ एवं पनडुब्बियाँ शामिल हैं जिनकी संख्या को वर्ष 2028 तक बढाकर 170 से 180 तक पहुँचाना है तथा वर्ष 2047 तक नौसेना को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना है।

GMC की प्रगति एवं उपलब्धियाँ क्या रही हैं? 

  • नौसेनाओं के बीच सहयोग:
    • सम्मलेन ने मूल समुद्री चुनौतियों से निपटने में सहयोग करने के लिये हिंद महासागर क्षेत्र की नौसेनाओं को सफलतापूर्वक एकजुट किया है। इस सहयोग से प्राकृतिक आपदाओं से निपटने, संयुक्त अभ्यास आयोजित करने एवं महत्त्वपूर्ण समुद्री जानकारी साझा करने में समन्वित प्रयासों को बढ़ावा मिला है।
  • पायरेसी पर प्रभावी प्रतिक्रिया:
    • सूचना साझा करने के लिये मज़बूत तंत्र की स्थापना, जैसे कि गुरुग्राम में हिंद महासागर क्षेत्र के लिये सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR), के माध्यम से इस क्षेत्र में स्थितिजन्य जागरूकता में काफी सुधार हुआ है। समुद्री खतरों, समुद्री डकैती तथा अन्य सुरक्षा मुद्दों का समाधान करने में नौसेनाएँ अधिक कुशल हो गई हैं।
  • MDA में सुधार:
    • खुफिया जानकारी और सूचनाओं को साझा करने से भी MDA को बढ़ाने में मदद मिली है। इससे न केवल समुद्री सुरक्षा में सुधार हुआ है अपितु समुद्री संसाधनों एवं पर्यावरण संरक्षण के बेहतर प्रबंधन में भी सहायता मिली है।
  • सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं को अपनाना:
    • GMC के पिछले संस्करण में सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से 'सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं (CMP)' को अपनाया, जिसने क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान खोजने के लिये सभी सदस्यों की सहायता की।

हिंद महासागर क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? 

  • भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा: हिंद महासागर क्षेत्र विश्व प्रमुख शक्तियों एवं क्षेत्रीय अभिकर्ताओं के बीच भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र है। इसका स्थान क्षेत्रीय मामलों पर शक्ति प्रक्षेपण और प्रभाव की अनुमति देता है। क्षेत्रीय मामलों पर शक्ति एवं प्रभाव प्रदर्शन के लिये यह अवस्थिति काफी उपयुक्त है।
  • चीन का सैन्य कदम: चीन हिंद महासागर में भारत के हितों एवं स्थिरता के लिये एक चुनौती रहा है। भारत के पड़ोसियों को चीन से सैन्य तथा ढाँचागत सहायता प्राप्त हो रही है, जिसमें म्याँमार के लिये पनडुब्बियों के साथ जिबूती (हॉर्न ऑफ अफ्रीका) में उसका विदेशी सैन्य अड्डा शामिल है।
  • समुद्री सुरक्षा खतरे:  IOR, समुद्री डकैती, तस्करी, अवैध मछली पकड़ने एवं आतंकवाद सहित विभिन्न समुद्री सुरक्षा खतरों के प्रति संवेदनशील है। साथ ही यह हिंद महासागर की विशालता के कारण इसके समुद्री क्षेत्र की प्रभावी ढंग से निगरानी तथा सुरक्षित रखने को और भी चुनौतीपूर्ण बनाता है।
  • पर्यावरणीय चुनौतियाँ: जलवायु परिवर्तन, समुद्र का बढ़ता स्तर, प्रवाल भित्तियों का क्षरण एवं समुद्री प्रदूषण, IOR के लिये महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियाँ रही हैं। ये मुद्दे तटीय समुदायों, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के साथ-साथ लाखों लोगों की आजीविका को भी प्रभावित करते हैं।

आगे की राह:

  • नीली अर्थव्यवस्था पहल को बढ़ावा देना:  IOR, समुद्री संसाधनों से समृद्ध है, इसके साथ ही नीली अर्थव्यवस्था का लाभ उठाकर स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसमें समुद्री संसाधनों से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना, टिकाऊ मत्स्य पालन का समर्थन करना, समुद्री जैव-प्रौद्योगिकी विकसित करना एवं पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देना आदि को शामिल करने की आवश्यकता है।
  • समुद्री सुरक्षा सहयोग: IOR के रणनीतिक महत्त्व को देखते हुए समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
    • सूचना-साझाकरण तंत्र को मज़बूत करने, समुद्री क्षेत्र जागरूकता के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने, संयुक्त नौसैनिक अभ्यास के साथ-साथ निगरानी में वृद्धि करने, समुद्री डकैती, अवैध रूप से मछली पकड़ने एवं तस्करी जैसे समुद्री खतरों का मुकाबला करने में सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • जलवायु परिवर्तन अनुकूलन: IOR जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिसमें समुद्र के बढ़ते स्तर, चरम मौसमीय घटनाएँ और समुद्र का अम्लीकरण शामिल है।
    • नवीन रणनीतियाँ जलवायु-अनुकूल अवसंरचना को कार्यान्वयित करने, अर्ली वॉर्निंग सिस्टम विकसित करने, स्थायी तटीय प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने तथा जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन के लिये क्षेत्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

Q1. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये हिन्द महासागर रिम संघ [इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीज़नल कोऑपरेशन (IOR-ARC])' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. इसकी स्थापना अत्यंत हाल ही में समुद्री डकैती की घटनाओं और तेल अधिप्लाव (आयल स्पिल्स) की दुर्घटनाओं के प्रतिक्रियास्वरुप की गई है।
  2. यह एक ऐसी मैत्री है जो केवल समुद्री सुरक्षा हेतु है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


मेन्स:

Q. दक्षिण चीन सागर के मामले में समुद्री भूभागीय विवाद और बढ़ता हुआ तनाव समस्त क्षेत्र में नौपरिवहन की और ऊपरी उड़ान की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिये समुद्री सुरक्षा की आवश्यकता की अभिपुष्टि करते हैं। इस संदर्भ में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (2014)

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