पार-देशीय संगठित अपराध | 27 May 2024

प्रिलिम्स के लिये:

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF), ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय, पार-देशीय संगठित अपराध, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र, पार-देशीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, साइबर अपराध

मेन्स के लिये:

पार-देशीय संगठित अपराध का प्रभाव और नियंत्रण में चुनौतियाँ, साइबर अपराध और उनके प्रभाव, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, मनी लॉन्ड्रिंग

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force- FATF), इंटरपोल तथा ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime- UNODC) के प्रमुखों ने पार-देशीय संगठित अपराध (Transnational Organised Crime- TOC) से उत्पन्न बड़े पैमाने पर अवैध मुनाफे को लक्षित करने के प्रयासों को तेज़ करने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया है। 

पार-देशीय संगठित अपराध क्या है?

  • परिचय: संगठित अपराध को एक साथ काम करने वाले समूहों या नेटवर्क द्वारा की जाने वाली अवैध गतिविधियों के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें अक्सर वित्तीय या भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिये हिंसा, भ्रष्टाचार या संबंधित कार्य शामिल होते हैं।
    • पार-देशीय संगठित अपराध (Transnational Organised Crime- TOC) तब घटित होता है जब गतिविधियाँ या समूह कई देशों में संचालित होते हैं।
  • अलग-अलग रूप:
    • धन शोधन/मनी लॉन्ड्रिंग:  इसका अभिप्राय अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाना या उसके स्रोतों को बदलना है ताकि वह वैध स्रोतों से उत्पन्न प्रतीत हो। अपराधी, आपराधिक गतिविधियों से प्राप्त आय को कानूनी स्रोत के माध्यम से वैध धन में परिवर्तित कर देते हैं।
      • एक वर्ष में वैश्विक स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग की अनुमानित राशि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) का 2% से 5% या 800 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से 2 ट्रिलियन अमेरिकी डाॅलर है।
    • नशीले पदार्थों की तस्करी: यह अपराधियों के लिये व्यवसाय का सबसे आकर्षक रूप बना हुआ है।
      • अनुमान है कि वैश्विक नशीले पदार्थों की तस्करी लगभग 650 अरब अमेरिकी डॉलर की है, जो कुल अवैध अर्थव्यवस्था में 30% का योगदान करती है।
    • मानव तस्करी: एक वैश्विक अपराध जहाँ पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का उपयोग यौन या श्रम-आधारित शोषण के लिये किया जाता है।
      • विश्व भर में मानव तस्करी से होने वाला वार्षिक लाभ लगभग 150 बिलियन डॉलर है। 
      • ये विश्व भर में अनुमानित 25 मिलियन लोगों को शिकार बनाते हैं, जिनमें से 80% जबरन श्रम और 20% यौन तस्करी में शामिल हैं।  
    • प्रवासियों की तस्करी: यह एक सुव्यवस्थित व्यवसाय है जो तस्करी द्वारा लोगों को आपराधिक नेटवर्क, समूहों और मार्गों के माध्यम से विश्व भर में ले जाता है।
      • वर्ष 2009 में लैटिन अमेरिका से उत्तरी अमेरिका में 3 मिलियन प्रवासियों की अवैध तस्करी के माध्यम से तस्करों ने 6.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक कमाए थे।
    • अवैध आग्नेयास्त्रों की तस्करी: इसमें हथियारों, विस्फोटकों और गोला-बारूद के अवैध व्यापार की तस्करी शामिल है, जो अक्सर पार-देशीय आपराधिक संगठनों से जुड़ी अवैध गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला का हिस्सा होता है।
      • आग्नेयास्त्रों के अवैध व्यापार से वैश्विक स्तर पर लगभग 170 मिलियन डॉलर से 320 मिलियन डॉलर की वार्षिक आय होती है।
    • प्राकृतिक संसाधनों की तस्करी: इसमें खनिज और ईंधन जैसे गैर-नवीकरणीय संसाधनों तथा वन्यजीवन (विदेशी बाज़ारों में निर्यात के लिये चमड़ा व शरीर के अंग), वानिकी एवं मत्स्य पालन जैसे नवीकरणीय संसाधनों (Renewable Resources) आदि का व्यापार शामिल है।
      • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा इस व्यापार को अक्सर "पर्यावरणीय अपराध" कहा जाता है।
      • वर्ष 2010 में सिर्फ एशिया में हाथी के दाँत, गैंडे के सींग और बाघ के अंगों की बिक्री अनुमानित 75 मिलियन अमेरिकी डॉलर की थी।
    • नकली दवाएँ: इनमें नकली दवाएँ तथा कानूनी और विनियमित आपूर्ति शृंखलाओं से हटाई गई दवाएँ भी शामिल हैं।
      • लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर करने के बजाय, नकली दवाओं (Fraudulent Medicines) के सेवन से रोगियों की मृत्यु हो सकती है या घातक संक्रामक रोगों के इलाज के लिये उपयोग की जाने वाली दवाओं के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न हो सकता है।
    • साइबर अपराध और पहचान की चोरी: अपराधी निजी डेटा चुराने, बैंक खातों तक पहुँचने और धोखाधड़ी से भुगतान कार्ड विवरण प्राप्त करने के लिये इंटरनेट का उपयोग करते हैं।

