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जैव विविधता और पर्यावरण

CBD के अंतर्गत भारत का जैवविविधता लक्ष्य

  • 15 Oct 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्य, जैवविविधता पर अभिसमय, कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव-विविधता फ्रेमवर्क, आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ, निष्पक्ष और न्यायसंगत साझाकरण, सतत् विकास लक्ष्य, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, तटीय पारिस्थितिकी तंत्र, आईची जैवविविधता लक्ष्य (2011-2020), समुद्री घास के मैदान, अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपाय (OECM)

मेन्स के लिये:

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव-विविधता फ्रेमवर्क का महत्त्व, भारत के जैवविविधता लक्ष्य। 

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत ने कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF) के साथ संरेखित करते हुए जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (CBF) में अपने राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्य प्रस्तुत करने की योजना बनाई है।

  • CBD का अनुच्छेद 6 सभी पक्षकारों से जैवविविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग के लिये राष्ट्रीय रणनीति, योजना या कार्यक्रम तैयार करने का आह्वान करता है।
  • भारत द्वारा कोलंबिया के कैली में आयोजित होने वाले CBD के पक्षकारों के 16वें सम्मेलन (CBD-COP 16) में अपने 23 जैवविविधता लक्ष्य प्रस्तुत किये जाने की संभावना है।

CBD के अंतर्गत भारत का जैवविविधता लक्ष्य क्या है?

  • संरक्षण क्षेत्र: जैवविविधता को बढ़ाने के लिये 30% क्षेत्रों को प्रभावी रूप से संरक्षित करने का लक्ष्य।
  • आक्रामक प्रजातियों का प्रबंधन: आक्रामक विदेशज प्रजातियों के प्रवेश और स्थापना में 50% की कमी का लक्ष्य।
  • अधिकार और भागीदारी: जैवविविधता संरक्षण प्रयासों में स्वदेशी लोगों, स्थानीय समुदायों, महिलाओं और युवाओं की भागीदारी और अधिकारों को सुनिश्चित करना।
  • सतत् उपभोग: सतत् उपभोग विकल्पों को सक्षम बनाना और खाद्य अपशिष्ट को आधे से कम करना।
  • लाभ साझाकरण: आनुवंशिक संसाधनों, डिजिटल अनुक्रम की जानकारी और संबंधित पारंपरिक ज्ञान से लाभ के निष्पक्ष और न्यायसंगत साझाकरण को बढ़ावा देना।
  • प्रदूषण में कमी: प्रदूषण को कम करने, पोषक तत्वों की हानि और कीटनाशक जोखिम को आधा करने के लिये प्रतिबद्ध।
  • जैवविविधता नियोजन: यह सुनिश्चित करना कि उच्च जैवविविधता महत्त्व वाले क्षेत्रों की हानि को कम करने के लिये सभी क्षेत्रों का प्रबंधन किया जाए।

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF) क्या है?

  • परिचय: यह एक बहुपक्षीय संधि है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर जैवविविधता की हानि को रोकना है।
    • इसे दिसंबर 2022 में कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (CoP) की 15वीं बैठक के दौरान अपनाया गया था।
    • यह सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) का समर्थन करता है, जो जैवविविधता के लिये रणनीतिक योजना वर्ष 2011-2020 से प्राप्त उपलब्धियों और सबक पर आधारित है ।
  • उद्देश्य और लक्ष्य: यह सुनिश्चित करता है कि वर्ष 2030 तक क्षीण हो चुके स्थलीय, अंतर्देशीय जल, तथा समुद्री और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के कम-से-कम 30% क्षेत्रों का प्रभावी पुनर्स्थापन हो जाए।
    • इसमें वर्ष 2030 तक के दशक में तत्काल कार्रवाई के लिये 23 क्रिया-उन्मुख वैश्विक लक्ष्य शामिल हैं, जो वर्ष 2050 तक परिणाम-उन्मुख लक्ष्यों की प्राप्ति में सक्षम बनाएँगे।
    • यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि यह लक्ष्य सामूहिक वैश्विक प्रयासों को संदर्भित करता है न कि प्रत्येक देश द्वारा अपने भूमि और जल क्षेत्र का 30% आवंटित करने की आवश्यकता को।
  • दीर्घकालिक दृष्टिकोण: इस रूपरेखा में यह परिकल्पना की गई है कि वर्ष 2050 तक प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिये सामूहिक प्रतिबद्धता होगी, जो जैवविविधता संरक्षण और सतत् उपयोग पर वर्तमान कार्यों और नीतियों के लिये एक आधारभूत मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करेगी।

राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्यों (NBT) का विकास:

  • आईची जैवविविधता लक्ष्य: CBD दायित्वों के तत्त्वाधान में, भारत ने 12 राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्य (NBT) विकसित किये हैं जो पिछले आईची जैवविविधता लक्ष्य (2011-2020) के अनुरूप हैं।
  • राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना (NBAP): इनकी शुरूआत मूल रूप से वर्ष 2008 में की गई थी तथा आईची जैवविविधता लक्ष्यों को शामिल करने के लिये वर्ष 2014 में संशोधन किया गया था।
  • निगरानी: NBT को प्राप्त करने के लिये रोडमैप प्रदान करने हेतु भारत द्वारा  संबद्ध संकेतक और निगरानी ढाँचा भी विकसित किया गया है।

भारत नए जैवविविधता लक्ष्यों को कैसे प्राप्त कर सकता है?

