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जीनोम अनुक्रमण

  • 06 Jul 2024
  • 12 min read

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में नेचर पत्रिका (Journal Nature) में प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चला है कि जर्मनी, मैक्सिको, स्पेन, यू.के. और अमेरिका के पुरातत्वविदों और वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक प्राचीन कब्रगाहों से मानव अवशेषों से प्राप्त आनुवंशिक सामग्री को अनुक्रमित किया है।

जीनोम अनुक्रमण क्या है?

  • परिचय:
    • जीनोम DNA का एक पूरा सेट है, जिसमें किसी जीव के सभी जीन शामिल होते हैं।
      • जीनोम अनुक्रमण एक जीव के जीनोम के संपूर्ण DNA अनुक्रम को निर्धारित करने की प्रक्रिया है।
    • इसमें बेस (एडिनिन, साइटोसिन, गुआनिन और थाइमिन) के क्रम का पता लगाना शामिल है जो किसी जीव के DNA का निर्माण करते हैं। यह बड़े पैमाने पर अनुक्रमिक डेटा को एकत्रित करने के लिये स्वचालित DNA अनुक्रमण विधियों और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर द्वारा समर्थित है।

जीन एडिटिंग

  • जीन एडिटिंग, जिसे जीनोम एडिटिंग के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी तकनीक है जो किसी जीव के आनुवंशिक पदार्थ (DNA or RNA) को परिशुद्ध रूप से संशोधित करने की अनुमति देती है।
  • इसमें जीनोम के भीतर विशिष्ट DNA अनुक्रमों को जोड़ने, हटाने या परिवर्तित करने के लिये विशिष्ट उपकरणों का उपयोग शामिल है।
  • विधि:
    • CRISPR-Cas9 (क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स):
      • यह व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला और बहुमुखी जीन एडिटिंग उपकरण है।
      • यह Cas9 एंजाइम को लक्षित DNA अनुक्रम में निर्देशित करने के लिये एक गाइड RNA (gRNA) का उपयोग करता है, जहाँ यह एक डबल-स्ट्रैंड ब्रेक का निर्माण कर सकता है। कोशिकाओं के प्राकृतिक DNA मरम्मत प्रणाली का उपयोग लक्षित जीन को बाधित करने या वाँछित DNA अनुक्रम शामिल करने के लिये किया जाता है।
    • जिंक फिंगर न्यूक्लियेज़ (ZFNs):
      • ZFNs, DNA-बाइंडिंग डोमेन (जिंक फिंगर प्रोटीन) और DNA-क्लीविंग डोमेन (FokI एंडोन्यूक्लियेज़) से बने होते हैं
      • जिंक फिंगर प्रोटीन को विशिष्ट DNA अनुक्रमों को पहचानने तथा उनसे जुड़ने के लिये डिज़ाइन किया गया है, FokI डोमेन फिर DNA को विखंडित करता है। ZFNs को विशिष्ट जीनोमिक क्षेत्रों को लक्षित करने एवं संपादित करने के लिये इंजीनियर किया जा सकता है।

जीन संपादन (जीन एडिटिंग और जीन अनुक्रमण (जीन सीक्वेंसिंग) के बीच अंतर:

विशेषताएँ

जीन अनुक्रमण

जीन संपादन

परिभाषा

DNA या RNA अणु में न्यूक्लियोटाइड्स  (A, T, C, G) के सटीक क्रम को निर्धारित करने की प्रक्रिया।

किसी जीन के DNA अनुक्रम में लक्षित संशोधन करने की प्रक्रिया।

उद्देश्य

किसी जीन, जीन के समूह या सम्पूर्ण जीनोम का पूर्ण या आंशिक रूप से अनुक्रम प्राप्त करना।

वांछित परिवर्तन, जैसे आनुवंशिक दोषों को ठीक करना, जीन में संशोधित करना, या नए आनुवंशिक लक्षण प्रस्तुत करना।

तकनीक 

सैंगर सीक्वेंसिंग, नेक्स्ट-जेनरेशन सीक्वेंसिंग (NGS), और अन्य।

CRISPR-Cas9, जिंक फिंगर न्यूक्लिऐसेस, TALENs, तथा अन्य विशेष उपकरण।

परिणाम

किसी जीव की आनुवंशिक संरचना और स्वरूप के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

