KMGBF 2022 लक्ष्य प्राप्त करने हेतु OECMs | 29 Jan 2025
प्रिलिम्स के लिये:अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपाय (OECM), अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ, संरक्षित क्षेत्रों पर विश्व आयोग, विश्व वन्यजीव कोष, कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, जैवविविधता, संरक्षित क्षेत्र, सवाना, सतत् विकास लक्ष्य (SDG), आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ। मेन्स के लिये:कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF) 2022 को प्राप्त करने में अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपायों (OECM) की भूमिका। |
स्रोत: IUCN
चर्चा में क्यों?
IUCN, विश्व संरक्षित क्षेत्र आयोग (WCPA) और WWF द्वारा "अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपायों (OECM) पर मार्गदर्शन" शीर्षक से एक नई रिपोर्ट जारी की गई है।
- इसमें शामिल दिशानिर्देश के तहत कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF) 2022 के GBF लक्ष्य संख्या 3 को प्राप्त करने के लिये भूमि, जल एवं समुद्री क्षेत्रों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने पर प्रकाश डाला गया है ताकि वर्ष 2030 तक इन क्षेत्रों के 30% का संरक्षण किया जा सके।
OECM क्या हैं?
- परिचय: OECM को ऐसे भौगोलिक क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो संरक्षित क्षेत्र नहीं है लेकिन जिसे जैवविविधता के संरक्षण के क्रम में सकारात्मक, निरंतर, दीर्घकालिक परिणाम प्राप्त करने के लिये शासित और प्रबंधित किया जाता है।
- ये क्षेत्र सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक-आर्थिक या अन्य स्थानीय मूल्यों सहित पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों और सेवाओं के संरक्षण पर केंद्रित हैं।
- उदाहरण कृषि भूमि, लकड़ी के लिये वन आदि।
- OECM की पहचान हेतु मानदंड:
- मुख्य विशेषताएँ :
- संरक्षित क्षेत्र में शामिल न होना: OECM औपचारिक संरक्षित क्षेत्र (PAs) नहीं हैं लेकिन जैवविविधता संरक्षण में इनकी भूमिका रहती है।
- प्रबंधन में लचीलापन: OECM का प्रबंधन सरकारों, निजी समूहों, स्थानीय लोगों या स्थानीय समुदायों द्वारा किया जा सकता है।
- बहुउद्देश्यीय उद्देश्य : OECM जल प्रबंधन या कृषि जैसे लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, तथा जैवविविधता संरक्षण को द्वितीयक लाभ के रूप में शामिल कर सकते हैं।
- सतत् संरक्षण: OECM को प्रभावी शासन और प्रबंधन के माध्यम से स्व-स्थाने जैवविविधता संरक्षण सुनिश्चित करना चाहिये।
- स्वैच्छिक पहचान: किसी साइट को OECM के रूप में पहचानना स्वैच्छिक है और इसके लिये शासी प्राधिकरण की सहमति आवश्यक है।
- महत्त्व: OECM जैवविविधता के लिये महत्त्वपूर्ण स्थलों को मान्यता देते हैं जो औपचारिक रूप से संरक्षित नहीं हैं।
- OECM वैश्विक संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क का विस्तार करते हैं, तथा सख्त औपचारिकताओं के बिना जैवविविधता कवरेज़ को बढ़ावा देते हैं।
- केस स्टडीज़:
- लॉस एमिगोस कंजर्वेशन एरिया: यह पेरू के लॉस एमिगोस जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है और विश्व स्तर पर संकटग्रस्त 12 प्रजातियों, 12 प्राइमेट प्रजातियों और 550 से अधिक पक्षी प्रजातियों का आश्रय स्थल है।
- विट्स रूरल फैसिलिटी: यह दक्षिण अफ्रीका में स्थित है और इसका प्रबंधन मुख्यतः सवाना और नदी आवासों को बरकरार रखते हुए किया जाता है।
- नार्थ टिंडल प्रोटेक्टेड वाटर एरिया: यह स्थानीय वनस्पति को बनाए रखने और हानिकारक भूमि उपयोगों पर रोक लगाकर जैवविविधता संरक्षण के लिये नोवा स्कोटिया, कनाडा में स्थित है।
- भारत में OECM:
- OECM और PA के बीच अंतर:
पहलू |
संरक्षित क्षेत्र (PA) |
अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपाय (OECM) |
परिभाषा |
प्रकृति के दीर्घकालिक संरक्षण हेतु समर्पित क्षेत्र। |
साइट जैवविविधता का संरक्षण करती है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह प्राथमिक लक्ष्य हो। |
प्राथमिक उद्देश्य |
जैवविविधता, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और सांस्कृतिक मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करना। |
जैवविविधता एक द्वितीयक या आकस्मिक परिणाम के रूप में। |
विधिक मान्यता |
औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त और विधिक रूप से संरक्षित। |
स्वैच्छिक, औपचारिक संरक्षण का अभाव हो सकता है। |
संरक्षण नेटवर्क में भूमिका |
संरक्षण नेटवर्क का मूल, दीर्घकालिक सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण। |
PA का पूरक, पारिस्थितिकी संपर्क को बढ़ाता है। |
संरक्षण परिणाम |
जैवविविधता संरक्षण के लिये सख्त नियम। |
जैवविविधता का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन संरक्षण पर ध्यान केंद्रित नहीं करते। |
पूरक भूमिका |
संरक्षण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये केंद्रीय (जैसे, वर्ष 2030 तक 30%)। |
पारिस्थितिक प्रतिनिधित्व और संपर्क को बढ़ाता है। |
OECM के दिशा-निर्देश वाले आठ खंड कौन-से हैं?
KMGBF 2022 क्या है?
