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भारतीय अर्थव्यवस्था

डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देना

  • 28 Jul 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, गैर-निष्पादित परिसंपत्ति, राज्यसभा

मेन्स के लिये:

डिजिटल बैंकिंग का महत्त्व एवं चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में कहा है कि सरकार ने डिजिटल बैंकिंग, डोरस्टेप बैंकिंग सेवाओं (Doorstep Banking Service) और डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म (Digital Lending Platform) की सुविधा के लिये कई कदम उठाए हैं।

प्रमुख बिंदु

डिजिटल बैंकिंग:

  • यह उन सभी पारंपरिक बैंकिंग गतिविधियों, कार्यक्रमों व सेवाओं का डिजिटलीकरण है जो ऐतिहासिक रूप से केवल ग्राहकों के लिये तब उपलब्ध थे।
  • इसमें मनी डिपॉजिट, विदड्रॉल और ट्रांसफर, चेकिंग/सेविंग अकाउंट मैनेजमेंट, फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के लिये अप्लाई करना, लोन मैनेजमेंट, बिल पे, अकाउंट सर्विसे जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।

चुनौतियाँ:

  • डिजिटल भुगतान को अपनाने में इंटरनेट का उपयोग ही एकमात्र बाधा नहीं है।
  • उपयोगकर्त्ताओं को शिक्षित करने के साथ-साथ उनके डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।

प्रमुख पहलें:

  • EASE सुधार एजेंडा: इसे सरकार और PSB द्वारा संयुक्त रूप से जनवरी 2018 में लॉन्च किया गया था।
    • इसे इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के माध्यम से कमीशन (Commission) किया गया था और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप द्वारा इसकी संकल्पना की गई थी।
    • EASE एजेंडा का उद्देश्य स्वच्छ और स्मार्ट बैंकिंग को संस्थागत बनाना है।
    • EASE रिफॉर्म्स इंडेक्स: इंडेक्स 120+ ओब्ज़ेक्टिव मेट्रिक्स (120+ Objective Metric) पर प्रत्येक PSB के प्रदर्शन को मापता है। इसका लक्ष्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करके परिवर्तन को जारी रखना है।
    • EASE 1.0: इस रिपोर्ट ने पारदर्शी रूप से गैर-निष्पादित परिसंपतियों (Non Performing Asset- NPA) के समाधान में PSB के प्रदर्शन में महत्त्वपूर्ण सुधार दिखाया।
    • EASE 2.0: यह EASE 1.0 की नींव पर बना है और इसने सुधार यात्रा को अपरिवर्तनीय बनाने, प्रक्रियाओं एवं प्रणालियों को मज़बूत करने तथा परिणामों के संचालन के लिये  छः विषयों में नए सुधार पेश किये।
      • EASE 2.0 के छः विषय हैं: उत्तरदायी बैंकिंग, ग्राहक प्रतिक्रिया, क्रेडिट ऑफ-टेक, उद्यमी मित्र के रूप में PSB (MSME के क्रेडिट प्रबंधन के लिये सिडबी पोर्टल), वित्तीय समावेशन और डिजिटलीकरण एवं शासन तथा मानव संसाधन।
    • Ease 3.0: यह प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए सभी ग्राहक अनुभवों में बैंकिंग को आसान बनाने का प्रयास करता है जिनमें डायल-ए-लोन (Dial-a-loan), फिनटेक (Fintech) एवं ई-व्यापार कंपनियों से साझेदारी, क्रेडिट@क्लिक (Credit@Click), कृषि-ऋण में तकनीकी का प्रयोग, ईज़ बैंकिंग आउटलेट आदि शामिल हैं ।
    • Ease 4.0: इस वित्तीय वर्ष में सुधार एजेंडे के हिस्से के रूप में Ease 4.0 को राज्य द्वारा संचालित बैंक गैर-बैंकिंग फर्मों के साथ सह-ऋण, डिजिटल कृषि वित्तपोषण, सहक्रियाओं और 24x7 बैंकिंग सुविधाओं के लिये तकनीकी लचीलापन पर ध्यान केंद्रित करने के लिये शुरू किया गया है।
  • PSBloansin59 minutes.com:
    • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को ऋणों के लिये सैद्धांतिक रूप से ऑनलाइन अनुमोदन प्रदान करने हेतु क्रेडिट ब्यूरो, आयकर और वस्तु एवं सेवा कर (GST) डेटा के त्रिभुज का उपयोग करते हुए PSBloansin59minutes.com के माध्यम से डिजिटल ऋण की शुरुआत को संपर्क रहित बनाया गया है।
  • व्यापार प्राप्य बट्टाकरण/छूट प्रणाली (TReDS) प्लेटफॉर्म :
    • MSMEs के लिये ऑनलाइन बिल छूट को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के माध्यम से TReDS प्लेटफॉर्म पर ऑनबोर्डिंग के ज़रिये प्रतिस्पर्द्धी आधार पर सक्षम किया गया है तथा ऑनलाइन रियायती बिलों का अनुपात तेज़ी से बढ़ा है।
      • बिल डिस्काउंटिंग या छूट एक व्यापारिक गतिविधि है जिसमें एक कंपनी के अवैतनिक चालान, जिन्हें भविष्य में भुगतान किया जाना है, एक फाइनेंसर (एक बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान) को बेचे जाते हैं।
  • जीवन प्रमाण पहल:
    • पेंशनभोगियों के लिये इस पहल ने वरिष्ठ नागरिक पेंशनभोगियों को अपने वार्षिक जीवन प्रमाण पत्र को ऑनलाइन अपडेट करने की सुविधा प्रदान की है।
  • डोरस्टेप बैंकिंग सेवाएँ: 
    • PSB एलायंस, जो सभी PSBs और भारतीय बैंक संघ की एक पहल है, ने सभी ग्राहकों के लिये डोरस्टेप बैंकिंग सेवाएंँ शुरू की हैं।
    • डोरस्टेप बैंकिंग' के माध्यम से ग्राहक अपने घर से ही प्रमुख बैंकिंग लेन-देन सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

वर्तमान स्थिति:

  • वर्तमान में PSB के लगभग 72% वित्तीय लेन-देन डिजिटल चैनलों के माध्यम से किये जाते हैं, जिसमें डिजिटल चैनलों पर सक्रिय ग्राहकों की संख्या वित्त वर्ष 2019-20 के 3.4 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2020-21 में 7.6 करोड़ हो गई है।
  • घरेलू और मोबाइल चैनलों के माध्यम से किये गए वित्तीय लेन-देनों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2018-19 में 29% थी जो वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर 76% हो गई है।

आगे की राह: 

  • डिजिटल माध्यम ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) जैसी नई तकनीकों को अपनाकर बैंकों को इन आधुनिक तकनीकों से जुड़ना होगा।
  • बड़े डेटा के बल पर संचालित इंटेलिजेंट एनालिटिक्स के माध्यम से क्रॉस-सेलिंग और विभिन्न ग्राहकों की ज़रूरतों के अनुसार क्यूरेटेड उत्पाद (Curated Product) वे उत्पाद हैं जो बैंकों द्वारा दिये जाने वाले ऑफर्स से अलग हैं।

स्रोत: पी.आई.बी. 

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