आनुवंशिक कोड में प्रत्यक्ष रूप से संशोधन एवं परिवर्तन किया जाता है।

संशोधन 

यह आनुवंशिक सामग्री को प्रत्यक्ष रूप से संशोधित नहीं करता है।

विशिष्ट DNA अनुक्रमों को जोड़ने, हटाने या उनमे परिवतन को सक्षम बनाता है।

  • जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग) के तरीके:
    • क्लोन-बाय-क्लोन दृष्टिकोण:
    • इस प्रक्रिया में जीनोम को सबसे पहले अपेक्षाकृत बड़े अनुभागों में विभाजित किया जाता है जिन्हें क्लोन कहते है, जिनकी लंबाई आमतौर पर लगभग 150,000 बेस पेयर (bp) होती है। फिर जीनोम मानचित्रण तकनीकों का उपयोग समग्र जीनोम के भीतर प्रत्येक क्लोन के स्थान को निर्धारित करने के लिये किया जाता है।
  • इसके बाद, प्रत्येक क्लोन को लगभग 500 bp आकार के छोटे, अतिव्यापी भाग में विभाजित किया जाता है, जो अनुक्रमण के लिये उपयुक्त होते हैं। अंत में, संपूर्ण क्लोन के पूर्ण अनुक्रम को फिर से विकसित करने के लिये अतिव्यापी क्षेत्रों (Overlapping Regions) का उपयोग करके अलग-अलग अनुक्रमित भागो को इकट्ठा किया जाता है।
  • संपूर्ण ‘जीनोम शॉटगन’ दृष्टिकोण:
    • इस विधि में सम्पूर्ण जीनोम को यादृच्छिक रूप से छोटे-छोटे टुकड़ों/भागों में विभाजित किया जाता है।
    • इन छोटे भागों को फिर से उनके जीनोमिक स्थान के बारे में किसी भी पूर्व जानकारी के बिना अनुक्रमित किया जाता है
    • अनुक्रमित भागों को फिर परिकलित रूप से भागों के मध्य अतिव्यापी (ओवरलैपिंग) क्षेत्रों की पहचान और संरेखित करके पूर्ण जीनोम अनुक्रम में पुनः संयोजित किया जाता है।
  • क्लोन-बाय-क्लोन दृष्टिकोण का उपयोग प्राय: बड़े और जटिल जीनोम के लिये किया जाता है, जबकि संपूर्ण-जीनोम शॉटगन विधि छोटे और कम जटिल जीनोम के लिये अधिक उपयुक्त होती है।
  • अनुप्रयोग:
    • महामारी की उत्पत्ति का पता लगाना: जीनोम अनुक्रमण से शोधकर्ताओं को रोगजनकों की आनुवंशिक संरचना को समझने, SARS-CoV-2 जैसे प्रकोपों ​​के स्रोत एवं उनके प्रसार का पता लगाने में सहायता प्राप्त होती है।
    • रोग प्रसार को नियंत्रित करना: जीनोम विश्लेषण से रोगजनक विकास की निगरानी की जा सकती है तथा उत्परिवर्तन पैटर्न, रोगोद्भवन अवधि एवं संचरण दर की पहचान करके रोकथाम रणनीतियों की जानकारी दी जा सकती है।
    • स्वास्थ्य देखभाल अनुप्रयोग: यह व्यक्तिगत उपचार को सक्षम बनाता है, तथा लक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों का मार्गदर्शित करता है, कैंसर जैसी बीमारियों के आनुवंशिक आधार को उजागर करने के साथ ही आबादी के लिये औषधि की प्रभावकारिता एवं सुरक्षा के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
    • कृषि उन्नति: फसल जीनोम अनुक्रमण कीटों और पर्यावरणीय संकट के लिये आनुवंशिक संवेदनशीलता की समझ में वृद्धि कर सकता है।
    • क्रम-विकास-संबंधी अध्ययन: जीनोम डेटा प्रजातियों के प्रवास तथा विकास को मानचित्रित करने में योगदान कर सकता है, जिससे मानव उत्पत्ति और जीवन के इतिहास के बारे में हमारा ज्ञान में वृद्धि कर सकता है।

महत्त्वपूर्ण जीनोम अनुक्रमण पहल:

  • मानव जीनोम परियोजना:
  • वर्ष 1990 से वर्ष 2003 तक मानव जीनोम परियोजना (HGP) संपूर्ण मानव जीनोम का मानचित्रण और अनुक्रमण करने का एक ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय प्रयास था।
  • इसे यू.एस. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) और यू.एस. ऊर्जा विभाग द्वारा समन्वित किया गया था।
  • इस परियोजना ने चिकित्सा और उन्नत DNA अनुक्रमण तकनीक में क्रांति ला दी।
  • स्तन कैंसर के उपचार के लिये Her2/neu और अवसादरोधी प्रतिक्रिया के लिये CYP450 जैसे विकास इस परियोजना के परिणामस्वरूप हुए।
  • जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट
  • इसे वर्ष 2020 में भारतीय आबादी की आनुवंशिक संरचना को व्यापक रूप से समझने के उद्देश्य से एक प्रमुख पहल के रूप में लॉन्च किया गया था।
  • इसमें भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा वित्त पोषित और समन्वित किया जाता है।
  • इंडिजेन (IndiGen) प्रोजेक्ट:
  • इसे अप्रैल 2019 में CSIR द्वारा शुरू किया गया था।
  • इसका उद्देश्य भारत के विविध जातीय समूहों (Ethnic Groups) का संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण करना है।
  • इसका उद्देश्य जनसँख्या जीनोम डेटा का उपयोग करके आनुवंशिक महामारी विज्ञान को सक्षम बनाना और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों को विकसित करना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिस्म:

प्रश्न 1. भारत में कृषि के संदर्भ में, प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकों का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक फसली पौधों की नई तकनीकों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को घटाने में मदद करती है।
  3. इसका प्रयोग फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

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