जैव विविधता और पर्यावरण
पेरिस वैश्विक जलवायु वित्तपोषण शिखर सम्मेलन
- 30 Jun 2023
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:जलवायु वित्तपोषण, रूस-यूक्रेन संघर्ष, ग्लोबल साउथ, विश्व बैंक, IMF, SDR, पेरिस समझौता, क्योटो प्रोटोकॉल मेन्स के लिये:पेरिस वैश्विक जलवायु वित्तपोषण शिखर सम्मेलन |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पेरिस में एक नए वैश्विक वित्तीय समझौते हेतु शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य विकासशील देशों के लिये वित्तीय सहायता की कमी से निपटना था।
- शिखर सम्मेलन की घोषणा UNFCCC के 27वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP27) में की गई थी। इस शिखर सम्मेलन में भारत के वित्त मंत्री भी शामिल हुए।
शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ:
- विकासशील देशों को प्रभावित करने वाले संकट:
- विकासशील देश गरीबी, बढ़ते ऋण स्तर और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसी घटनाओं के कारण मुद्रास्फीति सहित कई संकटों से जूझ रहे हैं।
- आर्थिक चुनौतियों के अलावा पर्याप्त जलवायु वित्त की कमी के बावजूद विकासशील देशों पर अपनी अर्थव्यवस्थाओं को कार्बन मुक्त (Decarbonise) करने का दबाव है।
- ग्लोबल साउथ की मांग:
- ग्लोबल साउथ के नेताओं की मांग है कि बहुपक्षीय विकास बैंक (IMD) सीमा पार चुनौतियों का समाधान कर जलवायु वित्त सहित विकास के लिये अतिरिक्त संसाधन प्रदान करे।
- विकासशील देशों ने अपने ऋण के भार को कम करने के लिये अधिक रियायती और अनुदान के रूप में वित्तपोषण की मांग की, इसमें विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों के लिये ऋण कटौती की भी वकालत की गई।
- निजी क्षेत्र के निवेश की क्षमता को स्वीकार करते हुए उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया है कि निजी क्षेत्र के वित्तपोषण के पूरक के लिये दीर्घकालिक विकास निधि आवश्यक है।
- शिखर सम्मेलन में की गई घोषणाएँ:
- शिखर सम्मेलन में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त ऋण क्षमता में वृद्धि की घोषणा की गई।
- विश्व बैंक ने चरम मौसम की घटनाओं के दौरान ऋण भुगतान को निलंबित करने के लिये आपदा भुगतान धाराएँ प्रस्तुत कीं।
- IMF ने कमज़ोर देशों के लिये SDRs (विशेष आहरण अधिकार) में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आवंटन की घोषणा की, हालाँकि कुछ SDR को अभी भी अमेरिकी कॉन्ग्रेस से अनुमोदन की आवश्यकता है।
- सेनेगल के लिये 2.5 बिलियन यूरो की एक नई जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप (JETP) डील की घोषणा की गई, जिसका उद्देश्य देश के विद्युत मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाना है।
- ज़ाम्बिया द्वारा 6.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण पुनर्गठन समझौते के बाद ऋण, प्रकृति और जलवायु पर एक वैश्विक विशेषज्ञ समीक्षा की मांग भी की गई।
- यूरोपीय संघ ने कार्बन मूल्य निर्धारण तंत्र द्वारा वैश्विक उत्सर्जन के कवरेज में वृद्धि तथा राजस्व का एक हिस्सा जलवायु वित्त के लिये आवंटित करने का आह्वान किया।
- शिखर सम्मेलन ने संकेत दिया कि इस वर्ष लंबे समय से प्रतीक्षित 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का जलवायु वित्त लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा।
- यह प्रतिबद्धता वर्ष 2009 में कोपेनहेगन में UNFCCC COP15 में की गई थी।
- शिखर सम्मेलन में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त ऋण क्षमता में वृद्धि की घोषणा की गई।
जलवायु वित्त:
- परिचय:
- यह स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण को संदर्भित करता है, जो सार्वजनिक, निजी और वित्तपोषण के वैकल्पिक स्रोतों से प्राप्त किया गया है, साथ ही यह जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने वाले शमन एवं अनुकूलन कार्यों का समर्थन करता है।
- वैश्विक चर्चाएँ:
- UNFCCC, क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौते में अधिक वित्तीय संसाधनों (विकसित देशों) वाले देशों से उन लोगों को वित्तीय सहायता देने का आह्वान किया गया है जो कम संपन्न और अधिक असुरक्षित (विकासशील देश) हैं।
- यह समान परंतु विभेदित उत्तरदायित्वों (CBDR) के सिद्धांत के अनुरूप है।
- UNFCCC COP26 में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अपनाने के वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने में विकासशील देशों का समर्थन करने के लिये नई वित्तीय प्रतिज्ञाएँ की गईं।