भारतीय नागरिकों को निशाना बनाने वाले साइबर अपराध:

  • साइबर अपराध की घटनाओं में वृद्धि: I4C प्रतिदिन औसतन लगभग 7,000 साइबर-संबंधी शिकायतों की रिपोर्ट करता है, जो साइबर अपराध की घटनाओं में होने वाली उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देता है।
    • डिज़िटल गिरफ्तारी, व्यापारिक घोटाले, निवेश घोटाले और डेटिंग घोटाले सहित विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों की पहचान की गई है, जो साइबर अपराधियों द्वारा अपनाई गई विविध रणनीति को उजागर करते हैं।
  • दक्षिण पूर्व एशिया में उत्पत्ति: भारतीय नागरिकों को निशाना बनाने वाले लगभग 45% साइबर अपराध दक्षिण पूर्व एशियाई देशों, विशेष रूप से कंबोडिया, म्याँमार और लाओस में घटित होते हैं।

पार-देशीय संगठित अपराध का प्रभाव क्या है?

  • वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य: नकली दवाएँ, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्रचलित, अप्रभावी या हानिकारक हो सकती हैं।
  • समुत्थानित एवं समावेशी वैश्विक अर्थव्यवस्था: धन शोधन और अवैध वित्तीय प्रवाह वित्तीय अखंडता तथा राज्य की सार्वजनिक वित्तपोषण क्षमताओं को कमज़ोर करते हैं, जिससे आर्थिक विकास बाधित होता है। 
    • TOC, विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) को समाप्त कर सकता है और परिसंपत्ति की कीमतों को प्रभावित कर सकता है, जिससे आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
    • वैश्विक अपतटीय अर्थव्यवस्था विश्व की अनुमानित 10% संपत्ति को छुपाती है, जिसमें संगठित अपराध द्वारा प्राप्त आय भी शामिल है।
  • ग्रह स्वास्थ्य: संगठित पर्यावरणीय अपराध वनोन्मूलन, जैवविविधता हानि और जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाले कार्बन उत्सर्जन को बढ़ावा देते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा: अवैध हथियारों का व्यापार सशस्त्र संघर्ष, हिंसक अपराधों और अन्य संगठित आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।
    • गैर-राज्य सशस्त्र समूह प्राकृतिक संसाधन निष्कर्षण और तस्करी सहित अपनी गतिविधियों का समर्थन करने के लिये अवैध बाज़ारों में संलग्न हैं।
    • सशस्त्र संघर्षों की तुलना में संगठित अपराध-संबंधी हिंसा में खासकर मध्य और दक्षिण अमेरिका मेंअधिक लोग मारे जाते हैं।
  • स्थानीय प्रभाव: हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध एक वैश्विक खतरा है, लेकिन इसका प्रभाव स्थानीय स्तर पर अनुभव किया जाता है।
    • यह संबंधित देशों और कुछ क्षेत्रों में भी अस्थिरता उत्पन्न कर सकता है तथा उन क्षेत्रों में विकास सहायता को कमज़ोर कर सकता है।
    • संगठित अपराध समूह स्थानीय अपराधियों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं, जिससे भ्रष्टाचार, जबरन वसूली, डकैती और हिंसा के साथ-साथ अन्य परिष्कृत अपराधों में वृद्धि हो सकती है।
    • यह सुरक्षा और पुलिस व्यवस्था के लिये सार्वजनिक व्यय को बढ़ाता है तथा मानवाधिकार मानकों को कमज़ोर करता है।

