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ब्लैक कार्बन उत्सर्जन और PMUY

  • 29 Mar 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ब्लैक कार्बन, कार्बन तटस्थता, नवीकरणीय ऊर्जा, बायोमास, जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, जीवाश्म ईंधन, वायु प्रदूषक, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, द्रवित पेट्रोलियम गैस, उज्ज्वला 2.0, BS-VI मानदंड, इथेनॉल सम्मिश्रण, वहनीय परिवहन के लिये सतत् विकल्प, संपीड़ित बायो-गैस, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम, FAME योजना

मेन्स के लिये:

शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के भारत के प्रयास में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) का योगदान

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

नवंबर 2021 में ग्लासगो में आयोजित किये गए UNFCCC COP26 जलवायु वार्ता के दौरान भारत ने कार्बन तटस्थता की दिशा में कार्य करने करने हेतु स्वयं को एक अग्रणी देश के रूप में प्रदर्शित करते हुए वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई।

  • नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy) के अनुसार वर्ष 2023 तक भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 180 गीगावॉट से अधिक है तथा वर्ष 2030 तक ऊर्जा क्षमता में वृद्धि कर इसे 500 गीगावॉट करने की लक्ष्य प्राप्ति के लिये प्रयासरत है।
  • भारत सरकार की योजना, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) ब्लैक कार्बन उत्सर्जन को कम कर शुद्ध शून्य उत्सर्जन की लक्ष्य प्राप्ति में अहम योगदान दे सकती है।

ब्लैक कार्बन (BC) क्या है ?

  • परिचय:
    • ब्लैक कार्बन एक काले रंग का कालिखयुक्त पदार्थ होता है जो बायोमास और जीवाश्म ईंधन के पूर्ण रूप से दहन नहीं होने की अवस्था में अन्य प्रदूषकों के साथ उत्सर्जित होता है।
    • BC एक अल्पकालिक प्रदूषक है जिसका कार्बन डाइऑक्साइड के बाद ग्रह के ताप को बढ़ाने में दूसरा सबसे बड़ा योगदान है।
      • अन्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के विपरीत BC तीव्रता से समाप्त हो जाता है और यदि इसके उत्सर्जन की रोकथाम की जाती है तो इसे वायुमंडल से पूर्ण रूप से समाप्त किया जा सकता है।
      • अन्य कार्बन उत्सर्जन के विपरीत इसके उत्सर्जन का प्रमुख स्रोत स्थानीय होता है जिसका मुख्य रूप से स्थानीय प्रभाव पड़ता है।
      • ब्लैक कार्बन एक प्रकार का एयरोसोल है।
  • प्रभाव:
    • एयरोसोल (जैसे- ब्राउन कार्बन, सल्फेट्स) में ब्लैक कार्बन को जलवायु परिवर्तन के लिये दूसरे सबसे महत्त्वपूर्ण मानवजनित एजेंट और वायु प्रदूषण के कारण होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को समझने हेतु प्राथमिक एजेंट के रूप में मान्यता दी गई है।
      • ब्लैक कार्बन सौर ऊर्जा को अवशोषित करता है तथा वातावरण को ऊष्मित करता है। वर्षण की बूँदों के साथ पृथ्वी के संपर्क में आने से यह हिम और बर्फ की सतह को काला कर देता है जिससे उनका एल्बिडो (सतह की परावर्तक क्षमता) कम हो जाती है जिससे हिम ऊष्मित हो जाता है तथा उसके विगलन की गति तीव्र हो जाती है।
    • यह ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है और गंभीर जोखिम उत्पन्न करता है। किये गए अध्ययनों के अनुसार ब्लैक कार्बन के संपर्क में आने से हृदय रोग, जन्म संबंधी जटिलताएँ और असमय मृत्यु के उच्च जोखिम जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • स्रोत:
    • भारत में अधिकांश ब्लैक कार्बन उत्सर्जन पारंपरिक चूल्हों में गाय के उपलों अथवा पुआल जैसे बायोमास के उपयोग से होता है।
    • यह गैस और डीज़ल इंजन, कोयला चालित ऊर्जा संयंत्रों तथा जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने वाले अन्य स्रोतों से उत्सर्जित होता है। इसमें पार्टिकुलेट मैटर का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो एक वायु प्रदूषक है।
    • वर्ष 2016 के एक अध्ययन के अनुसार, आवासीय क्षेत्र भारत के कुल ब्लैक कार्बन उत्सर्जन में 47% योगदान देता है।
    • इसमें उद्योगों का योगदान 22%, डीज़ल चालित वाहनों का 17%, मुक्त वायुमंडल में दहन से 12% और अन्य स्रोतों का 2% है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) क्या है?