- UNFCCC, क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौते में अधिक वित्तीय संसाधनों (विकसित देशों) वाले देशों से उन लोगों को वित्तीय सहायता देने का आह्वान किया गया है जो कम संपन्न और अधिक असुरक्षित (विकासशील देश) हैं।
- महत्त्व:
- जलवायु परिवर्तन प्रभाव शमन और अनुकूलन:
- जलवायु प्रभाव को कम करने के लिये जलवायु वित्त और उत्सर्जन को उल्लेखनीय रूप से कम करने के लिये बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता है।
- यह अनुकूलन के लिये भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है; बदलती जलवायु के प्रतिकूल प्रभावों के अनुकूल होने के लिये महत्त्वपूर्ण वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है।
- पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2°सेल्सियस से नीचे सीमित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु जलवायु वित्त महत्त्वपूर्ण है, (2018 आईपीसीसी रिपोर्ट)।
- ज़िम्मेदारियों की पहचान:
- यह मानता है कि जलवायु परिवर्तन में देशों का योगदान और इसे रोकने व इसके परिणामों से निपटने की उनकी क्षमता में काफी भिन्नता है।
- इसलिये विकसित देशों को विभिन्न प्रकार की कार्रवाइयों के माध्यम से जलवायु वित्त जुटाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिये, जिसमें देश-संचालित रणनीतियों का समर्थन करना और विकासशील देशों की ज़रूरतों एवं प्राथमिकताओं पर ध्यान देना शामिल है।
- जलवायु परिवर्तन प्रभाव शमन और अनुकूलन:
जलवायु वित्त के संबंध में पहलें
- वैश्विक:
- वर्ष 2010 में 194 सदस्य देशों ने UNFCCC COP16 में ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) के निर्माण पर सहमति जताई।
- GCF की स्थापना जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये विकासशील देशों को कम उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने वाली व्यवस्थाओं की ओर उन्मुख होने के प्रयासों में मदद करने के लिये की गई थी।
- इसका मुख्यालय इंचियोन, कोरिया गणराज्य में है।
- COP27 शिखर सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों ने जलवायु संबंधी आपदाओं के कारण सबसे कमज़ोर देशों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये 'नुकसान और क्षति (Loss and Damages)' कोष बनाने पर सहमति व्यक्त की।
- भारत:
- राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोष (National Adaptation Fund for Climate Change- NAFCC):
- इसकी स्थापना वर्ष 2015 में विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील भारत के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन की लागत को पूरा करने के लिये की गई थी।
- राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष (National Clean Energy Fund- NCEF):
- इसे स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (Cabinet Committee of Economic Affairs- CCEA) की सिफारिश द्वारा वित्त विधेयक 2010-11 के माध्यम से स्थापित किया गया था तथा इसके इसके वित्तपोषण का कार्य उद्योगों द्वारा कोयले के उपयोग पर लगने वाले प्रारंभिक कार्बन कर के माध्यम से किया गया था।
- इसे वित्त सचिव (अध्यक्ष के रूप में) के साथ एक अंतर-मंत्रालयी समूह द्वारा शासित किया जाता है।
- इसका प्रमुख उद्देश्य जीवाश्म और गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षेत्रों में नवीन स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी के अनुसंधान एवं विकास के लिये कोष प्रदान करना है।
- राष्ट्रीय अनुकूलन कोष:
- इस कोष की स्थापना वर्ष 2014 में 100 करोड़ रुपए की धनराशि के साथ की गई थी, इसका उद्देश्य आवश्यकता और उपलब्ध धन के बीच के अंतराल की पूर्ति करना था।
- यह कोष पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के तहत संचालित होता है।
- राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोष (National Adaptation Fund for Climate Change- NAFCC):
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स: प्रश्न. 'हरित जलवायु निधि (ग्रीन क्लाइमेट फंड)' के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2015)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (यू.एन.एफ.सी.सी.सी.) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं? (2021) |