अवैध लाभ को लक्षित करना क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • सतत् विकास लक्ष्य: अवैध लाभ को लक्षित करके आपराधिक गतिविधियों को हतोत्साहित करने से वित्तीय स्थिरता, समावेशी आर्थिक विकास और मज़बूत संस्थानों तथा शासन सहित 2030 सतत् विकास एजेंडा के लक्ष्यों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • आपराधिक गतिविधियों को बाधित करता है: अवैध गतिविधियों से वित्तीय लाभ को लक्षित करने से, अपराधियों के लिये अपने कार्यों को वित्तपोषित करना तथा अपने नेटवर्क को बनाए रखना अधिक कठिन हो जाता है।
    • अवैध लाभ प्राय: अन्य अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देता है। इन कोषों में कटौती करने से भविष्य में अपराधों को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।
  • विधि के शासन को बढ़ावा देता है: विधि के शासन को बनाए रखने और यह दिखाने के लिये कि अपराध लाभदायक नहीं है, अवैध रूप से अर्जित लाभ को जब्त किया जाना चाहिये।
  • विकास लक्ष्यों में सहायता: अवैध धन को वैध उद्देश्यों की ओर पुनर्निर्देशित करने से आर्थिक विकास तथा अन्य विकासात्मक पहलों को समर्थन मिल सकता है।
  • वैश्विक सुरक्षा को बढ़ाता है: धन शोधन तथा आतंकवाद का वित्तपोषण अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिये जोखिम उत्पन्न करता है। अवैध लाभ को लक्षित करने से इन जोखिमों से निपटने में सहायता मिल सकती है।
  • सुभेद्य जनसंख्या की सुरक्षा: अवैध लाभ से वित्तपोषित आपराधिक गतिविधियाँ अक्सर सबसे कमज़ोर वर्ग के लोगों का शोषण करती हैं। इन मुनाफों को लक्षित करके, हम इनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह पार-देशीय संगठित अपराधों और आतंकवाद के वित्तपोषण को समाप्त करने में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करता है।

TOC को नियंत्रित करने के संबंध में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • विविध कानूनी प्रणालियाँ: विभिन्न देशों में कानूनी ढाँचों में भिन्नताएँ TOC से निपटने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को जटिल बनाती हैं।
  • सर्वसम्मति का अभाव: अलग-अलग राष्ट्रीय हितों और प्राथमिकताओं के कारण TOC को संबोधित करने की रणनीतियों पर वैश्विक सहमति प्राप्त करना कठिन है।
    • पार-देशीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UN Convention Against Transnational Organized Crime- UNTOC) मुख्य कानूनी साधन है, लेकिन इसका कार्यान्वयन और सहयोग व्यवस्था अप्रभावी है।
    • UNODC और अन्य निकायों में एक सुसंगत रणनीति का अभाव है, जो अनेक भागों में विभाजित दृष्टिकोण को अपना रहा है।
    • शक्तिशाली राज्य अनौपचारिक और एकपक्षीय समाधान की आशा रखते हैं, जिनमें अक्सर निरीक्षण की कमी होती है तथा विधि के शासन और मानवाधिकारों के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
  • भ्रष्टाचार: TOC में अक्सर भ्रष्टाचार शामिल होता है, जो कानून प्रवर्तन और शासन संरचनाओं में घुसपैठ करता है तथा उन्हें कमज़ोर करता है।
  • तकनीकी प्रगतिः अपराधी अवैध गतिविधियों के लिये प्रौद्योगिकी का दोहन करते हैं तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों आगे रहते हैं।
  • सशस्त्र संघर्ष: संघर्ष के क्षेत्रों में TOC हिंसा और अस्थिरता को बढ़ावा दे सकता है, जिससे इसे नियंत्रित करने के प्रयास जटिल हो सकते हैं।
    • एक बड़ा खतरा TOC और आतंकवाद के बीच संबंधों से उत्पन्न होता है, जब आतंकवादी गतिविधियों को आपराधिक कमाई से वित्तपोषित किया जाता है।

संगठित अपराध पर भारत में कानूनी स्थिति:

  • हालाँकि संगठित अपराध भारत में हमेशा से मौज़ूद रहा है, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में आधुनिक सफलताओं ने कई सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक कारकों के साथ मिलकर, इसे और अधिक प्रचलित बना दिया है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर, भारत में संगठित अपराध को संबोधित करने के लिये एक विशिष्ट कानून का अभाव है, और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 तथा नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम 1985 जैसे मौज़ूदा कानून इसके नियंत्रण के लिये अपर्याप्त हैं क्योंकि वे आपराधिक समूहों के बजाय व्यक्तियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    • गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने संगठित अपराध से निपटने के लिये अपने स्वयं के कानून लागू किये हैं।
  • भारत अंतर्राष्ट्रीय संधियों और समझौतों का हस्ताक्षरकर्त्ता है जो विश्व स्तर पर संगठित अपराध को रोकने और समाप्त करने का प्रयास करता है। इनमें मुख्य रूप से UNODC, UNCAC तथा UNTOC शामिल हैं।