  • परिचय:
    • वर्ष 2016 में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) द्वारा ऐसे ग्रामीण तथा वंचित परिवारों, जोकि ईंधन के रूप में जलावन लकड़ी, कोयला, गोबर के उपले आदि जैसे पारंपरिक खाना पकाने के ईंधन का उपयोग कर रहे थे, के लिये LPG जैसे स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक प्रमुख योजना के रूप में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) की शुरुआत की गई।
      • भोजन पकाने के पारंपरिक ईंधन के प्रयोग से पार्टिकुलेट मैटर और ब्लैक कार्बन के भारी उत्सर्जन के कारण ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव पड़ा। 
  • उद्देश्य:
    • अधिक ब्लैक कार्बन उत्सर्जित करने वाले भोजन पकाने के इस अशुद्ध ईंधन के कारण भारत में होने वाली मौतों की संख्या को कम करना।
    • जीवाश्म ईंधन दहन और ब्लैक कार्बन उत्सर्जन से घर के अंदर होने वाले वायु प्रदूषण के कारण होने वाली गंभीर श्वसन बीमारियों से छोटे बच्चों को बचाना।
    • ग्रामीण और गरीब परिवारों को भोजन पकाने का स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराना एवं भोजन पकाने के पारंपरिक ईंधन पर उनकी निर्भरता को कम करना।
    • LPG कनेक्शन के साथ बुनियादी ढाँचा स्थापित करना, जिसमें मानार्थ गैस स्टोव, LPG सिलेंडर के लिये जमा राशि प्रदान करना और वितरण नेटवर्क स्थापित करना शामिल है।
  • विशेषताएँ:
    • यह योजना BPL परिवारों को प्रत्येक LPG कनेक्शन के लिये 1600 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
    • जमा-मुक्त LPG कनेक्शन के साथ, उज्ज्वला 2.0 लाभार्थियों को पहली रिफिल और एक हॉटप्लेट मुफ्त प्रदान करता है।
  • BC उत्सर्जन शमन में योजना की चुनौतियाँ:
    • ऊर्जा आवश्यकताएँ और पारंपरिक ईंधन: PMUY से लाभान्वित परिवारों की ऊर्जा ज़रूरतों का आधा हिस्सा अभी भी पारंपरिक ईंधन से पूरा होता है, जो उच्च स्तर का ब्लैक कार्बन उत्सर्जित करता है।
      • RTI आँकड़ों के अनुसार, सत्र 2022-23 में, सभी PMUY लाभार्थियों में से 25% ने या तो शून्य LPG रिफिल या केवल एक LPG रिफिल का लाभ उठाया, जिसका अर्थ है कि वे अभी भी भोजन पकाने के लिये पूरी तरह से पारंपरिक बायोमास ईंधन पर निर्भर हैं, जिससे ब्लैक कार्बन का उत्सर्जन बढ़ जाता है।
    • स्वास्थ्य और कल्याण पर प्रभाव: LPG की कमी और पारंपरिक ईंधन पर बढ़ती निर्भरता महिलाओं एवं बच्चों को असंगत रूप से प्रभावित करती है, जिससे ब्लैक कार्बन व अन्य प्रदूषकों, स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं तथा समय से पूर्व मौतों के कारण इनडोर वायु प्रदूषण बढ़ जाता है।
    • LPG सब्सिडी और सामर्थ्य: अक्तूबर 2023 में, सरकार ने LPG सब्सिडी को ₹200 से बढ़ाकर ₹300 कर दिया। हालाँकि, इस समायोजन के बावजूद 14.2 किलोग्राम LPG सिलेंडर की कीमत लगभग ₹600 बनी हुई है, जिससे कई PMUY लाभार्थियों के लिये गाय के गोबर और जलाऊ लकड़ी जैसे निःशुल्क विकल्पों की तुलना में सामर्थ्य संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
      • PMUY लाभार्थियों के लिये गाय का गोबर और जलाऊ लकड़ी अधिक किफायती हैं, इसलिये इनका प्रयोग अधिक प्रचलित है, जिससे ब्लैक कार्बन की समस्या बढ़ रही है।
    • अंतिम-मील कनेक्टिविटी बाधा: LPG वितरण नेटवर्क में अंतिम-मील कनेक्टिविटी की कमी ब्लैक कार्बन उत्सर्जन को कम करने में PMUY की सफलता के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है, विशेष रूप से बायोमास जलाने पर निर्भर दूरदराज़ के ग्रामीण क्षेत्रों को प्रभावित करती है जो कि ब्लैक कार्बन का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। 