- परिचय: दिसंबर 2022 में CoP 15 (मॉन्ट्रियल, कनाडा) में अपनाए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य वर्ष 2030 तक वैश्विक जैवविविधता हानि रोकथाम करना और इसकी पुनः प्राप्ति करना है।
- यह सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के अनुरूप है और जैवविविधता हेतु रणनीतिक योजना 2011-2020 से प्राप्त उपलब्धियों और सीख पर आधारित है।
- उद्देश्य: इसमें वर्ष 2030 तक तत्काल कार्रवाई के लिये 23 कार्य-उन्मुख वैश्विक लक्ष्य शामिल हैं, जिनका लक्ष्य कम-से-कम 30% क्षीण स्थलीय, अंतर्देशीय जल और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुत्थान करना है।
- इस लक्ष्य का तात्पर्य वैश्विक प्रयासों से है, न कि प्रत्येक देश के लिये अपनी भूमि और जल का 30% आवंटित करने की आवश्यकता से।
- भविष्य का दृष्टिकोण: इस रूपरेखा में जैवविविधता संरक्षण और सतत् उपयोग पर वर्तमान कार्यों और नीतियों का मार्गदर्शन करते हुए वर्ष 2050 तक प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिये सामूहिक प्रतिबद्धता की परिकल्पना की गई है।
नोट: CBD COP-16 का आयोजन वर्ष 2024 में कोलंबिया के कैली में "पीस विद नेचर" थीम के साथ किया गया था।
- भारत ने COP-16 में KMGBF के साथ संरेखित CBD के लिये अद्यतन राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति और कार्य योजना (NBSAP) का शुभारंभ किया।
- कैली फंड की स्थापना आनुवंशिक संसाधनों पर डिजिटल अनुक्रम सूचना (DSI) के उपयोग से होने वाले लाभों का निष्पक्ष और न्यायसंगत बँटवारा सुनिश्चित करने के लिये की गई थी।
KMGBF के अंतर्गत भारत का जैवविविधता लक्ष्य क्या है?
- संरक्षण क्षेत्र: जैवविविधता को बढ़ाने के लिये 30% क्षेत्र को संरक्षित किये जाने का लक्ष्य।
- आक्रामक प्रजातियाँ: आक्रामक विदेशी प्रजातियों में 50% की कमी लाने का लक्ष्य।
- अधिकार और भागीदारी: संरक्षण में मूल समुदाय के लोगों, स्थानीय समुदायों, महिलाओं और युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना।
- सतत् उपभोग: सतत् उपभोग को बढ़ावा देना और खाद्यान्न की होने वाली कुल बर्बादी को 50% तक कम करना।
- लाभ साझाकरण: आनुवंशिक संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान से प्राप्त लाभ के उचित बँटवारे को प्रोत्साहित करना।
- प्रदूषण स्तर में कमी लाना: पोषक तत्त्वों की हानि और कीटनाशक जोखिम को कम करते हुए प्रदूषण कम करना।
- जैवविविधता नियोजन: उच्च जैवविविधता वाले क्षेत्रों की हानि की रोकथाम करने हेतु क्षेत्रों का प्रबंधन करना।
IUCN:
- वर्ष 1948 में स्थापित IUCN विश्व का सबसे बड़ा और सर्वाधिक विविधता वाला पर्यावरण नेटवर्क है।
- IUCN एक सदस्यता संघ है जिसमें 1,400 से अधिक संगठन शामिल हैं, जिनमें सरकारी और नागरिक समाज समूह दोनों शामिल हैं।
- IUCN संरक्षण डेटा, आकलन और विश्लेषण का अग्रणी प्रदाता है, जो वैश्विक पर्यावरणीय प्रयासों को समर्थन देने के लिये उपकरण और ज्ञान प्रदान करता है।
- यह IUCN रेड डाटा बुक (जिसे अब संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट के रूप में जाना जाता है) तैयार करता है, जिसमें प्रजातियों को उनके विलुप्त होने के जोखिम के आधार पर श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है, जैसे गंभीर रूप से संकटग्रस्त, संकटग्रस्त आदि।
IUCN विश्व संरक्षित क्षेत्र आयोग (WPCA)
- यह संरक्षित एवं परिरक्षित क्षेत्रों पर विशेषज्ञता का विश्व का अग्रणी नेटवर्क है, जिसके 140 देशों में 2,500 से अधिक सदस्य हैं।
- यह संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना, प्रबंधन और सुदृढ़ीकरण पर नीति निर्माताओं को रणनीतिक सलाह प्रदान करता है।
WWF:
- वर्ष 1961 में स्थापित WWF एक अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन है, जो पर्यावरण संरक्षण और कमज़ोर प्रजातियों एवं पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा पर केंद्रित है।
- इसका लक्ष्य पर्यावरणीय क्षरण को रोकना तथा ऐसे भविष्य का निर्माण करना है, जिसमें लोग प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर रह सकें।
निष्कर्ष:
IUCN और WWF द्वारा OECM दिशा-निर्देशों का जारी होना कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता ढाँचे का समर्थन करता है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 30% भूमि, जल और समुद्री क्षेत्रों का संरक्षण करना है। भारत के जैवविविधता लक्ष्य संरक्षण को बढ़ाने, आक्रामक प्रजातियों को कम करने और सतत् उपभोग को बढ़ावा देने के वैश्विक लक्ष्यों के अनुरूप हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपाय (OECM) क्या हैं? वे संरक्षित क्षेत्रों से किस प्रकार भिन्न हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. “मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ” यह पहल किसके द्वारा शुरू की गई थी? (2018) (a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल उत्तर: (c) व्याख्या: मेन्सप्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं? (2021) |