आगे की राह

  • ब्लॉकचेन फोरेंसिक: अवैध क्रिप्टोकरेंसी के प्रवाह की निगरानी के लिये ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिये, जो TOC के लिये राजस्व में वृद्धि करने का एक स्रोत है।
  • उन्नत अनुरेखण विधियों (Advanced Tracing Methods) के माध्यम से धन शोधन (Money Laundering) नेटवर्क की पहचान कर उन्हें समाप्त किया जाना चाहिये।
  • डार्क वेब घुसपैठ: डार्क वेब पर नेविगेट करने, TOC द्वारा उपयोग किये जाने वाले ऑनलाइन मार्केटप्लेस में घुसपैठ करने और उनके संचालन पर महत्त्वपूर्ण खुफिया जानकारी एकत्रित करने के लिये प्रशिक्षित विशेष इकाइयाँ विकसित की जानी चाहिये।
  • पारदर्शिता पहल: रिश्वतखोरी और TOC के साथ मिलीभगत के अवसरों को कम करने के लिये सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता उपायों का समर्थन एवं प्रचार किया जाना चाहिये।
    • नागरिकों को सुरक्षित चैनलों के माध्यम से भ्रष्टाचार की रिपोर्ट करने के लिये सशक्त बनाया जाना चाहिये।
  • राजनीतिक इच्छाशक्तिः इस बात की व्यापक समझ विकसित की जानी चाहिये कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध और भ्रष्टाचार वैश्विक सार्वजनिक प्रणालियों को कमज़ोर करते हैं।
    • बहुपक्षीय साधनों के माध्यम से प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति का निर्माण करना चाहिये।
    • संघर्ष की रोकथाम, शांति संचालन और शांति निर्माण प्रयासों में अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध से निपटने के लिये रणनीतियों को एकीकृत किया जाना चाहिये।
    • विकासात्मक, मानवाधिकारों और सुरक्षा निहितार्थों को संबोधित करते हुए आपराधिक न्याय प्रतिक्रियाओं से परे एक समग्र दृष्टिकोण को अपनाने का प्रयास किया जाना चाहिये। 
  • वास्तविक समय संलयन केंद्र: डेटा के त्वरित विश्लेषण, रुझानों की पहचान और संगठित आपराधिक गतिविधि पर समन्वित प्रतिक्रियाओं के लिये कानून प्रवर्तन, खुफिया एजेंसियों तथा निजी क्षेत्र के भागीदारों के बीच तत्काल सहयोग की सुविधा के लिये वास्तविक समय संलयन केंद्र का निर्माण किया जाना चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. सतत् विकास पर अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के प्रभाव का आकलन विशेष रूप से 2030 सतत् विकास एजेंडा के संदर्भ में कीजिये। साथ ही यह बताइए कि TOC के अवैध मुनाफे को लक्षित करने से विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में कैसे सहायता मिल सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :  (2019)

  1. भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशंस कर्न्वेंशन अर्गेस्ट करप्शन (UNCAC)] का भूमि, समुद्र और वायुमार्ग से प्रवासियों की तस्करी के विरुद्ध एक प्रोटोकॉल' होता है।
  2. UNCAC अब तक का सबसे पहला विधितः बाध्यकारी सार्वभौम भ्रष्टाचार-निरोधी लिखत है।
  3. राष्ट्र-पार संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशंस कर्न्वेशन अर्गेस्ट ट्रांसनैशनल ऑर्गेनाइज़ड क्राइम (UNTOC)] की एक विशिष्टता ऐसे एक विशिष्ट अध्याय का समावेशन है, जिसका लक्ष्य उन संपत्तियों को उनके वैध स्वामियों को लौटाना है, जिनसे वे अवैध तरीके से ले ली गई थीं।
  4. मादक द्रव्य और अपराध विषयक संयुक्त राष्ट्र कार्यालय [यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स ऐंड क्राइम (UNODC)] संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा UNCAC और UNTOC दोनों के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिये अधिदेशित है।

उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. संसार के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उगाने वाले राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिताओं को बढ़ा दिया है। नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, गुपचुप धन विदेश भेजने और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों को रोकने के लिये क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किये जाने चाहिये? (2018)