ब्लैक कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये किये गए अन्य उपाय

  • स्वच्छ ईंधन का परिचय: गैसीय ईंधन (CNG, LPG आदि), इथेनॉल मिश्रण जैसे स्वच्छ/वैकल्पिक ईंधन का परिचय।
  • SATAT योजना: 5000 कंप्रेस्ड बायो-गैस उत्पादन संयंत्र स्थापित करने और CBG को उपयोग के लिये बाज़ार में उपलब्ध कराने हेतु एक नई पहल सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन शुरू की गई है।
  • फसल अवशेषों का प्रबंधन: इस योजना के तहत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के किसानों को स्व-स्थाने (In-situ) फसल अवशेष प्रबंधन हेतु मशीनों को खरीदने के लिये 50% वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है तथा साथ ही स्व-स्थाने (In-situ) फसल अवशेष प्रबंधन हेतु मशीनरी के कस्टम हायरिंग केंद्रों (Custom Hiring Center) की स्थापना के लिये परियोजना लागत का 80% तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: CPCB के तहत सरकार वर्ष 2026 तक योजना के तहत शामिल किये गए शहरों में पार्टिकुलेट मैटर (PM) की सघनता में 40% की कमी का एक नया लक्ष्य निर्धारित किया है, साथ ही वर्ष 2024 तक 20 से 30% की कमी के पहले के लक्ष्य को अद्यतन किया है।
    • ये योजनाएँ शहर के विशिष्ट वायु प्रदूषण स्रोतों (मृदा और सड़क की धूल, वाहन, घरेलू ईंधन, नगर निगम के ठोस अपशिष्ट को जलाना, निर्माण सामग्री एवं उद्योग आदि) को नियंत्रित करने के लिये समयबद्ध लक्ष्यों को परिभाषित करती हैं।
  • FAME योजना: फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स फेज-2 योजना शुरू की गई है।                          

आगे की राह

  • कोल-बेड मीथेन: कंपोस्टिंग ईंधन के निर्माण स्थल पर कोल-बेड मीथेन (Coal-bed Methane- CBM) गैस का उत्पादन होता है। CBM कम ब्लैक-कार्बन उत्सर्जन और निवेश के साथ एक अधिक स्वच्छ ईंधन है।
  • पंचायतें स्थानीय स्तर पर CBM के उत्पादन की पहल कर सकती हैं। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक ग्रामीण घर तक सुरक्षित खाना पकाने के लिये ईंधन की समुचित पहुँच हो।
  • LPG अपनाने को बढ़ावा देना: स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसके सकारात्मक प्रभाव पर ज़ोर देते हुए, पारंपरिक ईंधन की तुलना में LPG के लाभों को बढ़ावा देने के लिये जागरूकता अभियान बढ़ाएँ।
  • आपूर्ति शृंखला दक्षता में सुधार: LPG वितरण नेटवर्क में अंतिम-मील कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिये बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश करना, विशेष रूप से दूरदराज़ के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक विश्वसनीय पहुँच सुनिश्चित करना।  
  • स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाना: खाना पकाने के प्रयोजनों के लिये बायोगैस या सौर ऊर्जा जैसे वैकल्पिक स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का पता लगाना, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ LPG की पहुँच सीमित है।
  • सामुदायिक व्यस्तता: स्वच्छ ऊर्जा अपनाने से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में स्थानीय समुदायों, विशेषकर महिलाओं और युवाओं को शामिल करें, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनकी ज़रूरतों तथा प्राथमिकताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किया जाए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत की जैव ईंधन की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किनका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)

  1. कसावा
  2. क्षतिग्रस्त गेहूँ के दाने
  3. मूँगफली के बीज
  4. कुलथी
  5. सड़ा आलू
  6. चुकंदर

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 5 और 6
(b) केवल 1, 3, 4 और 6
(c) केवल 2, 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. “वहनीय (ऐफोर्डेबल) विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय (सस्टेनबल) विकास लक्ष्यों (एस. डी. जी.) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है। भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)

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