जैव विविधता और पर्यावरण
लॉस एंड डैमेज फंड
- 21 Nov 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:COP27 शिखर सम्मेलन, लॉस एंड डैमेज फंड, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग, हानि और क्षति पर वारसॉ अंतर्राष्ट्रीय तंत्र, हरित जलवायु कोष मेन्स के लिये:पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संपन्न COP27 शिखर सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों ने एक 'लॉस एंड डैमेज फंड' बनाने पर सहमति व्यक्त की, जो जलवायु संबंधी आपदाओं के कारण सबसे कमज़ोर देशों को हुए उनके नुकसान की क्षतिपूर्ति करेगा।
लॉस एंड डैमेज फंड (हानि और क्षति कोष):
- 'लॉस एंड डैमेज' जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संदर्भित करता है जिसे शमन (ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती) या अनुकूलन (जलवायु परिवर्तन प्रभावों से निपटने की प्रथाओं को संशोधित करना) से टाला नहीं जा सकता है।
- इनमें न केवल संपत्ति की आर्थिक क्षति बल्कि आजीविका की हानि और जैव विविधता एवं सांस्कृतिक महत्त्व वाले स्थलों का विनाश भी शामिल है।
- इससे प्रभावित देशों के लिये मुआवज़े का दावा करने का दायरा बढ़ जाता है।
लॉस एंड डैमेज की अवधारणा का विकास:
- चूँकि वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन का गठन किया गया था, इसलिये जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले हानि और क्षति पर बहस हुई है।
- कम-से-कम विकसित देशों के समूह ने लंबे समय से नुकसान और विनाश के लिये जवाबदेही और मुआवज़े की स्थापना का लक्ष्य रखा है।
- हालाँकि जलवायु क्षति के लिये ऐतिहासिक रूप से दोषी ठहराए गए अमीर देशों ने कमज़ोर देशों की चिंताओं की अनदेखी की है।
- हानि और क्षति पर वारसॉ अंतर्राष्ट्रीय तंत्र (WIM) की स्थापना वर्ष 2013 में विकासशील देशों के व्यापक दबाव के बाद बिना फंडिंग के की गई थी।
- हालाँकि ग्लासगो में वर्ष 2021 COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान हानि और क्षति के लिये धन की व्यवस्था पर विचार करने के लिये 3-वर्षीय टास्क फोर्स की स्थापना की गई थी।
- अब तक कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड, स्कॉटलैंड और वालोनिया के बेल्जियम प्रांत आदि को मिलाकर सभी ने लॉस एंड डैमेज फंड में रुचि व्यक्त की है।
निधि की स्थापना से संबंधित चिंताएँ:
- जहाँ तक भविष्य की COP वार्ताओं का संबंध है, यह केवल एक फंड बनाने के लिये प्रतिबद्ध है और फिर इसे चर्चा हेतु छोड़ दिया जाता है जिसमे इसकी स्थापना और योगदान जैसी महत्त्वपूर्ण बातें शामिल होती हैं।
- जबकि कुछ देशों ने इस फंड में नाममात्र दान किेया है लेकिन अनुमानित क्षति पहले से ही 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर चुकी है।
- COP27 में वार्ता के दौरान यूरोपीय संघ ने चीन, अरब राज्यों और "बड़े विकासशील देशों" (शायद भारत भी) पर इस आधार पर योगदान देने के लिये ज़ोर दिया कि उनका उत्सर्जन में काफी योगदान था।
- बुनियादी ढाँचे की क्षति, संपत्ति की क्षति और अमूल्य सांस्कृतिक संपत्तियों की क्षति आदि को जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले "नुकसान एवं क्षति" के रूप में मापे जाने जैसा कुछ ख़ास निर्धारित भी नहीं किया गया।
- जलवायु वित्तपोषण अब तक मुख्य रूप से ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के प्रयास में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने पर केंद्रित है, जबकि इसका लगभग एक-तिहाई हिस्सा समुदायों को भविष्य के प्रभावों के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिये परियोजनाओं में खर्च हो गया है।
भारत की संबंधित पहलें:
- राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोष (NAFCC):
- जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों हेतु जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की लागत को पूरा करने के लिये वर्ष 2015 में इस कोष की स्थापना की गई थी।
- राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष (NCEF):
- उद्योगों द्वारा कोयले के उपयोग पर प्रारंभिक कार्बन टैक्स के माध्यम से वित्तपोषित स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये इस कोष का निर्माण किया गया था।
- यह एक अंतर-मंत्रालयी समूह द्वारा शासित होता है जिसका अध्यक्ष वित्त सचिव होता है।
- इसका जनादेश जीवाश्म और गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षेत्रों में नवीन स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी के अनुसंधान एवं विकास के लिये निधि देना है।
- राष्ट्रीय अनुकूलन कोष:
- आवश्यकता और उपलब्ध धन के बीच की खाई को पाटने के उद्देश्य से वर्ष 2014 में 100 करोड़ रुपए के निधियन के साथ कोष की स्थापना की गई थी।
- यह कोष पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के तहत संचालित किया जाता है।
आगे की राह
- हालाँकि लाभ यह है कि वृद्धिशील देशों को गति नहीं खोनी चाहिये और यह सुनिश्चित करने के लिये कड़ी मेहनत करनी चाहिये कि COP विश्वसनीय उत्प्रेरक बने रहें न कि कुछ खोखली जीत के अवसर मात्र।
- इसके अलावा यह सुनिश्चित करना कि उत्सर्जन और भेद्यता को कम करने के लिये वित्त बेहतर लक्षित है, नए वित्त जुटाने हेतु एक राजनीतिक प्रतिबद्धता को बनाए रखने की आवश्यकता है। हाल के अनुभवों से सीखना और सुधार करना, खासकर जब हरित जलवायु कोष काम करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. ‘मीथेन हाइड्रेट’ के निक्षेपों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सही हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) व्याख्या:
मेन्स:प्रश्न. नवंबर, 2021 में ग्लासगो में विश्व के नेताओं के शिखर सम्मेलन में COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में, आरंभ की गई हरित ग्रिड पहल का प्रयोजन स्पष्ट कीजिये। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में यह विचार पहली बार कब दिया गया था? (2021) प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) के COP के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई प्रतिबद्धताएँ क्या हैं? (2021) |