  • पर्यावास संपर्क: भारत को घास के मैदानों, आर्द्रभूमियों और समुद्री घास के मैदानों जैसे उपेक्षित पारिस्थितिक तंत्रों के संरक्षण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
    • व्यापक परिदृश्यों और समुद्री परिदृश्यों से एकीकृत बेहतरीन संरक्षित क्षेत्रीय प्रजातियों के आवागमन को सुविधाजनक बना सकते हैं जिससे जैवविविधता में वृद्धि हो सकती है।
  • वित्तीय संसाधन जुटाना: भारत को अपनी राष्ट्रीय जैवविविधता संबंधी कार्य योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिये विकसित देशों से  वित्तीय सहायता का समर्थन जारी रखनी चाहिये।
    • GBF ने विकसित देशों से आह्वान किया है, कि वे विकासशील देशों में जैवविविधता संबंधी पहल के लिये वर्ष 2025 तक कम-से-कम 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष तथा वर्ष 2030 तक 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष एकत्रित करें।
  • सह-प्रबंधन मॉडल: संरक्षण प्रक्रिया में स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों को शामिल करने वाले सह-प्रबंधन ढाँचे का विकास करने से सामुदायिक आजीविका को बनाए रखते हुए संरक्षित क्षेत्रों की प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकता है।
  • OECM को केंद्रित होना: पारंपरिक संरक्षित क्षेत्रों से ध्यान हटाकर अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपायों (OECM) पर ध्यान केंद्रित करने से मानव गतिविधि पर कम प्रतिबंध वाले क्षेत्रों में जैवविविधता के संरक्षण की अनुमति मिलती है।
    • इसमें पारंपरिक कृषि प्रणालियों और निज़ी स्वामित्व वाली भूमि को समर्थन देना शामिल है, जो संरक्षण लक्ष्यों में योगदान देती हैं।
  • कृषि सब्सिडी में सुधार: भारत को कीटनाशकों के उपयोग जैसी हानिकारक प्रथाओं से समर्थन हटाकर ऐसे स्थायी विकल्पों की ओर ध्यान देना चाहिये, जो पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बढ़ावा दें।
  • पिछले लक्ष्यों के साथ संरेखण: मौज़ूदा राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना (NBAP) पर निर्माण और इसे GBF के नए 23 लक्ष्यों के साथ संरेखित करने से भारत में जैवविविधता संरक्षण के लिये एक सुसंगत रणनीति तैयार होगी।

निष्कर्ष

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता ढाँचे के प्रति भारत की प्रतिबद्धता, इसके 23 जैवविविधता लक्ष्यों के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाने के लिये एक रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। उपेक्षित पर्यावासों को प्राथमिकता देने, संसाधनों को जुटाने और सब्सिडी में सुधार करने, हेतु भारत वर्ष 2030 तक अपने जैवविविधता लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकता है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: वैश्विक जैवविविधता संरक्षण के लिये कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF) के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रारंभिक परीक्षा

प्रश्न. 'वैश्विक पर्यावरण सुविधा' के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है/हैं? 

(a) यह 'कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी' और 'क्लाइमेट चेंज पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन' के लिए वित्तीय तंत्र के रूप में कार्य करता है।
(b) यह वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के मुद्दों पर वैज्ञानिक अनुसंधान करता है
(c) यह OECD के तहत एक संस्था है जो अपने पर्यावरण की रक्षा करने के लिए विशिष्ट उद्देश्य के साथ अविकसित देशों को प्रौद्योगिकी और धन के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करती है
(d) (a) और (b) दोनों

उत्तर: (a)


प्रश्न: “मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ” यह पहल किसके द्वारा प्रवर्तित की गई है? (2018) 

(A) जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल
(B) UNEP सचिवालय
(C) UNFCCC सचिवालय
(D) विश्व मौसम विज्ञान संगठन

उत्तर: (c)


मुख्य परीक्षा

Q. भारत सरकार दवा कंपनियों द्वारा दवा के पारंपरिक ज्ञान को पेटेंट कराने से कैसे बचाव कर रही है?  (वर्ष 2019)

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