डिजिटल अर्थव्यवस्था | 28 Jun 2023
प्रिलिम्स के लिये:डिजिटल क्षेत्र में भारत सरकार की पहल, G20 मेन्स के लिये:डिजिटल अर्थव्यवस्था- महत्त्वपूर्ण प्रभाव, चुनौतियाँ, आगे की राह |
चर्चा में क्यों?
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने 17 से 19 अप्रैल 2023 तक हैदराबाद में G20 डिजिटल इकोनॉमी वर्किंग ग्रुप (DEWG) की दूसरी बैठक का आयोजन किया।
- G20 DEWG की पहली बैठक भविष्य में उत्पादक और सार्थक विचार-विमर्श पर बल देने के साथ फरवरी 2023 में आयोजित की गई थी।
बैठक के प्रमुख बिंदु:
- डिजिटल अर्थव्यवस्था का महत्त्व और बढ़ता दायरा: वर्तमान में डिजिटल अर्थव्यवस्था प्रमुखता प्राप्त करने के साथ वैश्विक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रही है। इससे संकेत मिलता है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था अब किसी विशिष्ट क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है बल्कि अर्थव्यवस्था के हर पहलू तक विस्तारित हो रही है।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था के बारे में भारत की मान्यता: डिजिटल अर्थव्यवस्था के बढ़ते महत्त्व के बारे में भारत की जागरूकता, इसकी G20 अध्यक्षता और इससे जुड़े अवसरों और चुनौतियों के क्रम में आयोजित की जाने वाली बैठकों से प्रदर्शित होती है।
- विनिर्माण पर डिजिटल अर्थव्यवस्था का प्रभाव: ऐसा कहा जाता है कि पारंपरिक विनिर्माण क्षेत्र भी डिजिटल अर्थव्यवस्था से प्रभावित और परिवर्तित हो रहे हैं। इसका तात्पर्य यह है कि डिजिटल प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं के एकीकरण से विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिलने के साथ इनमें सुधार हो रहा है।
- इसके तीन महत्त्वपूर्ण पहलू:
- मजबूत डिजिटल बुनियादी ढाँचे के विकास के महत्त्व को समझना।
- डिजिटल प्रणाली और डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये साइबर सुरक्षा उपायों को महत्त्व देना।
- कुशल कार्यबल के विकास के क्रम में प्रशिक्षण पर बल देना जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत हो सके।
डिजिटल क्षेत्र में भारत सरकार की पहल:
- प्रमुख डिजिटल पहल: भारत सरकार ने डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई कदम उठाए हैं। जैसे:
- भारतनेट परियोजना: इसका लक्ष्य वर्ष 2023 तक भारत के सभी गाँवों को हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड से जोड़ना है।
- स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम: इसका उद्देश्य उद्यमिता को बढ़ावा देना और स्टार्टअप के लिये अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
- डिजिटल साक्षरता अभियान (DISHA) कार्यक्रम: इसे वर्ष 2016 में शुरू किया गया था और इसका लक्ष्य प्रत्येक घर के कम से कम एक सदस्य को डिजिटल रूप से साक्षर बनाना है।
- ई-रुपया और सशर्त हस्तांतरण: ई-रुपया और सशर्त हस्तांतरण की हालिया प्रवृत्ति, व्यवसाय और शासन दोनों के लिये निर्णायक हो सकती है।
- MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र के अन्य क्षेत्रों में सशर्त हस्तांतरण के लिये डिजिटल वाउचर या ई-रुपया के उपयोग से अर्थव्यवस्था पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
- वित्तीय समावेशन: विश्व भर में लगभग 75% वयस्कों के पास औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच है। डिजिटल रूप से बचत करने, खर्च करने और उधार लेने की क्षमता का भारत जैसे संसाधन संपन्न देश के संदर्भ में व्यापक आर्थिक प्रभाव है, क्योंकि इससे निगमों और सरकारों के घाटे को पूरा करने के लिये घरेलू वित्तीय बचत और विदेशी बचत को प्रोत्साहन मिलेगा।
- मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया: इन कार्यक्रमों ने डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेक इन इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देना है जबकि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य डिजिटल प्रौद्योगिकियों के अपनाने को बढ़ावा देना है।
- ये दोनों कार्यक्रम एक-दूसरे के पूरक हैं। मेक इन इंडिया के तहत डिजिटल उपकरणों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाता है जबकि डिजिटल इंडिया, डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण प्रभाव:
- जनसांख्यिकीय लाभ: डिजिटल अर्थव्यवस्था की क्षमता के दोहन में जनसांख्यिकीय लाभांश भी एक महत्त्वपूर्ण कारक है। उदाहरण के लिये भारत में अंग्रेजी में दक्ष और प्रौद्योगिकी को पसंद करने वाली एक बड़ी आबादी ने UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) और DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) जैसी डिजिटल प्रणालियों को अपनाने में रूचि दिखाई है जिससे अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने से इनकी पहुँच और समावेशिता बढ़ सकती है, जिससे काफी अधिक लोग डिजिटल अर्थव्यवस्था से लाभान्वित हो सकेंगे।
- विभिन्न सेवाओं का विस्तार: डिजिटल अर्थव्यवस्था से स्थानीय और वैश्विक स्तर पर सेवा क्षेत्र का पुनर्मूल्यांकन करने तथा उसे विस्तारित करने के अवसर प्राप्त होते हैं। G20 सदस्यों सहित कई विकसित देश सेवा क्षेत्र को उदार बनाने के क्रम में उन्मुख रहे हैं।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था से चिकित्सा सेवाओं और शैक्षिक सेवाओं जैसी सेवाओं के विस्तार को सक्षम किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिये UMANG मोबाइल ऐप भारत सरकार का एक एकीकृत, सुरक्षित, मल्टी-चैनल, बहुभाषी, बहु-सेवा मोबाइल ऐप है।
- सेवाओं का सीमा पारीय विस्तार: डिजिटल अर्थव्यवस्था में सीमा पार सेवाओं के विस्तार की क्षमता है। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर, योग्य पेशेवर भौगोलिक बाधाओं को पार करते हुए विश्व स्तर पर अपनी सेवाएँ दे सकते हैं। इसमें सेवा क्षेत्र को नया आकार देने तथा सेवा प्रदाताओं और प्राप्तकर्ताओं दोनों के लिये महत्त्वपूर्ण लाभ प्रदान करने की क्षमता शामिल है।
- सेवा क्षेत्र में डिजिटल अर्थव्यवस्था की परिवर्तनकारी क्षमता को सार्थक करने में जी 20 महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। पारदर्शिता को प्रोत्साहित करने और इससे संबंधित बाधाओं को दूर करने से कुशल वैश्विक बाज़ार का निर्माण होगा।
- अन्य महत्त्वपूर्ण प्रभाव: डिजिटल अर्थव्यवस्था का अर्थव्यवस्था और समाज पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। इससे स्थानीय स्तर पर नौकरियाँ सृजित होने एवं उत्पादकता और व्यवसाय को बढ़ावा मिलने के साथ अधिक लोगों की सेवाओं और अवसरों तक पहुँच सक्षम हुई है। डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास से नए बिजनेस मॉडल और उद्योगों का भी उदय हुआ है जैसे ई-कॉमर्स, डिजिटल भुगतान आदि।
चुनौतियाँ:
- डिजिटल अर्थव्यवस्था से संबंधित चुनौतियों को हल करना: डिजिटल अर्थव्यवस्था के संदर्भ में तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है:
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर
- डिजिटल कौशल
- साइबर सुरक्षा।
- इन क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं। भारत ने एक मजबूत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया है और डिजिटल कौशल पहल में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है। इसके साथ ही साइबर सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है लेकिन इससे संबंधित चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना को एक ऐसे कंप्यूटर संसाधन के रूप में परिभाषित किया गया है जिसके अक्षम होने या नष्ट होने से राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं लोक सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- सुरक्षा: वर्तमान में डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं (खासकर वित्तीय क्षेत्र में)। ऐसे में डिजिटल क्षेत्र में लेनदेन की तीव्र गति चिंताजनक हो सकती है जिससे होने वाली त्रुटियों को सुधारना या धोखाधड़ी वाली गतिविधियों का समाधान करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- कुशल जनशक्ति का महत्त्व: डिजिटल क्षेत्र में कुशल कार्यबल के विकास की उपेक्षा, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे की पूरी क्षमता में बाधा बन सकती है। डिजिटल बुनियादी ढाँचे का लाभ उठाने के लिये डिजिटल रूप से साक्षर लोगों को तैयार करने के क्रम में शैक्षणिक संस्थानों को मजबूत करना महत्त्वपूर्ण है।
- तकनीकी पिछड़ापन: इससे संबंधित प्रमुख चुनौतियों में से एक लोगों के बीच डिजिटल अंतराल का होना है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोगों के पास अभी भी डिजिटल सेवाओं तक पहुँच नहीं है। डिजिटल अर्थव्यवस्था से असमानता को बढ़ावा मिलने के साथ कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक लाभ हुआ है।
आगे की राह:
- लेन-देन संबंधी सुरक्षा को मज़बूत करना: इन चुनौतियों को कम करने के लिये इस दिशा में प्रभावी जाँच और संतुलन करना महत्त्वपूर्ण है। इसका एक सकारात्मक उदाहरण भारत में वन-टाइम पासवर्ड (OTPs) का उपयोग होना है जिससे उपयोगकर्ताओं को अपने लेनदेन को सत्यापित करने की सुविधा मिलती है। ऐसे उपाय सुरक्षा बढ़ाने में मदद करते हैं और उपयोगकर्ताओं को अपने कार्यों पर पुनर्विचार करने का अवसर प्रदान करते हैं।
- डिजिटल युग में वित्तीय समावेशन और सुरक्षा: JAM ट्रिनिटी (जन धन योजना, आधार, मोबाइल) जैसी पहलों द्वारा होने वाली कनेक्टिविटी प्रगति से वित्तीय समावेशन में सुधार हुआ है, जिससे लोगों को डिजिटल सेवाओं तक पहुँच प्राप्त हुई है। इंटरनेट बैंकिंग और एटीएम लेनदेन ने भी बैंकिंग को और अधिक सुविधाजनक बना दिया है।
- हालाँकि इनमें से प्रत्येक प्रगति से संबंधित जोखिम विद्यमान हैं, जिससे यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो जाता है कि लेनदेन सुरक्षित और सतर्क तरीके से हों।
- लेनदेन संबंधी सुरक्षा को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण: इन चुनौतियों का समाधान करने के लिये विभिन्न योजनाएँ लागू की गई हैं। ओटीपी के अलावा, कुछ अनुप्रयोगों में कीबोर्ड के पैटर्न में संख्यात्मक कीपैड लेआउट परिवर्तन तथा उपयोगकर्ताओं के लिये अलर्ट प्रणाली स्थापित करना शामिल है। इसके अतिरिक्त जब लेनदेन एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है या सामान्य पैटर्न से विचलित होता है तो कॉल सेंटर के माध्यम से सत्यापन किया जा सकता है।
- साइबर सुरक्षा बढ़ाना: कुल मिलाकर मुख्य बल इस बात पर होना चाहिये कि डिजिटल अर्थव्यवस्था से अंतिम उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होने के साथ उच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान की जाए। सतर्कता, सक्रिय उपाय और धन के लेन-देन से संबंधित चुनौतियों का निरंतर मूल्यांकन करना, विश्व भर में एक सुरक्षित डिजिटल लेनदेन वातावरण स्थापित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल कौशल: डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल कौशल आपस में संबंधित हैं। इन्हें एक ही सिक्के के दो पहलू के रूप में देखा जाता है जिसके तहत सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे के निर्माण के साथ-साथ इसका उपयोग करने और इससे लाभ उठाने में सक्षम कुशल कार्यबल के विकास पर बल दिया जाता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. जनसांख्यिकीय लाभांश से पूर्ण रूप से लाभान्वित होने के लिये भारत को क्या करना चाहिये? (2013) (a) कौशल विकास को बढ़ावा देना उत्तर: (a) |